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Home » Blog » गुलाब में कीट प्रबंधन कैसे करें | गुलाब में कीट नियंत्रण कैसे करें?

गुलाब में कीट प्रबंधन कैसे करें | गुलाब में कीट नियंत्रण कैसे करें?

November 28, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

गुलाब में कीट प्रबंधन कैसे करें?

गुलाब में कीट प्रबंधन या नियंत्रण, पुष्प जगत में गुलाब का महत्वपूर्ण स्थान है, गुलाब को फूलों की रानी के नाम से भी जाना जाता है| गुलाब एक कर्तित पुष्प है, जिसका विश्व में व्यापक रूप से व्यापार किया जाता है| कर्तित पुष्पों की मांग, भारत सहित सारे विश्व में 12 से 13 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रही है| गुलाब की पैदावार महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान और पश्चिम बंगाल, आदि राज्यों में किया जा रहा है| यदि आप गुलाब की उन्नत बागवानी की जानकारी चाहते है, तो यहां पढ़ें- गुलाब की खेती (Rose farming) की जानकारी

गुलाब का प्रयोग मुख्य रूप से धार्मिक स्थलों, विभिन्न त्योहारों, शादी-विवाह के मंडपों इत्यादि के सौन्दर्यकरण एवं गुलदस्ते बनाने में किया जाता है| इसके अलावा गुलाब को इत्र, गुलाब जल और गुलकन्द बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है| गुलाब से बने उत्पादों को औषधि के रूप में उपयोग तथा उपलब्धता में वृद्धि के साथ-साथ कीटों व रोगों के प्रकोप में भी बढ़ोत्तरी हुई है|

एकीकृत कीट प्रबंधन के अंतर्गत यदि किसान पौध उपचार, मिट्टी उपचार, खेत की निगरानी, कीटों के नुकसान का लक्षण, उनके नुकसान करने का समय तथा ढंग, प्रभावी नियंत्रण के लिए उन्नत शस्य क्रियाओं, जैविक नियंत्रण, नीम पर आधारित कीटनाशकों, जैविक  कीटनाशकों एवं मान्यता प्राप्त रसायनों के सुरक्षित प्रयोग इत्यादि पर ध्यान दें, तो कीटों का संगठित प्रबंधन करते हुए उत्पादकता में भी उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है|

जो गुलाब की फसल के व्यावसायिक विकास में सहायक सिद्ध होगी| गुलाब में लगने वाले प्रमुख कीट व उनके प्रबंधन का विवरण, विस्तृत रूप से निचे लिखित हैं| यदि आप गुलाब के रोग एवं नियंत्रण की जानकारी चाहते है, तो यहां पढ़ें- गुलाब  में रोग प्रबंधन कैसे करें

प्रमुख कीट

लाल खपरा ( रेड स्केल)- गुलाब में पौधों के तने पर लाल-भूरे रंग के कीट दिखाई देते हैं, जो कि गतिहीन होते हैं| यह कीट तनों से रस चूस कर पौधे को कमजोर करके सूखा देते हैं| मादा कीट आकार में कुछ बड़ी व गोलाकार होती है, जबकि नर छोटे एवं लम्बे होते हैं| मादा एक ही स्थान पर रहती है, नर के बसंत में पंख निकलते हैं और वह मादा की तलाश में इधर-उधर घुमता रहता है| यह कीट जुलाई से सितम्बर में अधिक क्रियाशील रहता है|

नियंत्रण-

1. गुलाब में कीट प्रबंधन हेतु खेत में सफाई बनाए रखें और ग्रसित पौधे के भागों को नष्ट कर दें|

2. इस कीट की रोकथाम के लिए डाइमेथोएट 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- चमेली की खेती (Jasmine farming) की जानकारी

चेपा (एफिड)- गुलाब में यह कीट छोटे, गोल, हरे, गहरे हरे या काले रंग के होते हैं, जो पौधे के कोमल भाग, शीर्ष, कलियों और फूलों पर गुच्छों में चिपके रहते हैं तथा पौधों का रस चूसते रहते हैं| जिसके कारण पत्तियां सिकुड़ जाती हैं तथा फुल खराब हो जाते हैं| यह कीट अधिकतर जनवरी से फरवरी में लगता है|

नियंत्रण-

1. नीम तेल का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर के घोल का छिड़काव करें|

2. गुलाब में कीट प्रबंधन हेतु मिट्टी में नीम की खली का प्रयोग करें|

3. कीट के नियंत्रण के लिए मैलाथियॉन 1 मिलीलीटर प्रति लीटर या डाइमेथोएट 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या मोनोक्रोटोफॉस मिलीलीटर प्रति लीटर घोल का छिड़काव प्रति 10 से 15 दिन के अंतराल पर करें|

यह भी पढ़ें- कायिक प्रवर्धन क्या है, जानिए व्यावसायिक और उपयोगी विधियां

लाल मकड़ी माइट (रैड स्पाइडर माइट)- दो चित्तियों वाला स्पाइडर माइट (टेट्रानिकस अरटिसी) बहुत ही छोटा या लगभग बिन्दु के समान लाल रंग का होत है और पत्तियों के नीचे वाले भाग पर रहता है| यह पत्तियों और पौधों के कोमल भागों से रस चूसती हैं, नई शाखाओं में मकड़ी जाल बनना, कलिकाओं एवं फूलों का नुकसान, जिससे वे रंगहीन हो जाते हैं, सिकुड़ और सूख जाते हैं| पुष्पों का आकार बिगड़ जाता है, यह अधिकतर हरित गृह का कीट है|

नियंत्रण-

1. गुलाब में कीट प्रबंधन के लिए कीट ग्रसित पौधे के भागों को काट कर जला देना चाहिए|

2. कीट की संख्या मध्यम स्तर पर हो उस समय परभक्षी माइट (एम्बिसियस टेट्रानिकाइवोरस) को 20 प्रति पौधे की दर से छोड़ना चाहिए|

3. शाम के समय वर्टिसिलियम लीकेली सूत्रण का 5 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें|

4. कीटों की रोकथाम के लिए डाइकोफोल 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर या घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर या वरटीमैक 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- गुलाब का प्रवर्धन कैसे करें

थ्रिप्स- यह कीट नवम्बर से दिसम्बर और जुलाई से अगस्त में अत्यंत सक्रिय रहता है| शिशु एवं वयस्क दोनों ही कोमल पत्तियों, बढ़ती कलिकाओं तथा फूलों से रस चूस लेते हैं| भूरी धारी, मुड़ी हुई पत्तियां, कलिकाओं के बाह्य दल और पंखुड़ियों पर झुलसन एवं जले किनारों वाले अनियमित आकार वाले फूल इसके मुख्य लक्षण हैं| यह पौधों की कार्यिकी सम्बंधित प्रक्रियाओं और पुष्पन को प्रभावित करता है|

नियंत्रण-

1. गुलाब में पोंगामिया ग्लेबरा या जेट्रोफा कार्कस तेल का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर या केलोट्रोपिस जिगान्टेड या पेडीलेंथस थिथिमेल्वायडिस की पत्तियों के अर्क को 100 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से पानी में मिलाकर छिड़काव करें|

2. गुलाब में मोनोक्रोटोफॉस 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या डाइमेथोएट 30 ई सी, 2 मिलीलीटर प्रति लीटर घोल का 10 से 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- पौधों का प्रवर्धन कैसे करें

गुलाब चैफर बीटल- वर्षा के समय पौधों की पत्तियों में छेद हो जाना, उनके कट-फट जाने और कभी-कभी तो ये पौधों को बिल्कुल ही पत्तीहीन कर देते हैं| यह दिन में दिखायी नहीं पड़ता है तथा यह रात के समय ही निकलता है| यह 10 से 14 मिलीलीटर लम्बा एवं भूरे रंग का होता है| ये कीट अपने अंडे भूमि में देते हैं, जिनमें से काफी बड़े आकार का सफेद लार्वा निकलता है| यह पौधों की जड़ों को हानि पहुंचाता है और वयस्क पत्तियों को खाता है|

नियंत्रण-

1. क्यारियों की निराई-गुड़ाई करके सूण्डी (लार्वा) को नष्ट कर दें|

2. गुलाब में कीट प्रबंधन के लिए मिट्टी को कीटनाशक से उपचारित करें|

3. कीट ग्रसित पौधों को मेलाथियान 2 मिलीलीटर प्रति लीटर, डाईक्लोरवाश 1 से 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें|

4. गुलाब में उत्तम पैदावार के लिए रात में पौधों को थैलों से ढक देना चाहिए, दिन में थैला उतार दें|

यह भी पढ़ें- ग्लेडियोलस की खेती की जानकारी

हेयरी कैटरपिलर- ये कीट पत्तियों को खाते हैं| यह मध्यम, काले रंग और रोयेंदार शरीर वाला होता है| यह पत्तियों को किनारे की ओर से काटता है, और गोल या अंडाकार छेद कर देता है| इस कीट द्वारा क्षतिग्रस्त पत्तियाँ सूख कर झड़ जाती हैं|

नियंत्रण-

1. गुलाब में कीट प्रबंधन हेतु ग्रसित पौधों के भागों को काट कर नष्ट कर दें|

2. मोनोक्रोटोफॉस 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या क्लोरपाइरीफॉस 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें|

मिली बग- यह कीट पत्तियों और शाखाओं को संक्रमित कर, उन से रस चूस कर, पौधों को कमजोर बना देता है| इसका का शरीर 3 से 7 मिलीमीटर लम्बा होता है, इस के अण्डे व कॉलर का रंग पीला होता है| अपरिपक्व एवं नयी मादाएं स्लेटी-गुलाबी रंग की होती हैं, जिनका शरीर सफेद मोम से ढका रहता है| पौढ़ मादाओं का शरीर मुलायम लम्बा, अण्डाकार और थोड़ा सा चपटा होता है| नर कीट में एक जोड़ी साधारण पंख, लम्बी श्रृंगिका और सफेद मोम के बन्द तन्तु पीछे की तरफ उभरे दिखाई पड़ते हैं|

नियंत्रण-

1. जैविक नियंत्रण में क्रीपटोलेमस (आस्ट्रेलियन लेडीबर्ड), एनाजिरस स्युडोकोक्सी, लेपटोमेस्टीक्स डेक्टाइलोपाई, वांर्टीसिलियम लेकेनी और बिवेरिया बेसियाना प्रभावशाली होते हैं, इनको बढ़ावा दें|

2. गुलाब में कीट प्रबंधन हेतु मिली बग से ग्रसित सभी पौधों के अवशेषों को हटाकर जला दें|

3. डाइमेथोएट 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या डाइक्लोरवास 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या क्लोरपाइरीफॉस 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर या प्रोफेनोफॉस 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या बूपरोफेजिन 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- ग्लॅडिओलस का प्रवर्धन कैसे करें

दीमक- दीमक नई लगाई गयी कलमों के लिए बहुत हानिकारक होती है, इसके प्रकोप से पौधे सूख जाते हैं, और उन्हें सरलता से उखाड़ा जा सकता है| रोपी गयी कलमें जम नहीं पाती है|

नियंत्रण-

1. गुलाब की कलमें रोपने से पहले क्यारियों को क्लोरपाइरीफॉस 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 0.2 मिलीलीटर प्रति लीटर से उपचारित करें|

2. गुलाब में कीट प्रबंधन हेतु गड्ढों में पौध लगाने से पहले कीटनाशी को मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए, पौधों की रोपाई से 15 दिन पहले यह उपचार करें|

निमेटोड- निमेटोड अत्यंत सूक्ष्म होते हैं और केवल सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखे जा सकते हैं| ये पौधों के जड़-क्षेत्र को प्रभावित करते हैं| पौधा अधिक कमजोर हो जाता है, कल्लों की बढ़ोत्तरी रुक जाती है, फूल नहीं आते हैं और पौधों की रोग सहनशीलता कम हो जाती है|

नियंत्रण-

1. पौधे की रोपाई से 4 से 6 सप्ताह पहले क्यारियों का घुमण जैसे की डी डी मिक्स और निमागॉन का 250 लीटर प्रति हेक्टेयर क्षेत्र की दर से उपचार करें|

2. गुलाब में कीट प्रबंधन के लिए खेत में सिंचाई के पानी के साथ 10 से 12 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से निमागॉन का इस्तेमाल करें|

यह भी पढ़ें- गेंदे का प्रवर्धन कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

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