• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

दैनिक जाग्रति

ऑनलाइन हिंदी में जानकारी

  • ब्लॉग
  • करियर
  • स्वास्थ्य
  • खेती-बाड़ी
    • जैविक खेती
    • सब्जियों की खेती
    • बागवानी
    • पशुपालन
  • पैसा कैसे कमाए
  • सरकारी योजनाएं
  • अनमोल विचार
    • जीवनी
Home » ब्लॉग » स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस का उपयोग खेती में कैसे करें

स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस का उपयोग खेती में कैसे करें

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस का उपयोग खेती में कैसे करें, जानिए आधुनिक विधि

स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस बैक्टीरिया पर आधारित जैविक फफूदीनाशक या जीवाणुनाशक है| स्यूडोमोनास फ्लोरिसेन्स 0.5 प्रतिशत डब्लू पी, 1 प्रतिशत डब्लू पी, 1.5 प्रतिशत डब्लू पी और 1.75 प्रतिशत डब्लू पी के फार्मुलेशन में उपलब्ध है|

जो विभिन्न प्रकार की फसलों, फलों, सब्जियों तथा गन्ना में जड़ सड़न, तना सड़न, डैम्पिंग आफ, उकठा, लाल सड़न, जीवाणु झुलसा, जीवाणु धारी इत्यादि फफूदीनाशक या जीवाणुनाशक रोगों की रोकथाम के लिए प्रभावी पाया गया है|

स्यूडोमोनास के प्रयोग के 15 दिन पहले और बाद में रासायनिक फहूंदनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए| स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस की सेल्फ लाइफ एक वर्ष है|

यह भी पढ़ें- वर्टिसिलियम लेकानी का उपयोग खेती में कैसे करें

स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस के उपयोग की विधि

1. बीजशोधन के लिए 10 ग्राम इसको 15 से 20 मिलीलीटर पानी में मिलाकर गाढ़ा घोल (स्लरी) तैयार करके एक किलोग्राम बीज को उपचारित कर छाया में सुखाने के उपरान्त बुआई करना चाहिए|

2. नर्सरी पौध उपचार के लिए 10 ग्राम इसको 1 लीटर पानी की दर से घोल (स्लरी) तैयार कर पौध उपचार या 50 ग्राम स्यूडोमोनास को 5 लीटर पानी में घोलकर एक वर्ग मीटर क्षेत्रफल के क्यारियों में छिड़काव करना चाहिए| जिससे भूमि जनित रोगों से बचाव किया जा सकता है|

3. मिटटी शोधन के लिए 1 किलोग्राम इसको प्रति हेक्टेयर 10 से 20 किलोग्राम महीन बालू में मिलाकार बुवाई या रोपाई से पूर्व उर्वरकों की तरह बुरकाव करना लाभप्रद होता है| एक किलोग्राम स्यूडोमोनास को 100 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकर लगभग 5 दिन रखने के उपरान्त बुआई से पूर्व भूमि में मिलाया जा सकता है|

4. धान की फसल में ब्लास्ट रोग की रोकथाम के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 0.5 प्रतिशत डब्लू पी 1 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पर्णीय छिड़काव करने से लाभ होता है|

5. धान में बैक्टीरियल ब्लाइट के रोकथाम के लिए धान में बैक्टीरियल ब्लाइट की रोकथाम के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरिसेन्स 1.5 प्रतिशत डब्लू पी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजशोधन करना चाहिए|

6. गेहूं में कण्डुवा रोग के रोकथाम के लिए 1.75 प्रतिशत डब्लू पी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजशोधन करें या 5 ग्राम स्यडोमोनास फ्लोरेसेंस 1.75 प्रतिशत डब्लू पी प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- मेटाराइजियम एनिसोप्ली का उपयोग खेती में कैसे करें

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

Reader Interactions

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Primary Sidebar

अपने विचार खोजें

दैनिक जाग्रति से जुड़ें

  • Facebook
  • Instagram
  • Twitter
  • YouTube

हाल के पोस्ट:-

अक्टूबर माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

पंडित रविशंकर कौन थे? रविशंकर का जीवन परिचय

कमलादेवी चट्टोपाध्याय कौन थी? कमलादेवी चट्टोपाध्याय की जीवनी

आचार्य विनोबा भावे पर निबंध | Essay on Vinoba Bhave

विनोबा भावे के अनमोल विचार | Quotes of Vinoba Bhave

विनोबा भावे कौन थे? विनोबा भावे का जीवन परिचय

इला भट्ट पर निबंध | इला भट्ट पर 10 लाइन | Essay on Ela Bhatt

ब्लॉग टॉपिक

  • अनमोल विचार
  • करियर
  • खेती-बाड़ी
  • गेस्ट पोस्ट
  • जीवनी
  • जैविक खेती
  • धर्म-पर्व
  • निबंध
  • पशुपालन
  • पैसा कैसे कमाए
  • बागवानी
  • सब्जियों की खेती
  • सरकारी योजनाएं
  • स्वास्थ्य

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us