• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Blog
  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post
Home » Blog » ग्लॅडिओलस का प्रवर्धन कैसे करें? | ग्लेडियोलस की बागवानी

ग्लॅडिओलस का प्रवर्धन कैसे करें? | ग्लेडियोलस की बागवानी

October 25, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

ग्लॅडिओलस का प्रवर्धन कैसे करें?

ग्लॅडिओलस का प्रवर्धन जानेगे, लेकिन उससे पहले ग्लॅडिओलस सुन्दर और आकर्षक शीतकालीन फूल है| यह अपनी आकर्षक पुष्प डंडी के लिए अति लोकप्रिय है| इसके कंद से लगभग दो से तीन फुट लम्बी पुष्प डंडी निकलती है, जिस पर 12 से 18 पुष्प निकलते हैं|

ग्लॅडिओलस संसार के लोकप्रिय पुष्पों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है, क्योंकि यह एक मनोहारी और विशिष्ट गुणों वाला पुष्प है| ग्लैडिओलस का नाम लैटिन शब्द ‘ग्लैडिओलस’ से आया है, जिसका अर्थ ‘तलवार’ होता है, क्योंकि इसकी पत्तियों का स्वरूप तलवार की भाँति होता है| इसे ‘सोअर्ड लिली’ भी कहते हैं| यदि आप ग्लॅडिओलस की खेती की पूरी जानकारी चाहते है, तो यहां पढ़ें- ग्लेडियोलस की खेती (Cultivation of gladiolus) की जानकारी

यह भी पढ़ें- अलूचा या आलूबुखारा का प्रवर्धन कैसे करें

ग्लॅडिओलस का प्रवर्धन

ग्लॅडिओलस को बीज ओर वानस्पतिक दोनों विधियों द्वारा प्रसारित किया जाता है| बीजों द्वारा ग्लैडिओलस का प्रवर्धन प्रवर्धन मुख्यतः प्रजनकों द्वारा नई-नई किस्में विकसित करने के लिए किया जाता है| गलैडिओलस का व्यावसायिक रूप से प्रवर्धन कन्दों द्वारा किया जाता है, इन कन्दों को वैज्ञानिक रूप से कार्म कहा जाता है|

इसके लिए वृक्षों और भवनों की छाया से दूर खुला हुआ धूपदार स्थान उपयुक्त होता है| बलुई दोमट मिट्टी जिसका पीएचमान 6.5 से 7.5 तक हो, ग्लैडिओलस की विभिन्न किस्में ग्लॅडिओलस के प्रवर्धन के लिए आदर्श होती है| भूमि कम से कम 30 सेंटीमीटर गहरी जल निकास युक्त, भुरभुरी तथा उच्च जीवांश पदार्थ युक्त होनी चाहिए|

उत्तरी भारत के मैदानी भागों में आमतौर पर वर्षाकाल की समाप्ति के बाद सितम्बर से लेकर नवम्बर तक कन्द रोपण का कार्य किया जाता है| देर से किये गये कन्द रोपण यानि की नवम्बर के पश्चात् कन्द रोपण करने से निम्न तापमान के कारण वे अंकुरित नहीं हो पाते हैं|

रोपण से पहले कंदों को 0.1 प्रतिशत बावस्टीन या कैप्टान के घोल में 30 मिनट के लिए डुबो दें| कंदों को सुखाने के बाद इन्हें 30 x 30 सेंटीमीटर की दूरी पर तैयार खेत में लगाएं|

कंदों की खुदाई और भंडारण

ग्लॅडिओलस के जब पत्ते सूख जाएं, तो कंदों को किसी खुदाई यंत्र की सहायता से खोद कर निकाल लें, पत्ते हटा कर 0.1 प्रतिशत बावस्टीन से आधा घंटा उपचारित करके सूखे और ठण्डे स्थान पर भंडार करें, दो दिन के पश्चात कंदों को गलने सड़ने से बचाने के लिए उनकी स्थिति बदलनी चाहिए| भंडारण के पश्चात् कंदों का रोपण फिर से सितम्बर से नवम्बर में करें|

इस प्रकार आप ग्लॅडिओलस का प्रवर्धन उपयोगी एवं आधुनिक व्यावसायिक तकनीक से कर के इस महत्वपूर्ण फुल की उन्नत खेती सफलतापुर्वक कर सकते है|

यह भी पढ़ें- गेंदे का प्रवर्धन कैसे करें

यदि उपरोक्त जानकारी से हमारे प्रिय पाठक संतुष्ट है, तो लेख को अपने Social Media पर Like व Share जरुर करें और अन्य अच्छी जानकारियों के लिए आप हमारे साथ Social Media द्वारा Facebook Page को Like, Twitter व Google+ को Follow और YouTube Channel को Subscribe कर के जुड़ सकते है|

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

“दैनिक जाग्रति” से जुड़े

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

करियर से संबंधित पोस्ट

आईआईआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कट ऑफ, प्लेसमेंट

एनआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कटऑफ, प्लेसमेंट

एनआईडी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, फीस, कट ऑफ, प्लेसमेंट

निफ्ट: योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, कोर्स, अवधि, फीस और करियर

निफ्ट प्रवेश: पात्रता, आवेदन, सिलेबस, कट-ऑफ और परिणाम

खेती-बाड़ी से संबंधित पोस्ट

June Mahine के कृषि कार्य: जानिए देखभाल और बेहतर पैदावार

मई माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

अप्रैल माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

मार्च माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

फरवरी माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

स्वास्थ्य से संबंधित पोस्ट

हकलाना: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

एलर्जी अस्थमा: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान, इलाज

न्यूमुलर डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, डाइट, निदान और इलाज

पेरिओरल डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, निदान और इलाज

सरकारी योजनाओं से संबंधित पोस्ट

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार: प्रशिक्षण, लक्षित समूह, कार्यक्रम, विशेषताएं

राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: लाभार्थी, योजना घटक, युवा वाहिनी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार: उद्देश्य, प्रशिक्षण, विशेषताएं, परियोजनाएं

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना | प्रधानमंत्री सौभाग्य स्कीम

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, पेंशन, देय और ऋण

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap