हमारे देश में सरसों समूह की उगाई जाने वाली फसलें राया-सरसों, पीली सरसों, भूरी सरसों, गोभी सरसों और तारामीरा आदि प्रमुख है| भारत मे सरसों समूह फसलों की उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख कारक है, जैसे- अच्छे से खेत की तैयारी न करना, क्षेत्र विशेष की उपयुक्त किस्मों का चयन नहीं करना, असंतुलित [Read More] …
Agriculture
नैक्ट्रिन की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, पोषक तत्व, देखभाल, पैदावार
नैक्ट्रिन (Nectarine) विदेशी प्रजाति का एक फल है| सेब सा दिखने वाला स्वाद में आडू व प्लम जैसा एक लाजवाब फल है| शीतोष्ण तथा समशीतोष्ण कटिबंधीय फलों में नैक्ट्रिन का महत्वपूर्ण स्थान है| नैक्ट्रिन आडू एवं प्लम की प्रजाति से तैयार एक फल है, यह आडू के ही समूह का फल है और इसके अधिकतर [Read More] …
रामदाना की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, पोषक तत्व, देखभाल, पैदावार
हमारे देश में रामदाना (Ramdana) को विभिन्न नामों जैसे- राजगीरा, चुआ, चौलाई, मारछा से जाना जाता है| यह एक बहुउद्देश्यी धान्य स्वरूप फसल है, इसकी खेती बीज, हरे एवं सूखे चारे, प्रारम्भिक में सब्जी व सजावट के लिए की जाती है| इसकी खेती मुख्यतया उत्तर पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में होती रही है| परन्तु अब देश [Read More] …
ईसबगोल की खेती: किस्में, बुवाई, खाद, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
ईसबगोल (Isabgol) एक महत्वपूर्ण नगदी फसल है, जो शुष्क क्षेत्रों में किसानों के लिये अल्प समय में आय का स्त्रोत् बन रहा है| इसबगोल की फसल की कटाई करते समय इसकी पत्तियाँ हरी रहती है| जो कि पशुओं के हरे चारे के रूप में काम आती है| इसके बीज के ऊपर पाया जाने वाला पतला [Read More] …
तारामीरा की खेती: किस्में, बुवाई, खाद, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
तारामीरा (Taramira) फसलों के समूह में तोरिया, भूरी सरसों, पीली सरसों तथा राया आते है| सभी क्षेत्रों में खेती की जाने वाली इस तारामीरा को उपजाऊ एवं अनुपयोगी भूमि में उगया जा सकता है| इसमें तेल की मात्रा लगभग 35 से 37 प्रतिशत पायी जाती है| इसको सिमित सिंचाई व बरानी दोनों क्षेत्रों में उगााया [Read More] …
रामतिल की खेती: किस्में, बुवाई, खाद, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
रामतिल (Ramtil) प्रमुख तिलहनी फसल है| भारतवर्ष में इसको सरगुजा और जगनी के नाम से भी जाना जाता है| इसके तेल को खाने के अलावा दवाई के रूप में भी प्रयोग किया जाता है| किसान इसकी खेती अधिकतर कम उपजाऊ जमीन में करते हैं| इसलिए इसकी उत्पादकता काफी कम हो जाती है| यह फसल जनजातीय [Read More] …
कुसुम की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, पोषक तत्व, देखभाल, पैदावार
कुसुम (Safflower) एक औषधीय गुणों वाली तिलहनी फसल है| भारत विश्व में कुसुम का मुख्य उत्पादक देश है| इसके दानों में 30 से 32 प्रतिशत तेल पाया जाता है| यह तेल उच्च रक्तचाप तथा हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है| अन्य खाद्य तेलों की अपेक्षा कुसुम तेल में असंतृप्त वसीय अम्ल की मात्रा अधिक होती [Read More] …
खरीफ तिलहनी फसलों की पैदावार कैसे बढ़ाएं; आधुनिक तकनीक
खाद्य तेलों की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सरकार रबी एवं खरीफ तिलहन (Kharif oilseeds) फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर विशेष जोर दे रही है| ताकि खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों, भुखमरी व कुपोषण जैसी विश्वव्यापी समस्याओं पर काबू पाया जा सके| तिलहन उत्पादन करने वाले मुख्य राज्यों जैसे- मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र [Read More] …
तिलहनी फसलों में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें; अधिक उत्पादन हेतु
तिलहनी फसलों (Oilseed crops) में खरपतवार रोकथाम आवश्यक है, क्योंकि भारत में उगाई जाने वाली फसलों में तिलहनी फसलों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है| तिलहनी फसलें खाद्य तेल के प्रमुख स्त्रोत हैं| तिलहनी फसलों में प्रमुख रूप से मूंगफली, सोयाबीन, तिल, रामतिल एवं अरण्डी की खेती खरीफ मौसम में सरसों, तोरिया, कुसुम एवं अलसी [Read More] …
राई-सरसों में खरपतवार प्रबंधन कैसे करें; जाने अधिक उत्पादन हेतु
हमारे देश में उगाई जाने वाली तिलहनी फसलों में राई-सरसों का मूंगफली के बाद दूसरा स्थान है| अगर हम इस फसल का पोषक तत्वों चुराते खरपतवारों पर नियंत्रण पा ले तो इसकी पैदावार और भी बढ़ाई जा सकती है| इस समय कुल खाद्य तेल उत्पादन का लगभग एक तिहाई तेल राई-सरसों द्वारा प्राप्त होता है| [Read More] …