• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Blog
  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post
Home » Blog » जैतून की खेती: किस्में, रोपाई, पोषक तत्व, सिंचाई, देखभाल, पैदावार

जैतून की खेती: किस्में, रोपाई, पोषक तत्व, सिंचाई, देखभाल, पैदावार

October 6, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

जैतून की खेती

दुनिया भर में जैतून तेल की बढ़ती मांग से इसकी खेती करना फायदे मंद साबित हो सकता है| प्रीमियर खाद्य तेलों कि श्रेणी में इसके तेल का स्थान सबसे ऊँचा होता है| जैतून तेल का उपयोग खाने के साथ ,सौन्दर्य प्रसाधन व दवाइयों में हो रहा है, वहीँ जैतून के फल से दुनिया भर के सभी नामी होटल में कई तरह के व्यंजन बनाए जाते है| अलग-अलग वातावरण में भी जैतून कि खेती के लिए किए गए प्रयोग सफल रहे है, यह देखते हुए जैतून कि खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है|

हमारे देश के राजस्थान राज्य में राजस्थान में जैतून कि खेती को बढ़ावा देने के काम में जुटे विशेषज्ञों क कहना है कि विदेशों और देश के बड़े होटलों में जैतून के तेल को खाद तेल के रूप में भोजन बनाने में इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए जैतून कि तेल कि निर्यात मांग के अलावा घरेलु मांग भी बढ़ रही है, वहीँ जैतून के तेल का उपयोग मसाज और कई कामो में होता है| राजस्थान में जैतून कि खेती के लिए सरकार के स्तर पर भी प्रोजेक्ट चलाए गए है| इनकी सफलता को देखते हुए अब किसानों को इसकी खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है| राजस्थान के अलावा दुसरे प्रांतों में भी जैतून कि खेती कि काफी संभावनाएं है|

विशेषज्ञों का कहना है कि जैतून के तेल में एओलिक एसिड, एंटी आक्सीडेंट, विटामिन व फिनोल प्रचुर मात्रा होता है, इसके कारण इसका उपयोग पेट व कैंसर सम्बन्धी रोगों के इलाज में काम आने वाली औषधियां व सौन्दर्य प्रसाधनों में किया जाता है| जैतून का तेल कोलेस्ट्रोल पर भी नियंत्रण करता है इसलिए दिल सम्बन्धी बीमारियों के इलाज में भी इसको रामबाण माना जाता है|

इस लेख के माध्यम से जैतून की खेती कैसे करें, इसके लिए उपयुक्त जलवायु, भूमि, किस्में, देखभाल, पैदावार आदि के बारें में किसान भाइयों को जानकारी देंगे| जिससे वे इस खेती से उत्तम पैदावार प्राप्त कर सकें|

यह भी पढ़ें- कीवी फल की खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

उपयुक्त जलवायु

जैतून एक सदाबहार पौधा है, परन्तु इसके सफल फल उत्पादन के लिए इसे भी अन्य पतझड़ वाले पौधों की तरह 400 से 2000 शीत घण्टों की जरूरत होती है| इसका पौधा कम से कम 12.2 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान सहन कर सकता है| समुद्र तल से 650 मीटर से 2300 मीटर तक की ऊँचाई तक इसे उगाया जा सकता है|

जैतून की खेती को 15 से 20 डिग्री सेंटीग्रेट औसत तापमान की आवश्यकता होती है, इससे नीचे तापमान गिरने पर पौधे को घाव हो सकते हैं| इसे साल भर में औसतन 100 से 120 सैंटीमीटर वर्षा की जरूरत होती है| जहां आवश्यकतानुसार औसतन वर्षा न हो वहां फल विकास के समय विशेषकर खाने के उपयोग में लाई जाने वाली किस्मों में सिंचाई अवश्य करें| जैतून के लिए सर्दियों से पहले तथा बसन्त ऋतु से पहले पड़ने वाला पाला हानिकारक होता है|

भूमि का चयन

जैतून की खेती के लिए मिट्टी में अच्छी जल निकासी होनी आवश्यक है| इसके पौधे को अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है| मिट्टी की ऊपरी सतह सख्त न हो, गहरी और उपजाऊ मिट्टी में जैतून के पौधे पर अधिक वानस्पतिक वृद्धि होती है और मध्यम उपज, अधिक बोरोन और कैल्शियम वाली (क्षारीय) मिट्टी में भी यद्यपि यह पौधा उगाया जा सकता है| परन्तु पौधे की बढ़ौतरी बहुत ही कम होती है| जैतून के लिए मिट्टी का पी एच मान 6.5 से 8.0 तक होना वांछनीय है|

यह भी पढ़ें- जापानी फल (परसीमन) की खेती कैसे करें

उन्नत किस्में

जैतून की खेती के लिए आपको अनेक किस्में मिल जाएंगी, लेकिन व्यवसायिक तौर पर कुछ ही किस्मों को उपयोग में लाया जाता है, जो इस प्रकार है, जैसे-

किस्में तेल के लिए- फ्रंटियो (पछेती), लैक्सिनो (पछेती), एस्कोटिराना, पैंडोलीनो

किस्में आचार के लिए- एस्कोलानो (अगेती), कोराटीना

फ्रटियो- जैतून की देर से पकने वाली किस्म, फल मध्यम आकार का, चंद धब्बों के लम्बूतरा, शीर्ष गोलाकर और नीचे का गड्ढा मध्यम गहरा, पकने पर बैंगनी रंग का, आगे से गोल, गूदा हरा, पैदावार प्रति पौधा 15 से 20 किलोग्राम, तेल की मात्रा 26 प्रतिशत होती है|

कोराटीना- फल का भार और आकार मध्यम से छोटा जो फसल के अधिक और कम होने पर निर्भर, फल लम्बूतरा, पूरा पकने पर बैंगनी रंग, गूदा हरा, शीर्ष गोलाकार, नीचे का गड्ढा कम गहरा और अनियमित, पैदावार 10 से 16 किलोग्राम प्रति पौधा, तेल की मात्रा 22 से 24 प्रतिशत, पौधा मध्यम ओजस्वी परन्तु फैलावदार होता है|

लैक्सिनो- जैतून की देर से पकने वाली किस्म, फल मध्यम आकार तथा भार का, फल अण्डाकार, पूरा पकने पर रंग बैंगनी, शीर्ष शंकु रूप का परन्तु नीचे का गड्ढा गहरा और कुछ अनियमित, पैदावार 10 से 15 किलोग्राम प्रति पौधा, सावधानीपूर्वक काट-छांट करने पर पौधे की प्रवृति फैलावदार होती है|

एस्कोटिराना- इसका फल मध्यम आकार और भार का, लम्बूतरा, पकने पर बैंगनी रंग का, गूदा हरा, शीर्ष गोल, नीचे का गड्ढा कम गहरा और कुछ अनियमित, पैदावार 20 से 25 किलोग्राम प्रति पौधा, पौधा मध्यम बढ़ौतरी वाला व फैलावदार होता है|

एस्कोलानो- इसका फल बड़े आकार तथा अधिक भार वाला, लम्बूतरा, पूरा पकने पर बैंगनी काले रंग का, शीर्ष गोलाकार, नीचे का गड्ढा मध्यम, गहरा और अनियमित, पैदावार 7 से 10 किलोग्राम प्रति पौधा, तेल की मात्रा 10 से 17 प्रतिशत, पौधा फलावदार, अगेती से मध्य समय में पकने वाली किस्म है|

पैंडोलीनो- इसके पौधे की शाखाएं झुकी हुई, पौधे का आकार और तने की मोटाई मध्यम, पौधा मध्यम ओजस्वी, फल मध्यम आकार का, लम्बूतरा, छिलका चंद बिंदुओं सहित बैंगनी रंग का, गूरा हरा, शीर्ष गोलाकार, फल के नीचे का गड्ढा गहरा और अनियमित, डण्डी छोटी, गुठली वजन और आकार में मध्यम, लम्बी, गुठली का आधार गोलाई लिए हुए और शीर्ष नुकीला, गुठली की सतह कुछ खुरदरी संतरी रंग की, देर से पकने वाली किस्म, तेल 20 प्रतिशत, जल की मात्रा अधिक 65 प्रतिशत होती है|

अन्य किस्में- बरेनिया, अरबिकुना, फिशोलिना, पिकवाल और कोरनियकी आदि प्रमुख है|

यह भी पढ़ें- पीकन नट की खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

परागण

जैतून की अधिक उपज लेने हेतु परागण की आवश्यकता होती है| इसके लिए 11 प्रतिशत परागण किस्में होनी चाहिए| फ्रंटियो, कोराटिना, एस्कोटिराना, एस्कोलानो अच्छी परागण प्रजातियां है|

पौध रोपण

जैतून के पौधों को 8 x 8 मीटर की दूरी पर लगायें परन्तु वर्षा पर निर्भर स्थानों में जहां मिट्टी कम उपजाऊ हो वहां यह फासला 6 x 6 मीटर रखें| दूसरे फलों के समान पौधे को जड़ों में मिट्टी के साथ रोपित करें| सामान्य रूप से पौधों का रोपण जुलाई से अगस्त में करते हैं, परन्तु जहां सिंचाई की सुविधा हो दिसम्बर से जनवरी में भी पौधे लगा सकते हैं| पौधे लगाने के बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें|

नोट- वर्तमान में अलग अलग किस्मों के पौधे को इस्रायल से मंगाकर नर्सरी में तैयार किया जाता है|

यह भी पढ़ें- अखरोट की खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

खाद और उर्वरक

जैतून की खेती के लिए खाद और उर्वरक की अनुमोदित मात्रा निम्नलिखित है, जैसे-

पौधे की आयु (वर्ष में)गोबर की खाद (किलोग्राम)नाइट्रोजन (ग्राम)फास्फोरस (ग्राम)पोटाश (ग्राम)
110755050
215150100100
320225150150
425300200200
530375250250
635450300300
740525350350
845600400400
950675450450
10 और आगे के वर्षों में60750500500

1. गली सड़ी गोबर की खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक दिसम्बर से जनवरी माह में डालें|

2. नाईट्रोजन की आधी मात्रा मार्च में और बाकी आधी मात्रा जुलाई में बरसात आने पर डालें|

3. जैतून के फल देने वाले पौधों में सुपर फास्फेट 500 ग्राम प्रति पौधा तीन साल के अन्तराल पर डालें, हर साल डालने की जरूरत नहीं है|

4. हर दूसरे साल बोरेक्स 200 ग्राम प्रति पौधा की दर से प्रयोग करें|

5. कम वर्षा या असिंचित अवस्था में फलों का आकार तथा कुल उपज काफी कम हो जाती है, इसलिए गर्मियों में प्रायः 10 से 15 दिन के अन्तर पर या आवश्यकतानुसार सिंचाई अवश्य करते रहना चहिए|

यह भी पढ़ें- चेरी की खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

सधाई और काट-छांट

जैतून की खेती में सिधाई मौडिफाइड सैन्ट्रल लीडर विधि से की जाती है| फल देने वाले पौधों में काट-छांट बहुत कम करनी चाहिए| सिर्फ बरसात में निकलने वाले प्ररोह, उलझने वाली शाखायें और सूखी व रोगग्रस्त शाखायें ही काटें| पौधे की उचित वानस्पतिक वृद्धि तथा ओजस्वीपन को बनाये रखने के लिए कमजोर तथा पुरानी टहनियों को समय-समय पर निकालते रहें|

रोग व कीट रोकथाम

एन्थ्रेक्नोज (कालैटोट्राइकम गलियोस्पोरायडस)- पत्तों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे आते हैं| फलों पर गोल भूरे रंग के गड्ढे बनते हैं| जो बड़े काले धब्बों में बदल जाते हैं| इनसे नमी होने पर गुलाबी स्पोर निकलते हैं|

रोकथाम- बोर्डो मिक्सचर (कॉपर सल्फेट 1600 ग्राम + चूना 1600 ग्राम + 200 लिटर पानी) का पहला छिड़काव जून के तीसरे सप्ताह में और फिर तीन सप्ताह के अन्तर पर कुल 5 छिड़काव करें|

फलों की तुड़ाई

जैतून के सारे फल एक साथ नहीं पकते इसलिए तुड़ाई 4 से 5 बार में करनी चाहिए| फल या तो हाथ से तोड़े या डण्डे से शाखाओं को हिला कर तोड़े| पेड़ों के नीचे कपडे या पॉलीथीन की चादर बिछाकर फलों को इक्ट्ठा कर लें|

पैदावार

जैतून कि खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 475 पेड़ लगाए जा सकते है, वहीँ एक हेक्टेयर में लगे पेड़ों से औसतन 20 से 27 क्विंटल तेल का उत्पादन होता है, जो अन्य फसलों कि खेती से होने वाली कमाई से कहीं ज्यादा है|

यह भी पढ़ें- बादाम की खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

यदि उपरोक्त जानकारी से हमारे प्रिय पाठक संतुष्ट है, तो लेख को अपने Social Media पर Like व Share जरुर करें और अन्य अच्छी जानकारियों के लिए आप हमारे साथ Social Media द्वारा Facebook Page को Like, Twitter व Google+ को Follow और YouTube Channel को Subscribe कर के जुड़ सकते है|

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

“दैनिक जाग्रति” से जुड़े

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

करियर से संबंधित पोस्ट

आईआईआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कट ऑफ, प्लेसमेंट

एनआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कटऑफ, प्लेसमेंट

एनआईडी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, फीस, कट ऑफ, प्लेसमेंट

निफ्ट: योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, कोर्स, अवधि, फीस और करियर

निफ्ट प्रवेश: पात्रता, आवेदन, सिलेबस, कट-ऑफ और परिणाम

खेती-बाड़ी से संबंधित पोस्ट

June Mahine के कृषि कार्य: जानिए देखभाल और बेहतर पैदावार

मई माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

अप्रैल माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

मार्च माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

फरवरी माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

स्वास्थ्य से संबंधित पोस्ट

हकलाना: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

एलर्जी अस्थमा: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान, इलाज

न्यूमुलर डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, डाइट, निदान और इलाज

पेरिओरल डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, निदान और इलाज

सरकारी योजनाओं से संबंधित पोस्ट

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार: प्रशिक्षण, लक्षित समूह, कार्यक्रम, विशेषताएं

राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: लाभार्थी, योजना घटक, युवा वाहिनी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार: उद्देश्य, प्रशिक्षण, विशेषताएं, परियोजनाएं

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना | प्रधानमंत्री सौभाग्य स्कीम

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, पेंशन, देय और ऋण

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap