लाख या लाह हमारे देश की एक प्राकृतिक धरोहर है| जो आदिवासी व गरीबों का नकदी फसलों की अनुपस्थिति में आय का प्रमुख स्रोत है| लाख एक प्राकृतिक रॉल है जो कि शल्कीय मादा लाख कीट के शरीर से स्राव के गाढ़े होने के पश्चात् प्राप्त होती है| लाख की खेती मुख्यतः भारत, म्यांमार, थाईलैण्ड, मलाया आदि देशों में होती है| भारत में झारखण्ड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश आदि अग्रणी राज्य है| अन्य राज्यों में भी लाख की खेती की प्रबल सम्भावनाएँ है| भारत में विश्व की 70 प्रतिशत लाख का उत्पादन होता है, जिसमें से 90 प्रतिशत झारखण्ड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल राज्यों से आता है|
लाख कीट का वैज्ञानिक नाम कैरिया लेका ‘कैर’ है| यह लैसिफिरेडी परिवार का सदस्य है| लाख कीट की दो किस्में होती है जिन्हें रंगीनी व कुसुमी कहते हैं| प्रत्येक जाति से वर्ष में दो फसलें ली जाती है| भारतवर्ष में लाख उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत भाग रंगीनी किस्म की फसलों से उत्पन्न होता है तथा शेष भाग कुसुमी फसलों से पैदा होता है| सबसे अच्छी लाख कुसुमी फसलों से ही पैदा होती है और बाजार में दाम भी अधिक प्राप्त होता है| 1 किलोग्राम राल के उत्पादन के लिए 300,000 कीटों की आवश्यकता होती है|
लाख के मुख्य पोषक वृक्ष
लाख किस्म | पोषक वृक्ष |
रंगीनी | बेर, पलास, पीपल, गुलर, रेन ट्री, पुटकल फ्लेमेन्जिया माइक्रोफाइला, गोंट आदि |
कुसुमी | कुसुम, बेर, सेमियालता, खैर, गलवांग (सिरिस ) आदि |
इन सभी पोषक पौधों में पलास, कुसुम, बेर, खैर एवं गलवांग मुख्य हैं| भारत में लगभग 90 प्रतिशत लाह का उत्पादन इन्हीं पर होता है|
लाख फसल एवं अवधि
लाख | फसल | बीहड़ चढ़ाना | पकने का समय | अवधि (माह) |
कुसुमी | अगहनी | जून-जुलाई | जनवरी-फरवरी | 6 माह |
जेठवी | जनवरी-फरवरी | जुन-जुलाई | 6 माह | |
रंगीनी | कतकी | जून-जुलाई | अक्टूबर-नवम्बर | 4 माह |
बैसाखी | अक्टूबर-नवम्बर | जून-जुलाई | 8 माह |
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लाख का उत्पादन एवं विभिन्न प्रक्रियाएँ
लाख उत्पादन की प्रक्रिया आसान व बिना बड़े खर्च के शुरू की जा सकती है| लाह उत्पादन की दो विधियाँ प्रचलित हैं, जैसे-
प्रचलित विधि/परम्परागत विधिः यह विधि बहुत प्राचीन एवं अवैज्ञानिक है| इसमें लाख के पौधों को ही काटकर लाख एकत्रित की जाती है, तथा लक्ष कीट का कोई ध्यान न देकर लाख निकाली जाती है| फलस्वरूप कीट नष्ट हो जाते हैं| यह विधि प्रायः आदिवासियों द्वारा ही अपनाई जाती है|
आधुनिक विधि: यह विधि के अनुसार पौधों को 3 भागों (कुसुम को 4 भागों) में विभाजित किया जाता है, तथा उनसे लाख एक साथ न निकालकर बारी-बारी से निकालते हैं| इससे सभी वृक्षों को आराम मिलता है, तथा वे सूखते नहीं है| अच्छी लाख के उत्पादन के लिए विभिन्न प्रक्रियाएँ अपनाई जाती है जो निम्न हैं, जैसे- (i) उपयुक्त स्थान का चुनाव, (ii) वृक्षों की कांट-छांट, (iii) कीट संचारण, (iv) फुंकी उतारना (v) दवा का छिड़काव, (vi) फसल कटाई| सभी का विवरण इस प्रकार है, जैसे-
उपयुक्त स्थान का चुनाव
स्थान का चुनाव पोषक पौधों के लिए आवश्यक वातावरण के आधार पर करना चाहिए| लाह उत्पादन के लिए वार्षिक वर्षा 1000 से 1500 मिमी तथा तापमान 24-27 डिग्री सेन्टीग्रेड तक उपयुक्त माना जाता है, तथा मृदा पोषक तत्वों युक्त हो|
वृक्षों की कांट-छांट
पौधों की कांट-छांट लाख उत्पादन की मुख्य प्रक्रिया हैं पौधों की निरन्तर वृद्धि के लिए हल्की कांट-छांट करनी चाहिये तथा इससे पेड़ का आकार भी बनता है| अंगूठे से मोटी (2.5 सेमी व्यास से अधिक) टहनियां न काटे, 1.25 सेमी व्यास से कम तथा 2.5 सेमी से कम के मध्य की टहनियों को उनके उत्पत्ति स्थान से काट देंवे|
सूखी, रोग ग्रस्त, कमजोर टहनियों को भी काट देना चाहिये| अधिकतर लाह उत्पादक कांट-छांट के लिए कुल्हाड़ी व दराती का उपयोग करते हैं| लेकिन इनसे सही काट-छांट नहीं हो पाती है व कभी-कभी पेड़ को भी नुकसान पहुँच जाता है| सिकेटियर व पेड़ प्रुनर इसके लिए उपयुक्त यंत्र है| कांट-छांट के उदेश्य, प्रकार और समय इस प्रकार है, जैसे-
उदेश्य
1. नई, स्वस्थ, रसदार टहनियों को बढ़ाने के लिए|
2. पोषक पेड़ को आराम प्रदान करन के लिए जिससे वह स्वस्थ रहे|
पोषक पौधे की काट-छांट के प्रकार
हल्की कटाई: 2.5 सेमी व्यास से कम की टहनियों की कटाई , उदाहरण- बेर, पलास, कुसुम|
भारी कटाई: 7 सेमी व्यास से कम की टहनियों की कटाई, उदाहरण- फ्लेमेन्जिया माइक्रोफाइला, फ्लेमेन्जिया सेमिमालता|
काट-छांट का समय: पलास व बेर में कीट संचरण के 6 माह पूर्व तथा कुसुम में 18 माह पूर्व| इसके लिए नीचे सारणी देखे, जैसे-
पेड़ | फसल | कब |
पलास | कतकी | मध्य फरवरी |
बैसाखी | अप्रेल | |
बैर | बैसाखी | अप्रेल |
अगहनी | जनवरी | |
कुसुम | अगहनी | जनवरी / फरवरी |
जेठवी | जून/जुलाई |
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कीट संचारण
पोषक पेड़ों पर लक्ष कीट को चढ़ाने की क्रिया को संचारण कहते हैं| जिन पौधों पर लाख कक्ष होती है| उनमें से अच्छी व स्वस्थ लाह टहनियों को छांट लेते हैं, और इन बीहन लाख (गर्भयुक्त मादा लाख कीट सहित टहनियाँ) का बण्डल बनाकर वृक्षों की डालियों पर बांध दिया जाता है| उनमें से शिशु निकल कर पोषक पौधों की हरी टहनियों पर इधर-उधर टहल कर उपयुक्त स्थान तलाश कर लेते हैं, और वही पर चिपक कर रस चूसते हैं तथा लाख उत्पन्न करने लग जाते हैं| इसके लिए सावधानियाँ इस प्रकार है, जैसे-
1. जब लक्ष कक्ष पर पीला धब्बा दिखाई दे| मतलब यह टहनी कीट संचारण के लिए उपयुक्त हो गई है|
2. लगभग आधा फीट लम्बी 3-4 टहनियों के बण्डल बनायें|
3. बीहन लाख के बण्डलों को वृक्षों की टहनियों के समानान्तर ऊपर की ओर मोटी डालियों पर कसकर बांधे|
4. बीहन लाख के टुकड़ों ( टहनियों से अलग हुए) का उपयोग नाईलान की जाली में भरकर करे|
5. शत्रु कीटों से सुरक्षा हेतु 60 मेश नाईलान की जाली (33 सेमी x 10 सेमी) में भरकर पेड़ों पर बांध दे|
फुंकी उतारना
बीहन लाख बांधने के 21 दिन बाद शिशुक कीट निर्गमन के पश्चात् बची हुई लाख डण्डी ही फुंकी लाख कहलाती है|
दवा का छिड़काव
परजीवी एवं शिकारी दोनों प्रकार के ही कीट इसके शत्रु है| इनसे लगभग 30-40 प्रतिशत नुकसान का अनुमान लगाया गया है, जैसे-
परजीवी कीट
सभी परजीवी कीटों में से टेकार डिफेगसटेकारडिई व टेट्रास्टिकल परप्युरियम मुख्य है| जो लाह को नुकसान पहुँचाते हैं| यह अपने अण्डे लक्ष कक्ष में दे देते हैं, तथा अण्डों से निकलते ही लाह कीट पर भरण करते हैं| इनसे 5-10 प्रतिशत हानि प्रतिवर्ष होती है|
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शिकारी कीट
सभी शिकारी कीटों में से युबलेमा अमाबिलिस व होलोसेरा पुलवेई प्रमुख हैं, इन दोनों की सुण्डियां लक्ष कीट और लाख दोनों को ही खाती है| इनके अतिरिक्त क्राइसोपा स्पिसीज भी कीटों को खाती है| शिकारी कीटों से उपज में लगभग 40 प्रतिशत हानि का अनुमान लगाया गया है|
रोकथाम एवं नियंत्रण
1. परजीवी व शिकारी कीटों से युक्त बीहन लाख का ही उपयोग करें|
2. फुंकी लाह को 3 सप्ताह (21 दिन) बाद हटा लेना चाहिए|
3. यांत्रिक नियंत्रण: शत्रु कीटों से सुरक्षा हेतु 60 मेश नाईलॉन की जाली (33 सेमी x 10 सेमी) टहनियों जिन पर लाख का कीट स्थित है पर दोनों सिरे से बांध दे|
रासायनिक नियंत्रण
सामान्यतः कीटनाशक इथोफेनप्राक्स 0.02 प्रतिशत, डाइक्लोरवाश 0.03 प्रतिशत व फफूंदनाशक कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू पी 0.01 प्रतिशत सभी फसलों में कीट संचारण के एक माह पश्चात् या फुंकी हटाने के एक सप्ताह के भीतर तथा दूसरी बार डाइक्लोरवाश 0.03 प्रतिशत नर कीट निकलने के एक सप्ताह पहले करें|
रंगीनी बैसाखी: पलास व बेर पर कीट संचारण के 30, 60 और 90 दिन पर (105-125 दिनों के बीज छिड़काव न करे) छिड़काव करे|
कतकी: अगस्त के प्रथम सप्ताह में कीट संचारण के 30, 60 दिन पर (42-58 दिन के बीच छिड़काव न करे ) छिड़काव करे|
कुसुमी जेठवी: फरवरी के अन्तिम या मार्च के प्रथम सप्ताह और अप्रेल के अन्तिम या मई के प्रथम सप्ताह में|
अगहनी: कीट बैठने के पश्चात् अगस्त प्रथम सप्ताह और अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में छिड़काव करे|
सूक्ष्म जैविक नियंत्रण
जैविक कीटनाशी थुरीसाइड (बैसिलस थुरीन्जैनेसिस) का 30-35 दिन की फसल पर छिड़काव करे|
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फसल कटाई
जब लाख कक्ष पर पीला धब्बा दिखाई देने लगे तब यह बीहन लाह के लिए फसल की कटाई का उपयुक्त समय होता है| यह शिशुक कीट के कक्ष से निकलने का सूचकांक भी होता है| फसल की कटाई भी सिकेटियर व लम्बे पेड़ छांटने के यंत्र (प्रुनर) से की जाती है| यदि पूरी फसल एक साथ न पके तो जिन टहनियों पर लाख परिपक्व हो गई हो उन की कटाई कर लेनी चाहिये| अपरिपक्व (अरी) लाह कटाई पर परिपक्व (स्टिक) लाह की अपेक्षा 25 प्रतिशत उपज कम प्राप्त होती है| परिपक्व कटी टहनियों को इकट्ठा कर व लाख को खुरचकर प्राप्त की जाती है| फसल की कटाई पर निम्न बातों का ध्यान रखें, जैसे-
ग्रीष्मकालीन फसलें (जेठवी व बैसाखी): इनकी पूरी कटाई अण्डे से शिशुक कीट निकलने के एक सप्ताह पहले (पीला धब्बा दिखने पर ) कर लेनी चाहिए|
शीतकालीन फसलें (अगहनी व कतकी): इनकी पूरी कटाई अण्डे से शिशुक कीट निकलने लगते ही पूरी कर लेनी चाहिये|
नोट: लाख को शीघ्र दूसरे स्थान पर पहुँचाए जहाँ कीट का संचारण करना है|
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न?
प्रश्न: लाख की खेती क्या है?
उत्तर: लाख एक प्राकृतिक राल है जो लाख के कीड़ों से स्रावित होता है| ये कीट कुछ मेज़बान पेड़ों में रहते हैं और मेज़बान पेड़ों में कीड़ों को संक्रमित करके लाह की व्यावसायिक खेती संभव हो पाती है| 19वीं शताब्दी तक भारत लाह का सबसे बड़ा निर्यातक था और सिंथेटिक लाख के कारण उत्पादन में कमी आई|
प्रश्न: लाख की खेती कब होती है?
उत्तर: अक्टूबर-नवंबर के दौरान, पेड़ों के दो समूहों को टीका लगाया जाता है| अगले वर्ष अप्रैल में बेर के पेड़ों से अरी लाह की फसल काटी जाती है और पलास के दूसरे समूह के पेड़ों की छंटाई की जाती है| पलास के पेड़ों के पहले समूह पर लाख की फसल को जून-जुलाई में स्वयं टीकाकरण के लिए छोड़ दिया जाता है और अक्टूबर-नवंबर में पूरी फसल काट ली जानी चाहिए|
प्रश्न: लाख की खेती कैसे की जाती है?
उत्तर: लाख की खेती में मेजबान पौधों की उचित देखभाल, मेजबान पौधे की नियमित छंटाई, संक्रमण या टीकाकरण, फसल काटना, कीड़ों का नियंत्रण और झुंड का पूर्वानुमान, लाह का संग्रह और प्रसंस्करण शामिल है|
प्रश्न: जल्दी काटी गई लाख को क्या कहते हैं?
उत्तर: कटाई दो प्रकार की होती है- (ए) अपरिपक्व कटाई- झुंड में आने से पहले लाह की कटाई, एकत्रित लाख को एरी लाख कहा जाता है| (बी) परिपक्व कटाई- झुंड बनाकर लाख को खुरचने से प्राप्त लाह को फुंकी लाख कहा जाता है|
प्रश्न: कौन सा पेड़ लाख पैदा करता है?
उत्तर: भारत में सबसे आम मेजबान पौधे हैं: ढाक (ब्यूटिया मोनोस्पर्मा) बेर (ज़िज़िफस मॉरिटियाना) कुसुम (श्लीचेरा ओलियोसा)|
प्रश्न: लाख पालन में किस कीट का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर: केरिया लैका, केरिडी परिवार में कीड़ों की एक प्रजाति है, जो लाख कीड़े हैं| ये सुपरफैमिली कोकोइडिया, स्केल कीड़े में हैं| यह प्रजाति संभवतः व्यावसायिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण कीट है, जो लाह का मुख्य स्रोत है, एक राल जिसे शैलैक और अन्य उत्पादों में परिष्कृत किया जा सकता है|
प्रश्न: सर्वाधिक लाख उत्पादन किस राज्य में होता है?
उत्तर: सही उत्तर झारखंड है| कच्चे उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में अग्रणी लाह उत्पादक है, जिसका वार्षिक उत्पादन 20,000 टन से अधिक है|
प्रश्न: लाख से क्या बनता है?
उत्तर: लाख एक प्रकार की कठोर और आमतौर पर चमकदार कोटिंग या फिनिश है जो लकड़ी या धातु जैसी सामग्रियों पर लगाई जाती है| यह अक्सर पेड़ों और मोम से निकाले गए राल से बनाया जाता है और प्राचीन काल से इसका उपयोग किया जाता रहा है|
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