एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (ONORC) योजना केंद्र सरकार की एक पहल है जो पात्र लाभार्थियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत किसी भी उचित मूल्य की दुकान (FPS) से खाद्यान्न प्राप्त करने की अनुमति देती है, जिसे देश भर में राशन की दुकानों के रूप में भी जाना जाता है| यह योजना नए स्थान के लिए नया राशन कार्ड प्राप्त करने की आवश्यकता को समाप्त करती है|
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत लाभार्थियों, विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों को देश भर में किसी भी उचित मूल्य की दुकान (FPS) से राशन मिले|
लक्षित सुधार के अन्य उद्देश्य लाभार्थियों को बेहतर लक्षित करना, फर्जी/डुप्लिकेट/अपात्र राशन कार्डों को समाप्त करना और इस प्रकार कल्याण को बढ़ाना और रिसाव को कम करना था| इसके लिए, सुधार की शर्तों में सभी राशन कार्डों की आधार सीडिंग, लाभार्थियों के बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और राज्य में सभी उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) के स्वचालन को निर्धारित किया गया है|
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एक राष्ट्र एक-राशन कार्ड योजना क्या है?
1. इस योजना के तहत सार्वजानिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत आने वाले लाभार्थी (विशेषकर प्रवासी) देश के किसी भी भाग में, खाद्यान्न प्राप्त करने में सक्षम हो पाएंगे|
2. इसके माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का ही फायदा लिया जा सकेगा| यदि कोई राज्य अपने स्तर पर अपने नागरिकों के लिये किसी प्रकार की खाद्य सुरक्षा योजना चला रहा है तो अन्य राज्य के नागरिक इसका फायदा
नहीं ले पाएंगे|
3. वर्तमान में आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा ऐसे 10 राज्य हैं, जहाँ खाद्यान्न वितरण का 100 प्रतिशत कार्य POS मशीनों के ज़रिये हो रहा है|
4. इन राज्यों में सार्वजनिक वितरण की सभी दुकानों को इंटरनेट से जोड़ा जा चुका है तथा यहाँ लाभार्थी सार्वजनिक वितरण की किसी भी दुकान से अनाज प्राप्त कर सकते हैं|
ओएनओआरसी के तहत पात्र लाभार्थी कौन हैं?
एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली के तहत लाभार्थी राशन कार्डधारक हैं जो उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं, जैसे-
1. राशन कार्डधारक 5 किलो चावल 3 रुपये प्रति किलो, गेहूं 2 रुपये किलो और मोटा अनाज 1 रुपये किलो प्रति माह खरीद सकते हैं, जैसा कि 2013 में पारित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अनिवार्य है|
2. पिछली प्रक्रिया के तहत, प्रवासियों को अपने नए स्थानों पर नए राशन कार्ड के लिए आवेदन करना पड़ता था, यदि वे रियायती खाद्यान्न खरीदना चाहते थे, क्योंकि कार्ड उनके निवास स्थान से जुड़े होते हैं|
3. हालाँकि, नई प्रणाली बड़ी प्रवासी आबादी को देश भर में कहीं भी लाभ प्राप्त करने में मदद करती है|
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एक राष्ट्र एक-राशन कार्ड की विशेषताएं
1. गरीब प्रवासी मज़दूर इस योजना के अंतर्गत देश के किसी भी उचित मूल्य की दुकान (FPS) से राशन प्राप्त कर सकते हैं| हालाँकि इसके लिये राशन कार्ड का आधार से लिंक होना आवश्यक है|
2. प्रवासी सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी प्राप्त करने के योग्य होंगे, इसमें 3 रुपए प्रति किलोग्राम चावल तथा 2 रुपए प्रति किलोग्राम गेंहूँ शामिल है|
3. इस स्कीम को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी गरीब व्यक्ति सब्सिडी आधारित खाद्यों से वंचित न रहे|
4. यह स्कीम 77 प्रतिशत राशन की दुकानों (FPS) में क्रियान्वित की जा सकती है, जहाँ पहले से ही POS मशीन (Point of Shale) उपलब्ध है, साथ ही यह स्कीम उन 85 प्रतिशत लाभार्थियों को भी कवर करेगी जो NFSA के अंतर्गत
आते हैं एवं उनके राशन कार्ड आधार से लिंक हैं|
5. शेष लाभार्थियों के मामले में सभी राज्यों को राशन की दुकानों में POS मशीनों का उपयोग करने और योजना को लागू करने हेतु एक वर्ष का अतिरिक्त समय दिया गया है|
ओएनओआरसी योजना का महत्त्व
1. इस योजना के माध्यम से देश के सभी नागरिकों को एक कार्ड से पूरे देश में कहीं भी राशन उपलब्ध हो सकेगा तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत सभी लोगों को अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी|
2. इस योजना से गरीब, मज़दूर और ऐसे लोग लाभान्वित होंगे जो जीविका, रोज़गार या किसी अन्य कारण से एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास करते हैं|
3. इसका उद्देश्य विभिन्न राज्यों से लाभ उठाने के लिये एक से अधिक राशन कार्ड रखने वालों पर रोक लगाना है|
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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)
1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश एक ऐतिहासिक पहल है जिसके ज़रिये जनता को पोषक खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है| खाद्य सुरक्षा विधेयक का खास ज़ोर गरीब-से-गरीब व्यक्ति, महिलाओं और बच्चों की ज़रूरतें पूरी करने पर है|
2. इस विधेयक में शिकायत निवारण तंत्र की भी व्यवस्था है| अगर कोई जनसेवक या अधिकृत व्यक्ति इसका अनुपालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ शिकायत कर सुनवाई का प्रवधान किया गया है|
3. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत गरीबों को 2 रुपए प्रति किलोग्राम गेहूँ और 3 रुपए प्रति किलोग्राम चावल देने की व्यवस्था है| इस कानून के तहत व्यवस्था की गई है कि लाभार्थियों को उनके लिये निर्धारित खाद्यान्न हर हाल में मिले, इसके लिये खाद्यान्न की आपूर्ति न होने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा भत्ते के भुगतान के नियम को जनवरी 2015 में लागू किया गया|
4. समाज के अति निर्धन वर्ग के हर परिवार को हर महीने अंत्योदय अन्न योजना में इस कानून के तहत सब्सिडी दरों पर यानी तीन रुपए, दो रुपए, एक रुपए प्रति किलोग्राम क्रमशः चावल, गेहूँ और मोटा अनाज मिल रहा है|
5. पूरे देश में यह कानून लागू होने के बाद 81.34 करोड़ लोगों को 2 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से गेहूँ और 3 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से चावल दिया जा रहा है|
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ओएनओआरसी के तहत प्रवासियों को लाभ
1. एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली प्रवासियों के प्रति उत्तरदायित्व से संबंधित है| लाभार्थियों की पहचान करने के कार्य में भारी लागत आती है और इसमें समावेशन तथा अपवर्जन की कई त्रुटियाँ मौजूद रहती है| यदि कोई प्रवासी परिवार अपना निवास स्थान बदलता है तो पुनः पात्र बनने के लिये उसे अत्यधिक बाधाओं का सामना करना पड़ता| चूँकि एक प्रवासी के रूप में उसकी सौदेबाजी की शक्ति कम होती है, इसीलिये प्रवासी परिवारों के लिये मुश्किलें सामान्यतः अत्यधिक होती हैं| एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली फर्जी राशन कार्ड की समस्या और पात्रता संबंधी सर्वेक्षण लागत में वृद्धि को समाप्त कर उन्हें लाभान्वित करेगी|
2. चूँकि भारत में आंशिक प्रवासन एक सामान्य परिदृश्य बन चुका है, यदि एक राष्ट्र एक राशन कार्ड के तहत प्रत्येक सदस्य के हिस्से का राशन किसी भी स्थान से प्राप्त करने का प्रावधान कर दिया जाए तो यह परिवारों को और अधिक लाभ पहुँचा सकता है| इससे प्रवासी सदस्य अन्यत्र भी अनाज ग्रहण कर सकेंगे, जबकि उनका परिवार अपने ग्राम में अपने हिस्से का राशन प्राप्त कर सकता है|
3. एक राष्ट्र एक राशन कार्ड लाभार्थियों को अपने पसंद के डीलर को चुनने का अवसर देगा| यदि कोई डीलर बुरा व्यवहार करता है या राशन के आवंटन में गड़बड़ी करता है तो लाभार्थी तुरंत किसी अन्य FPS की सेवा ले सकता है|
4. अध्ययन से प्रतीत होता है कि स्थानीय जातिगत भेदभाव और सामाजिक संबंधों की जटिलता सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक पहुँच में प्रमुख निर्धारक कारक होते हैं| सार्वभौमिक अधिकार के बावजूद राशन कार्ड के ऊपर नियंत्रण महिलाओं, निम्न जातियों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के विरुद्ध भेदभाव का एक मज़बूत साधन बन जाता है|
5. इसके अतिरिक्त कमजोर समूहों के लिये सेवाओं की गुणवत्ता स्पष्ट रूप से निम्न प्रकृति की होती है जहाँ सूचना की कमी, खराब अनाज एवं मिलावट, लंबी प्रतीक्षा अवधि आदि के रूप में भेदभाव के विभिन्न तरीके अपनाए जाते हैं| इसके साथ ही इन परिवारों के अधिकारों का हनन किया जाता है जैसे उन्हें निर्धारित मात्रा व गुणवत्ता का अनाज न मिलना या अधिक मूल्य चुकाना आदि|
6. सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रतिस्पर्धा के माध्यम से सुधार लाने की आवश्यकता है| “एक राष्ट्र एक राशन कार्ड” योजना सौदेबाजी की शक्ति को डीलर से लाभार्थी की ओर मोड़ सकती है| ओएनओआरसी लाभार्थियों को उन PDS दुकानों को चुनने का अवसर देगा जो बेहतर सेवा सुनिश्चित करते हैं|
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ओएनओआरसी के तहत चुनौतियाँ
‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ से प्रमुख रूप से आशिंक प्रवासियों को लाभ होगा, इसमें मुख्य रूप से वर्ष की विशेष अवधि (मौसमी प्रवास) में होने वाला प्रवास शामिल है| ओएनओआरसी राशन तक लोगों की पहुँच तथा प्राप्ति को सुगम बनाएगा| किंतु इस योजना को लागू करने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं जिन्हें संबोधित करना आवश्यक है, जैसे-
1. सबसे बड़ी समस्या ऐसे गरीब परिवारों के डेटा से संबंधित है, जो अंतःराज्यीय एवं अंतर-राज्यीय प्रवास करते हैं|
2. विभिन्न राज्यों में सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये उस राज्य का निवासी होना एक पूर्व शर्त होती है| यदि इस योजना को लागू करना है तो उपर्युक्त नीति में संशोधन की आवश्यकता होगी| राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) खाद्य सुरक्षा को पोषण सुरक्षा के रूप में परिभाषित करता है| इसलिये, गरीब प्रवासी परिवारों के लिये एकीकृत बाल विकास सेवाओं, मिड-डे मील, टीकाकरण, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सुविधाओं को उपेक्षित नहीं किया जा सकता है, अनाज की उपलब्धता के साथ ही गरीब प्रवासियों को उपर्युक्त सेवाएँ भी उपलब्ध कराना आवश्यक है|
3. एक राष्ट्र एक राशन कार्ड आधार कार्ड तथा राशन कार्ड के डिजिटलीकरण पर आधारित है| इसमें एक समस्या है कि यदि कोई व्यक्ति अकेले अथवा कुछ सदस्यों के बिना प्रवास करता है तो हो सकता है कि वे इस स्कीम का लाभ प्राप्त करने में सक्षम न हों| ध्यातव्य है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) में इस प्रकार का प्रावधान किया गया है कि आंशिक प्रवासी परिवारों (परिवार के कुछ सदस्य प्रवासी) को भी लाभ प्राप्त हो सके| सरकार RSBY योजना के उपर्युक्त प्रावधान को
PDS में भी लागू करने पर विचार कर सकती है|
4. कामगार प्रवासियों को सुगम खाद्य आपूर्ति में आधार तथा बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण भी एक बाधा उत्पन्न कर सकती है|
ओएनओआरसी आगे की राह
1. खाद्यानों की खरीद के समय से लेकर इसके वितरण तक पारदर्शिता को बनाए रखने एवं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर फोकस किया जाना चाहिये|
2. यह आवश्यक है कि FCI और राज्यों के बीच ऑनलाइन सूचना का निर्बाध प्रवाह हो और इसलिये उन्हें समेकित किये जाने की आवश्यकता है जिससे कि पूरे देश में खरीद एवं वितरण की सटीक सूचना उपलब्ध हो|
3. ऐसी सभी गुणात्मक एवं मात्रात्मक सूचना के संग्रहण के लिये एक प्रणाली बनाई जानी चाहिये, जिसे ‘अन्न वितरण’ पोर्टल एवं विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए डैश बोर्डों के ज़रिये एक्सेस किया जा सकें|
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ओएनओआरसी के लिए सुझाव
1. निश्चय ही राज्य हस्तांतरण के माध्यम से खाद्य तक पहुँच के लिये शक्ति संबंध में बदलाव और संरचनात्मक विशेषताओं में परिवर्तन की आवश्यकता होगी, जिनमें असमान सामाजिक संबंधों को चुनौती देना, उन पर पुनर्विचार करना और उन्हें रूपांतरित करना शामिल है|
2. इसके साथ ही उबर/ओला जैसी प्रणालियों के अनुभवों के आधार पर PDS को एक रेटिंग प्रणाली से संयुक्त किया जा सकता है जहाँ निगरानी और नियंत्रण के माध्यम से सरकार इसे बेहतर बना सकती है| बेहतर प्रदर्शन करने वाले डीलरों को पुरस्कृत किया जा सकता है| लेकिन इस प्रणाली की सफलता के लिये आवश्यक है कि एप-आधारित कैब की तरह ही एक एकीकृत संरचना मौजूद हो|
3. एक राष्ट्र एक राशन कार्ड के साथ ही डिजिटलीकरण का विस्तार प्रणाली को और अधिक लाभप्रद और स्व-संशोधनकारी बनाएगा|
4. ‘एक देश-एक राशन कार्ड’ में परिणामों में सुधार लाने की क्षमता है, विशेष रूप से वंचित समूहों के लिये, साथ ही किसी भी वितरण तंत्र की तरह प्रणाली के कार्यान्वयन के लिये संपूर्ण मूल्य श्रृंखला पर गहन निगरानी रखने और इसे अवसंरचनात्मक समर्थन देने की आवश्यकता है|
5. PDS दुकानों पर पॉइंट ऑफ सेल (PoS) प्रणाली की उपलब्धता और इसके कार्यकरण को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि लाभार्थियों के हक से कोई समझौता न हो|
पॉइंट ऑफ सेल
1. पॉइंट ऑफ सेल/बिक्री का एक बिंदु (POS) वह स्थान होता है, जहाँ ग्राहक द्वारा वस्तुओं या सेवाओं हेतु भुगतान किया जाता है| यहाँ पर बिक्री कर भी देय हो सकता है|
2. यह कोई बाह्य स्टोर हो सकता है जहाँ पर भुगतान के लिये कार्ड पेमेंट या वर्चुअल सेल्स पॉइंट, जैसे- कंप्यूटर या मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग किया जाता है|
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डिपो ऑनलाइन सिस्टम (DOS)
1. FCI के संचालन के प्रबंधन हेतु डिपो/गोदाम हैं जिनमें अनाजों का भंडारण किया जाता है|
2. डिपो ऑनलाइन प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भारत में खाद्य वितरण आपूर्ति श्रृंखला को ‘डिजिटल इंडिया’ की दृष्टि से संरेखित करना है|
निष्कर्ष
भारत को आज़ादी की विरासत में कई चुनौतियाँ प्राप्त हुई थीं, इनमें से एक प्रमुख समस्या भूखी एवं गरीब आबादी को भोजन उपलब्ध कराने की थी| इसको ध्यान में रखकर 60 के दशक में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को लागू किया गया ताकि सस्ते दामों पर लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सके| इस क्षेत्र में विभिन्न बदलावों की कड़ी के रूप में वर्ष 1997 में लक्षित PDS (Targeted-PDS) कार्यक्रम को लॉन्च किया गया|
लेकिन इतने वर्षों में विकास एवं अन्य कारकों ने देश में प्रवास की गति को तीव्र किया है, साथ ही यह प्रवास मुख्य रूप से गरीबों द्वारा काम की तलाश में किया जाता रहा है जिसके ऐसे परिवारों एवं लोगों के लिये खाद्य सुरक्षा की समस्या उत्पन्न हो गई|
इस समस्या को दूर करने के लिये सरकार ने ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना को क्रियान्वित करने की नीति को सार्वजनिक किया है| हालाँकि इस कार्यक्रम में कुछ चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है| यदि इस कार्यक्रम को कुशल रणनीति से लागू किया जाता है तो निश्चय ही यह समाज के सबसे गरीब एवं हाशिये पर स्थित वर्ग के पोषण स्तर को सुधारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा|
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