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Home » ब्लॉग » गेंदे का प्रवर्धन कैसे करें: जाने उपयोगी तकनीक

गेंदे का प्रवर्धन कैसे करें: जाने उपयोगी तकनीक

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

गेंदे का प्रवर्धन कैसे करें

गेंदे का प्रवर्धन जानेगे, लेकिन उससे पहले गेंदा भारत में बहुत प्रचलित फूल है| हर मौके पर इस्तेमाल होने के कारण इसने सजावटी फूलों में अपना विशिष्ट स्थान बना लिया है| भारत में फूल व्यवसाय में गेंदे का स्थान महत्त्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि इसका धार्मिक और सामाजिक अवसरों पर बहुत उपयोग होता है|

गेंदे की सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि यह लगभग पूरे वर्ष फूल देता रहता है| जिन महीनों में कोई अन्य फूल नहीं मिलते है| उन दिनों भी गेंदे का फूल सहज उपलब्ध रहता है| अतः गेंदे की लोकप्रियता का कारण इसकी सहज उपलब्धता भी है| गेंदे के फूल कई दिनों तक ताजा भी बने रहते हैं|

गेंदा भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय तथा सभी स्थानों पर पाया जाने वाला फूल है| यह सर्वप्रथम हमारे देश में अग्रजों द्वारा लाया गया, जबकि इसका उत्पति स्थान मेक्सिको और दक्षिणी अमेरिका हैं| गेंदे की विशेषता यह है, कि यह हर प्रकार की जलवायु के प्रति सहनशील, लम्बे समय तक फूलने वाला, अधिक उपज देने वाला तथा अनेक रंगों में पाया जाता है|

इसका अत्यधिक प्रयोग धार्मिक व सामाजिक उत्सवों खासकर रंगोली, ब्याह-शादियों में मण्डप तैयार करने और माला आदि में होता है| यदि आप गेंदे की खेती की पूरी जानकारी चाहते है, तो यहां पढ़ें- गेंदा की खेती (Marigold farming) की जानकारी

गेंदे का प्रवर्धन या पौध प्रसारण

आमतौर पर गेंदे को बीज द्वारा उगाया जाता है, परन्तु इसे कलमों द्वारा भी प्रवर्धित किया जा सकता है| भारत में इसकी बुआई जलवायु की भिन्नता के अनुसार अलग-अलग होती है| दक्षिण भारत में इसे मई के महीने में बोया जाता है, जिनसे अगस्त से अक्टूबर तक फूल मिलते रहते हैं| यदि इसके बाद फूल लिए जाएं तो वे आकार में छोटे रह जाते हैं|

असम, बिहार, पश्चिमी बंगाल, और उड़ीसा में बीज फरवरी से जून एवं सितम्बर से अक्टूबर में बोये जाते हैं, जिनसे सर्दी, बसंत व वर्षा ऋतु में फूल मिलते हैं| हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बीज जनवरी से मार्च तक एवं जुलाई से सितम्बर में भी बोया जाता है|

उत्तरी एवं दक्षिणी पहाड़ियों में मार्च से अप्रैल में बुआई की जाती है| इसके अलावा सितम्बर में भी बीज बोये जाते हैं| बम्बई और मद्रास में सितम्बर के महीने में बीज बोये जाते हैं|

यह भी पढ़ें- गुलाब का प्रवर्धन कैसे करें

पौधशाला की तैयारी

गेंदे के बीज को पहले पौधशाला में बोया जाता है, क्योंकि बीज छोटे आकार के होते हैं| पौधशाला में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद डालकर भली भांति खुदाई कर ली जाती है| क्यारियों में रेत भी डाली जाती है, फिर 15 सेंतुमितर ऊँची उठी क्यारियाँ बनाई जाती हैं| बीज को पौधशाला में समान रूप से बिखेर कर फिर उन्हें रेत एवं पत्ती की खाद के मिश्रण से ढ़क दिया जाता है|

बीज एक सप्ताह के बाद अकुंरित हो जाते हैं, और पौध 3 से 4 सप्ताह बाद रोपाई के लिए तैयार हो जाता है| पौधशाला की नियमित रूप से सिंचाई, नलाई इत्यादि समय पर करनी चाहिए, ताकि पौधों का समुचित विकास हो सके|

उपरोक्त विधियों से आप गेंदा का प्रवर्धन या पौध प्रसारण द्वारा उपयोगी एवं आधुनिक व्यावसायिक खेती कर सकते है|

यह भी पढ़ें- ग्लॅडिओलस का प्रवर्धन कैसे करें

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