• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post

धान के कीटों का समेकित प्रबंधन | धान में कीट नियंत्रण कैसे करें?

January 4, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

धान के कीटों का समेकित प्रबंधन एक बहुद्देशीय पहुँच है, जिसकी सार्थकता वर्तमान समय में भारत की आवश्यकता है| इसमें पारिस्थितिकी तंत्र को अक्षुण्ण रखते हुए धान के कीटों के प्रबंधन में उपलब्ध सारी तकनीकों का व्यवहार इस प्रकार करना है| कि वे एक दूसरे को नहीं काटे एवं वातावरण के लिए हानिकारक कीटनाशी रसायनों का अन्तिम उपाय के रूप में धान के कीटों पर तब प्रयोग करना है, जब सारे तकनीकि असफल हो जाए|

इससे पता चलता है, की समेकित किट प्रबन्धन किसान भाइयों के लिए कितनी उपयोगी पद्धति है| धान भारत की प्रमुख खाद्य फसल है, जिसको किट बहुत नुकसान पहुचते है| धान के कीटों में प्रमुख है, जैसे- तना छेदक, गुलाबी तना छेदक, पत्ती लपेटक, धान का फूदका और गंधीबग आदि है| इस लेख में धान के कीटों का समेकित प्रबंधन कैसे करें की आधुनिक तकनीक की जानकारी का उल्लेख है| धान की खेती के लिए यहाँ पढ़ें- धान (चावल) की खेती कैसे करें

यह भी पढ़ें- धान में एकीकृत रोग प्रबंधन कैसे करें

धान के कीटों का समेकित नियंत्रण

भूरा पौध फुदका

धान के कीटों में इस कीट के वयस्क और शिशु पौधे के तने से रस चूसकर फसल को हानि पहुंचाते हैं| अधिक प्रकोप की अवस्था में खेत में सूखी फसल के गोलाकार क्षेत्र नजर आते हैं| इन लक्षणों को ‘हॉपर–बर्न’ कहते हैं, क्योंकि ये कीड़े पौधों के तनों पर रहते हैं, इसलिए पत्तों पर नजर नहीं आते| इसी कारण फसल पर इस कीट की धान के पौधे पर लगे फुदके निगरानी बहुत जरूरी हो जाती है|

आर्थिक नुकसान स्तर- 10 कीट प्रति गुच्छा

प्रबंधन-

1. धान के कीटों की रोकथाम हेतु नाइट्रोजन का अत्याधिक प्रयोग न करें|

2. खेत में लगातार पानी भरकर न रखें और इसके सूखने पर ही दोबारा सिंचाई करें|

3. खेतों की मेढ़ों पर खरपतवार नियंत्रित करते रहें|

4. धान के कीटों जानकारी के लिए प्रकाश-पाश से कीटों की निगरानी करें|

5. मित्र जीवों जैसे मकडियों, मिरिड बग एवं लेडी बर्ड भूगों का संरक्षण करें|

6. धान के कीटों के लिए जरूरत पड़ने पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल, 1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर पानी या बुप्रोफेजिन 25 एस सी, 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या कार्बरिल 50 डब्ल्यू पी, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी या क्लोरपायरिफॉस 20 ई सी 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का छिडकाव करें या दानेदार कार्बोफ्यूरान 3 जी 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें|

7. धान के कीटों पर रसायन छिड़कते समय नोजल पौधों के तनों की तरफ रखें|

यह भी पढ़ें- धान में खरपतवार एवं निराई प्रबंधन कैसे करें

तना छेदक

इन कीटों की सूण्डियाँ भी फसल को हानि पहुँचाती हैं| सूण्डी तने में घुस कर केन्द्रीय पत्ती चक्र को काट देती है| जिससे वह भूरेपन में बदल कर सूख जाता है, जिसे डेड हार्ट’ कहा जाता है| फूलों के गुच्छे बनना शुरू होने के बाद कीटों के हमले से गुच्छे मुरझा जाते हैं| जो ‘सफेद बाली’ कहलाते हैं|

आर्थिक नुकसान स्तर- 5 प्रतिशत डेडहार्ट या 2 प्रतिशत सफेद बाली

प्रबंधन-

1. रोपाई से पहले पौधों की चोटियों को काट दें|

2. धान के कीटों के नियंत्रण के लिए नाइट्रोजन का अत्याधिक उपयोग न करें|

3. डेड हार्ट और सफेद बालियों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें|

4. प्रकाश-पाश के उपयोग से पीले तना छेदक की संख्या पर निगरानी रखें|

5. रोपाई के 30 दिन बाद ट्राइकोग्रामा जैपोनिकम 1 से 1.50 लाख प्रति हेक्टेयर प्रति सप्ताह की दर से 2 से 6 सप्ताह तक छोडे|

6. पौधों की कटाई जमीन स्तर तक करें तथा फसल के ढूंठों को नष्ट कर दें, जिससे कीट की
सूण्डी एवं प्यूपे नष्ट हो जाएँगे|

7. आवश्यकतानुसार दानेदार कीटनाशी जैसे कार्बोफ्यूरान 3 जी, 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, कारटेप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी, 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी 2 मिलीलीटर प्रति लीटर, या एसीफेट 75 एस पी, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी या क्यूनालफॉस 25 ई सी, 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या कारटेप हाइड्रोक्लोराइड 50 एस पी, 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- असिंचित क्षेत्रों में धान की फसल के कीट एवं उनका प्रबंधन कैसे करें

पत्ती लपेटक

इस कीट के पतंगें संतरी भूरे रंग के होते हैं| इनके पंखों के बीच में टेढ़ी मेढ़ी रेखाएँ होती हैं| पतंगे की सुण्डी पत्ते के दोनों किनारों को सिलकर इसके हरे पदार्थ को खाती है| अधिक प्रकोप की अवस्था में पत्तों पर सफेद-सफेद धब्बे दूर से नजर आते हैं|

आर्थिक नुकसान स्तर- 2 क्षतिग्रस्त पत्ते प्रति गुच्छा

प्रबन्धन-

1. नाइट्रोजन का अत्यधिक उपयोग न करें|

2. धान के कीटों की रोकथाम के लिए खरपतवार नष्ट करते रहें|

3. प्रकाश-पाश के प्रयोग से कीट पर निगरानी रखें|

4. ट्राइकोग्रामा 1 से 1.50 लाख प्रति हेक्टेयर की दर से छोड़ें|

5. धान के कीटों पर नियंत्रण हेतु परभक्षी जैसे रोव बीटल का संरक्षण करें|

6. धान के कीटों हेतु आवश्यकतानुसार क्यूनालफॉस 25 ई सी, 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी, 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर या कारटेप हाइड्रोक्लोराइड 50 एस पी 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या एसीफेट 75 एस पी, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी या इन्डोक्साकार्ब 14.5 एस सी 1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- सिंचित क्षेत्रों में धान की फसल के कीट एवं उनका प्रबंधन कैसे करें

गंधीबग

प्रमुख धान के कीटों में से यह कीट खेत में दुर्गन्ध पैदा करता है, इसलिए इसे गंधीबग कहा जाता है| शिशु तथा वयस्क दोनों ही दूधिया अवस्था में दानों के रस को चूस कर उनको खाली कर देते हैं| गंधीबग से ग्रसित दानों पर काले धब्बे नजर आते हैं|

आर्थिक नुकसान स्तर- 1 बग प्रति गुच्छा

प्रबन्धन-

1. नाइट्रोजन का अत्यधिक उपयोग न करें|

2. एक ही क्षेत्र के खेतों में बुवाई एवं रोपाई एक ही समय पर करें|

3. खरपतवारों जैसे एकानोकलोआ को खेतों एवं मेंढ़ों से निकाल दें|

4. प्रकाश-पाश के प्रयोग से कीटों को पकड़ कर नष्ट कर दें|

5. आवश्यकतानुसार मैलाथियान 50 ई सी, 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या कार्बारिल 50 डब्ल्यू पी, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी या एसीफेट 75 एस पी, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें या कोबैरिल या मैलाथियान धूल 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें|

यह भी पढ़ें- उर्वरकों एवं पोषक तत्वों का कृषि में महत्व

हिस्पा कीट

वयस्क भौंरा नीले, काले रंग का होता है, जो कि पत्तियों के हरे हिस्से को खा कर सीढ़ीनुमा सफेद लकीरें बना देता है| इस भौरे की सूण्डियाँ पत्तियों के अन्दर छेद कर भूरे रंग के क्षेत्र बना देती हैं|

आर्थिक नुकसान स्तर- 2 क्षतिग्रस्त पत्ते प्रति गुच्छा

प्रबन्धन-

1. पौध की चोटियों को रोपाई से पहले काट दें|

2. धान के कीटों की रोकथाम के लिए खरपतवारों को नियंत्रित रखें|

3. भौरों को एकत्र कर नष्ट करें|

4. खेत में कुछ अन्तराल पर पानी की निकासी कर दें|

5. आवश्यकतानुसार क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर या क्यूनालफॉस 25 ई सी, 3 मिलीलीटर प्रति लीटर या इन्डोक्साकार्ब 14.5 एस सी, 1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर पानी या एसीफेट 75 एस पी, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में छिड़काव करें या कॉर्बारिल धूल 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें|

यह भी पढ़ें- धान में सूत्रकृमि एवं प्रबंधन कैसे करें

सैनिक कीट (झुण्ड में पाई जाने वाली सूण्डी)

धान के कीटों में यह वयस्क कीड़ा मझोले कद का तगडा और स्लेटी-भूरे रंग का पंतगा होता हैं| इसके आगे के पंखों पर काले चकत्ते होते हैं| यह कीट नर्सरी के पौधों को कुछ इस तरह से कुतर-कुतर कर खा जाता है, जैसे कि उन्हें जानवारों ने चर लिया हो| रोपी गई फसल में यह कीड़ा पत्तियों के बीच की शिराओं को छोड़ते हुए पूरी पत्तियों को चट कर नष्ट कर देते हैं|

प्रबन्धन-

1. नाइट्रोजन का अत्यधिक उपयोग न करें|

2. धान के कीटों प्रबंधन के लिए गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें|

यह भी पढ़ें- बासमती धान में समेकित नाशीजीव प्रबंधन कैसे करें, जानिए उत्तम पैदावर की विधि

3. पौधशाला में बची-खुची पौध एवं खेत में खरपतवारों को नष्ट कर दें|

4. धान के कीटों की रोकथाम हेतु खेत से कुछ अन्तराल पर पानी की निकासी कर दें|

5. प्रकाश-पाश का प्रयोग कर धान के कीटों को एकत्र कर नष्ट कर दें|

6. धान के कीटों में आवश्यकतानुसार क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी, 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर या क्यूनालफॉस 25 ई सी, 3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या इन्डोक्साकार्ब 14.5 एस सी, 1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर पानी में मिला कर छिड़कें या कॉर्बोरिल या मैलाथियान धूल 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें|

यह भी पढ़ें- धान की खेती में जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन

आवश्यक निर्देश

1. धान के कीटों हेतु कीटनाशकों का उपयोग कीटों के आर्थिक स्तर पर ही करें|

2. आरम्भ में पौध फुदका या तना छेदक के प्रकोप होने पर दानेदार कार्बोफ्यूरान 3 जी का प्रयोग करें, यदि पत्ती लपेटक भी आने लगे तो कारटेप हाइड्रोक्लोराइड 50 डब्ल्यू पी के घोल का छिड़काव करें| इनके बाद भी कीटों का प्रकोप जारी रहने पर पौध फुदका के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल या बुप्रोफेजिन 25 एस सी 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी तथा तना छेदक के लिए एसीफेट 75 एस पी के घोल का प्रयोग करें|

3. धान के कीटों पर एक ही प्रकृति के दो कीटनाशकों का प्रयोग एक के बाद एक न करें|

4. धान के कीटों के लिए आजकल कीटनाशियों के मिश्रण भी उपलब्ध हैं, जो विभिन्न प्रकार के कीटों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं| इससे हरेक कीट के लिए अलग से कीटनाशी की जरूरत नहीं पड़ती, जैसे कि बुप्रोफेजिन एसीफेट (20प्रतिशत) + एसीफेट (50 प्रतिशत) 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या फ्लूबेडिमाइड (4 प्रतिशत)+ बुप्रोफेजिन (20 प्रतिशत) 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या इथिप्रोल (40 प्रतिशत) + इमिडाक्लोप्रिड (40 प्रतिशत) 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी पौध फुदके, पत्ती लपेटक व तना छेदक नियंत्रित करते हैं|

यह भी पढ़ें- स्वस्थ नर्सरी द्वारा बासमती धान की पैदावार बढ़ाये

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें| 

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

Categories

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap

Copyright@Dainik Jagrati