सब्जियों की खेती में सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) में पौध तैयार करना एक कला है| इसे सुचारू रूप से तैयार करने के लिये तकनीकी जानकारी का होना आवश्यक है| एक सफल किसान बन्धु का प्रयत्न रहता है, कि कम से कम लागत में अधिक से अधिक उत्पाद प्राप्त कर सके| जो किसान सफल पौध तैयार नहीं कर सकते हैं, वे सब्जियों की सफल खेती भी नहीं कर सकते है| सब्जियों की पौध को साधारण और असाधारण मौसम की दशाओं में सफलतापूर्वक उगाने के लिये, अब वैज्ञानिक तकनीक उपलब्ध है, जिन्हें अपना कर उत्तम खेती की जी सकती है|
यह सभी जानते है, की ज्यादातर सब्जियाँ बीजों से उगाई जाती है| बीजों की बीजाई आमतौर पर दो प्रकार से की जाती है| पहली प्रकार में बीजों को सीधा खेत में बो दिया जाता है, इन में जैसे- मटर, भिण्डी, गाजर, मूली, लोबिया, शलजम, ग्वार, कददू जाति की फसलें, पत्ते वाली सब्जियाँ और फ्रेंचबीन आदि सब्जियाँ आती हैं| दूसरे प्रकार में बीजों से पहले सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) में बीजाई करके पौध तैयार की जाती है और सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) से तैयार पौध की बाद में खेत में रोपाई की जाती है, इनमें जैसे- फूलगोभी, पत्तागोभी, गांठगोभी, टमाटर, बैंगन, मिर्च, शिमला मिर्च, बुसल स्प्राउट, प्याज आदि सब्जी की फसलें आती हैं|
सामान्य मौसम की दशा में सब्जियों का खुले वातावरण में साधारण देखभाल के साथ पौध उत्पादन किया जाना संभव है, लेकिन प्रतिकूल मौसम में खुले वातावरण में सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) उगाने पर पौध के नष्ट होने की संभावना रहती है| इसके लिये सब्जी-उत्पादन में आधुनिक तकनीक के रूप में प्रयोग में ली गई विधियों को उच्च तकनीक या हाईटेक कहते हैं| यह तकनीक आधुनिक मौसम और वातावरण पर कम निर्भरता वाली एवं अधिक लाभ देने वाली हैं|
उत्तर भारत में फूल गोभी और मिर्च की अगेती एवं मध्यकाल फसल की पौध तैयार करने के समय अधिक गर्मी के साथ-साथ वर्षा भी होती रहती है, जिससे सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) में आर्द्रगलन रोग हो जाने के कारण काफी पौध मर जाती है| इसी प्रकार बसन्त के मौसम में सब्जियों की रोपाई के लिये टमाटर, बैंगन, मिर्च इत्यादि के बीजों की बीजाई नवम्बर से दिसम्बर महीने में करते हैं| लेकिन उस समय कम तापमान होने के कारण बीज का जमाव देर से होता हैं, पौध में बढ़वार नहीं होती है, जिस से पौध तैयार होने में विलम्ब हो जाता है यानि की समय ज्यादा लगता है| ऐसी परिस्थिति में सब्जियों की पौध पौली हाउस में तैयार की जाती हैं|
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सब्जियों की नर्सरी के लिए आवश्यक
सब्जियों की स्वस्थ और सुदृढ़ पौध तैयार करने के लिये एवं पौधशाला में रोगों व कीटों की रोकथाम के लिए कुछ सावधानियाँ रखनी चाहिए, जैसे-
सब्जियों की नर्सरी के लिए किस्मों का चुनाव
क्षेत्र के अनुसार सब्जियों की अनुमोदित किस्मों का चुनाव करना अति आवश्यक है, अन्यथा उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ना तय है|
सब्जियों की नर्सरी के लिए भूमि का चुनाव
सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) के लिए क्यारी का चयन हमेशा ऊंचे स्थान पर करना चाहिए, जहां पर पानी का भराव न होता हो| इसके साथ प्रत्येक साल इस की जगह बदल लेनी चाहिए, जिससे कीटाणु और बीमारियाँ अधिक न होने पाएँ|
1. सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) के लिए हमेशा दोमट या बालुई दोमट मिट्टी एवं उचित जल निकास वाली होनी चाहिए|
2. सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) हेतु मिट्टी ऐसी होनी चाहिए जिसमें जीवांश की मात्रा अधिक हो और मिट्टी पानी अधिक धारण कर सके|
3. सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) के लिए सिचांई की पर्याप्त सुविधा होनी चाहिए|
4. अधिक छाया और अधिक वायुवेग वाला स्थान नही होना चाहिये|
5. सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) हेतु मिट्टी-पानी की जांच करवा लेनी चाहिए|
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सब्जियों की नर्सरी के लिए क्यारी तैयार करने की विधि
सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) में पौध तैयार करने के लिये बीजों की बिजाई क्यारियों में की जाती है| पौधशाला का क्षेत्रफल पौधों की उत्पादन की आवश्यकता पर निर्भर करता है| इस के लिए 3.0 x 1.0 मीटर लम्बाई और चौडाई की क्यारियां बनाई जाती हैं एवं बीच में 1 फीट रास्ता खरपतवार निकालने और निराई गुड़ाई के लिये छोड़ा जाता है| अलग-अलग समय पर उगाई जाने वाली सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) के लिये जमीन का स्तर अलग-अलग रखा जाता हैं| गर्मी में तैयार करते समय मई से जून में नर्सरी की जमीन समतल यानि की सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) समतल रखी जाती है|
जुलाई से अगस्त में पौध तैयार करने के लिये सब्जियों की नर्सरी की जमीन को आम खेत से 10 से 15 सेंटीमीटर उँचा उठा कर तैयार किया जाना चाहिए| नवम्बर से दिसम्बर में पौध तैयार करने के लिये सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) की जमीन को खेत से नीचा रखकर तैयार किया जाता है, जिससे तापमान और ठण्डी हवाओं का प्रकोप कम से कम हो एवं पौध को घास या पोलिथीन से ढ़क कर तैयार किया जाता है, ताकि जमाव जल्दी व अच्छा हो|
सब्जियों की नर्सरी के लिए खाद का प्रयोग
सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) हेतु तीन मीटर लम्बी क्यारी के लिये 10 किलोग्राम गोबर की गली-सड़ी खाद नर्सरी की जमीन तैयार करते समय मिला दी जाती है| इनमें पोषक तत्व 100 ग्राम यूरिया, 150 ग्राम डाई अमोनिया फास्फेट और 120 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति क्यारी की दर से मिलाकर खेत तैयार कर लेते हैं|
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सब्जियों की नर्सरी के लिए क्यारियों का उपचार
सब्जियों की नर्सरी के लिए पौधों को रोगों से बचाने के लिये क्यारियों की मिट्टी का उपचार करना आवश्यक होता है| बीज बोने से एक दिन पूर्व 3 मीटर लम्बी क्यारी में 10 से 25 ग्राम बाविस्टन या कैप्टान नामक दवाई को मिट्टी में अच्छी प्रकार से मिला देना चाहिए| ऐसा करने से फफूद वाली बीमरियों का प्रकोप कम हो जाता है, इसकी जगह वर्षा ऋतु में फारमेल्डीहाइड नामक रसायन का एक भाग 80 से 100 भाग पानी में मिलाकर क्यारियों में डालना चाहिए, दवाई का यह घोल कम से कम 10 से 12 सेंटीमीटर गहराई तक मिट्टी में पहुँचना आवश्यक होता है|
दवाई डालने के बाद क्यारियों को प्लास्टिक की चादरों से इस तरह ढ़कना चाहिये, कि रसायन की गैस बाहर न निकल पाये, 48 घन्टे बाद चादरों को हटा देना चाहिए और तीन दिन बाद क्यारियों की खुदाई करके बीज बोना चहिए| बीज बोते समय दवाई की बदबू नहीं होनी चाहिए, तभी बीज का जमाव अच्छा होता है|
सब्जियों की नर्सरी के लिए पौधशाला का क्षेत्रफल
सब्जियों की नर्सरी के लिए टमाटर, बैंगन व मिर्च की एक एकड़ भूमि में रोपाई करने के लिये पौधशाला में लगभग 100 वर्ग मीटर की आवश्यकता होती है यानि की 20 क्यारियाँ जिसकी प्रत्येक क्यारी का माप 5 x 1 मीटर होना चाहिए| ऐसे ही प्याज के एक एकड़ भूमि में रोपाई के लिये पौधशाला में लगभग 150 से 180 वर्गमीटर क्षेत्र की आवश्यकता पड़ती है| जिसमें 50 से 60 क्यारियों को जिसमें प्रत्येक क्यारी का माप 3 x 1 मीटर बनाया जा सकता है| गोभी वर्गीय फसलों के लिये भी टमाटर, बैंगन व मिर्च फसलों की तरह पौधशाला तैयार की जाती है|
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सब्जियों की नर्सरी के लिए बीज की बीजाई
सब्जियों की नर्सरी में बीज की बीजाई कतारों में करनी चाहिये| क्यारियों में 5 से 10 सेंटीमीटर की दूरी पर लकड़ी की सहायता से हल्का सा कुंड बना लें, इन कुंडो में बीज की बीजाई 1 से 2 सेंटीमीटर गहराई पर करें, छोटे बीजों की गहराई कम और बड़े बीजों की ज्यादा रखते हैं| ज्यादा गहराई पर बीज डालने से जमाव देर से होता है और न निकल पाने के कारण कुछ अन्दर ही नष्ट हो जाते हैं| बीजाई करने के बाद गोबर की सड़ी गली खाद से पतली परत के रूप में उपर ढ़क देते हैं|
इस के बाद नर्सरी में फव्वारे की सहायता से हल्का-हल्का पानी दें, अगर पानी खुला लगायेंगे तो बीज पानी के साथ बहकर एक स्थान पर एकत्रित हो जाते हैं| बीजाई के बाद नर्सरी के चारों किनारों पर एण्डोसल्फान या कार्बारिल पाउडर का छिड़काव कर देते हैं, ताकि कीड़े-मकोड़े क्यारियों से बीज न उठा सकें| पौध सर्दियों में 5 से 6 सप्ताह और गर्मियों में 4 सप्ताह के अन्दर रोपाई के लिये तैयार हो जाती हैं|
सब्जियों की नर्सरी की देखभाल
1. सब्जियों की नर्सरी में बीज के अच्छे अंकुरण के लिये नमी की कमी न होने दें, जब तक कि बीज अंकुरित न हो जाए, इसके लिए गर्मी में प्रतिदिन फव्वारे से सिंचाई करें|
2. क्यारियों से खरपतवार निकालते रहें, जो पौध की वृद्धि में रूकावट डालते हैं एव कीड़े और बीमारियों के जीवाणुओं को शरण देते हैं|
3. गर्मी में तेज हवा और धूप से पौध को बचाने के लिये सब्जियों की नर्सरी पर घास-फूस या सरकंडा के छप्पर से ढ़क दें, सर्दी में कम तापमान के कारण बीज का जमाव देर से होता हैं, जल्दी और ज्यादा अंकुरण करने के लिये नर्सरी को पोलीथीन की सफेद पारदर्शी सीट से ढ़क दें. अंकुरण के बाद नर्सरी को केवल रात में ही ढके व दिन में खुला छोड़ दें, रात को ढ़कने से ठंड और पाले से पौध की सुरक्षा होगी एवं दिन में सूर्य का प्रकाश और गर्मी पौधों को मिल सकेगी|
4. कीड़ों का प्रकोप होने पर कीटनाशक दवा जैसे- मैलाथियान 50 ईसी का 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर 10 से 12 दिन के अन्तर पर छिड़काव करें|
5. आर्द्रगलन रोग की रोकथाम के लिये मिट्टी और बीज का उपचार बीजाई के समय कैप्टान से करें|
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सब्जियों की नर्सरी के लिए मृदा का निजर्मीकरण
सब्जियों की नर्सरी में रोग रहित तथा स्वस्थ पौध तैयार करने के लिए क्यारियों की मिट्टी और मिट्टी के मिश्रण को रोगाणु रहित करना अत्यन्त आवश्यक होता है| जिसकी निम्न विधियाँ है, जो इस प्रकार है, जैसे-
मृदा सौर्यन या आतपन द्वारा- यह सब्जियों की नर्सरी के निजर्मीकरण की सबसे सस्ती विधि है, इस विधि में क्यारियाँ बीजाई से 6 से 7 सप्ताह पूर्व में ही तैयार कर ली जाती हैं और इनमें पानी पूरी तरह से भर कर नम कर देते हैं| इस के पश्चात 200 से 300 गेज मोटी और पारदर्शी प्लास्टिक की सीट से क्यारियों को चारों तरफ से ढ़क कर मिट्टी से दबा दिया जाता है, जिससे क्यारियाँ वायुरोधित हो जाती हैं|
इस प्लास्टिक आवरण को 6 से 7 सप्ताह बाद और सब्जियों की नर्सरी की बीजाई से 2 से 3 दिन पहले हटा लिया जाता है| यह विधि उस दशा में पूरी तरह प्रभावकारी है, जब दिन का तापमान 30 से 40 डिग्री सैल्शियस या इससे अधिक हो, मौसम शुष्क व सूर्य चमकदार हो|
वाष्पन द्वारा- इस विधि से बायलर की आवश्यकता होती है, जिससे दबाव में वाष्प बनाई जाती है| एक हार्स पावर का बायलर 5 से 6 घण्टे के अन्दर 50 सेंटीमीटर गहराई तक 200 वर्गफीट में वाष्पित कर देता है, यह विधि अधिक लागत के कारण केवल व्यावसायिक नर्सरी उत्पादकों के लिए उपयोगी है|
ऊष्मा प्रज्वलन- सब्जियों की नर्सरी के लिए इस विधि में गन्ने की सूखी पुआल या पत्ती को नर्सरी की जगह पर रख कर जला देते हैं, जिससे जो ऊष्मा उत्पन्न होती है और उससे नर्सरी की जगह का निजर्मीकरण सुनिश्चित हो जाता है|
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रसायन विधि द्वारा- सब्जियों की नर्सरी की भूमि को उपचारित करने के लिए विभिन्न रसायनों का भी प्रयोग किया जा सकता हैं| जो इस प्रकार से है, जैसे-
फार्मेल्डीहाइड द्वारा- इस विधि में नर्सरी की भूमि का निजर्मीकरण करने के लिए व्यवसायिक फार्मेल्डीहाइड 40 प्रतिशत का प्रयोग किया जाता हैं, नर्सरी के 1 वर्गमीटर क्षेत्र में 250 से 300 मिलीलीटर फार्मेल्डीहाइड को 10 लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव किया जाता है| इसके बाद नर्सरी को काली पोलिथीन से ढ़ककर चारों तरफ से गीली मिट्टी से ढ़ककर भूमि को वायु रोधित कर देते हैं, उपचार करने के 7 से 8 दिन पश्चात और बीजाई के तीन दिन पहले पोलीथीन को नर्सरी से हटा दिया जाता है|
सब्जियों की नर्सरी के लिए फिर हल्की गुड़ाई कर देते हैं, जिससे नर्सरी फार्मेलीन गैस से मुक्त हो जाये और उस के बाद नर्सरी में बीजाई करनी चाहिए| यह विधि कोल ग्रुप की सब्जियों जैसे- फूल गोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, गांठ गोभी, मूली, शलगम आदि में प्रयोग नहीं करनी चाहिए|
कवकनाशी द्वारा उपचार- यदि किसी कारणवश भूमि का निजकरण सम्भव न हो सका हो तो ऐसी स्थिति में भूमि को किसी कवकनाशी जैसे- कैप्टान, थीरम को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल बना लें और बीजाई से 2 दिन पहले भूमि को इस से उपचारित करें, कवकनाशी जमीन से 20 से 25 सेंटीमीटर तक पहुंच जानी चाहिए| इस के लिए भूमि को नम बनाए रखना जरूरी है|
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सब्जियों की नर्सरी के लिए बीज उपचार
सब्जियों की नर्सरी के लिए बीज को बीजाई करने से पहले बीज जनित व्याधियों से बचाने के लिए बीज का उपचार करना जरूरी है, कुछ बीमारियाँ ऐसी होती हैं, जिन को हम केवल बीज का उपचार करके ही रोक सकते हैं, उनको बाद में नहीं रोका जा सकता, दूसरा बीज का उपचार बहुत सस्ता पड़ता है, जबकि बाद में बीमारी की रोकथाम करना बड़ा महंगा पड़ता है एवं खेत में पौधों की संख्या कम हो जाने के कारण अपेक्षित उत्पादन भी नहीं मिल पाता है, बीजोपचार दो तरीकों से किया जा सकता है| जो इस प्रकार है, जैसे-
गर्म पानी द्वारा- इस विधि में बीज को गर्म पानी में, जिसका तापमान 50 डिग्री सेंटीग्रेट हो, उस में 15 से 20 मिनट तक डुबा कर रखते हैं| उसके बाद उस को छाया में सुखा कर बीजाई करते हैं| यह विधि गोभी वर्गीय सब्जियों में काला सड़न रोग की रोकथाम के लिए उपयोगी है|
रसायन द्वारा- सब्जियों में ज्यादातर बीज का उपचार 2 ग्राम कैप्टान या थीरम या बाविस्टीन प्रति किलोग्राम बीज द्वारा किया जाता है, जबकि आलू को एमिसान 6 या एरेटान 6 या मैंकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर उपचारित करना चाहिए|
सब्जियों की नर्सरी के लिए बीज की बीजाई
उपचारित की गई सब्जियों की नर्सरी की क्यारियों में बीज की बीजाई छिटकवाँ विधि या 5 से 10 सेंटीमीटर की दूरी पर बनी लाईनों में की जाती है, लाइने किसी लकड़ी, अंगुली या कंकर आदि से बनाई जा सकती हैं| बीज को 1.0 से 2.0 सेंटीमीटर की गहराई पर बीजा जाता है और बाद में हल्का हाथ मिट्टी पर मार दिया जाता है, ताकि पूरा बीज लाइनों में चला जाए और ऊपर खाली सड़ी-गली गोबर की खाद से एक परत के रूप में ढक दिया जाता हैं|
अगेती किस्मों की पौध का धूप से बचाने के लिए सरकंडे के छप्पर या सिरकी से ढ़कना चाहिए, जिससे बीज का जमाव अच्छा होगा, पानी कम देना पड़ेगा और पौध कम से कम मरेगी, क्यारियों में पर्याप्त नमी रहनी चाहिए एव पानी को शुरू में जब तक पौध 3 से 5 सेंटीमीटर बड़ी न हो जाए, फव्वारे से सुबह और शाम के समय छिड़काव के रूप में देना चाहिए| अंकुरण होने पर यदि नर्सरी को घास या पुआल से ढ़का हो तो उसको हटा देना चाहिए|
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सब्जियों की खेती के लिए पौध रोपण
पौध जब 10 से 15 सेंटीमीटर लम्बी होने या उसमें 4 से 6 पत्तियाँ निकल आयें तो खेत में लगाने के लिए तैयार होती है| टमाटर, बैंगन, मिर्च व गोभी वर्गीय सब्जियों में यह अवस्था सामान्यत: 4 से 6 सप्ताह में आती है, जबकि प्याज की पौध 8 सप्ताह में तैयार होती है| पौध खेत में लगाने से पहले उसकी हार्डनिंग (पकाना) करना जरूरी है|
जिससे पौधे खेत में लगाते समय कम से कम मरे और इससे उनमें प्रतिरोपण के समय झटके सहने की क्षमता में वृद्धि होती है| इसके लिए पौधे तैयार होने के 4 से 5 दिन पहले नर्सरी में पानी देना बंद कर देना चाहिए और पौध उखाड़ने के 24 घण्टे पूर्व नर्सरी में खुला पानी लगा दें, ताकि पौध को उखाड़ते समय जड़ों को कम से कम नुकसान हो|
रौपाई से पूर्व पौध की जड़ों का कीटनाशक रसायन तथा कल्चर घोल में 15 से 20 मिनट तक डुबाकर रखें, तैयार पौध खेत में बनी हुई क्यारियों या डोलियों पर निर्धारित फासले पर लगायें| पौध रोपण के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई करें, पौध रोपण हमेशा शाम के समय करना चाहिए, जिससे रात की ठंडक में पौधे आसानी से स्थापित हो जायें|
सब्जियों की नर्सरी में पौध संरक्षण
सब्जियों की नर्सरी में बीजों की बीजाई के 10 से 12 दिन बाद जड़ पद गलन जैसी बीमारियों से पौधों को बचाने के लिए दो ग्राम बाविस्टीन प्रति लीटर पानी की दर से मिला कर पौधों की जड़ों की इस घोल से सिंचाई करें| इसके लिए प्रति वर्गमीटर चार लीटर दवा मिला हुआ पानी काम में लें| बीजों की बीजाई करने से 15 से 20 दिनों बाद रस चूसने वाले कीड़ों से पौधों को बचाने के लिए डॉइमिथोएट 30 ईसी 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिला कर पौधों में छिड़कें|
टमाटर, मिर्च में विषाणु लीफ कर्ल मौजेक रोग से पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं| यह रोग सफेद मक्खी और रस चूसने वाले कीटों के माध्यम से फैलते हैं| इसलिए नर्सरी तैयार करने के लिए पौधों को इनके प्रकोप से बचाने के लिए विशेष सावधानी रखें, नही तो रोगों का आक्रमण होने पर बार-बार कीटनाशकों का छिड़काव करने के बावजूद इन रोगों से पौधों को काफी नुकसान होता है| इनकी रोकथाम के लिए नर्सरी में नायलॉन की जाली का प्रयोग किया जाता है|
इसमें क्यारियों की बीजाई के बाद 40 मैश की नायलॉन नैट से ढक दिया जाता है| इसके लिए नर्सरी की दोनों तरफ अर्द्ध चन्द्राकार तार लगाकर उस पर ऊपर लिखी मैश की नायलॉन नैट से नर्सरी की क्यारियों को ढ़क दें या नर्सरी के चारों कोनों पर खूटे गाड़कर उन पर नायलॉन नेट बिछा कर ढ़कने की ऐसी व्यवस्था करें, कि जाली हवा में उड़े नहीं तथा हमेशा पौध क्षेत्र को ढ़की रहे| यह भी सुनिश्चित करें, कि नायलॉन नैट चारों ओर से मिट्टी से दबी रहनी चाहिए|
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