• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Blog
  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post
Home » Blog » प्याज की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार

प्याज की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार

December 22, 2017 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

प्याज की खेती

प्याज (Onion) दैनिक जीवन में रोजमर्रा की चीज है| प्याज की खेती आमतौर पर मैदानी व मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में रबी के समय की जाती है| जबकि कई क्षेत्रों में खरीफ में भी इसकी खेती की जाती है| यह एक महत्वपूर्ण व्यवसायिक फसल है| भारत के प्याज की मांग विदेशों में भी अच्छी है| इसलिए हमारा देश प्याज का प्रमुख निर्यातक देश है| इसका महत्व आहार के रूप में तो आप जानते ही है|

लेकिन प्याज का औषधियों के रूप में भी महत्वपूर्ण स्थान है, जैसे- पीलिया, कब्ज, बवासीर और यकृत सम्बंधी रोगों में बहुत लाभकारी पाया गया है| भारत का प्याज गुणवता में अच्छा तो है, लेकिन फसल क्षेत्रफल की दृष्टी से इसकी पैदावार अच्छी नही है| किसान भाई कुछ महत्वपूर्ण कृषि क्रियाओं को ध्यान में रखकर और उनकों उपयोग में लाकर प्याज की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है|

क्योकि अच्छी पैदावार के लिए खेती की उन्नत तकनीकी और उन्नत किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है| इस लेख में प्याज की उन्नत खेती कैसे करें, जिससे की किसानों को अधिकतम उत्पादन प्राप्त हो का उल्लेख किया गया है| यदि आप प्याज की जैविक खेती की पूरी जानकारी चाहते है तो यहां पढ़ें- प्याज की जैविक खेती: किस्में देखभाल और पैदावार

प्याज की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

प्याज सूर्य के प्रकाश व तापमान के प्रति बहुत संवेदनशील है| यह मुख्यतः एक शीतकालीन फसल है| आमतौर पर इसकी अच्छी बढ़वार के लिए आरम्भ 10 से 15 डिग्री सेल्सियस और कंदों के विकास के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तथा कंद निकालते समय 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान व 10 से 12 घंटे सूर्यप्रकाश की आवश्यकता होती है| प्याज की खेती के प्रतिकूल जलवायु न मिलने पर उपज पर भारी प्रभाव पड़ता है|

प्याज की खेती के लिए उपयुक्त भूमि

प्याज की खेती हर प्रकार की भूमि में की जा सकती है| प्याज की अधिकतम उपज के लिए जीवांशयुक्त उचित जल निकास वाली बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है| अधिक अम्बलीय और क्षारीय भूमि में कन्द का विकाश अच्छे से नही होता है| इस प्रकार की मिट्टी में कंदों का विकास ठीक से नहीं होता है| इसके लिए मिट्टी का पी एच मान 6.5 से 7.5 होना चाहिए|

यह भी पढ़ें- प्याज के बीज उत्पादन की उन्नत तकनीक

प्याज की खेती के लिए भूमि की तैयारी

प्याज की अच्छी पैदावार के लिए खेत की चार से पांच बार अच्छी जुताई करनी चाहिए| प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लागाकर मिट्टी को भूरभूरी बना लेनी चाहिए| भूमि की सतह से 15 सेंटीमीटर की उंचाई पर 1.2 मीटर चौड़ी पट्टी पर रोपाई की जानी चाहिए| इसके लिए खेत को रेज्ड-बेड सिस्टम से भी तैयार किया जा सकता है|

प्याज की खेती के लिए खाद और उर्वरक

प्याज के अधिक उत्पादन के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद को 20 से 30 दिन रोपाई से पहले देकर मिटटी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए| खेत की तैयारी करते समय, अंतिम जुताई के समय खेत में फासफोरस और पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन का तीसरा भाग देना चाहिए, बचे हुये नाइट्रोजन को दो भाग में पहला भाग रोपाई से 20 से 25 दिन बाद उपरिवेशन के रूप में देना चाहिए, दूसरा भाग 50 से 60 दिन बाद या कंद बनने से पहले देना चाहिए| खाद और उर्वरकों की मात्रा इस प्रकार रखते है, जैसे-

सड़ी हुई गोबर की खाद- 300 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

नाइट्रोजन- 100 से 120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

फासफोरस- 50 से 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

पोटाश- 60 से 70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

प्याज की खेती के लिए उन्नत किस्में

रबी मौसम- एग्रीफाउण्ड लाईट रेड, एग्रीफाउण्ड डार्क रेड, अर्का कल्याण, अर्का निकेतन, पूसा साध्वी, पटना रेड, पूसा रेड, एन.- 53, नासिक रेड, बसन्त, पूना रेड, भीम रेड, भीमा सुपर आदि प्रमुख है|

खरीफ मौसम- अर्को लालिमा, अर्का पीताम्बर, अर्का कीर्तिमान, एन.- 53, एग्रीफाउण्ड डार्क रेड, बसन्त आदि प्रमुख है|

लाल रंग कि किस्में- भीमा लाल, भीमा गहरा लाल, भीमा सुपर, हिसार- 2, पंजाब लाल गोल, पंजाब चयन, पटना लाल, नासिक लाल, लाल ग्लोब, बेलारी लाल, पूना लाल, पूसा लाल, पूसा रतनार, अर्का निकेतन, अर्का प्रगति, अर्का लाइम, कल्याणपुर लाल और एल- 2-4-1 इत्यादि प्रमुख है|

पीले रंग वाली किस्में- आई आई एच आर पिली, अर्का पीताम्बर, अर्ली ग्रेनो और येलो ग्लोब इत्यादि प्रमुख है|

सफेद रंग वाली किस्में- भीमा शुभ्रा, भीमा श्वेता, प्याज चयन- 131, उदयपुर 102, प्याज चयन- 106, नासिक सफ़ेद, सफ़ेद ग्लोब, पूसा व्हाईट राउंड, पूसा व्हाईट फ़्लैट, एन- 247-9 -1 और पूसा राउंड फ़्लैट इत्यादि प्रमुख है|

संकर किस्में-  एक्स कैलिवर, बर्र गंधी, कोपी मोरेन और रोजी समा इत्यादि है| प्याज की किस्मों की विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- प्याज की उन्नत किस्में, जानिए उनकी विशेषताएं और पैदावार

यह भी पढ़ें- प्याज व लहसुन की फसल में एकीकृत रोग और कीट प्रबंधन

प्याज की खेती के लिए नर्सरी का समय

बोआई का समय- खरीफ प्याज के लिए बीज की बोआई पूरे जून महीने में की जाती है और रबी प्याज के लिए मध्य अक्टूबर से नवम्बर में बोआई की जाती है|

बीज की मात्रा- रबी में प्रति हेक्टर रोपाई के लिए 8 से 10 किलो की आवश्यकता होती है| जबकि खरीफ में 15 से 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती हैं|

प्याज की खेती के लिए पौध तैयार करना

बीज को ऊँची उठी हुई क्यारियों में बोया जाता है| क्यारियों की चौड़ाई 1 से 1.25 मीटर और लम्बाई सुविधानुसार रखते हैं| वैसे 3 से 5 मीटर लम्बी क्यारियाँ सुविधाजनक होती है| एक हेक्टेयर रोपाई के लिए 70 क्यारियाँ (1.0 X 5.0 मीटर आकार की) पर्याप्ति होती है| रोगों से बचाने के लिए बीज और पौधशाला की मिट्टी को कवकनाशी थाईरम या कैप्टान आदि से उपचारित करना चाहिए| 2 से 3 ग्राम दवा प्रति किलोग्राम बीज के लिए पर्याप्त होती है|

भूमि उपचार करने के लिए 4 से 5 ग्राम दवा प्रति वर्ग मीटर भूमि के लिए आवश्यक है| पौध तैयार करने वाली मिट्टी को बोआई से 15 से 20 दिन पहले पानी देकर सफेद पॉलिथीन से ढककर सौरियकरण’ या बोआई के पहले ट्रायकोडर्मा विरिडी कवक से उपचारित करने से भी आर्द्रगलन कम होती है| बीज को 4 से 5 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में बोना चाहिए| बीज की बोआई के बाद आधा सेंटीमीटर तक सड़ी व छनी हुई गोबर की खाद या मिट्टी से बीज पूर्णतया ढक देते हैं|

इसके बाद फव्वारों से हल्की सिंचाई करके क्यारियों को सूखी घास से ढक देते हैं| जब बीज अच्छी तरह अंकुरित हो जाए तो घास को हटा देना चाहिए| रोज फव्वारे से हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए| इस प्रकार से खरीफ में 6 से 7 सप्ताह में तथा रबी में 8 से 9 सप्ताह में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है|

प्याज की खेती के लिए पौध रोपाई

रोपाई का समय- खरीफ मौसम में प्याज की रोपाई अगस्त में करते हैं और रबी मौसम में, प्याज की रोपाई दिसम्बर से 15 जनवरी तक करते हैं|

रोपाई की दूरी- रोपाई करते समय कतारों की दूरी 15 सेंटीमीटर तथा कतार में पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखते हैं| रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक होता है| नही तो 100 प्रतिशत तक हानि हो सकती है| खरीफ में प्याज रोपाई के लिए ऊँची उठी क्यारियाँ बनानी चाहिए| रोपाई से पूर्व पौधे की जड़ों को 0.1 प्रतिशत कारबेन्डाजिम + 0.1 प्रतिशत मोनोक्रोटोफॉस के घोल में डूबोकर लगाने से पौधे स्वस्थ रहते है|

यह भी पढ़ें- प्याज में समेकित नाशीजीव प्रबंधन कैसे करें

प्याज की खेती के लिए सिचाई प्रबंधन

पौध की रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई करना चाहिए| सर्दी में सिंचाई लगभग 8 से 10 दिन के अन्तर पर करते हैं तथा गर्मी में प्रति सप्ताह सिंचाई की आवश्यकता होती है| जिस समय कंद बढ़ रहे हों, उस समय सिंचाई जल्दी करते हैं| पानी की कमी के कारण कंद अच्छी तरह से नहीं बढ़ पाते है और इस तरह से पैदावार में कमी हो जाती है| प्याज फसल की सिंचाई ड्रिप से भी अच्छी तरह से की जा सकती है|

प्याज की फसल में खरपतवार नियंत्रण

प्याज के पौधे की जड़े अपेक्षाकृत कम गहराई तक जाती है| इसलिए अधिक गहराई तक गुडाई नहीं करनी चाहिए| अच्छी फसल के लिए 3 से 4 बार खरपतवार निकलना आवश्यक होता है| खरपतवारनाशी का भी प्रयोग किया जा सकता है| पेंडीमेथिलीन 3.5 लीटर प्रति हेक्टर रोपाई के तीन दिन बाद तक 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से खरपतवारों का अंकुरण नही होता है| खरपतवार नाशक दबा डालने के बाद भी 40 से 45 दिनों के बाद एक निराई-गुड़ाई आवश्यक है|

प्याज फसल में कीट और रोग नियंत्रण

पौध गलन रोग- इसकी रोकथाम के लिए 0.2 प्रतिशत थीरम से बीज का उपचार करना चाहिए, 2 ग्राम दवा प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करे|

पर्पल लीफ ब्लोच- फसल में इस रोग की रोकथाम के लिए 2 किलोग्राम कापर आक्सीक्लोराइड का प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए, साथ में 3 ग्राम एंडोसल्फान प्रति लीटर में मिलाकर छिड़काव करे|

जड़ सडन रोग- इसके लिए कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करे उसके साथ साथ रोपाई के समय 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लिटर पानी में पौध को उपचारित करे|

अंगमारी- पत्तियों पर सफेद धब्बे बाद में पीले पड़ जाते है| इसकी रोकथाम के लिए मेन्कोजेब या जाइनेब 2 ग्राम प्रति लिटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए|

तुलासिता- पत्तियों के निचले हिस्सों में सफेद रुई जैसे फफुद लगना| इसके रोकथाम के लिए 2 ग्राम मेन्कोजेब या जाइनेब प्रति लिटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए|

पर्ण जिव (थ्रिप्स)- ये किट छोटे छोटे आकर के होते है, और ये किट तापमान वृद्धि के साथ तेजी से बढ़ते है| इन कीटो द्वारा पत्तियों का रस चूसने से पत्तियों का रंग सफेद पड़ जाता है| इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल 0.5 मिलीलीटर प्रति लिटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए| आवश्यक हो तो 10 से 15 दिन बाद फिर दोहराएं| कीट और रोग नियंत्रण की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- प्याज में रोग एवं कीट नियंत्रण कैसे करें

यह भी पढ़ें- समेकित पोषक तत्व (आईएनएम) प्रबंधन कैसे करें

प्याज फसल की खुदाई और सुखाना

खरीफ फसल को तैयार होने में लगभग 5 माह लग जाते है, क्योकि कंद नवम्बर में तैयार हो जाता है, जिस समय तापमान काफी कम होता है| पौधे पूरी तरह सुख नहीं पाते इसलिए जैसे ही कंद अपने पूरे आकार की हो जाये और उनका रंग लाल हो जाये करीब 10 दिन खुदाई से पहले सिचाई बन्द कर देनी चाहिए| इससे कंद सुडौल और ठोस हो जाते है तथा उनकी वृद्धि रुक जाती है| जब कंद अच्छे आकार के होने पर भी खुदाई नहीं की जाती है, तो वे फटना शुरू कर देते है|

खुदाई के बाद इनको कतारों में रखकर सुखा देते हैं| पत्ती को गर्दन से लगभग 2.5 सेंटीमीटर उपर से अलग कर देते हैं तथा फिर एक सप्ताह तक सुखा लेते हैं| रोपाई के 75 दिन बाद 0.2 प्रतिशत मैलिक हाईड्रोजाइड रसायन का छिड़काव और खुदाई से 10 से 15 दिन पहले सिंचाई रोकने से भंडारण में होने वाली क्षति कम हो जाती है|

रबी फसल पकने पर जब प्याज की पत्तियाँ सुखकर गिरने लगे तो सिंचाई बन्द कर देनी चाहिए तथा 15 दिन बाद खुदाई कर लें, आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर प्याज के कंदों की भण्डारण क्षमता कम हो जाती है| यदि प्याज के कंदों को भंडारण में रखने से पहले सुखाने के लिए प्याज को छाया में जमीन पर फैला देते हैं, तो सुखाते समय कंदों को सीधी धूप और वर्षा से बचाना चाहिए| सुखाने की अवधि मौसम पर निर्भर करती है| पौधे अच्छी तरह सुखाने के लिए तीन दिन खेत में तथा एक सप्ताह छाये में सुखाने के बाद 2 से 2.5 सेंटीमीटर छोड़कर पत्तियाँ काटने से भण्डारण में हानि कम होती है|

प्याज की खेती से पैदावार

उपरोक्त तकनीक से प्याज की खेती करने पर खरीफ में 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टर औसत पैदावार हो जाती है, और रबी में 350 -450 क्विंटल प्रति हेक्टर प्याज के कंदों की पैदावार हो जाती है|

यह भी पढ़ें- सब्जियों का पाले से बचाव कैसे करें: जाने उपयोगी उपाय

अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो कृपया वीडियो ट्यूटोरियल के लिए हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें| आप हमारे साथ Twitter और Facebook के द्वारा भी जुड़ सकते हैं|

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

“दैनिक जाग्रति” से जुड़े

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

करियर से संबंधित पोस्ट

आईआईआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कट ऑफ, प्लेसमेंट

एनआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कटऑफ, प्लेसमेंट

एनआईडी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, फीस, कट ऑफ, प्लेसमेंट

निफ्ट: योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, कोर्स, अवधि, फीस और करियर

निफ्ट प्रवेश: पात्रता, आवेदन, सिलेबस, कट-ऑफ और परिणाम

खेती-बाड़ी से संबंधित पोस्ट

June Mahine के कृषि कार्य: जानिए देखभाल और बेहतर पैदावार

मई माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

अप्रैल माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

मार्च माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

फरवरी माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

स्वास्थ्य से संबंधित पोस्ट

हकलाना: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

एलर्जी अस्थमा: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान, इलाज

न्यूमुलर डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, डाइट, निदान और इलाज

पेरिओरल डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, निदान और इलाज

सरकारी योजनाओं से संबंधित पोस्ट

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार: प्रशिक्षण, लक्षित समूह, कार्यक्रम, विशेषताएं

राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: लाभार्थी, योजना घटक, युवा वाहिनी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार: उद्देश्य, प्रशिक्षण, विशेषताएं, परियोजनाएं

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना | प्रधानमंत्री सौभाग्य स्कीम

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, पेंशन, देय और ऋण

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap