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Home » ब्लॉग » संकर धान की खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार

संकर धान की खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

संकर धान

संकर किसमें दो विभिन्न आनुवंशिक गुणों वाली प्रजातियों के नर व मादा संसर्ग या संकरण से विकसित की जाती हैं| इसमें पहली पीढ़ी का बीज नई के रूप में प्रयोग लाया जाता है| क्योंकि पहली पीढ़ी में एक विलक्षण ओज पाई जाती है, जो सर्वोत्तम सामान्य किस्मों की तुलना में अधिक उपज देने वाला होता है| अगली पीढ़ी में उनके संकलित गुण विघटित हो जाते हैं तथा ओज क्षमता में बहुत ह्रास हो जाता है|

परिणामतः संकर धान का बीज किसानों को हर साल क्रय करना पड़ता है| संकर धान की किस्मों से प्रजनित सामान्य किस्मों की तुलना में 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अधिक उपज मिलती है, क्योंकि इसमें प्रति पौध एवं प्रति बाली दानों की संख्या अधिक होती है| इस लेख में संकर धान की खेती कैसे करें, और इसके लिए किस्मे, देखभाल एवं पैदावार उल्लेख किया गया है| धान उन्नत खेती के लिए यहाँ पढ़ें- धान (चावल) की खेती कैसे करें

यह भी पढ़ें- श्री विधि से धान की खेती कैसे करें

संकर धान की खेती के लिए उपयुक्त भूमि

संकर धान से भरपूर एवं उसकी पूरी अनुवांशिक क्षमता के अनुरूप पैदावार करने के लिए दोमट या मटीया खेत जिसमें पानी रोकने की क्षमता अधिक हो उपयुक्त जल निकास हो वह भूमि उपयुक्त रहती है|

संकर धान की खेती के लिए बीज और बुआई

बीज दर- संकर धान की खेती हेतु 20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर यानि की बीज दर सामान्य की अपेक्षा कम होती है|

बुआई का समय- पौध डालने का समय जून का प्रथम प्रखवाड़ा (खरीफ सीजन हेतु )

रोपाई का समय- जब पौधे 25 दिन की हो जाये|

संकर धान की खेती के लिए किस्में

पी एच बी 71- इसका दाना पतला लम्बा, पकने की अवधि 135 से 140 दिन, मध्यम सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त औसत पैदावार 75 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

के आर एच 2- इसका दाना मोटा लम्बा, पकने की अवधि 135 से 140 दिन, मध्यम सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त औसत पैदावार 70 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

एराईज 6444- इसका दाना लम्बा मोटा, पकने की अवधि 135 से 140 दिन, मध्यम सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त औसत पैदावार 80 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

पूसा आर एच 10 (सुगन्धित)- इसका दाना लम्बा पतला, पकने की अवधि 115 से 120 दिन, मध्यम सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त औसत पैदावार 60 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

एराईज 6201- इसका दाना लम्बा पतला, पकने की अवधि 125 से 130 दिन, मध्यम सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त औसत पैदावार 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

ईण्डाम 100001- इसका दाना लम्बा पतला, पकने की अवधि 115 से 120 दिन, मध्यम सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त औसत पैदावार 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| किस्मों की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- धान की उन्नत किस्में

यह भी पढ़ें- धान बोने की प्रचलित पद्धतियाँ

संकर धान की खेती के लिए नर्सरी की तैयारी

1. संकर धान की एक एकड़ खेती के लिए 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में नर्सरी तैयार कि जाती है|

2. उपलब्धता अनुसार 2 से 2.5 क्विंटल कम्पोस्ट या 50 से 100 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट प्रयोग कि जाती है|

3. नर्सरी तैयारी करने के समय एजोटोबैक्टर या एजोस्पाइरीलम, पी एस बी, वाम, ट्राइकोडर्मा विरीडी प्रत्येक 100 ग्राम की दर से कम्पोस्ट या वर्मी कमपोस्ट में मिलाकर पौधशाला में बुरकाव एक सप्ताह पूर्व करना चाहिये|

4. संकर धान की बीज बुआई के पूर्व 2 किलोग्राम डी ए पी और 1 किलोग्राम म्यूरियेट ऑफ पोटाश खेत में प्रयोग किया जाता है|

5. मिट्टी परीक्षण में जिंक की कमी पायी गई हो तो 250 से 300 ग्राम जिंक सल्फेट हेप्टाहाइड्रेट 21 प्रतिशत का प्रयोग बीजाई के एक सप्ताह पूर्व करना चाहिये|

6. संकर धान की नर्सरी में बीज बोने से पहले 12 घंटा पानी में भिंगाने के बाद उसे फिर से 12 घंटे छाया में रखने के बाद बोआई करें|

यह भी पढ़ें- धान के कीटों का समेकित प्रबंधन कैसे करें

संकर धान की खेती के लिए बीज उपचार

संकर धान की बुआई पूर्व बीज को काबेंडाजीम 50 प्रतिशत डब्लू पी, 2 ग्राम या ट्राइकोडर्मा विरीडी 5 ग्राम पाउडर या 1 मिलीलीटर तरल को प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना आवश्यक है|

संकर धान की खेती के लिए नर्सरी उपचार

1. संकर धान पौधा उखाड़ने के तीन से चार दिन पहले 250 ग्राम कार्बोफ्यूरॉन 3 जी या 120 ग्राम फोरेट 10 जी दानेदार का प्रयोग कर सिंचाई कर देना चाहिये|

2. संकर धान की बुआई के 10 से 12 दिन के बाद हेक्साकोनाजोल 5 प्रतिशत ई सी, 1.5 मिलीलीटर की दर से प्रयोग करना चाहिये|

संकर धान की खेती के लिए खेत की तैयारी

1. संकर धान हेतु मध्यम जमीन का चुनाव इसकी खेती के लिए उपयुक्त होता है| खेत में पानी का जमाव 10 से 12 सेंटीमीटर तक रहना चाहिए|

2. खेत की अंतिम जुताई के समय 40 से 60 क्विंटल कम्पोस्ट या 6 से 10 किंवटल वर्मी कम्पोस्ट प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करना चाहिए, इसके साथ जैव उर्वरक यानि एजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरीलम, पी एस बी, 1 किलोग्राम प्रत्येक को मिला देने से लाभ होता है|

3. 8 से 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड.की दर से प्रयोग किया जाता है|

4. संकर धान का 20 से 25 दिनों की आयु का पौधा रोपाई के लिये प्रयुक्त किया जाना चाहिये|

5. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर एवं पौधा से पौधा की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर रखना चाहिए|

6. एक जगह पर संकर धान के केवल 1 से 2 पौधों की रोपाई करनी चाहिये|

7. गले अथवा सूखे हुए पौधों के स्थानों पर एक सप्ताह के अन्दर दूसरी बार रोपाई कर देनी चाहिये|

यह भी पढ़ें- धान में एकीकृत रोग प्रबंधन कैसे करें

संकर धान की खेती में पोषक तत्व प्रबंधन

संकर धान की उत्पादकता अधिक रहने के कारण नेत्रजन 50 से 60 किलोग्राम, फॉस्फेट 25 किलोग्राम और पोटाश 25 से 30 किलोग्राम प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है| वांछित पोषक तत्वों को निम्नांकित विवरण के अनुरुप प्रयोग किया जाना चाहिये, जैसे-

रोपणी के समय- 25 से 35 किलोग्राम नाइट्रोजन, 25 किलोग्राम स्फुर और 12 से 15 किलोग्राम पोटाश|

रोपणी के 30 से 35 दिन बाद- उपरिवेशन के रुप में 12 से 15 किलोग्राम नाइट्रोजन|

रोपणी के 70 से 75 दिन बाद- उपरिवेशन के रुप में 12 से 15 किलोग्राम नाइट्रोजन और 12 से 15 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें| पोषक तत्वों के उपयोग की अधिक जानकारी हेतु यहाँ पढ़ें- धान में पोषक तत्व (उर्वरक) प्रबंधन कैसे करें

संकर धान की खेती में खरपतवार प्रबंधन

संकर धान हेतु श्रमिकों की उपलब्धता नहीं रहने की अवस्था में रोपनी के तीन से चार दिनों के अन्दर ब्यूटाक्लोर 50 ई सी या प्रेटीलाक्लोर 50 ई सी तरल एक लीटर को 400 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से या 20 से 25 किलोग्राम बालू में मिलाकर भुरकाव कर खेत में 5 दिन तक 2 से 3 ईंच पानी रखना चाहिए|

संकर धान की खेती में जल प्रबन्धन

संकर धान के कल्लें निकलने की अवस्था में 4 से 5 सेंटीमीटर पानी रहना आवश्यक होता है| इसके बाद 4 से 5 दिनों के लिए खेत से पानी निकाल दिया जाता है| खेत को गीला और सूखा करने से पौधों में सिंचाई जल की दक्षता बढ़ जाती है|

यह भी पढ़ें- धान में खरपतवार एवं निराई प्रबंधन कैसे करें

संकर धान की फसल में सुरक्षा प्रबंधन

संकर किस्मों की उत्पादकता अधिक रहने के कारण फसलों में कीटव्याधियों का प्रकोप अधिक होता है| इसलिए आवश्यक है, कि समेकित कीट प्रबंधन के मानक नियमों का पालन करते हुए समुचित कारवाई की जाये| इसके अन्तर्गत सुरक्षात्मक और आकस्मिक आवश्यक उपाय आवश्यकतानुसार किया जाए, जैसे-

रोपाई से 20 से 25 दिन बाद- (नीम तेल) 0.03 प्रतिशत, एजैडीरेक्टीन 3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें|

रोपाई से 40 से 45 दिन बाद- (नीम तेल) 0.15 प्रतिशत, 3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें|

रोपाई से 60 से 65 दिन बाद- इमिडाक्लोप्रीड 17.8 प्रतिशत ई सी का 0.3 मिलीलीटर या इन्डोसल्फान 35 ई सी का 2 मिलीलीटर के साथ हेक्साकोनाजोल 5 प्रतिशत ई सी का 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें|

गंधी बग की समस्या होने पर- मालाथियॉन या मिथाइलपाराथिन का धूल 8 से 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करना चाहिये| संकर धान की कीट व रोग नियंत्रण के लिए यहाँ पढ़ें- धान की खेती में जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन

यह भी पढ़ें- सिंचित क्षेत्रों में धान की फसल के कीट एवं उनका प्रबंधन कैसे करें

संकर धान की फसल की कटाई

संकर धान की फसल पक जाने की अवस्था में समय पर कटाई कर पक्के फर्श पर गहाई के या किसी मशीनरी के द्वारा निकाला जाना चाहिए और अनाज के सूखाने के बाद हीं भंडारण या बाजार में विक्रय किया जाना चाहिये|

संकर धान की खेती से पैदावार

उपरोक्त तरीके से संकर धान की खेती करने के बाद इसका औसतन उत्पादन 30 से 40 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त होता है|

संकर धान की खेती के लिए सावधानियां

संकर धान का बीज (एफ- 1) एक ही फसल उत्पादन के लिए प्रयोग में लाया जाता है| संकर धान की फसल से प्राप्त बीज को दूसरे वर्ष इसलिए नहीं प्रयोग में लाया जाता है, क्योंकि दूसरे वर्ष इसकी पैदावार पहले वर्ष की अपेक्षा घट जाती है| दूसरे वर्ष की फसल में ऊँचाई परिपवक्ता और दानों में विभिन्नता आ जाती है, जबकि संकर धान की पहली फसल में पर्याप्त समरूपता रहती है| दूसरे साल प्रति बाली दानों की संख्या में कमी एवं कलियां भी कम हो जाती हैं, परिणाम स्वरूप उपज में कमी आ जाती है|

अत: किसान भाई यदि वास्तव में संकर धान की किस्मों की अनुवांशिक क्षमता का भरपूर लाभ चाहते हैं, तो इसका बीज हर साल नया खरीदें| इसके कारण यह है, कि ये किस्में अस्थाई बंधन से सृजित की जाती हैं| जिनकी ओज क्षमता एक पीढ़ी तक ही सीमित रहती है एवं यह बंधन दूसरी साल पीढ़ी में विघटित हो जाता है|

यह भी पढ़ें- सिंचित क्षेत्रों में धान की फसल के कीट एवं उनका प्रबंधन कैसे करें

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