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Home » पत्ता व फूल गोभी की खेती: किस्में, देखभाल, पैदावार

पत्ता व फूल गोभी की खेती: किस्में, देखभाल, पैदावार

March 12, 2023 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

पत्ता व फूल गोभी की खेती

पत्ता व फूल गोभी (Cauliflower) भारत में उगाई जाने वाली एक प्रमुख फल और सब्जी है| फूल व पत्ता गोभी की खेती पुरे वर्ष की जाती है| दोनों की खेती भारत में व्यापक स्तर पर की जाती है|

पत्ता गोभी- को बंद गोभी भी कहते है| पत्ता गोभी पत्तेदार सब्जी है, यह भारत के सभी क्षेत्रो में उगाई जाती है| भारत में इसका क्षेत्रफल 83000 हेक्टेयर है| जिसमें 500,000 टन पैदावर होती है| यह पोष्टिक तत्वों से भरपूर होती है| इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए और सी खनिज होते है| इसे आप समज सकते है की फुल गोभी  मानव जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है|

फूल गोभी- फूल गोभी भी एक लोकप्रिय सब्जी है| इसका भारत में आगमन मुगल काल से माना जाता है| भारत में इसकी खेती लगभग 3000 हेक्टेयर में की जाती है| इसका उत्पादन करीब करीब 6,85000 टन होता है| इसकी ज्यादतर खेती शीतल स्थानों पर की जाती है| इसमें भी पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में है जैसे प्रोटीन, कैल्सियम, फास्फोरस, विटामिन ए और सी प्रमुख है|

किसान भाइयों के लिए पत्ता गोभी और फूल गोभी की खेती कर के अच्छा मुनाफा कमाने के बहुत अवसर है| किसान भाई गोभी की अच्छी पैदावर कैसे ले सकते है, यह निचे दर्शाया गया है|

यह भी पढ़ें- गोभी वर्गीय सब्जियों की खेती कैसे करें

पत्ता व फूल गोभी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

पत्ता गोभी- की अच्छी वृद्धि के लिए ठंडी और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है| इसमें पाले और अधिक तापमान सहन करने की क्षमता होती है| इसका अंकुर 27 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर अच्छा होता है| इसकी ग्रीष्म और बसंत दो फसल ली जा सकती है| अधिक सर्दी में इसका स्वाद अच्छा बनता है|

फूल गोभी- के लिए के लिए भी ठंडी और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है| दिन ठंडे और छोटे होते है तो फूल में बढ़ोतरी होती है| यदि गर्म मौसम हो तो इसके पत्ते और फुल पीले पड़ जाते है| अगेती किस्मों के लिए बड़े दिनों की आवश्यकता होती है|

पत्ता व फूल गोभी की खेती के लिए उपयुक्त भूमि

पत्ता व फूल गोभी दोनों की खेती विभिन्न प्रकार की भूमि में की जा सकती है| लेकिन अगेती खेती के लिए बलुई दोमट और दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है| और जिस भूमि का पीएच मान 5.5 से 6.5 हो वह मिट्टी उपयुक्त रहती है| अधिक अम्ब्लीए और क्षारीय भूमि इनके खेती के लिए बाधक है| खेत की तैयारी हेतु पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और 2 से 3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करे, ताकि भूमि भुरभुरी हो जाए|

पत्ता व फूल गोभी की खेती के लिए उन्नत किस्में

पत्ता गोभी की किस्में-

अगेती किस्में- प्राइड आफ इंडिया, गोल्डन एंकर, अर्ली ड्रम हेड, मीनाक्षी आदि|

पछेती किस्में- लेट ड्रम हेड, पूसा ड्रम हेड, अर्ली सॉलिड ड्रम हेड, लार्ड माउन्टेन हैड कैबेज लेट, सेलेक्टेड डब्लू, डायमंड, एक्स्ट्रा अर्ली एक्सप्रेस, सेलेक्सन 8 और पूसा मुक्त|

बुवाई का समय-

1. अगेती किस्मों के लिए अगस्त से सितम्बर (मैदानी क्षेत्रों के लिए)

2. पछेती किस्मो के लिए सितंबर से अक्तूबर (मैदानी क्षेत्रों के लिए)

3. पहाड़ी क्षेत्रों के लिए मार्च से जून|

बीज की मात्रा- पछेती किस्मों के लिए बीज की मात्रा 500 ग्राम और अगेती किस्मों के लिए 375 ग्राम बीज उपयुक्त होता है|

यह भी पढ़ें- फूलगोभी की उन्नत खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार

फूल गोभी की किस्में-

फूल गोभी की तीन प्रकार की किस्में होती है, जो इस प्रकार है, जैसे-

अगेती किस्में- पूसा दीपाली, अर्ली कुवारी, पन्त गोभी 2 व 3, पूसा कार्तिक, पूसा मेघना, अर्ली पटना पूसा अर्ली सिंथेटिक, पटना अगेती, सलेक्सन 327 और 328 आदि|

मध्यम किस्में- पन्त सुभ्रा, इम्प्रूव जापानी, पूसा शरद, हिसार 1 व 114, एस 1, पंजाब जाइंट, नरेन्द्र गोभी 1, अर्ली स्नोब्ल, पटना मध्यम, पूसा अगहनी और पूसा हाइब्रिड 2 आदि|

पछेती किस्में- पूसा के 1, पूसा स्नोबल 1 व 2, स्नोबल 16, दनिया, स्नोकिंग, पूसा सिंथेटिक, विश्व भारती, बनारसी मागी और जाइंट स्नोबल 1 आदि|

फूल गोभी बीज की मात्रा- अगेती फसल की लिए 500 से 600 ग्राम समय मई से जून, मध्यम फसल के लिए 350 से 400 ग्राम समय जुलाई से अगस्त और पछेती फसल के लिए 350 से 400 ग्राम समय अक्तूबर से नवम्बर प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा|

बीज उपचार- दोनों पत्ता व फूल गोभी को 3 ग्राम बाविस्टिन या कैप्टान प्रति किलोग्राम की दर से बीज को उपचारित करे, और साथ में मिट्टी को भी उपचारित करे|

यह भी पढ़ें- पत्ता गोभी की उन्नत खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार

पत्ता व फूल गोभी की खेती के लिए पौधशाला और पौध रोपण

1. अच्छी पौध तैयार करने के लिए 1 मीटर चौड़ी और 5 मीटर लम्बी या आवश्यकतानुसार लम्बाई की क्यारियां बना ले, जिसके मेड की उचाई 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए| क्यारियों की मिट्टी में क्षेत्रफल के हिसाब से गोबर, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश डालनी चाहिए| फिर उपचारित बीज की क्यारियों में बुवाई कर देनी चाहिए|

2. पत्ता व फूल गोभी की रोपाई समय और किस्म के अनुसार करनी चाहिए| अगेती किस्म 45 सेंटीमीटर लाइन से लाइन की दुरी और 40 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दुरी होनी चाहिए| मध्यम फसल के लिए 50 सेंटीमीटर लाइन से लाइन की दुरी और 45 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दुरी होनी चाहिए| पछेती किस्म के लिए 55 सेंटीमीटर लाइन से लाइन की दुरी और पौधे से पौधे की दुरी भी 55 सेंटीमीटर रखनी उपयुक्त रहती है|

पत्ता व फूल गोभी की खेती के लिए जल और खाद प्रबंधन

1. पत्ता व फूल गोभी फसल के लिए पहली सिंचाई पौध रोपण के बाद हल्की करे| उसके बाद आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिन बाद सिंचाई करते रहनी चाहिए|

2. दोनों फसलो की अच्छी पैदावार के लिए 300 से 350 क्विंटल गोबर की गली सड़ी खाद, 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस, 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की पूरी मात्र खेत की तैयारी करते समय रोपाई से पहले डालनी चाहिए|

यह भी पढ़ें- गांठ गोभी की उन्नत खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार

पत्ता व फूल गोभी की फसल में खरपतवार और कीट नियंत्रण

1. पत्ता व फूल गोभी की फसल के लिए पौध रोपण के बाद आवश्यकतानुसार 2 से 3 निराई गुड़ाई करनी चाहिए| साथ ही रोपाई से पहले नम भूमि में 2 लिटर एलाक्लोर 800 से 900 लिटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए| जिससे खरपतवार का जमाव ही नही हो|

2. दोनों फसलो को रोग नियन्त्रण के लिए बीज को ठीक से उपचारित कर के बुवाई करनी चाहिए| और रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़ कर मिटटी में दबा देना चाहिए| इसके साथ 1 लिटर मैलाथियान 700 से 800 लिटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टर छिड़काव करना चाहिए|

3. पत्ता व फूल गोभी में गिराट या सुंडी किट का प्रकोप प्रमुख है| जो पत्तियों को कटते है| इनकी रोकथाम के लिए 5 प्रतिशत असलोन या मैल्थिन 20 से 25 किलोग्राम पाउडर प्रति हेक्टेयर पर बुरकाव करना चाहिए|

पत्ता व फूल गोभी फसल की कटाई और पैदावार

1. दोनों फसलों के फूलों को सुबह या शाम को काटना चाहिए जब फुल कटाई योग्य या ठोस हो जाए|

2. पत्ता व फूल गोभी की पैदावर उपरोक्त विधि और अनुकूल मौसम के अनुसार 300 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए|

यह भी पढ़ें- ब्रोकली की उन्नत खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार

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