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Home » सुगंधित एवं बासमती धान की किस्में | सबसे सुगंधित धान कौन सा है?

सुगंधित एवं बासमती धान की किस्में | सबसे सुगंधित धान कौन सा है?

December 27, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

सुगंधित एवं बासमती धान की किस्में | सबसे सुगंधित धान कौन सा है?

हमारा देश सुगंधित एवं बासमती तथा गैर बासमती सभी किस्में के चावल का निर्यात करता है| परन्तु भारत का सुगंधित बासमती एवं बासमती चावल दुनिया भर में प्रसिद्ध है| जिन किस्मों की अच्छी मांग है, उनकी जानकारी किसान भाइयों की जागरूकता के लिए इस लेख में सुगंधित एवं बासमती धान की किस्में तथा इनकी क्षेत्रवार, विशेषताएं और पैदावार आदि जानकारी का उल्लेख किया गया है| धान की सभी प्रकार की उन्नत किस्मों की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- धान की उन्नत किस्में

यह भी पढ़ें- स्वस्थ नर्सरी द्वारा बासमती धान की पैदावार बढ़ाये

सुगंधित बासमती धान की किस्में

किस्म- पूसा बासमती- 6 (पूसा- 1401)

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- देश के बासमती धान उगाने वाले समस्त क्षेत्र और सिंचित अवस्था में बुआई के लिए उपयुक्त है|

विशेषताएं- धान की यह सुगंधित मध्यम बौनी किस्म है, जो पकने पर गिरती नहीं है| दानों की समानता और पकाने की गुणवत्ता के हिसाब से यह किस्म पूसा बासमती 1121 से बहुत ही अच्छी है, क्योंकि इसका दाना पकाने पर एक समान रहता है| इसमें बहुत अच्छी सुगंध आती है एवं दूधिया दानों की संख्या 4 प्रतिशत से कम है|

पैदावार- 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

किस्म- उन्नत पूसा बासमती- 1 (पूसा- 1460)

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- देश के बासमती धान उगाने वाले समस्त क्षेत्र और सिंचित अवस्था में बुआई के लिए उपयुक्त है|

विशेषताएं- यह अधिक उत्पादन देने वाली, झुलसा रोग प्रतिरोधी प्रजाति है| यह सुगंधित किस्म 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है| पकाने में इसके दानों की गुणवत्ता बहुत अच्छी है एवं इसमें दूधिया दानों की संख्या 10 प्रतिशत से कम पाई गई है|

पैदावार- 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

यह भी पढ़ें- धान (चावल) की खेती कैसे करें

किस्म- पूसा बासमती- 1121

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- बासमती धान उगाने वाले समस्त क्षेत्र और सिंचित अवस्था में बुआई के लिए उपयुक्त है|

विशेषताएं- सुगंधित बासमती धान की यह किस्म 140 से 145 दिनों में पक जाती है, जो तरावड़ी बासमती से एक पखवाड़ा अगेती है| इसका दाना लम्बा (8.0 मिलीमीटर) व पतला है| जो गुणों में तरावड़ी बासमती से अच्छा है| यह कम लागत में उच्च गुणवत्ता युक्त निर्यात योग्य अधिक उपज देने वाली किस्म है|

पैदावार- 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

किस्म- पूसा सुगंध- 5 (पूसा- 2511)

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर और सिंचित अवस्था में खेती के लिए उपयुक्त किस्म है|

विशेषताएं- इस सुगंधित किस्म का दाना अच्छी सुगंध वाला और अधिक लम्बा होता है| यह किस्म झड़ने के प्रति सहिष्णु है, यह गाल मिज, भूरे धब्बे की प्रतिरोधी है एवं पत्ती लपेट व ब्लास्ट के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है| यह किस्म 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है|

पैदावार- 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

यह भी पढ़ें- धान व गेहूं फसल चक्र में जड़-गांठ सूत्रकृमि रोग प्रबंधन

किस्म- पूसा सुगंध- 3

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड और सिंचित अवस्था में खेती के लिए उपयुक्त है|

विशेषताएं- यह सुगंधित धान की अर्ध बौनी, अधिक उपज देने वाली, बासमती गुणों से परिपूर्ण किस्म है| इसका दाना लम्बा, बारीक एवं सुगंधित है, जो पकाने पर लम्बाई में दोगुना बढ़ता है और खाने में मुलायम तथा स्वाद में अच्छा है| यह किस्म पकने में मध्यम अगेती (125 दिन) होने की वजह से बहुफसलीय चक्र जैसे कि धान-सब्जी (पालक, मूली, आलू)-गेहू-मूग के लिए उपयुक्त है|

पैदावार- 60 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

किस्म- पूसा सुगंध- 2

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड एवं सिंचित अवस्था में खेती के लिए उपयुक्त है|

विशेषताएं- यह सुगंधित धान की अर्ध बौनी, अधिक उपज देने वाली, बासमती गुणों से परिपूर्ण किस्म है| इसका दाना लम्बा, बारीक तथा सुगंधित है, जो पकाने पर लम्बाई में दोगुना बढ़ता है और खाने में मुलायम एवं स्वाद में अच्छा है| यह किस्म पकने में मध्यम अगेती (120 दिन) होने की वजह से बहुफसलीय चक्र के लिए उपयुक्त है|

पैदावार- 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

यह भी पढ़ें- धान के भण्डारण के लिए कुछ बातें

किस्म- संकर धान पूसा आर एच-10

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड और सिंचित अवस्था में रोपाई के लिए उपयुक्त है|

विशेषताएं- यह सुगंधित बासमती गुणों वाली धान की विश्व में प्रथम संकर किस्म है| इसका दाना अत्यधिक सुगंधित, लम्बा, पतला है जो पकाने पर लम्बाई में दोगुना बढ़ जाता है एवं अधिक स्वादिष्ट होता है| यह एक मध्यम बौनी, जल्दी पकने वाली (110 से 115 दिन) किस्म है, जिससे सिंचाई (पानी) की बचत होती है| इस किस्म की प्रतिदिन उपज बहुत अधिक है और अधिक मुनाफा देती है| यह किस्म उत्तरी भारत में गेहूं-धान फसल प्रणाली के लिए उपयुक्त है|

पैदावार- 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

किस्म- पूसा बासमती- 1

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- उत्तर-पश्चिमी भारत के बासमती उगाने वाले क्षेत्र एवं सिंचित अवस्था में रोपाई के लिए उपयुक्त है|

विशेषताएं- यह सुगंधित बासमती धान की एक मध्यम बौनी किस्म है| इसका दाना अत्यधिक लम्बा और पकाने पर मुलायम व सुगंधित होता है| हमारे देश के बासमती चावल के निर्यात में लगभग 30 प्रतिशत योगदान इसी किस्म का है| यह किस्म उत्तरी भारत में गेहूं-धान फसल प्रणाली के लिए उपयुक्त है|

पैदावार- 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

यह भी पढ़ें- बासमती धान में बकानी रोग, जानिए लक्षण और नियंत्रण

बासमती धान की असुंगधित किस्में

किस्म- पूसा- 44

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- कर्नाटक, केरल, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश एवं सिंचित अवस्था में खेती के लिए उपयुक्त है|

विशेषताएं- यह बौनी किस्म 140 से 145 दिनों में पकाकर तैयार हो जाती है| इसके दाने लम्बे, इकहरे और पारभासी होते हैं, जिनका छिलका आसानी से उतर जाता है एवं मिलीकरण के दौरान दाना कम टूटता है| यह किस्म मशीनों द्वारा कटाई के लिए अति उपयुक्त है|

पैदावार- 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

किस्म- पी एन आर- 546

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल एवं सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है|

विशेषताएं- यह धान की अच्छे दाने वाली किस्म है, जो 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है|

पैदावार- 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

यह भी पढ़ें- धान की पराली जलाने से होने वाले नुकसान एवं वैकल्पिक उपयोग

बासमती धान की वर्षा पोषित एवं उपराऊँ क्षेत्र की किस्में

किस्म- पूसा- 834

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और उपरी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है|

विशेषताएं- यह बौनी किस्म मध्यम से ऊँचाई वाली जमीन में सीधी बुवाई और रोपण पद्धति में भी अच्छी उपज देती है| पौध की ऊंचाई 90 सेंटीमीटर, दाने मध्यम, लम्बे एवं खाने में स्वादिष्ट तथा मुलायम होते हैं| फसल 120 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है|

पैदावार- 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

किस्म- पी एन आर- 381

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उपरी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है|

विशेषताएं- धान की यह मध्यम बौनी किस्म (90 सेंटीमीटर) है| इसके दाने मध्यम लम्बे और स्वादिष्ट होते हैं| फसल 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है|

पैदावार- 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

किस्म- जल्दी धान-13

अनुमोदित क्षेत्र एवं परिस्थिति- उपरी क्षेत्र, उड़ीसा, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल सिंचित, पश्चिम बंगाल, बिहार एवं सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए अनुमोदित है|

विशेषताएं- यह मोटे दाने की जल्दी पकने वाली किस्म है जो 90 से 95 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है|

पैदावार- उपराऊँ अवस्था में 30 व सिंचित में 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

यह भी पढ़ें- गोमूत्र का कृषि में महत्व, जानिए, कीटनाशक लाभ, उपयोग

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

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