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Home » Blog » अलूचा या आलूबुखारा का प्रवर्धन कैसे करें? | अलूचा की बागवानी

अलूचा या आलूबुखारा का प्रवर्धन कैसे करें? | अलूचा की बागवानी

October 23, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

अलूचा या आलूबुखारा का प्रवर्धन कैसे करें?

अलूचा या आलूबुखारा का प्रवर्धन की प्रक्रिया जानेगे, लेकिन उससे पहले विश्व के शीतोष्ण भागों में यूरोपियन अलूचा या आलूबुखारा (पुनस डोमेस्टिका) और समशीतोष्ण भागों में जापानी अलूचा या आलूबुखारा (पुनस सैलिसिना) की कृषि काफी प्रचलित है| भारत उत्तरी मैदानी भागों में केवल जापानी अलूचा की बागवानी की जा सकती है|

आलूबुखारा के पके हुए फल बाजार में मई के मध्य से आने लगते हैं, तथा काफी अच्छे दामों पर बिकते हैं| फलों को ताजा खाने में, पेय पदार्थ बनाने में और अन्य फल पदार्थ बनाने में प्रयोग किया जाता है। अलूचा के अनेक औषधीय गुण भी हैं| यदि आप अलूचा या आलूबुखारा की बागवानी की अधिक जानकारी चाहते है, तो यहां पढ़ें- अलूचा की खेती कैसे करें

यह भी पढ़ें- आड़ू का प्रवर्धन कैसे करें

अलूचा का प्रवर्धन

अलूचा का व्यावसायिक प्रवर्धन कलैफ्ट या टंग ग्राफ्टिंग और सर्वाधिक प्रचलित विधि कलम द्वारा किया जाता है| समशीतोष्ण क्षेत्रों में भूमि के अनुसार आडू के बीजू पौधे और काबुल ग्रीन गेज अलूचा के कलमी पौधे मूलवृंत हेतु प्रयोग किये जाते हैं|

अलूचा या आलूबुखारा का प्रवर्धन के लिए कलमें वार्षिक काट-छांट के समय ली जाती हैं, कलमों की लम्बाई लगभग 20 सेंटीमीटर और मोटाई पैन्सिल के बराबर या उससे कुछ अधिक होनी चाहिए| आलूबुखारा का प्रवर्धन नवम्बर से दिसम्बर में वार्षिक काट-छांट (पुनिंग) के समय अच्छी किस्म के पेड़ों से एक वर्षीय टहनियों द्वारा तैयार की गयी हार्डवुड कलमों को 2000 पीपीएम आईबीए से उपचारित करके सीधे नर्सरी में लगाएं और इस प्रकार तैयार पौधे एक वर्ष तक नर्सरी में रखने के बाद खेत में लगाए जा सकते है|

अलूचा का प्रवर्धन हेतु चिकनी और गीली मिट्टी के लिये काबुल ग्रीनगेज किस्म की कलमों से तैयार पौधों को मूलवृन्त के रूप में उपयोग करना चाहिए| आलूबुखारा का प्रवर्धन नवम्बर से दिसम्बर में वार्षिक काट-छांट के समय अलूचा की काबुल ग्रीन गेज किस्म की एक वर्षीय टहनियां जो लगभग पैन्सिल या उससे अधिक मोटाई वाली हों, उनसे 18 से 25 सेंटीमीटर लम्बी हारडबुड कलमें बनाई जाती हैं|

यह भी पढ़ें- आंवले का प्रवर्धन कैसे करें

नर्सरी में कलमों द्वारा तैयार दो वर्षीय आलूबुखारा के पौधों से भी नवम्बर से दिसम्बर में इसी प्रकार कलमे बनाई जा सकती हैं| क्योंकि इन जवेनाईल कटिंगों में जड़े बनाने की क्षमता अधिक होती है, प्रत्येक कलम पर लगभग 4 से 5 आंखे होती हैं, उचित पहचान के लिए कलम के आधार की और सीधा कट एवं अन्य सिरे की ओर टेढ़ा कट लगाते हैं|

आलूबुखारा का प्रवर्धन हेतु आधार की ओर का लगभग 5 सेंटीमीटर भाग इण्डोल ब्यूटिरिक एसिड 2000 मिलीग्राम प्रति लीटर के घोल में लगभग पन्द्रह सैकंड तक भिगोया जाता है| इन कलमों को सीधे नर्सरी में लगा कर सिचांई करें| आलूबुखारा का प्रवर्धन हेतु पेड़ से या नर्सरी के दो वर्षीय पौधों से कलमें लेने के बाद उसी दिन उन्हें नर्सरी में लगाना आवश्यक है नही तो वे सूख जाएंगी|

सिंचाई का पानी अगर भारी या नमकीन हो तो कलमों से जड़े नहीं निकल सकती|फरवरी में कलमों में फुटाव शुरू हो जाता है, इन कलमों से बने पौधों पर अगले वर्ष नवम्बर से दिसम्बर में अच्छी किस्म की चार आंखों वाली सायन टहनियां लेकर कलैफ्ट या टंग ग्राफ्टिंग कर सकते हैं|

आलूबुखारा का प्रवर्धन के बाद ग्राफ्टिंग से तैयार पौधे एक वर्ष बाद उचित दूरी रख कर दिसम्बर से जनवरी में खेत में लगाये जाते हैं| काला अमृतसरी आलूबुखारा का प्रवर्धन के पौधे कलमों द्वारा तैयार करके बिना पौधशाला किए खेत में लगा सकते हैं|

उपरोक्त अलूचा या आलूबुखारा का प्रवर्धन की विधियों कलैफ्ट या टंग ग्राफ्टिंग और सर्वाधिक प्रचलित विधि कलम द्वारा किसान या बागवान बन्धु अपने विश्वसनीय पौधे   तैयार कर सकते है|

यह भी पढ़ें- आम का प्रवर्धन कैसे करें

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