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Home » ब्लॉग » प्याज की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार

प्याज की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

प्याज की उन्नत किस्में

प्याज फसल से अधिकतम उपज के लिए उचित पोषक तत्व, समय पर बुआई, पौध संरक्षण के साथ प्याज की उन्नत किस्मों का चयन भी आवश्यक है| प्याज की कम पैदावार होना किसानों द्वारा स्थानीय किस्मों को महत्व देना हो सकता है| जबकि किसान भाइयों को अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए प्याज की उन्नत और अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्म का चयन करना चाहिए|

जो कम समय में अधीन उत्पादन दे सके, इसके लिए किसानों को प्याज की उन्नत किस्मों के प्रति जागरूक होना चाहिए| इस लेख में प्याज की उन्नत किस्मों की विशेषताएं और पैदावार की जानकारी का उल्लेख है| यदि आप प्याज की उन्नत काश्त की जानकारी चाहते है, तो यहाँ पढ़ें- प्याज की उन्नत खेती कैसे करें

प्याज की किस्में

प्याज की स्थानीय और उन्नत दोनों प्रकार की प्रमुख किस्में इस प्रकार है, जिनको रंग तथा चरपराहट के आधार पर तीन भागों में बाटा जाता है, जैसे-

लाल रंग कि किस्में-

भीमा लाल, भीमा गहरा लाल, भीमा सुपर, हिसार- 2, पंजाब लाल गोल, पंजाब चयन, पटना लाल, नासिक लाल, लाल ग्लोब, बेलारी लाल, पूना लाल, पूसा लाल, पूसा रतनार, अर्का निकेतन, अर्का प्रगति, अर्का लाइम, कल्याणपुर लाल और एल- 2-4-1 इत्यादि प्रमुख है|

पीले रंग वाली किस्में-

आई आई एच आर पिली, अर्का पीताम्बर, अर्ली ग्रेनो और येलो ग्लोब इत्यादि प्रमुख है|

सफेद रंग वाली किस्में-

भीमा शुभ्रा, भीमा श्वेता, प्याज चयन- 131, उदयपुर 102, प्याज चयन- 106, नासिक सफ़ेद, सफ़ेद ग्लोब, पूसा व्हाईट राउंड, पूसा व्हाईट फ़्लैट, एन- 247-9 -1 और पूसा राउंड फ़्लैट इत्यादि प्रमुख है|

यह भी पढ़ें- प्याज में समेकित नाशीजीव प्रबंधन, जानिए आधुनिक तकनीक

प्याज की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार

भीमा सुपर-

यह प्याज की उन्नत किस्म छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान तथा तमिलनाडु में खरीफ मौसम में उगाने के लिए अनुमोदित की गयी है| इसे खरीफ में पछेती फसल के रूप में भी उगा सकते हैं| इसके खरीफ में 100 से 105 दिन और पछेती खरीफ में 110 से 120 दिन में कंद पककर तैयार हो जाते हैं| यह खरीफ में 220 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और पछेती खरीफ में 400 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है|

भीमा गहरा लाल-

यह प्याज की उन्नत किस्म छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान तथा तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए अनुमोदित की गयी है| इस प्याज की उन्नत किस्म के आकर्षक गहरे, लाल रंग के चपटे और गोलाकार कंद होते हैं| 95 से 100 दिन में कंद पककर तैयार हो जाते हैं| इससे 200 से 220 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसतन पैदावार प्राप्त होती है|

भीमा लाल-

यह प्याज की उन्नत किस्म महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में रबी मौसम के लिए पहले से ही अनुमोदित अब इस किस्म को दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान तथा तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए अनुमोदित किया गया है| यह फसल पछेती खरीफ मौसम में भी बोई जा सकती है| खरीफ में यह फसल 105 से 110 दिन और पछेती खरीफ और रबी मौसम में 110 से 120 दिन में यह पककर तैयार हो जाती है| खरीफ में औसतन पैदावार 190 से 210 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और पछेती खरीफ में 480 से 520 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा रबी मौसम में 300 से 320 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है| रबी में 3 महीने तक इसका भंडारण कर सकते हैं|

यह भी पढ़ें- समेकित पोषक तत्व (आईएनएम) प्रबंधन कैसे करें

भीमा श्वेता-

सफेद प्याज की उन्नत यह किस्म रबी मौसम के लिए पहले से ही अनुमोदित है तथा खरीफ मौसम में छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान तथा तमिलनाडु में उगाने के लिए इसे अनुमोदित किया जा चूका है| 110 से 120 दिन में फसल पककर तैयार हो जाती है| 3 माह तक इसका भंडारण कर सकते हैं| खरीफ में इसकी औसत पैदावार 180 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और रबी में 260 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है|

भीमा शुभ्रा-

सफेद प्याज की उन्नत यह किस्म छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान तथा तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए अनुमोदित की गयी है| महाराष्ट्र में पछेती खरीफ के लिए भी इसे अनुमोदित किया गया है| खरीफ में यह 110 से 115 दिन तथा पछेती खरीफ में 120 से 130 दिन में यह पककर तैयार हो जाती है| मध्यम भण्डारण क्षमता की यह किस्म मौसम के उतार-चढ़ाव के प्रति सहिष्णु है| खरीफ में 180 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और पछेती खरीफ में 360 से 420 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक इसकी उपैदावार प्राप्त की जा सकती है|

हिसार- 2-

इस प्याज की उन्नत किस्म के कंद लाली लिए हुए, भूरे रंग के तथा गोल होते है| इसकी फसल रोपाई के लगभग 175 दिनों बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाती है| इसके कंद कम तीखे होते है, यह प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल तक पैदावार दे देती है| इस प्याज की उन्नत किस्म की भण्डारण क्षमता भी अच्छी है|

पूसा रेड-

इस के कंद मंझौले आकार के तथा लाल रंग के होते है, स्थानीय लाल किस्मों कि तुलना में यह प्याज की उन्नत किस्म कम तीखी होती है| इसमें फुल निकल आने कि समस्या कम होती है| रोपाई के 125 से 140 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है, इसकी भण्डारण क्षमता बहुत अधिक होती है, प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल तक पैदावार दे देती है| कंद का भार 70 से 90 ग्राम का होता है, गंगा के पठारों, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा महाराष्ट्र के लिए उपयुक्त किस्म है|

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पूसा रतनार-

इस किस्म के कंद बड़े थोड़े चपटे व गोल होते है, जो आकर्षक गहरे लाल रंग के होते है| पत्तियां मोमी चमक तथा गहरे रंग कि होती है| कंदों को 3 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है, रोपाई के 125 दिनों बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाती है| यह प्याज की उन्नत किस्म प्रति हेक्टेयर 400 से 500 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है|

एन- 53-

इस प्याज की उन्नत किस्म के कंद गोल, हलके लाल सुडौल, कम तीखे होते है| इसकी एक गांठ का औसत वजन 80 से 120 ग्राम तक होता है, खुदाई के समय इसकी गांठ हलके बैंगनी रंग कि होती है जो बाद में गहरे लाल रंग कि हो जाती है| इस किस्म को रबी तथा खरीफ दोनों मौसमों में उगाया जा सकता है, किन्तु उत्तरी भारत में खरीफ मौसम में उगाने के लिए उपयुक्त पाई गई है| यह फसल 150 से 165 दिनों में खुदाई हेतु तैयार हो जाती है| रबी में 200 से 250 तथा खरीफ में 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल जाती है|

अर्ली ग्रेनो-

इसके कंद गोल आकार के, पीले, हलकी गंध युक्त वाले तथा सलाद के लिए उपयुक्त होते है व रोपाई के 95 दिनों बाद पुरे आकार के हो जाते है और 115 से 120 दिनों में पक़ जाते है, इस किस्म में फुल खिलने कि समस्या कम है| परन्तु इस प्याज की उन्नत किस्म कि भण्डारण क्षमता कम है| यह प्रति हेक्टेयर 500 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है|

पूसा व्हाईट फ़्लैट-

इस प्याज की उन्नत किस्म के कंद मध्यम से बड़े आकार के चपटे, गोल तथा आकर्षक सफ़ेद रंग के होते है| रोपाई के 125 से 130 दिन बाद में तैयार होने वाली किस्म है| इसकी भण्डारण क्षमता अच्छी है, यह प्रति हेक्टेयर 325 से 350 क्विंटल तक पैदावार देती है|

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पूसा व्हाईट राउंड-

इस प्याज की उन्नत किस्म के कंद मध्यम से बड़े आकार के चपटे, गोल, और आकर्षक सफ़ेद रंग के होते है| इस किस्म का सुखाकर रखने कि दृष्टि से विकास किया गया है| यह रोपाई के 125 से 130 दिनों बाद तैयार होती है| इसकी भण्डारण क्षमता अच्छी है यह प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल तक पैदावार दे देती है|

उदयपुर- 102-

इस प्याज की उन्नत किस्म के कंद गोल और सफ़ेद रंग के होते है, कंद मध्यम आकार के खाने में कम चरपरे व मिठास लिए होते है| इसकी पैदावार 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

वी एल- 76-

यह एक संकर किस्म है, इस किस्म के कंद बड़े तथा लाल रंग के होते है| यह तराई क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है| रोपाई के बाद 175 से 180 दिनों में कंद खुदाई के लिए तैयार हो जाते है| यह प्रति हेक्टेयर 350 से 400 क्विंटल तक पैदावार देती है|

ब्राउन स्पेनिश-

इसके शल्क कंद गोल लम्बे तथा लाल भूरे रंग के होते है, इसमें हलकी गंध आती है| यह किस्म सलाद के लिए उपयुक्त होती है| इसके कंद 165 से 170 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाते है| यह किस्म पर्वतीय क्षेत्रों में उगाने के लिए अत्यंत उपयुक्त सिद्ध हुई है| सुखाकर रखने कि दृष्टि से यह दुसरे किस्मों कि अपेक्षा बहुत अच्छी है|

अर्का निकेतन-

इस प्याज की उन्नत किस्म को खरीफ व रबी दोनों मौसमों में उगाया जा सकता है| इसकी फसल 145 दिन में तैयार हो जाती है| इसके कंद का वजन 100 से 180 ग्राम का होता है| इसके कंदों को 3 महीने तक भंडारित किया जा सकता है, यह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा तमिलनाडू में उगाने के लिए उपयुक्त किस्म है| यह प्रति हेक्टेयर 325 से 350 क्विंटल तक पैदावार दे देती है|

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अर्का कल्याण-

इस प्याज की उन्नत किस्म के कंद गहरे गुलाबी रंग के होते है| जिनका औसतन वजन 100 से 190 ग्राम होता है| यह किस्म उत्तरी भारत के मैदानों, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक तथा तमिलनाडु में उगाने के लिए उपयुक्त है|

अर्का प्रगति-

यह दक्षिण भारत में रबी तथा खरीफ दोनों मौसमों में उगाने के लिए उपयुक्त किस्म है| इसके कंद गुलाबी रंग के होते है| यह 140 से 145 दिन बाद 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है|

एग्री फाउंड डार्क रेड-

इस किस्म के कंद गुलाबी रंग होते है| फसल रोपाई के 150 से 160 दिन बाद 300 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है| यह खरीफ के लिए उपयुक्त किस्म है| उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए अच्छी सिद्ध हुई है|

एग्री फाउंड लाईट रेड-

यह प्याज की उन्नत किस्म प्याज उगाने वाले सभी क्षेत्रों के लिए अच्छी सिद्ध हुई है| परन्तु महाराष्ट्र में नासिक या उसके आसपास के क्षेत्रों में विशेष रूप से सफल है | कंद हलके लाल रंग के होते है| यह 160 दिन में 300 से 325 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार दे देती है|

कल्याणपुर रैड राउंड-

यह प्याज की उन्नत किस्म उत्तर प्रदेश के लिए अच्छी किस्म है| यह 130 से 150 दिन में 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार दे देती है|

लाइन- 102-

इसके कंद मध्यम से बड़े आकार के तथा लाल रंग के होते है| यह किस्म 130 से 135 दिन बाद 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार दे देती है| यह उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है|

एन- 257-1-

इस प्याज की उन्नत किस्म के सफ़ेद रंग के कंद होते है महाराष्ट्र गुजरात और राजस्थान में रबी मौसम में उगाने के लिए अच्छी किस्म है|

अर्का कीर्तिमान-

यह संकर किस्म है, इसके कंदों को काफी समय तक ख़राब हुए भण्डारण किया जा सकता है| यह निर्यात के लिए अच्छी किस्म है|

अर्का लाइम-

यह प्याज कि संकर किस्म है इस किस्म के कंद लाल रंग के होते है| इस किस्म कि भण्डारण क्षमता भी अधिक होती है, यह निर्यात के लिए अच्छी किस्म है|

यह भी पढ़ें- कद्दू वर्गीय सब्जियों की उन्नत खेती कैसे करें

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