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Home » ब्लॉग » न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस और बीटी का खेती में प्रयोग

न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस और बीटी का खेती में प्रयोग

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस एवं बैसिलस थूरिनजियेन्सिस का खेती में उपयोग

न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस (एनपीवी)- यह वाइरस पर आधारित जैविक कीटनाशक है, जो चना और तम्बाकू की सूड़ी के नियंत्रण के लिए प्रयोग में लाया जाता है| चने की सूड़ी से बना हुआ जैविक कीटनाशक न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस एन पी वी (एच) 0.43 प्रतिशत ए एस तथा 2 प्रतिशत ए एस में उपलब्ध है|

इसी प्रकार तम्बाकू की सूड़ी से बना हुआ जैविक कीटनाशक न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस एन पी वी (एस) 0.5 प्रतिशत ए एस के फार्मुलेशन में उपलब्ध है| चने की सूड़ी से बना हुआ न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस एन पी वी चने की सूड़ी पर एवं तम्बाकू की सूड़ी से बना हुआ एन पी वी तम्बाकू की सूड़ी पर ही प्रभावी है|

कीट की सुंडी के द्वारा वाइरस युक्त पत्ती या फली खाने के 3 दिन बाद सुंडियों का शरीर पीला पड़ने लगता है एवं एक सप्ताह बाद सुंडियाँ काले रंग की हो जाती है तथा शरीर के अन्दर द्रव भर जाता है| रोगग्रस्त सूड़ियाँ पौधे की ऊपरी पत्तियों या टहनियों पर उल्टी लटकी हुई पायी जाती है| न्यूक्लियर पालीहेड्रोसिस वायरस एन पी वी की सेल्फ लाइफ एक वर्ष है|

यह भी पढ़ें- स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस का उपयोग खेती में कैसे करें

बैसिलस थूरिनजियेन्सिस (बीटी)- यह बैक्टीरिया पर आधारित जैविक कीटनाशक है| बैसिलस थूरिनजियेन्सिस प्रजाति कर्सटकी 0.5 प्रतिशत डब्लू पी, 2.5 प्रतिशत ए एस एवं 3.5 प्रतिशत ई एस एवं 5 प्रतिशत डब्लू पी के फार्मूलेशन में उपलब्ध है|

बैसिलस थूरिनजियेन्सिस विभिन्न प्रकार की फसलों, सब्जियों और फलों में लगने वाले लेपिडोप्टेरा कुल के फली बेधक, पत्ती खाने वाले कीटों की रोकथाम के लिए लाभकारी है|

बैसिलस थूरिनजियेन्सिस के प्रयोग के 15 दिन पूर्व या बाद में रासायनिक जीवाणुनाशी का प्रयोग नहीं करना चाहिए| बैसिलस थूरिनजियेन्सिस की सेल्फ लाइफ एक वर्ष है|

यह भी पढ़ें- बायो फ़र्टिलाइज़र (जैव उर्वरक) क्या है- प्रकार, प्रयोग व लाभ

न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस (एनपीवी) का खेती में उपयोग की विधि-

1. खड़ी फसल में कीट रोकथाम के लिए 250 से 300 लार्वा के समतुल्य (एल ई) प्रति हेक्टेयर की दर से 400 से 500 लीटर पानी में घोलकर आवश्यकतानुसार 15 दिन के अंतराल पर सायंकाल छिड़काव करना चाहिये|

2. अरहर और चने में हेलिकोवर्पा कीट की रोकथाम के लिए न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस एन पी वी (एच) 2 प्रतिशत ए एस 250 से 500 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें|

3. कपास में हेलिकोवर्पा कीट की रोकथाम के लिए न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस एन पी वी (एच) 0.43 प्रतिशत ए एस 2700 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 400 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें|

4. टमाटर में हेलिकोवर्पा कीट की रोकथाम के लिए न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस एन पी वी (एच) 0.43 प्रतिशत ए एस 1500 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 400 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें|

5. तम्बाकू में स्पोडोप्टेरा की रोकथाम के लिए न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस एन पी वी (एस) 0.5 प्रतिशत ए एस 1500 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 400 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- वर्टिसिलियम लेकानी का उपयोग खेती में कैसे करें

बैसिलस थूरिनजियेन्सिस (बीटी) का खेती में उपयोग की विधि-

1. चने में फलीबेधक के लिए बैसिलस थूरिनजियेन्सिस प्रजाति कर्सटकी 0.5 प्रतिशत डब्ल्यू पी की 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें|

2. अरण्डी में सेमीलूपर के लिए बैसिलस थूरिनजियेन्सिस कर्सटकी 0.5 प्रतिशत डब्लू पी 400 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 250 से 300 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें|

3. कपास में बालवर्म के लिए बैसिलस थूरिनजियेन्सिस कर्सटकी 3.5 प्रतिशत ई एस की 750 मिलीलीटर से 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 750 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- मेटाराइजियम एनिसोप्ली का उपयोग खेती में कैसे करें

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