यह वह महीना है जब अधिकांश पौधे बाज़ारों में आते हैं और बीज भी उपलब्ध होते हैं| इसके अलावा सितंबर महीने के तीसरे सप्ताह से अक्टूबर तक अधिकांश ख़रीफ़ फ़सलों की कटाई की जाती है| नींबू, टमाटर, गाजर जैसी सब्जियों की फसलें सितंबर के महीने में पकने में काफी समय लेती हैं, लेकिन बैंगन या बैंगन जैसे पौधे कटाई के लिए तैयार होते हैं| यह महीना मानसून के अंत और शरद ऋतु की ओर बढ़ने का प्रतीक है| तो हमें उस तरह से योजना बनानी होगी|
योजना हर क्षेत्र में सफलता की कुंजी है| अगर किसान को पहले से पता हो कि सितंबर महीने में कौन सी फसल या सब्जियां उगानी है तो यह उसके लिए बहुत मददगार होगा| इसलिए इस लेख में हम आपको उन फसलों के बारे में बताएंगे जिन्हें आप सितंबर महीने में उगा सकते हैं और उससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं|
सितंबर महीने में सब्जी वाली फसलों के कृषि कार्य
उद्यानिकी क्रियाएँ
1. गाजर की बुवाई का कार्य करें, इसके लिये उन्नत किस्में पूसा रूधिरा, पूसा केसर, पूसा मेघाली, सलेक्शन-21, सलेक्शन – 233 इत्यादि है| गाजर की खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गाजर की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
2. मूली की वुवाई करें, इसके लिये उन्नत किस्में पूसा देशी, पूसा रश्मि, कल्याणी सफेद, पूसा चेतकी, अर्का निशान इत्यादि है| गाजर की खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मूली की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
3. सितंबर महीने में गोभी वर्गीय सब्जियों की बुवाई करें, गोभी वर्गीय सब्जियों में फूल गोभी व पत्ता गोभी आते है जिनकी प्रमुख किस्में निम्न प्रकार है, जैसे-
फूल गोभी-
अगेती किस्मे: पूसा दिपाली, पूसा केतकी और पूसा अर्ली सिंथेटिक|
मध्यमकालिन किस्मे: पूसा सिंथेटिक और पूसा हिमज्योति| फूलगोभी की खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- फूलगोभी की उन्नत खेती: किस्में, देखभाल और उपज
पता गोभी-
अगेती किस्मे: प्राइड ऑफ इंडिया, गोल्डन एकर और अर्ली ड्रम हेड|
पिछेती किस्म: पूसा ड्रम हेड लेटड्रम हेड| पत्ता गोभी की खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- पत्ता गोभी की उन्नत खेती: किस्में, देखभाल, उपज
4. सितंबर महीने में टमाटर की उन्नत या संकर किस्मों का प्रयोग करते हुए बुवाई करें| टमाटर की खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- टमाटर की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
रोग नियंत्रण क्रियाएँ
मिर्च
जीवाणु धब्बा: इस रोग से पत्तियों पर शुरू में छोटे-छोटे जलीय धब्बे बनते हैं| जो बाद में गहरे भूरे से काले रंग के उठे हुए दिखाई देते है व अन्त में पत्तिया पीली पडकर झड़ जाती हैं| नियंत्रण के लिये रोग के लक्षण दिखाई देते ही स्ट्रेप्टोसाईक्लीन 200 मिली ग्राम प्रति लीटर पानी या तांबायुक्त फफूंद नाशी कॉपरआक्सीक्लोराईड – 50 प्रतिशत 3 ग्राम व स्ट्रेप्टोसाईक्लीन 100 मिली ग्राम प्रति लीटर के घोल का छिड़काव आवश्यकतानुसार 15 दिन के अन्तर पर करें|
एन्थ्रेकनोज: पत्तियों पर छोटे-छोटे काले धब्बे बनते है व पत्तियां झड़ने लगती हैं तथा उग्र अवस्था शाखाएँ शीर्ष से नीचे की तरफ सुखने लगती हैं| पके फलों पर भी बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं रोकथाम हेतु मेन्कोजेब 0.2 प्रतिशत या कार्बेण्डजिम या डाईफेनकोनाजोल 0.05 प्रतिशत के घोल के 2–3 छिड़काव 15 दिन के अन्तर पर करें|
विषाणु रोग: थ्रिप्स एवं सफेद मक्खी जैसे विषाणु रोग फैलाने वाले कीडों का नियंत्रण करें| मिर्च की खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मिर्च की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
कीट नियंत्रण क्रियाएँ
भिण्डी, बैगन, टमाटर व ककडी वर्गीय सब्जिया: इन पर रस चूसक कीटों के रोकथाम के विरूद्ध डाइमिथोएट या मिथाईल डिमेटोन में से कोई एक तरल दवा तथा फल छेदक कीटों के विरूद्ध मैलाथियॉन दवा का छिड़काव बताई गई विधिनुसार करें व आवश्यकतानुसार दोहरावें| छिड़काव के पहले खाने या बेचने योग्य सब्जियों को तोडें| छिड़काव के पश्चात सिफारिश किए गए समय पर ही पुनः तोडे ताकि विषैले अवशेषों से बचा जा सकें| भिंडी, बैंगन, टमाटर व काकडी वर्गीय सब्जियों की खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें-
भिंडी की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
बैंगन की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
कद्दू वर्गीय सब्जियों की उन्नत खेती कैसे करें
सितंबर महीने में सब्जी वाली फसलों के त्वरित कार्य
1. सितंबर महीने में टमाटर, मिर्च और बैंगन की शीतकालीन फसल की नर्सरी लगावें|
2. मिर्च, भिण्डी, लौकी, तुराई के फल तोड़ना और निदाई गुड़ाई करें|
3. गोभी की खड़ी फसल में 50 कि.ग्रा. यूरिया प्रति हे. की दर से डालना चाहिए|
4. मूली की पूसा रेसमी, पूसा हिमानी तथा गाजर की पूसा केशर नामक किस्म की बुआई कर सकते है| आखिरी जुताई करते समय खेत में 125 किग्रा. अमोनियम सल्फेट, 250 किग्रा. सुपर फास्फेट तथा 75 किग्रा पोटाश मिलाना चाहिए|
5. अदरक और हल्दी में मिट्टी चढ़ायें एवं पानी दे| अदरक की खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अदरक की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
6. सितंबर महीने में गोभी की अगेती फसल में निदाई गोड़ाई कर नत्रजन 40 किग्रा / हे. दे|
सितंबर महीने में बागों की देखभाल और कृषि कार्य
1. अमरूद में इस समय पौध रोपण की जाती है| अकार्बनिक उवर्रकों की आधी मात्रा मई – जून तथा बची हुई आधी मात्रा सितंबर महीने में दी जाती है| इस माह में अमरूद में मृग बहार का समय है तथा इसमे अभी फूल आने की अवस्था है| जो कि नवम्बर जनवरी तक पककर तैयार हो जाते है| अमरूद की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अमरूद की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
2. अनार में फलों का फटना एक गंभीर कार्यिकी विकार है| इसके उचित प्रबन्धन के लिए फल बनने से पकने तक नियमित सिचाई की व्यवस्था करें तथा 01 प्रतिशत बोरेक्स का पर्णीय छिडकाव करें| अनार के बगीचे के चारो ओर वायु अवरोधी पोधे लगाना काफी प्रभावी रहता है| अनार की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अनार की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
3. नीबू में अनियमित सिंचाई व्यवस्था पोषक तत्वों की कमी के कारण फल गिरने लग जाते है| उपचार हेतु फलों की तुडाई के 2 महिने पहले सितंबर महीने में 2ए4 व 10 पी.पी.पी. का छिडकाव करना चाहिए|
4. नीम्बू में पत्ती बेधक लट, सिट्रस सिल्ला, नीम्बू की तितली व माइट आदि की रोकथाम हेतु क्यूनालफॉस 25 ई.सी. 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिडकें|
5. यदि कातरा का प्रकोप शुरू होता हैं तो प्रकाश पाश का प्रयोग करें| उपचार सामूहिक अभियान के रूप में चलावें| लट की बडी अवस्था होने पर क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हैक्टर की दर से भुरकें| उपचार बंजर भूमि व चारागाह पर भी सावधानी पूर्वक करें|
6. सितंबर महीने में सफेद लट का खडी फसल में इसका नियंत्रण कठिन होता हैं| लट का प्रकोप दिखते ही क्लोरपायरीफॉस 20 ई.सी. 4.0 लीटर प्रति हैक्टर दर से सिंचाई के साथ बूंद-बूंद टपका कर या मिटी में मिलाकर सिंचाई करके देवें| नीबू की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- नींबू की खेती कैसे करें: किस्में, देखभाल और पैदावार
7. सितंबर महीने में हजारा (गेंदा) एवं गुलदाउदी की नर्सरी तैयार करें| गेंदा की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गेंदा की खेती: किस्में, बुवाई, देखभाल और पैदावार
8. सितंबर महीने में पुष्प प्राप्त करने के लिए गैलेडियोलाई के कंदों की बुआई करें| गोबर खाद के साथ 10 ग्राम नत्रजन 20 ग्राम एवं 20 ग्राम पोटाश प्रति वर्ग मीटर में छिड़काव करें| गैलेडियोलाई की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- ग्लेडियोलस की खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
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