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Home » देसी कपास की किस्में | देसी कपास की अच्छी किस्में कौन सी है?

देसी कपास की किस्में | देसी कपास की अच्छी किस्में कौन सी है?

January 11, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

देसी कपास की किस्में

हमारे देश में कपास खरीफ की बहुत महत्वपूर्ण फसल है| देसी कपास की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर बोने, अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्म चुनने, उपयुक्त खाद देने और समय पर पौध संरक्षण उपाय अपनाने की ओर विशेष ध्यान देना चाहिये| इस लेख में देसी कपास की उन्नत एवं संकर किस्मों और उनकी विशेषताएं और पैदावार का उल्लेख है| कपास की खेती के लिए यहाँ पढ़ें- कपास की खेती कैसे करें

यह भी पढ़ें- अमेरिकन कपास (नरमा) की उन्नत एवं संकर किस्में

देसी कपास की किस्में

एच डी-107

देसी कपास की इस किस्म की उत्तरी भारत में खेती के लिये सिफारिश की गई है| यह किस्म अगेती पकने वाली, छोटे रेशे वाली और पूरे उत्तर में खेती के लिये उपयुक्त है| इसका पौधा मध्यम ऊंचाई वाला होता है| इसका तना एवं पत्तियां हरे रंग की, पत्तियों में गहरा कटाव, फूल हल्के क्रीम रंग का, मध्यम आकार वाला, फूल के अन्दर नीचे आधार पर लाल रंग का चिन्ह, टिण्डा 2.5 ग्राम का होता है| इसको बोने से पकने तक 180 दिन का समय लगता है| यह किस्म हरे तेले व सफेद मक्खी की अवरोधी है|

अगेती पकने वाली होने के कारण इस पर गुलाबी सूण्डी का प्रकोप भी कम होता है| इसकी अप्रैल में बिजाई करनी चाहिए| इसके लिए प्रति एकड़ 5 किलोग्राम बीज
की मात्रा काफी है| इस कपास की औसत पैदावार 9 से 10 क्विटल प्रति एकड़ है| इसका रेशा छोटा, 16 मिलीमीटर का होता है एवं इसमें 38.0 प्रतिशत रूई होती है|

एच डी-123

यह देसी किस्म कपास-गेहूं व कपास-राया फसल-चक्र के लिए उपयुक्त है, क्योंकि इसकी अंतिम चुनाई देसी कपास की पुरानी किस्मों से 10 दिन पहले पूरी हो जाती है| इसकी कुल फसल अवधि लगभग 165 दिन है| इसकी औसत पैदावार 9 क्विटल प्रति एकड़ है, इस किस्म में 39.2 प्रतिशत रूई है, जो पुरानी किस्मों से 2 प्रतिशत अधिक है| इसका रेशा 14.7 मिलीमीटर लम्बा है|

एच डी 123 किस्म का पौधा और उसकी पत्तियां व तने हरे रंग के होते हैं| पत्तियां मध्यम आकार की होती हैं| फूल छोटा, सफेद पंखुड़ियों वाला, सतह पर लाल चिन्ह सहित पीले रंग के पुंकेसर कण वाला होता है| पौधे की ऊंचाई लगभग 150 सेंटीमीटर और टिन्डा गोल आकार का होता है|

यह भी पढ़ें- कपास की जैविक खेती- लाभ, उपयोग और उत्पादन

एच डी- 324

इस देसी कपास की किस्म के पौधे लाल रंग के, पत्ते का आकार मध्यम और रंग लाल होता है| इस किस्म के फूल गुलाबी रंग के, फूलों के अंदर गहरे लाल रंग के धब्बे एवं परागकण पीले रंग के होते हैं| इसके पौधे में 3 से 4 मजबूत वानस्पतिक शाखाएं होती हैं| औसत पैदावार 8 से 9 क्विटल प्रति एकड़ है| इसके रेशे की औसत लम्बाई 15 से 16 मिलीमीटर और रूई का प्रतिशत 42 है|

यह किस्म पकने में 175 से 180 दिन लेती है, इसलिए कपास-गेहूं फसल चक्र के लिए उपयुक्त है| यदि इस किस्म की बिजाई अप्रैल माह के पहले पखवाड़े में की जाए तो अधिक पैदावार के साथ-साथ रेशे की गुणवत्ता भी अच्छी मिलती है|

एच डी- 432

यह देसी कपास की किस्म वर्ष 2010 में बिजाई के लिए अनुमोदित की गई| इसका तना एवं पत्तियां हरे रंग की, फूल सफेद रंग का, छोटे आकार का व फूल के आधार पर, अंदर लाल धब्बा होता है| इसका तना मजबूत होता है, जिसके कारण पौधे गिरते नहीं हैं| इस किस्म का मुख्य गुण है, कि टिण्डे खुलने के बाद कपास कम गिरती है, जिससे बार-बार चुनाई करने की आवश्यकता नहीं पड़ती|

इस देसी कपास की किस्म के रेशे की गुणवत्ता अच्छी है| यह किस्म 160 से 170 दिन में पक कर तैयार हो जाती है, इसलिए यह किस्म कपास-गेहूँ व कपास-राया फसल-चक्र के लिए उपयुक्त है| इस किस्म की औसत पैदावार 8.6 किंवटल प्रति एकड़ है तथा अधिकतम पैदावार 15.4 किंवटल प्रति एकड़ है| इस किस्म में 39.3 प्रतिशत रूई एवं रेशे की औसत लंबाई 21.2 मिलीमीटर है|

यह भी पढ़ें- कपास फसल की विभिन्न अवस्थाओं के अनुसार प्रमुख कीट व रोग प्रकोप

आर जी- 8

इस देसी कपास की किस्म के पौधों की पत्तियां संकरी गहरी कटी हुई होती है| फूल हल्के पीले रंग के जिनकी पखुड़ियों के अन्दर लाल धब्बे पाये जाते है| टिण्डों का आकार अंडाकार होता है, यह किस्म अन्य प्रमाणित किस्मों की अपेक्षा जल्दी पकती है| इसकी ओटाई प्रतिशत भी अधिक होती है|

आर जी- 18

यह देसी कपास की मध्यम समय 160 से 170 दिन में पकने वाली ऐकांक्षी शाखाओं वाली किस्म है| इसके पौधों की ऊंचाई 130 से 140 सेंटीमीटर होती है| इसकी पत्तियां सैंकड़ी एवं बैंगनी रंग की होती है और फूलों का रंग गुलाबी होता है, जिस पर गहरे हरे रंग के धब्बे पाये जाते है| टिण्डे का आकार मध्यम (औसत वजन 2.2 ग्राम) व औसत ओटाई 38 प्रतिशत है| इसकी औसत उपज 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ होती है| यह किस्म जड़गलन रोग के प्रति सहनशील है|

एच डी- 123

इस देसी कपास की किस्म की पत्तियां सकड़ी कटी होती है| इसमें फल छोटे और सफेद रंग के होते है, जिनकी पखुडियों के अन्दर लाल-धब्बे पाये जाते है| इसकी औसत उपज 12 से 15 क्विंटल होती है|

आर जी- 542

इस देसी कपास के पौधे 140 से 145 सेंटीमीटर लम्बे होते है| फूल क्रीम रंग के पंखुड़ियों की अंन्दरूनी निचली सतह पर लाल धब्बे होते है| टिण्डों का औसत वजन 3.00 ग्राम होता है| रेशा प्रतिशत लगभग 35.9 होती है, जबकि रेशे की औस्त लम्बाई 23.2 मिलीमीटर पाई गई है| अनुकुल परिस्थितियों व उचित प्रबंधन से यह किस्म 160 से 170 दिनों में तैयार होकर लगभग 12 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन दे सकती है| इस किस्म में रूई झड़ने की समस्या तुलनात्मक रूप से कम है|

यह भी पढ़ें- कपास में एकीकृत कीट प्रबंधन कैसे करें

देसी कपास की संकर किस्में

ए ए एच- 1

देसी कपास की प्रथम संकर किस्म वर्ष 1999 में उत्तरी भारत के लिए सिफारिश की गई थी| इसकी मुख्य विशेषता यह है, कि संकर बीज का उत्पादन आसान तथा सस्ता पड़ता है, क्योंकि बीज पैदा करने में नर-बंध्यता का प्रयोग किया जाता है| देसी कपास की ए ए एच 1 संकर में मादा बंध्य 1-डी एस 5 तथा नर एच डी 266 का प्रयोग किया गया है|

संकर किस्म का पौधा 150 सेंटीमीटर ऊंचा, बैंगनी लाल रंग के पत्ते व तने वाला होता है| इसके फूल हल्के पीले रंग के तथा पुंकेसर पीले रंग के होते हैं| इसकी अप्रैल में बुवाई करके अक्तूबर तक अंतिम चुनाई हो जाती है| इसकी औसत पैदावार 10 क्विटल प्रति एकड़ है| इसमें 38 प्रतिशत रूई और इसका रेशा 18.4 मिलीमीटर लम्बा है|

राज डी एच- 9

इस जी एम एस आधारित देसी कपास की संकर किस्म के पौधों की ऊंचाई 140 सेंटीमीटर 145 सेंटीमीटर पत्तियां अर्द्ध चौड़े आकार की हल्के हरे रंग की होती है| फूल पीले रंग के, जिनकी पखुड़ियों के अन्दर लाल धब्बे पाये जाते है| टिण्डों का आकार अर्द्ध अण्डाकार होता है और औसत रेशा 39 प्रतिशत है| इस किस्म की औसत उपज 11से 13 क्विंटल प्रति एकड़ होती है| यह किस्म 160 से 170 दिन में पककर तैयार हो जाती है|

यह भी पढ़ें- बारानी क्षेत्रों की फसल उत्पादकता वृद्धि हेतु उन्नत एवं आधुनिक तकनीक

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