• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Blog
  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post
Home » Blog » जून में बागवानी कृषि कार्य | जून में पुष्पीय पौधों की बागवानी

जून में बागवानी कृषि कार्य | जून में पुष्पीय पौधों की बागवानी

June 4, 2024 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

जून में बागवानी कृषि कार्य | जून में पुष्पीय पौधों की बागवानी

Horticulture Agricultural Work in June: जून माह निश्चित रूप से आपके बगीचे में गर्म मौसम वाले वार्षिक पौधे लगाने का महीना है। रातें लगातार गर्म हो रही हैं, दिन लंबे और धूप वाले हैं और तापमान बढ़ रहा है। गर्म मौसम वाले वार्षिक पौधों की अभी सभी आकारों में प्रचुर आपूर्ति होनी चाहिए। इससे पहले कि बहुत बारिश हो, अभी उन्हें रोपित कर लें। अप्रेल या मई की तुलना में अब वे थोड़ी आसानी से स्थापित हो जाएंगे और सिंचाई भी थोड़ी आसान हो जाएगी।

लेकिन उत्तर में, मौसम यह तय नहीं कर पाता है कि यह कैसा रहेगा अर्थात अभी भी कुछ गर्मी बाकी हैं। लेकिन अच्छे मौसम के दिनों के लिए कार्यों की सूची तैयार रखना सबसे अच्छा है। ऐसा करने से भले ही कुछ दिनों में बाहर कितना भी कच्चा महसूस हो, आपके पौधे और पेड़ आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहे होंगे। इस लेख में निचे जून माह में बागों में निपटाए जाने वाले कार्यों की एक सूची दी गई है, ताकि आप अपने बागवानी से अच्छा लाभ उठा सकें।

जून माह में बागवानी कृषि कार्य (Horticulture Agricultural Work in June)

1. आंवला का पौधा काफी कठोर होता है, अत: सामान्य मृदा, जिसका पी-एच मान 9 तक हो उनमें भी आंवला की खेती की जा सकती है। ऊसर मृदा में जून में 8-10 मीटर की दूरी पर 1.0-1.25 मीटर के गड्ढे खोद लेने चाहिए। बरसात के मौसम में इन गड्ढों में पानी भर देना चाहिए। एकत्रित पानी को निकाल कर फेंक देना चाहिए। प्रत्येक गड्ढे में 50-60 किग्रा सड़ी हुयी गोबर की खाद, 15-20 किग्रा बालू, 8-10 किग्रा जिप्सम और आर्गेनिक खाद का मिश्रण लगभग 5 किग्रा भर देना चाहिए।

भराई के 15-25 दिनों बाद अभिक्रिया समाप्त होने पर ही पौधे का रोपण करना चाहिए। सामान्य मृदा में प्रत्येक गड्ढे में 40-50 किग्रा सड़ी गोबर की खाद और 2 किग्रा नीम की सड़ी खाद का मिश्रण तथा ऊपर वाली मिट्टी मिलाकर भर देना चाहिए। गड्ढे जमीन के तह से 15-20 सेंमी उंचाई तक तक भर दें। और अधिक पढ़ें- आंवला की खेती

2. आम के पौधों को 10X10 मीटर की दूरी पर लगायें। सघन बागवानी में इसे 2.5 से 4 मीटर की दूरी पर लगायें। पौधा लगाने के पूर्व खेत में रेखांकन कर पौधों का स्थान सुनिश्चित कर लें। पौधे लगाने के लिये 1X1X1 मीटर आकार का गड्ढा खोदें। वर्षा प्रारंभ होने के पूर्व, जून में 20-30 किग्रा सड़ी गोबर की खाद, 2 किग्रा नीम की खली, 1 किग्रा हड्डी का चूरा अथवा सिंगल सुपर फॉस्फेट और 100 ग्राम मिथाइल पैरामिथियॉन की डस्ट (10 प्रतिशत) या 20 ग्राम थीमेट 10- जी को खेत की ऊपरी सतह की मृदा के साथ मिला कर गड्ढों को अच्छी तरह भर दें।

दो-तीन बार बारिश होने के बाद जब मृदा दब जाये तब चिन्हित स्थान पर खुरपी की सहायता से पौधे की पिंडी के आकार की जगह बनाकर पौधा लगायें। पौधा लगाने के बाद आस-पास की मृदा को अच्छी तरह दबाकर एक थाला बना दें एवं हल्की सिंचाई करें। और अधिक पढ़ें- आम की खेती

3. अमरूद के अच्छे उत्पादन के लिये उपजाऊ बलुई दोमट मृदा अच्छी पाई गई है। इसके उत्पादन हेतु 6-7.5 पी-एच मान की मृदा उपयुक्त होती है, किन्तु 7.5 से अधिक पी-एच मान की मृदा में उकठा रोग के प्रकोप की आशंका होती है। यह सूखे को भलीभांति सहन कर लेता है। तापमान के अधिक उतार-चढ़ाव, गर्म हवा, कम वर्षा, जलाक्रान्ति का फलोत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव कम पड़ता है।

अमरूद की उगाई जाने वाली उन्नत किस्में इलाहाबाद सफेदा, हिसार सफेदा, लखनऊ- 49, चित्तीदार, ग्वालियर- 27, एपिल – गुवावा एवं धारीदार प्रमुख हैं। कोहीर, सफेदा और सफेद जाम नामक संकर प्रजातियां भी उपयोग में लाई जा सकती हैं। और अधिक पढ़ें- अमरूद की खेती

4. पपीता की अच्छी खेती गर्म नमीयुक्त जलवायु में की जा सकती है। इसे अधिकतम 38-44 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होने पर उगाया जा सकता है। जमीन उपजाऊ हो तथा जिसमें जल निकास अच्छा हो, तो पपीते की खेती उत्तम होती है। पपीता के नये बागों के रोपण हेतु रेखांकन करने के उपरान्त गड्ढों की खुदाई करें। पपीता के पौधों के रोपण के लिए 2.1-5 मीटर की दूरी पर 75 सेंमी लम्बे, चौड़े व गहरे गड्ढे बनायें।

प्रत्येक गड्ढे में 30-40 किग्रा सड़ी गोबर की खाद और एक किग्रा नीम की फली गड्ढे से निकाली गयी ऊपर की मृदा में मिलाकर गड्ढे को जमीन से 20 सेंमी की ऊंचाई तक भर दें। एक हैक्टर के लिए 500 ग्राम से एक किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। और अधिक पढ़ें- पपीता की खेती

5. नीबू के एक वर्ष के पौधे में 25 ग्राम नाइट्रोजन व 25 ग्राम पोटाश की मात्रा को प्रतिवर्ष इस अनुपात में बढ़ाते रहें, जो क्रमश: 10 वर्ष में बढ़कर या उससे अधिक आयु के पौधों के लिए 250 ग्राम नाइट्रोजन और पोटाश हो जायेगी, का प्रयोग जून माह या फल लगने के दो माह बाद करें। और अधिक पढ़ें- नींबू की खेती

6. केले की रोपाई का जून माह उपयुक्त समय है। रोपण हेतु 3 माह पुरानी तलवारनुमा स्वस्थ व रोगमुक्त पत्ती यानी पौधे का रोपण करें। रोपण से पूर्व सभी पत्तियों को 1.0 ग्राम बाविस्टीन प्रति लीटर पानी में घोलकर उपचारित कर लें। रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई कर दें। और अधिक पढ़ें- केले की खेती

7. लीची एक महत्वपूर्ण स्वादिष्ट फल है और इसमें गुटी (लेयरिंग) द्वारा प्रवर्धन किया जाता है। गुटी द्वारा प्रवर्धन का सर्वोत्तम समय जून के दूसरे पखवाड़े से प्रारम्भ करें। जून माह में बांधी गयी गुटी से सर्वाधिक सफलता मिलती है। और अधिक पढ़ें- लीची की खेती

8. जून माह में अंगूर को जल्दी तैयार करने व मिठास बढ़ाने के लिए 50 मिमी इथिफान और 100 ग्राम बोरैक्स को 100 लीटर पानी में घोलकर पकने के 15 दिनों पहले पौधों पर छिड़काव करने के बाद सिंचाई न करें। और अधिक पढ़ें- अंगूर की खेती

9. बेर के एक वर्ष के पौधे में 5.0 किग्रा सड़ी गोबर की खाद, 50 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फॉस्फोरस व 25 ग्राम पोटाश तथा यह मात्रा इसी अनुपात में आठ वर्ष तक बढ़ाते रहें। इसके बाद उससे अधिक आयु के पौधों के लिए 40 किग्रा गोबर की सड़ी खाद, 400 ग्राम नाइट्रोजन, 400 ग्राम फॉस्फोरस व 2500 ग्राम पोटाश प्रति पौधे की दर से प्रयोग करें। जून माह में बेर में कटाई एवं छंटाई का कार्य समय से सम्पन्न करें। और अधिक पढ़ें- बेर की खेती

पुष्प और सुगंध वाले पौधे में कृषि कार्य (Agricultural Work in Flowering and Aromatic Plants)

1. फूलों में गुलदावदी की कटिंग तैयार करे। जून माह में गेंदा, देसी गुलाब, ग्लोडियोलस तथा रजनीगंधा में निराई-गुड़ाई तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई का ध्यान रखें। और अधिक पढ़ें- गुलदाउदी की खेती

2. बेहतर फूलों की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जिब्रेलिक एसिड (जीए- 3) 50 मिग्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

3. जून माह में लिली तथा बेला में आवश्यकतानुसार सिंचाई तथा निराई-गुड़ाई का ध्यान रखें।

अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो कृपया वीडियो ट्यूटोरियल के लिए हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें। आप हमारे साथ Twitter और Facebook के द्वारा भी जुड़ सकते हैं। प्रिय पाठक अपने सुझाव निचे Comment बॉक्स में लिख सकते है।

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

“दैनिक जाग्रति” से जुड़े

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

करियर से संबंधित पोस्ट

आईआईआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कट ऑफ, प्लेसमेंट

एनआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कटऑफ, प्लेसमेंट

एनआईडी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, फीस, कट ऑफ, प्लेसमेंट

निफ्ट: योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, कोर्स, अवधि, फीस और करियर

निफ्ट प्रवेश: पात्रता, आवेदन, सिलेबस, कट-ऑफ और परिणाम

खेती-बाड़ी से संबंधित पोस्ट

June Mahine के कृषि कार्य: जानिए देखभाल और बेहतर पैदावार

मई माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

अप्रैल माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

मार्च माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

फरवरी माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

स्वास्थ्य से संबंधित पोस्ट

हकलाना: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

एलर्जी अस्थमा: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान, इलाज

न्यूमुलर डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, डाइट, निदान और इलाज

पेरिओरल डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, निदान और इलाज

सरकारी योजनाओं से संबंधित पोस्ट

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार: प्रशिक्षण, लक्षित समूह, कार्यक्रम, विशेषताएं

राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: लाभार्थी, योजना घटक, युवा वाहिनी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार: उद्देश्य, प्रशिक्षण, विशेषताएं, परियोजनाएं

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना | प्रधानमंत्री सौभाग्य स्कीम

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, पेंशन, देय और ऋण

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap