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Home » Blog » फूलगोभी की उन्नत किस्में | फूलगोभी की अच्छी किस्में कौन सी है?

फूलगोभी की उन्नत किस्में | फूलगोभी की अच्छी किस्में कौन सी है?

April 8, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

फूलगोभी की उन्नत किस्में

फूलगोभी की उन्नत और संकर किस्मों की उगाये जाने वाले समय के आधार पर विभिन्न वर्गो में बांटा गया है या यु कहें की अलग-अलग समय के लिए अलग-अलग अनुमोदित किस्में है| इसकी स्थानीय और उन्नत दोनों प्रकार की किस्में उगायी जाती है| इन किस्मों पर तापमान तथा प्रकाश अवधि का बहुत प्रभाव पड़ता है| इसलिए इसकी अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिकतम पैदावार देने वाली किस्मों का चुनाव तथा उपयुक्त समय पर बुआई करना अत्यंत आवश्यक है| यदि अगेती किस्म को देर से और पिछेती किस्म को जल्दी उगाया जाता है, तो दोनों में वनस्पतिक वृद्धि अधिक हो जाती है|

परिणामस्वरूप फल छोटे रह जाते है, तथा फल विलम्ब से लगते हैं, जिससे इसके उत्पादन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है| इस आधार पर फूलगोभी को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है, जैसे- अगेती, मध्यम और पछेती समय की किस्में| इस लेख में फूलगोभी की किस्मों एवं उनकी विशेषताएं और पैदावार की जानकारी का उल्लेख किया गया है| फूलगोभी की खेती की विस्तृत जानकारी की लिए यहाँ पढ़ें- फूलगोभी की उन्नत खेती कैसे करें

फूलगोभी की किस्में

अगेती किस्में- अर्ली कुंआरी, पूसा कतिकी, पूसा दीपाली, समर किंग, पावस, इम्प्रूब्ड जापानी आदि प्रमुख है|

मध्यम किस्में- पंत सुभ्रा, पूसा सुभ्रा, पूसा सिन्थेटिक, पूसा स्नोबाल, के.- 1, पूसा अगहनी, सैगनी, हिसार न- 1 आदि प्रमुख है|

पिछेती किस्में- पूसा स्नोबाल- 1, पूसा स्नोबाल- 2, स्नोबाल- 16 आदि प्रमुख है|

 यह भी पढ़ें- गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती

फूलगोभी की उन्नत किस्मों की विशेषताएं और पैदावार

पूसा दीपाली- इस फूलगोभी की किस्म को उत्तरी भारत के लिए अनुमोदित किया गया है, विशेषता दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में उगाने के लिए सलाह दी गयी है| शीघ्र तैयार होने वाली किस्म, सघन फल, सफेद फल, मध्यम आकार तथा चिपचिपेपन से बिल्कुल मुक्त होती है| फल कटाई के लिए अक्टूबर के अंत में तैयार हो जाते है|

अर्ली कुंवारी- इस फूलगोभी की किस्म को हरियाणा, पंजाब तथा दिल्ली के लिए अनुमोदित किया गया है| यह बहुत शीघ्रता से पकने वाली किस्म है| फल समतल सतह के साथ अर्धगोल आकार में होते हैं| मध्य सितम्बर से लेकर मध्य अक्टूबर तक इसकी कटाई की जा सकती है| औसतन पैदावार 8 टन प्रति हेक्टेयर है|

पंजाब जायंट- 26- यह मुख्य मौसम की किस्म है| फल मजबूत, सफेद, मध्यम आकार के होते हैं| इसकी कटाई मध्य नवम्बर से दिसम्बर तक की जा सकती है| औसतन पैदावार 17 टन प्रति हेक्टेयर है|

पंजाब जायंट- 35- यह भी फूलगोभी की मुख्य मौसम की किस्म है| फल सफेद, सघन तथा मध्य आकार के होते हैं| इसकी कटाई मध्य नवम्बर से दिसम्बर तक की जा सकती है| औसतन पैदावार 17 टन प्रति हेक्टेयर है|

यह भी पढ़ें- गोभी वर्गीय सब्जियों की खेती कैसे करें, जानिए उन्नत तकनीक

पंत शुभ्रा- इस फूलगोभी की किस्म को उत्तरी भारत के लिए अनुमोदित किया गया है| यह शीघ्रता से तैयार होने वाली फसल है| फल सघन, थोडा शंक्वाकार तथा क्रीम सफेद होते हैं| यह कटाई के लिए नवम्बर में तैयार हो जाती है| औसतन पैदावार 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर है|

पूसा स्नोबल- 1- यह फूलगोभी की देर से पकने वाली किस्म है| इसके फल सघन, आकार में मध्यम तथा रंग में बर्फ जैसे सफेद होते हैं| इसकी कटाई जनवरी से अप्रैल तक की जा सकती है| औसतन पैदावार 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर है| यह काली सडन के प्रति संवेदनशील है|

स्नोबल- 16- यह फूलगोभी की किस्म उत्तरी भारत में ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है| यह देर से पकने वाली किस्म है| इसके फल मध्यम आकार के, संगठित तथा आकर्षक सफेद रंग के होते हैं| इसकी कटाई जनवरी से मार्च तक की जा सकती है| औसतन पैदावार 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर है|

पूसा अर्ली सिंथेटिक- यह फूलगोभी की मुख्य मौसम की किस्म है| इसके फल थोड़े क्रीम सफेद एवं सघन होते हैं| इसकी कटाई मध्य दिसम्बर से मध्य जनवरी तक की जा सकती है| औसतन पैदावार 11 टन प्रति हेक्टेयर है|

यह भी पढ़ें- पत्ता गोभी की उन्नत खेती कैसे करें

पंत गोभी- 2- यह फूलगोभी की शीघ्र पकने वाली किस्म है| इसके फल सघन, क्रीम सफेद होते हैं| इसकी कटाई नवमबर से दिसम्बर तक की जा सकती है| औसतन पैदावार 12 टन प्रति हेक्टेयर है|

पंत गोभी- 3- यह फूलगोभी की शीघ्र पकने वाली किस्म है| इसके फल मध्यम आकार के और सफेद संगठित होते हैं| इसकी कटाई अक्टूबर से की जा सकती है| औसतन पैदावार 10 टन प्रति हेक्टेयर है|

दनिया कलिंपोंग- आमतौर पर इसे भारत के पूर्वी भागों में उगाया जाता है| विलंबित मौसम की फसल है| इसके फल मध्य से लेकर बड़े, शघन, आकर्षित और सफेद होते हैं| यह वातावरण में होने वाले उतार चड़ाव के प्रति कम संवेदनशील है| इसकी कटाई जनवरी से अप्रैल तक की जा सकती है| औसतन पैदावार 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर है|

पूसा कार्तिकी- यह भी एक अल्पकालीन किस्म है, फल बंधे हुए अच्छे छोटे आकार के व सफ़ेद रंग के होते है| इसके फल नवम्बर में उपलब्ध हो जाते है| यह लगभग 12 से 13 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है| यह किस्म अन्य प्रचलित किस्मों में अच्छी मानी गई है|

यह भी पढ़ें- ब्रोकली की उन्नत खेती कैसे करें

पूसा अगहनी- इस किस्म के बीज की बुवाई जुलाई के अंतिम सप्ताह से 15 अगस्त तक की जाती है, फुल बड़े आकार के ठोस व सफ़ेद होते है| यह किस्म 130 दिनों में फल देने शुरू कर देती है| फल नवम्बर से दिसंबर में कटाई के योग्य हो जाते है| यह प्रति हेक्टेयर 15 से 18 टन प्रति हेक्टेयर तक पैदावार दे देती है|

पटना मध्यकालीन- यह बिहार राज्य के लिए अनुमोदित किस्म है, लेकिन इसे उत्तरी भारत में भी उगाया जाता है| फल अधिक बड़े व सुगठित होते है, फल मध्य नवम्बर से मध्य दिसंबर तक उपलब्ध रहते है, यह प्रति हेक्टेयर 15 से 17 टन तक पैदावार दे देती है|

हिसार न- 1- इस किस्म के पौधों की बुवाई अगस्त के दुसरे पखवाड़े में की जाती है| पौधा बड़े आकार वाला होता है, फुल मध्यम आकार के ठोस, सुडौल तथा सफ़ेद रंग के होते है| यह किस्म 130 से 150 दिन में फल देना शुरू कर देती है|

जापानी इम्प्रूव्ड- यह विदेशी किस्म भारत के करीब सभी क्षत्रों के लिए अनुमोदित है| इस किस्म का पौधा छोटा होता है, यह किस्म 100 से 110 दिन में फल देना शुरू कर देती है, इसके फल ठोस हल्के पीले तथा मध्यम आकार के होते है| यह प्रति हेक्टेयर 17 से 19 टन तक पैदावार दे देती है|

यह भी पढ़ें- गोभी वर्गीय सब्जियों का बीजोत्पादन कैसे करें

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