• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

दैनिक जाग्रति

ऑनलाइन हिंदी में जानकारी

  • ब्लॉग
  • करियर
  • स्वास्थ्य
  • खेती-बाड़ी
    • जैविक खेती
    • सब्जियों की खेती
    • बागवानी
    • पशुपालन
  • पैसा कैसे कमाए
  • सरकारी योजनाएं
  • अनमोल विचार
    • जीवनी
Home » ब्लॉग » ऑर्गेनिक या जैविक खेती: उद्देश्य, प्रबंधन और लाभ

ऑर्गेनिक या जैविक खेती: उद्देश्य, प्रबंधन और लाभ

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

ऑर्गेनिक या जैविक खेती क्या है

ऑर्गेनिक या जैविक खेती भारत कृषि प्रधान देश है, यहाँ अधिकांश जनसंख्या गांवों में निवास करती है और 60 से 65 प्रतिशत से अधिक रोजगार खेती से ही प्राप्त होता है| दिनो-दिन जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ खाद्यानों की मांग भी बढ़ रही है, अधिकाधिक उत्पादन की होड़ में रसायनिक उर्वरकों , रोग और कीटनाक्षकों का कृषि में उपयोग बढ़ता जा रहा है| किसान देशी और परम्परागत खादों को अनुपयोगी समझकर उनके प्रति उपेक्षा बरत रहे हैं| परिणाम स्वरूप उर्वरकों तथा कृषि रसायनों के अंधाधुंध अविवेकपूर्ण और अनियमित प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति, भूमिगत जल व पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है|

साठ के दशक में हमारे देश में हरित क्रान्ति के दौरान फसलोत्पादन में रासायनिक उर्वरकों का बहुतायत में उपयोग प्रारम्भ हुआ| हरित क्रान्ति के तत्कालिक परिणामों मशीनीकरण और रासायनिक खेती से जितना आर्थिक लाभ किसानों को मिला उससे कई अधिक किसानों ने खोया है| प्रारम्भ में रासायनिक उर्वरकों के फसलोत्पादन में चमत्कारिक परिणाम मिले किन्तु बाद में इसके दुष्परिणाम स्पष्ट दिखाई देने लगे, जैसे- उत्पादन में कमी, जल स्त्रोत में कमी, उत्पादन लागत में बढ़ोतरी, पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि आदि|

ऑर्गेनिक या जैविक खेती एक परिपूर्ण उत्पादन प्रक्रिया है| यह पर्यावरण को स्वस्थ्य बनाने के साथ ही उच्च और स्वच्छ गुणवत्ता वाले भोजन के उत्पादन में सहायक है| जैविक या ऑर्गेनिक पद्धति में बाहरी आदानों (खेत के बाहर के सामान/साधनों) का कम से कम उपयोग रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग वर्जित है|

ऑर्गेनिक या जैविक खेती को प्राकृतिक खेती, कार्बनिक खेती तथा रसायन विहीन खेती आदि से भी जाना जाता है| इसका उद्देश्य इस प्रकार से फसल उगाना है, कि मिट्टी जल और वायु को प्रदूषित किये बिना दीर्घकालीन व स्थिर उत्पादन लिया जा सके|

यह भी पढ़ें- जैविक कीटनाशक कैसे बनाएं

ऑर्गेनिक खेती क्या है?

ऑर्गेनिक या जैविक खेती कृषि की वह पद्धति है, जिसमें स्वच्छ प्राकृतिक संतुलन बनाये रखते हुए, मृदा, जल एवं वायु को दूषित किये बिना दीर्घकालीन और स्थिर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं| इसमें मिट्टी को एक जीवित माध्यम माना जाता है, जिसमें सूक्ष्म जीवों जैसे- रायजोवियम, एजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरियम, माइकोराइजा एवं अन्य जीव जो मिट्टी में उपस्थित रहते हैं, की क्रियाओं को बढ़ाने और दोहन करने के लिए कार्बनिक तथा प्राकृतिक खादों का गहन उपयोग किया जाता है|

ऑर्गेनिक खेती द्वारा उत्पादित खाद्यान्नो की मांग तेजी से बढ़ रही है, चूंकि ये खाद्यान्न प्रदूषकों से मुक्त होते हैं| इसलिए भविष्य में इनकी और भी तेजी से बढ़ने की संभावना है|

ऑर्गेनिक खेती के उद्देश्य

1. मृदा स्वास्थ्य को बनाये रखना|

2. पर्याप्त मात्रा में उच्च गुणवत्ता वाला खाद्यान्न पैदा करना|

3. मिट्टी की दीर्घकालीन उर्वरता को बनाए रखना एवं उसे बढ़ाना|

4. खेती में सूक्ष्म जीव, मृदा पादप और अन्य जीवों के जैविक चक्र को प्रोत्साहित करना तथा बढ़ाना|

5. रसायनिक उर्वरकों और रसायनिक दवाओं के दुष्परिणाम को रोकना|

6. कृषि पद्धति तथा उसके आसपास में अनुवांशिक कृषि विविधता को बनाये रखना|

यह भी पढ़ें- ट्राइकोडर्मा क्या जैविक खेती के लिए वरदान है

जैविक खेती के प्रमुख कारक

1. ऑर्गेनिक खेती सदैव कृषि का आधार है, जिसमें सिर्फ जैविक संसाधनों का ही उपयोग किया जाता है|

2. ऑर्गेनिक खेती में पोषक तत्वों की पूर्ति, कीट एवं रोग की रोकथाम जैविक स्त्रोतों से की जाती है|

3. ऑर्गेनिक खेती मृदा में जैविक पदार्थों की मात्रा पर निर्भर करती है|

ऑर्गेनिक खेती के प्रमुख घटक

पोषक तत्व प्रबंधन- ऑर्गेनिक या जैविक खेती में पोषक तत्व प्रबंधन के लिये फसल चक्र अपनाया जाना लाभकारी होता है| हरी खाद, नील हरीत शैवाल, एजौला, जैव-उर्वरक, बायोगैस स्लरी, वर्मीकम्पोस्ट, वर्मीवाश, नाडेप कम्पोस्ट इत्यादि का उपयोग कर पोषक तत्वों की पूर्ति की जाती है| ऑर्गेनिक या जैविक खादों में उपलब्ध पोषक तत्वों का स्तर, जैसे-

ऑर्गेनिक या जैविक खाद  नाइट्रोजन प्रतिशत फास्फोरस प्रतिशत पोटाश प्रतिशत 
गोबर की खाद 1.4 1.3 1.2
वर्मी कम्पोस्ट 1.9 1.6 1.4
नाडेप कम्पोस्ट 1.5 1.4 1.3
बायोगैस स्लरी 2.1 1.5 1.4
मुर्गी की खाद 2.45 2.1 4.2

ऑर्गेनिक खाद में फसलों के लिये आवश्यक 17 पोषक तत्वों की उपस्थिति रहती है| आर्गेनिक खाद का उपयोग करने से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश के साथ-साथ सल्फर, जिंक, लोह, तांबा, मैग्नीज, बोरॉन, मोलिब्डनम सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति भी फसलों के लिये होती है|

यह भी पढ़ें- जीवामृत बनाने की विधि, जानिए सामग्री, प्रयोग

जैव उर्वरक उपयोग एवं मात्रा-

जैव-उर्वरक  फसल  मिट्टी उपचार  बीज उपचार 
रायजोबियम सोयाबीन, अरहर, मटर, चना, मूंग फसलों के लिये अलग-अलग
रायजोबियम प्रजातियां
5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
एजोटोबैक्टर धान, गेहूं, गन्ना, ज्वार, मक्का, कपास, तिल, सब्जी वाली फसलें 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
एजोस्पाइरिलम मक्का, बाजरा, ज्वार, गन्ना एवं पुष्पीय पौधे 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
पी.एस.बी. सभी फसलों के लिए 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज

कीट एवं रोग प्रबंधन

1. कीट एवं रोग प्रतिरोधी या सहनशील किस्मों का चयन|

2. नीम, तम्बाकू , बेशरम, धतूरा, गौ-मूत्र, छाछ से निर्मित कीटनाशक तैयार कर फसलों में उपयोग|

3. 04 फेरोमेन टेप प्रति एकड़ की दर से उपयोग|

4. 10 टी आहार की खूटी प्रति एकड़ की दर से उपयोग|

5. नीम तेल का उपयोग|

यह भी पढ़ें- जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन, जानिए आधुनिक तकनीक

जैव कीटनाशी या फफूंदनाशी का उपयोग-

जैव कीटनाशी / फफूंदनाशी मात्रा  उपयोग 
बैसिलस थुरिंजिनिसिस 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ इल्लियों के प्रबंधन हेतु
ब्यूवेरिया बेसियाना 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ इल्लियों के प्रबंधन हेतु
न्यूक्लियो पालीहाइड्रोसिस विषाणु (एन.पी.वी.) 100 इल्ली की समतुल्य मात्रा के बराबर प्रति एकड़ इल्लियों के प्रबंधन हेतु
ट्रायकोडर्मा 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (मिट्टी उपचार) या 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज (बीज उपचार) फफूंद जनित बीमारियों के प्रबंधन हेतु

खरपतवार प्रबंधन

1. फसल चक्र अपनाना|

2. अंतरवर्ती फसल को बढ़ावा|

3. मल्चिंग का उपयोग|

4. अच्छी सड़ी गोबर की खाद का उपयोग|

5. हाथ से निदाई गुड़ाई करना|

6. निंदाई गुड़ाई हेतु हैण्ड हो एवं ट्वीन व्हील हो का उपयोग|

7. ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई|

यह भी पढ़ें- सब्जियों की जैविक खेती, जानिए प्रमुख घटक, कीटनाशक एवं लाभ

उपज पर प्रभाव

1. अनेक शोधो से यह ज्ञात हुआ है, कि सूखे की स्थिति में जैविक खेती से अधिक उपज प्राप्त होती है|

2. ऑर्गेनिक या जैविक खेती में शुरूआती वर्षों में उपज में कमी हो सकती है, किन्तु बाद में रसायनिक खेती के बराबर और उससे अधिक उपज प्राप्त होने लगती है|

प्रमाणीकरण क्यों कहा कैसे?

जैविक या ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग में तेजी से बढ़ोतरी हुई है| बाजार में जैविक उत्पाद की उचित कीमत प्राप्त करने के लिये इसका प्रमाणीकरण करना आवश्यक है| जैविक प्रमाणीकरण का कार्य भारत के अलग अलग राज्यों में जैविक प्रमाणीकरण संस्था द्वारा निर्धारित शुल्क देकर नियमों का परिचालन कर कोई भी किसान पंजीयन कर प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है| विकास खण्ड स्तर पर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यालय से उक्त प्रक्रिया की विस्तार पूर्वक जानकारी ली जा सकती है और बहुत से राज्यों में जैविक खेती के लिए अनुदान का भी प्रावधान है|

यह भी पढ़ें- ट्राइकोडर्मा विरिडी एवं ट्राइकोडर्मा हारजिएनम से रोग व कीट नियंत्रण

आर्गेनिक खेती के फायदे

1. पौधों द्वारा चाहे गये सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति|

2. पौधों की बढ़वार एवं पादप कार्य की गतिविधियों में सुधार करता है|

3. मिट्टी स्वास्थ्य बनी रहती है|

4. ऊर्जा की कम आवश्यकता होती है|

5. प्रदूषण का खतरा कम रहता है और अवशेषिक प्रभाव भी नहीं होता है, जिससे पशुओं तथा मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है|

6. उत्पादन लागत में कमी आती है|

7. प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग होता है|

8. जैविक या आर्गेनिक खेती द्वारा उत्पादित उत्पादों की कीमत अधिक मिलती है|

9. भूमि जल स्तर में वृद्धि होती है और भूमि की जलधारण क्षमता बढ़ती है|

10. आर्गेनिक खेती में फसलों की जल मांग सामान्य रहती है, इसलिए कम सिंचाई जल में अधिक उत्पादन प्राप्त होता है|

यह भी पढ़ें- धान की खेती में जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कैसे करें

यदि उपरोक्त जानकारी से हमारे प्रिय पाठक संतुष्ट है, तो लेख को अपने Social Media पर Like व Share जरुर करें और अन्य अच्छी जानकारियों के लिए आप हमारे साथ Social Media द्वारा Facebook Page को Like, Twitter व Google+ को Follow और YouTube Channel को Subscribe कर के जुड़ सकते है|

Reader Interactions

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Primary Sidebar

अपने विचार खोजें

दैनिक जाग्रति से जुड़ें

  • Facebook
  • Instagram
  • Twitter
  • YouTube

हाल के पोस्ट:-

अक्टूबर माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

पंडित रविशंकर कौन थे? रविशंकर का जीवन परिचय

कमलादेवी चट्टोपाध्याय कौन थी? कमलादेवी चट्टोपाध्याय की जीवनी

आचार्य विनोबा भावे पर निबंध | Essay on Vinoba Bhave

विनोबा भावे के अनमोल विचार | Quotes of Vinoba Bhave

विनोबा भावे कौन थे? विनोबा भावे का जीवन परिचय

इला भट्ट पर निबंध | इला भट्ट पर 10 लाइन | Essay on Ela Bhatt

ब्लॉग टॉपिक

  • अनमोल विचार
  • करियर
  • खेती-बाड़ी
  • गेस्ट पोस्ट
  • जीवनी
  • जैविक खेती
  • धर्म-पर्व
  • निबंध
  • पशुपालन
  • पैसा कैसे कमाए
  • बागवानी
  • सब्जियों की खेती
  • सरकारी योजनाएं
  • स्वास्थ्य

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us