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Home » ब्लॉग » मूंग की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार

मूंग की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

मूंग की उन्नत किस्में

मूंग हमारे देश की महत्वपूर्ण दलहनी फसल है| इसकी अच्छी पैदावार के लिए अपने क्षेत्र की प्रचलित मूंग की उन्नत किस्म का चुनाव करना आवश्यक है| इस लेख में मूंग की उन्नत किस्में तथा उनकी विशेषताएं एवं पैदावार का उल्लेख किया गया है| मूंग की उन्नत खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मूंग की खेती- किस्में, रोकथाम व पैदावार

मूंग की राज्यवार उन्नत किस्में

हरियाणा

खरीफ फसल हेतु- आई पी एम- 2 – 3, एम एच- 2 – 15, मुस्कान आदि|

जायद फसल हेतु- एस एम एल- 668, पंत मुंग- 5 आदि|

पंजाब

खरीफ फसल हेतु- आई पी एम- 2 – 3, एम एच- 215, एम एल- 818, एम एल- 613 आदि|

जायद फसल हेतु- एस एम एल- 658, आई पी एम- 2 – 3, पंत मूंग- 5 आदि|

राजस्थान

खरीफ फसल हेतु- एस एम एल- 668, आई पी एम- 2 – 3, आर एम जी- 492, एम एच- 2 – 15 आदि|

जायद फसल हेतु- एस एम एल- 668, पी डी एम- 139, मेहा आदि|

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड

खरीफ फसल हेतु- पंत मूंग- 5, पंत मूंग- 4, नरेन्द्र मूग- 1 आदि|

जायद फसल हेतु- हम 16, आई पी एम- 2 – 3, पी डी एम- 139, मेहा, हम- 12 आदि|

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़

खरीफ फसल हेतु- हम- 1,टी जे एम- 721, बी एम- 4, मेहा आदि|

जायद फसल हेतु- पी डी एम- 139, मेहा, हम- 1 आदि|

बिहार और झारखंड

खरीफ फसल हेतु- आई पी एम- 2 – 3, एम एच- 2 – 15, पंत मूंग- 4 , हम- 1, पंत मुंग- 2, नरेन्द्र मूग- 1, सुनैना, पी डी एम- 139, एम एच- 2 – 15 आदि|

रबी फसल हेतु- हम- 16, पी डी एम- 139, मेहा आदि|

जायद फसल हेतु- पंत मूंग -5, हम- 12, पूसा विशाल, टी बी एम- 37 आदि|

गुजरात

खरीफ फसल हेतु- मूंग- 3, गुजरात मूंग- 4, के- 851, पी के वी ए के एम- 4 आदि|

यह भी पढ़ें- अरहर की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं एवं पैदावार

हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर

खरीफ फसल हेतु- पूसा- 672, के एम- 2241, शालीमार मूंग- 1 आदि|

कर्नाटक

खरीफ फसल हेतु- आई पी एम- 2 – 14 एवं 2 – 3, हम- 1, पी के वी ए के एम- 4, को जी जी- 912, के के एम- 3, एल जी जी- 450, टार्म- 1, ओ बी जी जी- 52 आदि|

महाराष्ट्र

खरीफ फसल हेतु- हम- 1, बी एम- 2002 – 1, पी के वी ए के एम- 4, बी एम- 4, टार्ग- 2 आदि|

ओडीशा

खरीफ फसल हेतु- पी डी एम- 139, ओ यू एम- 11 – 5, को जी जी- 912, आई पी एम- 2 – 3 आदि|

रवि फसल हेतु- पी डी एम- 139, एल जी जी- 460, टार्म- 1, ओ बी जी जी- 52, आई पी एम- 2 – 3 आदि|

तमिलनाडू

खरीफ फसल हेतु- आई पी एम- 2 – 3, को- 6, टी एम- 96 – 2, वंबन- 2, वंबन- 3 आदि|

जायद फसल हेतु- ए डी टी- 3, सुजाता (हायब्रिड 12 – 4) आदि|

पश्चिम बंगाल

खरीफ फसल हेतु- एम एच- 2 – 15, पंत मूंग- 5, पंत मूंग- 4, नरेन्द्र मूंग -1 आदि|

जायद फसल हेतु- हम 16, आई पी एम- 2 – 3, पी डी एम- 139, मेहा, टी बी एम- 37, पंत मूंग 5, पूसा विशाल आदि|

आंध्रप्रदेश

खरीफ फसल हेतु- मधिरा- 429, पूसा- 9072, डब्लू जी, जी- 2, आई पी एम- 2 – 14, ओ यू एम- 11 – 5, को जी जी- 912 आदि|

रवी फसल हेतु- एल जी जी- 460, एल जी जी- 450, एल जी जी- 407, टी एम- 96 – 2 आदि|

आसाम

खरीफ फसल हेतु- आई पी एम- 2 – 3, पंत मूंग- 4, नरेन्द्र मूंग- 1, ए जी- 1, पंत मूग- 2 आदि|

जायद फसल हेतु- हम- 16,पी डी एम- 139, मेहा, पंत मूंग- 5, हम- 12, पूसा विशाल और टी बी एम- 37 आदि प्रमुख है|

यह भी पढ़ें- बाजरा की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं एवं पैदावार की जानकारी

मूंग की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार 

एस एम एल 668- मूंग की यह किस्म जायद और खरीफ दोनों ऋतुओं में बुवाई हेतु उचित हैं| इस किस्म का तना अन्य किस्मों की अपेक्षा मजबूत होता है| इसलिए अधिक बढ़वार होने पर गिरता नहीं हैं| इसकी फलीयाँ नीचे की तरफ गुच्छे के रूप में झुकी हुई होती हैं| इसके दाने मोटे होते है एवं 1000 दानों का वजन 58 से 63 ग्राम होता हैं| इसकी फली में औसतन 10 से 11 दाने होते हैं| यह किस्म अन्य किस्मों की अपेक्षा जल्दी पक कर तैयार होती हैं| इसकी पकने की अवधि 60 से 65 दिन हैं| उचित प्रबन्धन द्वारा इसकी उपज 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती हैं।

एम यू एम 2- इस किस्म के पौधे ऊँचाई में लगभग 85 सेन्टीमीटर और गुंथे हुए होते हैं| दाने आकार में मध्यम एवं चमकदार होते हैं| इसके 1000 दानों का भार 36 ग्राम होता है| यह किस्म पकने में 80 से 85 दिन लेती है| यह पीले मौजेक रोग को मध्यम रूप से सहन कर लेती है| इस किस्म से 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार ली जा सकती है|

आर एम जी 62- इस मूंग की उन्नत किस्म के पौधे मध्यम ऊँचाई वाले सीधे होते हैं| झुलसा रोग रोधी यह किस्म खरीफ व जायद दोनों ऋतुओं में ली जा सकती है| फसल एक समय में पककर तैयार हो जाती है|

आर एम जी 268- यह मूंग की उन्नत किस्म सामान्य और कम वर्षा वाले क्षेत्र के लिए जारी की गई| यह किस्म सूखे के लिए प्रतिरोधी है तथा प्रचलित किस्मों से लगभग 20 प्रतिशत तक अधिक उपज देती है|

यह भी पढ़ें- अमेरिकन कपास की उन्नत एवं संकर किस्में, जानिए विशेषता और पैदावार

के 851- इस मूंग की उन्नत के पौधे ऊँचे होते हैं| इनकी ऊँचाई 85 से 90 सेन्टीमीटर होती है| दाने हरे चमकदार और मध्यम आकार के होते हैं| 1000 दानों का भार 36 ग्राम एवं पकने में यह किस्म 75 से 80 दिन लेती है| इसकी औसत पैदावार 17 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

आर एम जी 492- खरीफ और जायद के लिये उपयुक्त यह किस्म 65 से 70 दिनों में पकती है| पौधे मध्यम कद के एवं सीधे खडे रहते है| 1000 दानो का वजन 41 ग्राम है| दाने चमकदार तथा मध्यम आकार वाले होते है| यह किस्म पीत मोजेक विषाणु रोग के लिए आशिंक प्रतिरोधी और जाली झुलसा एवं पत्ती रोग के लिए प्रतिरोधी है| यह सूत्रकृमि के लिये भी आशिंक प्रतिरोधी है|

टी 44- यह किस्म 65 से 70 दिनों में पककर तैयार होती है| जिसकी औसत उपज 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| यह खरीफ में जून और जायद में मार्च के दूसरे पखवाड़े में बुआई हेतु उपयुक्त है|

पूसा विशाल- यह मूंग की उन्नत किस्म पकने में 70 से 75 दिन लेती है| यह जायद एवं खरीफ दोनों मौसम के लिए उपयुक्त है| इसकी पैदावार क्षमता 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

पी एस 16- यह मूंग की उन्नत किस्म 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है, जिसकी औसत पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| इसकी बुआई जायद फसल के लिए पूरे मार्च में की जा सकती है|

सोना 12/333- यह 55 से 60 दिनों में पककर तैयार होने वाली किस्म है, जिसका औसत पैदावार 9 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| इसके दाने सुनहले रंग के चमकदार होते हैं तथा 15 मार्च से 10 अप्रैल तक बुआई के लिये अनुशासित है| इसकी सभी फलियाँ एक साथ ही परिपक्व होती है|

यह भी पढ़ें- वर्षा आधारित खेती में आय बढ़ाने वाली उपयोगी एवं आधुनिक तकनीकें

पी डी एम 54- इस मूंग की उन्नत किस्म की कटाई 65 से 70 दिनों में होती है एवं इसकी औसत उपज 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| दाना चमकदार और हरा होता है| यह जायद और खरीफ दोनों मौसम के लिये उपयुक्त है|

टाइप 1- फसल पकने की अवधि 60 से 65 दिन, पौधे सीधे बढ़ने वाली , फली लम्बी, दाने हरे रंग के और मध्यम आकार के, हरी खाद तथा पैदावार क्षमता 6 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जायद में बुआई के लिए उपयुक्त है|

टाइप 44- फसल पकने की अवधि 60 से 70 दिन, हरी खाद के लिए उपयुक्त , ग्रीष्म और वर्षा ऋतू के लिए उत्तम, पौधा अध फैलने वाला , पीला मोजैक वायरस रोग लगता है , सम्पूर्ण भारत वर्ष के लिए उपयुक्त , उपज क्षमता 6 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

टाइप 51- फसल पकने की अवधि 75 से 80 दिन, पौधा सीधा बढ़ने वाला व लंबा, दाना माध्यम आकार का और चमकला हरे रंग का, उपज क्षमता 8 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, देश के मैदानी क्षत्रों में खरीफ में मिलवां खेती के लिए उत्तम है|

पी एस 16- इस मूंग की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 60 से 65 दिन, पौधा सीधा बढ़ने वाला व लम्बा, पैदावार क्षमता 10 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, सम्पूर्ण भारत में वर्षा और ग्रीष्म दोनों मौसम के लिए उपयुक्त है|

मोहिनी- फसल पकने की अवधि 70 से 75 दिन, पौधा सीधा फैलने वाला एवं शाखाएं युक्त, प्रत्येक फली में 10 से 12 बीज , दाने छोटे, पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पीला मोजैक वायरस एवं सकस्पोरा लीफ स्पोट रोग के प्रति सहनशील है|

शीला- फसल पकने की अवधि 75 से 80 दिन, पौधा सीधा बढ़ने वाला एवं लम्बा, उपज क्षमता 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पूरे उत्तर भारत के मौसम के लिए उपयुक्त है|

यह भी पढ़ें- बारानी क्षेत्रों की फसल उत्पादकता वृद्धि हेतु उन्नत एवं आधुनिक तकनीक

पन्त मूंग 1- इस मूंग की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 75 दिन खरीफ और 65 दिन जायद, दाने छोटे, पैदावार क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

एम एल 1- फसल पकने की अवधि 90 दिन, बीज छोटा एवं हरे रंग का, उपज क्षमता 8 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पंजाब और हरियाणा में खेती के लिए उपयुक्त है|

एम एल 5- फसल पकने की अवधि 80 से 85 दिन, पैदावार क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, खरीफ फसल के लिए उपयुक्त, पौधे सीधे बढ़ने वाले और फलियों से लदा होता है, पीला मोजैक रोग कम लगता है|

वर्षा- यह अगेती किस्म है, पौधा छोटा और झाड़ीनुमा होता है, पैदावार क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, यह किस्म हरियाणा से विकसित की गई है|

सुनैना- फसल अवधि 60 दिन, पौधा अध सीदा बढ़ने वाला, बीज चमकौला और हरे रंग का, पैदावार क्षमता 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, बिहार के क्षेत्र में ग्रीष्म मौसम के लिए उपयुक्त है|

जवाहर 45- इस मूंग की उन्नत किस्म को हाइब्रिड 45 भी कहा जाता है, फसल 75 से 85 दिन में पकने वाली, पौधा अध सीधा बढ़ने वाला , पैदावार क्षमता 10 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, खरीफ के मौसम के लिए उपयुक्त है|

कृष्णा 11- यह मूंग की उन्नत अगेती किस्म फसल अवधि 65 से 70 दिन, उत्तर प्रदेश क्षेत्र के लिए उपयुक्त पैदावार क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

पन्त मूंग 3- इस मूंग की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 60 से 70 दिन, 1000 दाने का वजन 35 ग्राम, ग्रीष्म ऋतू में खेती के लिए उपयुक्त, पीला मोजैक वायरस और पाउडरी मिल्ड्यू रोधक, पौधे की ऊंचाई 50 से 60 सेंटीमीटर, 9 से 11 दाने प्रति फली होते है|

यह भी पढ़ें- मक्का की उन्नत एवं संकर किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

पी डी 54 एम– इस मूंग की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 60 से 65 दिन, पीला वायरस मोजैक रोग रोधक, पैदावार क्षमता 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, बीज बड़ा तथा चमकीला हरे रंग का होता है|

अमृत- फसल पकने की अवधि 90 दिन, इस किस्म की खेती बिहार में खरीफ मौसम में की जाती है, पीला मोजैक वायरस रोग के प्रति सहनशील, पैदावार क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

आर एम जी 62- यह फसल 65 से 70 पकती है, औसत पैदावार 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, सिचिंत और असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त, राइजक्टोनिया ब्लाइट, कोण व फली छेदक कीट के प्रति रोधक, फलियां एक साथ पकती हैं|

आर एम जी 268- यह मूंग की उन्नत किस्म 62 से 70 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 8 से 11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, सुखे के प्रति सहनशील, फलिया एक साथ पकती हैं|

आर एम जी 344- यह मूंग की उन्नत किस्म 62 से 72 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 7 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, खरीफ और जायद के लिए उपयुक्त, ब्लाइट को सहने की क्षमता, चकमदार और मोटा दाना होता है|

गंगा 8- यह मूंग की उन्नत किस्म 70 से 72 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 9 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, उचित समय और देरी दोनों के लिए उपयुक्त, खरीफ तथा जायद दोनों के लिए उपयुक्त है|

जी एम 4- यह मूंग की उन्नत किस्म 60 से 70 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, फलियां एक साथ पकती है, दाने हरे रंग के और बड़े आकार के होते हैं|

यह भी पढ़ें- नैनो प्रौद्योगिकी का कृषि में महत्व

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