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Home » ब्लॉग » स्वस्थ नर्सरी द्वारा बासमती धान की पैदावार बढ़ाये

स्वस्थ नर्सरी द्वारा बासमती धान की पैदावार बढ़ाये

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

स्वस्थ नर्सरी द्वारा बासमती धान की पैदावार बढ़ाये, जानिए उपयोगी जानकारी

स्वस्थ नर्सरी द्वारा तैयार पौध धान या चावल जैसी मुख्य फसल की बढ़वार और विकास का मूल आधार है| खेत में पौधों की उचित संख्या जो स्वस्थ एवं पुष्ट पौध पर निर्भर करती है, स्वस्थ पौधों की रोपाई करने से चावल की उच्च उपज मिलती है एवं चावल उगाने वाले कृषकों को अधिक लाभ प्राप्त होता है| निर्बल और अस्वस्थ पौध में अधिक खाद्य पदार्थ नहीं होते है, जिसके कारण पौधे पुष्ट नहीं होते हैं और उनकी बढ़वार भी अच्छी नहीं होती है| धान की खेती की अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें- धान (चावल) की खेती कैसे करें पूरी जानकारी

स्वस्थ नर्सरी की विधि

धान की नर्सरी के लिए स्थान तथा किस्म का चयन बहुत महत्वपूर्ण है| गीली क्यारी नर्सरी में पुष्ट और स्वस्थ पौध उत्पन्न होती हैं तथा जब अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग किया जाता है, तो उनसे उत्पन्न पौधों की कम दौबारा रोपाई करनी पड़ती है तथा खरपतवारों की समस्या भी कम होती है, जिससे अधिक पैदावार मिलती है|

गीली जुताई से पानी क्यारी की सतह के नीचे कम मात्रा में रिसता है, जिससे अवकरण की स्थिति उत्पन्न होती है| गीली जुताई से खरपतवार अपनी जड़ों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाते हैं, परिणामस्वरूप मुरझा जाते हैं| उत्तर भारत के अधिकांश किसान गीली क्यारी या नर्सरी विधि का प्रयोग कर रहे हैं|

यह भी पढ़ें- कपास की खेती कैसे करें

विधि की प्रक्रिया

1. स्वस्थ नर्सरी लगाने से 15 दिन पहले खेत की तैयारी शुरू कर दें|

2. नर्सरी के लिए ऐसे खेत का चुनाव करें, जहां सिंचाई एवं पानी की निकासी का अच्छा प्रबन्ध होना चाहिए|

3. स्वस्थ नर्सरी उगाने के लिए नर्सरी की भूमि समतल होनी चाहिए|

4. नर्सरी की बुआई से पहले भूमि की तीन चार बार अच्छी तरह जुताई करके खेत समतल कर लें|

5. 150 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए 20 किलो ग्राम गोबर की खाद, 1.5 से 2.0 किलो ग्राम डी.ए.पी और 500 ग्राम जिंक सल्फेट डाल कर खेत में मिला दें|

6. खेत में पानी भर के पडलिंग करके क्यारियां और पानी की नालियां बना लें| पडलिंग के बाद तलछट को नीचे बैठने के लिए 1 से 2 घण्टे का समय दिया जाता है| प्रत्येक क्यारी के लिए अलग से नाली बनायें एवं पानी देने के बाद नाली का नक्का ध्यान से बन्द कर दें|

7. एक हेक्टेयर खेत में धान की नर्सरी रोपाई के लिए बासमती किस्मों हेतु 300 वर्ग मीटर का बेड और 15 किलो ग्राम बीज की आवश्यकता होती है|

यह भी पढ़ें- दीमक से विभिन्न फसलों को कैसे बचाएं

नर्सरी हेतु बीज की तैयारी

1. स्वस्थ नर्सरी हेतु उत्तम क्वालिटी के 15 किलो ग्राम बासमती धान के बीज को जिसकी अंकुरण क्षमता 80 प्रतिशत से अधिक हो, का प्रयोग करें|

2. बीजों को पानी में डाल कर खाली या आंशिक रूप से भरे हुए बीजों को जो सतह पर तैरने लगते हैं, उन्हें अलग कर लें|

3. धान के बीज को 10 लीटर पानी के घोल में 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन + 20 ग्राम बाविस्टीन डाल कर 18 से 24 घन्टे के लिए भिगों दें, 24 घण्टे बाद अतिरिक्त पानी निकाल कर जूट के गीले बोरों में अंकुरण होने के लिए 12 घण्टे तक रखें|

4. अंकुरित बीजों की पतली पर्त को समान रूप से क्यारियों में फैला कर मिट्टी की गाद जैसी स्थिति में पानी की पतली परत खड़ी करें|

5. जब तक पौध हरी न हो जाएं, उन्हें पक्षियों से बचाने के लिए उनकी विशेष देखभाल करें, जब पौध प्रथम पत्ती अवस्था में पहुंच जाए तब पानी का स्तर धीरे-धीरे बढ़ायें एवं इसकी 2 से 3 सेंटीमीटर मोटी परत बनाए रखें|

नर्सरी में खरपतवार प्रबंधन

गीली क्यारियों में कार्बनिक खाद और मिट्टी में मौजूद घासदार खरपतवारों के बीज धान के बीजों के साथ अंकुरित हो जाते हैं तथा पौध बढ़वार की अगेती अवस्था में इन्हें पहचानना कठिन हो जाता है| धान की स्वस्थ नर्सरी में खरपतवार निकालने के लिए उपलब्ध समय बहुत कम होता है, क्योंकि 20 से 25 दिन पुरानी पौधे ही खेत में रोपी जाती हैं| यदि खरपतवारों को हाथ से निकाला जाए, तो यह अधिक समय लेने वाली, खर्चीली और अप्रभावी क्रिया है|

इसके लिए रासायनिक खरपतवार नियंत्रण प्रभावी पाया गया है एवं यह लोकप्रिय भी हो रहा है| नर्सरी या क्यारियों में ब्युटाक्लोर, प्रेटिलाक्लोर, सियालोहॉप ब्युटाइल तथा पायराजोसल्फ्युरॉन जैसे खरपतवार नाशियों का प्रयोग किया जा सकता है| खरपतवारनाशियों को बालू में मिलाकर यानि 10 से 15 किलोग्राम बालू प्रति 1000 मीटर नर्सरी क्यारियों में समान रूप से छिड़क दिया जाता पानी की पतली परत बनाए रखी जाती है तथा इसे वाष्पित होकर गायब होने दिया जाता है| अंकुरित हुए खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए जल निकासी से बचा जाना चाहिए|

यह भी पढ़ें- गन्ना की खेती- किस्में, प्रबंधन व पैदावार

नर्सरी में उर्वरक प्रबंधन

गीली क्यारियों में पोषक तत्वों की संतुलित उपलब्धता रोपाई के लिए प्रयुक्त होने वाली पौधों के स्वास्थ्य, पुष्टता तथा पोषक तत्वों के स्तर के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है एवं इसका मुख्य खेत में फसल की उपज पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है| 12 से 14 दिनों बाद यदि पौधे पीलापन लिए हुए हरे रंग की दिखाई दें तो 4 किलोग्राम प्रति 300 मीटर की दर से यूरिया को एक सप्ताह के अंतराल पर दो बराबर खुराकों में नर्सरी की क्यारियों में छिड़कना चाहिए|

नाइट्रोजन के उपयोग की ऊपर से छिड़कने की विधि पौधों को उखाड़ने के एक सप्ताह पूर्व पूरी कर ली जानी चाहिए, जिससे पौधों के आधारीय भागों को सख्त होने के लिए पर्याप्त समय मिल सके, नही तो पौध मुख्य खेत में मर सकती हैं|

पौध की आयु

उत्तम उपज प्राप्त करने के लिए बासमती धान की 25 से 30 दिन आयु के पौधों की रोपाई की जानी चाहिए| यदि पौध अधिक समय तक क्यारियों में रहती हैं, तो मुख्य कलमों की निचली गांठों की प्राथमिक दौजी कलिकाएं बहुधा विघटित हो जाती हैं तथा पौधों से कम दौजियां निकलती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उपज कम प्राप्त होती है|

पौध को उखाड़ना

पौधों को रोपाई वाले दिन क्यारियों की सिंचाई करने के पश्चात् सुबह के समय क्यारियों से उखाड़ना चाहिए| क्यारियों से पौधों को संभालकर उखाड़ना चाहिए, निर्बल, रोगग्रस्त और खरपतवारों के साथ-साथ अन्य किस्मों के पौधों को अलग कर देना चाहिए| पौधों को उनकी जड़ों से चिपकी हुई मिट्टी को हटाने के लिए किसी कठोर वस्तु पर पटकना नहीं चाहिए, नही तो पौध क्षतिग्रस्त हो जाती हैं|

इन पौधों को 5 से 8 सेंटीमीटर व्यास के हाथों में सुगमता से पकड़े जाने वाले गठ्ठर के रूप में किसी मुलायम धागे से बांध लेना चाहिए तथा उनकी जड़ों को पानी में डुबोकर रखना चाहिए|

यह भी पढ़ें- सब्जियों की नर्सरी तैयार कैसे करें

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