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Home » ब्लॉग » लीची की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार

लीची की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

लीची की उन्नत किस्में

हमारे देश में उगायी जाने वाली लीची की लगभग 40 प्रजातियां हैं| किन्तु व्यावसायिक स्तर पर उत्तरी भारत में शाही, चाईना, रोज सेन्टेड, कस्बा एवं पूरवी आदि किस्मों की खेती अधिक की जाती है| इनके अतिरिक्त अर्ली बेदाना, लेट बेदाना, देशी, लौंगिया एवं कसैलिया की खेती भी छोटे स्तर पर देश के सभी क्षेत्रों में होती हैं| वैसे तो हमारे देश में अगेती, मध्यम और पछेती पकने वाली लीची की किस्में सुविधानुसार उगाई जाती हैं|

लेकिन लीची की बागवानी से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए बागान बन्धुओं को अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत प्रजाति का चयन करना चाहिए| इस लेख में कृषकों की जानकारी के लिए लीची की प्रचलित उन्नत किस्मों की विशेषताओं और पैदावार का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत है| लीची की वैज्ञानिक तकनीक से खेती कैसे करें की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- लीची की खेती कैसे करें

उन्नत किस्में

शाही

यह किस्म मुजफ्फरपुर की तरह आकर्षक, अच्छे फलोत्पादन वाली है| यह लीची की प्रमुख अगेती प्रजाति है| जिसकी खेती उत्तरी भारत में व्यावसायिक स्तर पर होती है| इस किस्म के फल 15 से 30 मई तक पक जाते हैं| पूर्ण विकसित फल गोल, बड़े एवं गहरे लाल रंग के होते हैं| फल खाने में स्वादिष्ट, एवं सुगन्धित होते हैं और गूदा की मात्रा अधिक होती है| इस प्रजाति के पूर्ण विकसित पौधों से प्रति वर्ष 90 से 100 किलोग्राम पैदावार प्रति पौध प्राप्त की जा सकती है|

यह भी पढ़ें- अंगूर की उन्नत किस्में, जानिए उनकी विशेषताएं और पैदावार

चाइना

यह लीची की प्रमुख पछेती किस्म है| जिसके फल 15 जून तक पक जाते हैं| इस प्रजाति के फल गहरे लाल रंग के शंक्वाकार तथा फटने की समस्या से मुक्त होते हैं| एक पूर्ण विकसित पौधे से लगभग 80 से 100 किलोग्राम पैदावार प्राप्त की जा सकती है|

रोज सेन्टेड

इस लीची की किस्म के फल भी जून के दूसरे सप्ताह में पकते हैं| फल गोल हृदयाकार लगभग 3.12 सेन्टीमीटर लम्बे और 3.05 सेन्टीमीटर चौड़े होते हैं| एक फूल का औसत भार 17.45 ग्राम होता है| छिलका पतला व बैंगनी रंग का मिश्रित होता है| गूदा मुलायम, रंग में भूरा सफेद तथा प्रतिफल औसत भार 13.29 ग्राम होता है|

गूदे में शर्करा की मात्रा लगभग 12.79 प्रतिशत अम्ल की मात्रा 0.33 प्रतिशत होती है| फल खाने में मीठा और गुलाब की तरह खुशबूदार होता है| इसका बीज आकार में बड़ा होता है| इस लीची की प्रजाति की औसत पैदावार 80 से 90 किलोग्राम प्रति पौधा है|

स्वर्ण रूपा

इस लीची की किस्म का चयन बागवानी एवं कृषि वानिकी शोध कार्यक्रम, रांची के द्वारा किया गया है| इस किस्म के फल मध्यम समय में पकते हैं और फटने की समस्या से मुक्त होते हैं| इस प्रजाति के फल आकर्षक एवं गहरे गुलाबी रंग के होते हैं| जिनमें बीज का आकार छोटा, गूदा अधिक स्वादिष्ट होता है|

यह भी पढ़ें- आंवला की उन्नत किस्में, जानिए उनकी विशेषताएं और पैदावार

अर्ली सीडलेस (अर्ली बेदाना)

इस लीची की किस्म के फल जून के दूसरे सप्ताह में पकते हैं| फल हृदयाकार से अण्डाकार शक्ल के होते हैं| प्रतिफल औसत भार 21.67 ग्राम होता है| छिलका पतला गहरे लाल रंग का होता है| प्रति फल गूदे का भार लगभग 18 ग्राम, गूदा मुलायम, रंग सफेद क्रीमी तथा शर्करा 13.64 प्रतिशत व अम्ल 0.436 प्रतिशत होता है| फल खाने में स्वादिष्ट एवं सुगन्धित होते है| बीज बहुत छोटा और फलत अच्छी होती है|

अर्ली लार्ज रेड

इस लीची की किस्म के फल जून के तीसरे सप्ताह में पकते हैं| फल तिरछा हृदयाकार लगभग 3.53 सेन्टीमीटर लम्बे, 3 सेन्टीमीटर चौड़े होते हैं और एक फल का औसत भार 20.45 ग्राम होता है| छिलका पतला, गहरे लाल का, गूदा कड़ा भूरा सफेद, शर्करा 10.88 प्रतिशत, अम्लता 0.41प्रतिशत, खुशबू अच्छी, स्वाद मीठा होता है| फल आकार में बड़ा तथा फलत मध्यम होती है|

मुजफ्फरपुर

इस किस्म को लेट लार्ज रेड भी कहते हैं| इस लीची की किस्म के फल जून के चौथे सप्ताह में पकते हैं| फल आयताकार नुकीले होते हैं| फल की लम्बाई लगभग 3.75 सेन्टीमीटर व चौड़ाई लगभग 3.17 सेन्टीमीटर और फल औसत भार 22.51 ग्राम प्रतिफल होता है| गूदे की औसत मात्रा 16.56 ग्राम प्रतिफल, गूदे में शर्करा 10.17 प्रतिशत, अम्लता 0.54 प्रतिशत होती है| गूदा मुलायम, सुगंधित एवं मीठा होता है| पैदावार प्रचुर मात्रा में होती है|

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कलकतिया

यह लीची की देर से पकने वाली किस्म है| इसके फल जुलाई के प्रथम सप्ताह में पकते हैं| फल आयताकर होते हैं| फल की लम्बाई व चौड़ाई लगभग 3.86 सेन्टीमीटर व 3.40 सेन्टीमीटर तथा फल का औसत भार लगभग 23.85 ग्राम होता है| छिलका मध्यम मोटाई का तथा टाइरियन रोज के रंग का होता है|

फल औसत गुदे की मात्रा 16.32 ग्राम व गूदे में शर्करा 10.99 प्रतिशत और अम्ल की मात्रा 0.44 प्रतिशत होती है| फल मीठा व बीज आकार में बड़ा होता है| पैदावार प्रचुर मात्रा में होती है| इस किस्म के फलों में फटने समस्या नाम मात्र की ही पाई जाती है|

लेट सीडलेस

इस लीची की किस्म को लेट बेदाना के नाम से भी जाना जाता है| इसके फलों के पकने का समय जून अंत या जुलाई का प्रथम सप्ताह है| फल लम्बाई में लगभग 3.70 सेन्टीमीटर और चौड़ाई में 3 सेन्टीमीटर होते हैं| प्रति फल औसत भार लगभग 25.4 ग्राम होता है| छिलका पतला और सिकुड़ा होता है|

गुदा मुलायम रसीला तथा क्रीमी रंग का होता है| गूदे में शर्करा लगभग 13.86 प्रतिशत और अम्लता 0.34 प्रतिशत पाई जाती है| फल खाने में सुगन्धित और मीठा होता है| परन्तु बीज के पास कुछ कड़वाहट लिए होते है| इस किस्म की पैदावार अच्छी है|

रामनगर गोला

यह कलकतिया जाति का म्यूटेन्ट है| इसके फल जून के अन्तिम सप्ताह में पकते हैं| यह लीची की किस्म हर प्रकार से कलकतिया जाति से उच्च श्रेणी की है, तराई क्षेत्रों में काफी प्रचलित है और फलोत्पादन भी अच्छा है|

यह भी पढ़ें- केले की उन्नत किस्में, जानिए उनकी विशेषताएं और पैदावार

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