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Home » अंगूर की उन्नत किस्में | अंगूर की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?

अंगूर की उन्नत किस्में | अंगूर की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?

July 21, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

अंगूर की उन्नत किस्में | अंगूर की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?

हमारे देश में अंगूर की अनेक सामान्य और संकर (हाइब्रिड) तथा विदेशी किस्में उपलब्ध है| लेकिन अंगूर की किस्मों का चयन करते समय सदैव बहुत सावधानी रखे, क्योकिं किस्मों का प्रदर्शन, क्षेत्र की जलवायु, मौसम विशेष, भूमि की दशा इत्यादि पर निर्भर करता है| क्षेत्र विशेष के लिये किस्म का चुनाव करते समय उसकी उत्पादन क्षमता, तैयार होने की अवधि, बाजार की मांग, भण्डारण क्षमता, कीट एवं बीमारियों से प्रतिरोधिता इत्यादि बातो को ध्यान में रखे| रोपण हेतु नये पौधे खरीदते समय यह भी ध्यान रखे कि पौधा उसी किस्म का तो है, की नही जिसकी जरूरत है तथा यह भी सुनिश्चित कर ले कि पौधा स्वस्थ एवं रोग मुक्त है|

जिस खेत में अंगूर का बाग़ लगाना हो, वहां अनार के पौधों को 10 से 15 दिन पहले लाकर रख ले ताकि पौधे वहां के वातारण में अच्छे से घुल मिल जाये| इस लेख में कृषकों के लिए हमारे देश में उगाई जाने जाने वाली कुछ उन्नत किस्मों की विशेषताएं और पैदावार की जानकारी का उल्लेख है| अंगूर की वैज्ञानिक तकनीक से बागवानी की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अंगूर की खेती कैसे करें

अंगूर की उन्नत किस्में

ब्युटी सीडलेस-

मूलतः कैलिफोर्निया (यू एस ए) से आयातित किस्म जिसे आंकलन के बाद व्यवसायिक स्तर पर उत्तरी भारत में उगाने के लिए सिफारिश की गई| यह एक शीघ्र पकने वाली किस्म है| इसके गुच्छे मध्यम आकार, दाने सरस, छोटे या मध्यम आकार के होते हैं| गूदा मुलायम और हल्का अम्लीय होता है| इस किस्म में कुल घुलनशील शर्करा (टी एस एस) 18 से 19 प्रतिशत है| यह किस्म मध्य जून तक पकती है| तत्काल खाने या पेय बनाने के लिए उपयुक्त किस्म है|

यह भी पढ़ें- अंगूर का प्रवर्धन कैसे करें, जानिए आधुनिक व्यावसायिक तकनीक

पलेंट-

यह भी कैलिफोर्निया से आयातित किस्म है| वर्तमान समय में उत्तर भारत में करीब 80 प्रतिशत क्षेत्रफल अकेले इस किस्म के अधीन है| यह एक बीज रहित, शीघ्र पकने वाली किस्म है| इसके गुच्छे मध्यम से लम्बे, दाने सरस, हरे, मुलायम गूदा व पतले छिलका वाला होता है| इस किस्म के फलों में कुल घुलनशील शर्करा 20 से 22 प्रतिशत तक पाई जाती है| यह किस्म जून के दूसरे सप्ताह में पकना शुरू होती है| औसतन पैदावार 35 टन प्रति हेक्टेयर है|

पूसा सीडलेस-

यह एक थॉमसन सीडलेस किस्म से चयनित किस्म (क्लोन) है| यह जून के मध्य से तीसरे सप्ताह तक पकती है| गुच्छे मध्यम, लम्बे, बेलनाकार, सुगंधयुक्त और गठे हुए होते हैं| फल छोटे व अण्डाकार होते हैं और पकने पर पीले सुनहरे रंग के हो जाते हैं| फल खाने तथा किशमिश बनाने के योग्य होते हैं|

अनब-ए-शाही-

यह अंगूर की किस्म आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक राज्यों में उगाई जाती है| यह व्यापक रूप से विभिन्न कृषि जलवायु स्थितियों के लिए अनुकूल है| यह किस्म देर से परिपक्व होने वाली तथा अच्छी उपज देने वाली है| बेरियां (फल) जब पूरी तरह से परिपक्व हो जाती है, तो ये लम्बी व मध्यम लंबी, बीज वाली और एम्बर रंग की हो जाती है| इसका जूस साफ और 14 से 16 प्रतिशत टी एस एस सहित मीठा होता है| यह कोमल फफूंदी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है| औसतन उपज 35 टन प्रति हेक्टेयर है| फल बहुत अच्छी क्वालिटी वाला होता है|

बंगलौर ब्लू-

यह अंगूर की किस्म कर्नाटक में उगाई जाती है| बेरियां (फल) पतली त्वचा वाली छोटी आकार की, गहरे बैंगनी, अंडाकार तथा बीजदार वाली होती है| इसका रस बैंगनी रंग वाला, साफ और आनन्दमयी सुगंधित 16 से 18 प्रतिशत टी एस एस वाला होता है| फल अच्छी क्वालिटी का होता है और इसका उपयोग मुख्यत: जूस तथा मदिरा बनाने में होता है| यह एन्थराकनोज से प्रतिरोधी है, लेकिन कोमल फफूंदी के प्रति अतिसंवेदनशील है|

यह भी पढ़ें- आंवला की उन्नत किस्में, जानिए उनकी विशेषताएं और पैदावार

भोकरी-

यह अंगूर की किस्म तमिलनाडू में उगाई जाती है| इसकी बेरियां (फल) पीली हरे रंग की, मध्यम लंबी, बीजदार और मध्यम पतली त्वचा वाली होती है| जूस साफ 16 से 18 प्रतिशत टी एस एस वाला होता है| यह किस्म कमजोर क्वालिटी की होती है और इसका उपयोग टेबल प्रयोजन के लिए होता है| यह जंग तथा कोमल फफूंदी के प्रति अतिसंवेदनशील है| औसतन उपज 35 टन प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष होती है|

गुलाबी-

यह अंगूर की किस्म तमिलनाडू में उगाई जाती है| इसकी बेरियां छोटे आकार वाली, गहरे बैंगनी, गोलाकार और बीजदार होती है| टी एस एस 18 से 20 प्रतिशत होता है| यह किस्म अच्छी क्वालिटी की होती है तथा इसका उपयोग टेबल प्रयोजन के लिए होता है| यह क्रैकिंग के प्रति संवदेनशील नहीं है, परन्तु जंग और कोमल फफूंदी के प्रति अतिसंवेदनशील है| औसतन पैदावार 10 से 12 टन प्रति हेक्टेयर है|

काली शाहबी-

इस अंगूर की किस्म को छोटे पैमाने पर महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश राज्यों में उगाया जाता है| इसकी बेरियां (फल) लंबी, अंडाकार बेलनाकार, लाल, बैंगनी और बीजदार होती है| इसमें टी एस एस 22 प्रतिशत होता है| यह किस्म जंग और कोमल फफूंदी के प्रति अतिसंवेदनशील है| औसतन पैदावार 10 से 12 टन प्रति हेक्टेयर है|

थॉम्पसन सीडलेस-

यह अंगूर की किस्म महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में उगाई जाती है| इसे व्यापक रूप से बीजरहित, इलपसोडियल लंबी, मध्यम त्वचा वाली सुनहरी-पीली बेरियों के रूप में अपनाया जाता है| इसका जूस 20 से 22 प्रतिशत टी एस एस सहित मीठा और भूसे रंग वाला होता है| यह किस्म अच्छी क्वालिटी की होती है और इसका उपयोग टेबल प्रयोजन और किशमिश बनाने के लिए किया जाता है| औसतन पैदावार 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर है|

यह भी पढ़ें- पपीता की उन्नत किस्में, जानिए उनकी विशेषताएं और पैदावार

शरद सीडलेस-

यह रूस की स्थानीय अंगूर की किस्म है और इसे किशमिश क्रोनी कहा जाता है| इसकी बेरियां (फल) बीजरहित, काली, कुरकरी और बहुत ही मीठी होती है| इसमें टी एस एस 24 डिग्री ब्रिक्स तक होता है| यह जीए के लिए अच्छी प्रतिक्रिया देती है और इसका शैल्फ जीवन अच्छा है| इसे विशेष रूप से टेबल उद्देश्य हेतु उगाया जाता है|

अंगूर की हाइब्रिड किस्में 

पूसा उर्वशी-

इस अंगूर की किस्म को हूर एवं ब्यूटी सीडलेस के संकरण से तैयार किया गया है| यह एक शीघ्र पकने वाली संकर किस्म है| जिसके गुच्छे कम गठीले एवं मध्यम आकार के होते हैं| दाने बीज रहित एवं हरापन लिए पीले रंग के होते हैं| यह ताजा खाने एवं किशमिश बनाने के लिए उत्तम किस्म है| फलों में घुलनशील ठोस तत्व करीब 20 से 22 प्रतिशत तक पाये जाते हैं| यह किस्म बीमारियों की प्रतिरोधी है और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में जहां मानसून की पहली वर्षा की समस्या है, उगाए जाने के लिए उपयुक्त है|

पूसा नवरंग-

इस अंगूर की किस्म को मेडीलाइन पंजीवाइन एवं रूबीरेड के संकरण से विकसित किया गया है| यह एक टेनटुरियर संकर किस्म है, जिसमें गूदा, छिलका व रस गाढे लाल रंग के होते हैं| यह शीघ्र पकने वाली एवं काफी उपज देने वाली किस्म है| इसके गुच्छे मध्यम आकार, फल बीज रहित, गोलाकार एवं काले लाल रंग के होते हैं| यह किस्म रंगीन पेय व मदिरा बनाने के लिए उपयुक्त है| यह एन्थ्रक्नोज रोग के प्रतिरोधी तथा पूर्व मानसून के आगमन पर दाने नहीं के बराबर फटते हैं|

फ्लैट सीडलेस-

यह एक कैलीफोर्निया से आयातित किस्म है| यह उत्तर भारत में उगाने के लिए उपयुक्त किस्म है| यह एक ओजस्वी, अधिक उपज वाली, लाल दाने वाली किस्म है| दाने स्वादयुक्त (22 से 23 प्रतिशत मिठास) और आकर्षक होते हैं|

यह भी पढ़ें- केले की उन्नत किस्में, जानिए उनकी विशेषताएं और पैदावार

अरकावती-

यह ‘ब्लैक चंपा’ और ‘थॉम्पसन बीजरहित’ के बीच का संकरण है| इसकी बेरियां (फल) मध्यम, पीली हरी, इलपसोडियल अंडाकार, मीठी, बीजरहित और 22 से 25 प्रतिशत टी एस एस की होती है| यह बहु प्रयोजन वाली किस्म है और इसका उपयोग किशमिश और मदिरा बनाने में किया जाता है|

अरका हंस-

यह बंगलौर ब्लू’ और ‘अनब-ए-शाही’ ‘के बीच का क्रॉस है| इस अंगूर की किस्म की बेरिया (फल) पीली हरी, इलपसोडिय-गोलाकार, बीजवाली सुगन्धित महक की होती है| इसमें टी एस एस 18 से 21 प्रतिशत है| इस किस्म का प्रयोग मदिरा बनाने के लिए किया जाता है|

अरका कंचन-

यह देरी से पकने वाली अंगूर की किस्म है और यह ‘अनब-ई-शाही’ और ‘क्वीन ऑफ दा वाइनयाई’ के बीच का क्रॉस है| इसकी बेरिया सुनहरी पीली, इलपसोडियल अंडाकार, बीजदार और सुगन्धित ‘मुस्कैट’ स्वाद की होती है| इसमें 19 से 22 प्रतिशत टी एस एस होता है और टेबल प्रयोजन और मदिरा बनाने के लिए उपयुक्त है| इस किस्म की अच्छी पैदावार है लेकिन क्वालिटी हल्की है|

अरका श्याम-

यह ‘बंगलौर’ ब्लू ‘और’ काला चंपा के बीच का क्रॉस है| इस अंगूर किस्म की बेरियां (फल) मध्यम लंबी, काली चमकदार, अंडाकार गोलाकार, बीजदार और हल्के स्वाद वाली होती है| यह किस्म एंथराकनोज के प्रति प्रतिरोधक है| यह टेबल उद्देश्य और मदिरा बनाने के लिए उपयुक्त है|

यह भी पढ़ें- अमरूद की उन्नत किस्में, जानिए उनकी विशेषताएं और पैदावार

अरका नीलमणि-

यह ‘ब्लैक चंपा’ और ‘थॉम्पसन बीजरहित’ के बीच एक क्रॉस है| इसकी बेरियां (फल) काली बीजरहित, खस्ता लुगदी वाली और 20 से 22 प्रतिशत टी एस एस की होती है| यह किस्म एंथराकनोज के प्रति सहिष्णु है| औसतन पैदावार 28 टन प्रति हेक्टेयर है| यह मदिरा बनाने और तालिका उद्देश्य के लिए उपयुक्त है|

अरका श्वेता-

यह अंगूर की किस्म ‘अनब-ए-शाही’ और ‘थॉम्पसन बीजरहित’ के बीच एक क्रॉस है| इसकी बेरियां (फल) पीली, अंडाकार, बीजरहित और 18 से 19 प्रतिशत टी एस एस की होती है| औसतन पैदावार 31 टन प्रति हेक्टेयर है| इस किस्म का उपयोग टेबल उद्देश्य के लिए किया जाता है और इसमें अच्छी निर्यात की संभावनाएं है|

अरका राजसी-

यह ‘अंगूर कलां’ और ‘ब्लैक चंपा’ के बीच एक क्रॉस है| इस अंगूर किस्म की बेरियां (फल) गहरी भूरे रंग की, एकसमान, गोल, बीजदार होती है और इसमें 18 से 20 प्रतिशत टी एस एस होता है| यह किस्म एनथराकनोज के प्रति सहिष्णु है| औसतन पैदावार 38 टन प्रति हेक्टेयर है| इस किस्म की भी अच्छी निर्यात की संभावनाएं है|

यह भी पढ़ें- आम की संकर किस्में, जानिए उन्नत बागवानी हेतु विशेषताएं

अरका चित्रा-

यह ‘अंगूर कलां’ और ‘अनब -ए-शाही’ ‘के बीच का क्रॉस है| इस अंगूर किस्म की बेरियां सुनहरी पीली गुलाबी लाल, थोडी सी लम्बी होती है और इसमें 20 से 21 प्रतिशत टी एस एस होता है| इस किस्म में कोमल फफूंदी को सहन करने की क्षमता होती है| औसतन पैदावार 38 टन प्रति हेक्टेयर है| इसकी बेरियां बहुत ही आकर्षक होती हैं और इसलिए टेबल उद्देश्य के लिए उपयुक्त है|

अरका कृष्णा-

यह ‘ब्लैक चंपा’ और ‘थॉम्पसन बीजरहित’ के बीच का क्रॉस है| इस अंगूर किस्म की बेरियां काले रंग, बीजरहित, अंडाकार गोल होती है और इसमें 20 से 21 प्रतिशत टी एस एस होता है| औसतन पैदावार 33 टन प्रति हेक्टेयर है| यह किस्म जूस बनाने के लिए उपयुक्त है|

अरका सोमा-

यह ‘अनब-ए-शाही’ और ‘क्वीन ऑफ वाइनयाईस’ ‘के बीच का क्रॉस है| इस अंगूर किस्म की बेरियां हरी पीली, गोल अण्डाकार होती है| इसकी लुगदी गोश्त वाली और इसमें 20 से 21 प्रतिशत टी एस एस सहित ‘मस्कट’ स्वाद होता है| इस किस्म में एनथराकनोज, कोमल फफूंदी और ख़स्ता फफूंदी को सहन करने की क्षमता है| औसतन पैदावार 40 टन प्रति हेक्टेयर है| यह सफेद मदिरा बनाने के लिए अच्छी है|

अरका तृष्णा-

यह ‘बंगलौर ब्लू’ और ‘कॉन्वेंट बड़ा काला’ के बीच का क्रॉस है| इस अंगूर किस्म की बेरियां (फल) गहरी तन रंग, गोल अण्डाकार वाली होती है और इसमें 22 से 23 प्रतिशत टी एस एस होता है| यह किस्म एनथराकनोज प्रतिरोधक है और इसमें कोमल फफूंदी को सहन करने की क्षमता है| औसतन पैदावार 26 टन प्रति हेक्टेयर है| यह किस्म मदिरा बनाने के लिए उपयुक्त है|

यह भी पढ़ें- सेब की किस्में, जानिए उनका विवरण और क्षेत्र के अनुसार वर्गीकरण

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