सेम (Beans) की फसल से अधिकतम उत्पादन के लिए उन्नतशील किस्म का चयन करना आवश्यक है| क्योंकि सेम की खेती एक व्यवसाय के रूप में अपना स्थान रखती है| इसका दलहन और सब्जी उत्पादन में विशेष योगदान है| इसकी खेती पूरे भारत वर्ष में की जाती है| सेम की अनेक प्रकार की उन्नतशील किस्में होती है| किस्मों के अनुसार सेम की फलियाँ विभिन्न आकार की लम्बी, चपटी, टेड़ी और हरे और पीले रंग की हो सकती है|
एक सीमित बढवार वाली, दूसरी असीमित बढवार वाली इसके साथ ही कुछ रोग अवरोधी किस्में भी होती है| इस लेख में सेम की उन्नतशील किस्में तथा उनकी विशेषताएं और पैदावार क्षमता की जानकारी का उल्लेख किया गया है| सेम की उन्नत उत्पादन तकनीक की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- सेम की उन्नत खेती कैसे करें
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सेम की उन्नत किस्में
सेम की कुछ उन्नतशील किस्मों की विशेषताएं और पैदावार क्षमता इस प्रकार है, जैसे-
काशी हरितमा
इस सेम की उन्नतशील किस्म को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा शुद्ध पंक्ति चयन विधि द्वारा विकसित किया गया है| इसके पौधे हरे व अच्छी बढ़वार वाले होते है| इसकी फलियाँ हरी, चपटी, मुलायम व रेशा रहित होती हैं तथा बीज का रंग लाल भूरा होता है| लम्बी बढ़वार वाले (ध्रुव प्रकार) पौधे, 250 से 300 फली प्रति पौधा, फली की लम्बाई 13.8 से 14.9 सेंटीमीटर, चौड़ाई 3.1 से 3.4 सेंटीमीटर, मोटाई 0.89 से 0.98 सेंटीमीटर| हरी फलियों की औसत पैदावार 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
काशी खुशहाल (वी.आर.सेम- 3)
यह सेम की उन्नतशील प्रजाति भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकसित की गयी है| पौधे असीमित बढ़वार वाले होते है| यह एक अगेती किस्म जो बीजों के बुवाई के 95 से 100 दिनों बाद खाने योग्य फलियों की तुड़ाई की जा सकती है| फलियाँ तना के गाँठों पर लगती है| फलियाँ गहरी हरी, चपटी जिनकी लम्बाई लगभग 15 सेंटीमीटर तथा चौड़ाई 2.5 सेंटीमीटर रहती है| इस किस्म की औसत पैदावार 357 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
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बी.आर.सेम- 11
यह सेम की उन्नतशील एक असिमित बढ़वार वाली किस्म जो भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गयी है| इस किस्म का अखिल भारतीय समन्वित सब्जी सुधार परियोजना के तहत परिक्षण किया गया है, जो मेघालय, कोयम्बटूर, बंगलौर, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल के लिये उपयोगी किस्म मानी गयी है| इस किस्म की औसत पैदावार 339 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
पूसा सेम- 2
इस सेम की उन्नतशील किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली से विकसित किया गया है| इसके पौधे लता के रूप में बढ़ते हैं| इसकी फलियाँ चौड़ी, गहरे रंग की रेशा रहित तथा 15 से 17 सेंटीमीटर लम्बी होती है| इसकी हरी फलियों की औसत पैदावार 138 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है|
पूसा सेम- 3
इस किस्म को भी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली से विकसित किया गया है| इसके पौधे लता के रूप में बढ़ते हैं| फलियाँ काफी चौड़ी, मुलायम, गूदेदार तथा बिना रेशे की होती है| फलियों की लम्बाई 15 से 16 सेंटीमीटर होती है| इसकी हरी फलियों की औसत उपज 170 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है|
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जवाहर सेम- 53
यह सेम की उन्नतशील एक अगेती किस्म है, इसे भी जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा विकसित किया गया है| यह किस्म जे. बी.पी.- 2 की सुधरी किस्म है| इसके पौधे लता के रूप में बढ़ते हैं| इसका तना गहरे बैगनी रंग का होता है| फलियाँ हरे सफेद रंग की होती है तथा किनारे पर बैंगनी रंग के धब्बे होते है| फलिया 8 से 10 सेंटीमीटर लम्बी तथा 3 से 7 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं|
प्रत्येक फली में 3 से 4 बीज पाये जाते हैं| हरी फलियों की उपज 140 से 150 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है| इसके प्रति 100 ग्राम खाने योग्य भाग में 3.5 ग्राम प्रोटीन पायी जाती है| यह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश के उन सभी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है जहाँ वर्षा कम होती है तथा नमी का अभाव होता है|
जवाहर सेम- 79
यह सेम की उन्नतशील एक देर से तैयार होने वाली किस्म है ,जो कि जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर से जे.बी.पी.- 16 किस्म से चयन करके विकसित की गयी है| इसके तने गहरे हरे रंग के होते हैं तथा पुष्प का रंग बैगनी होता है| फलिया आकर्षक सफेद रंग की, 8 से 10 सेंटीमीटर लम्बी तथा 3 से 7 सेंटीमीटर चौड़ी होती है|
प्रत्येक फली में 3 से 4 बीज पाये जाते हैं| इसके प्रति 100 ग्राम खाने योग्य भाग में 3.5 ग्राम प्रोटीन पायी जाती है| इसकी पैदावार क्षमता 170 से 175 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है| यह किस्म मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश के उन सभी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है जहाँ वर्षा का औसत बहुत कम होता है|
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कल्याणपुर-टाइप
इस सेम की उन्नतशील किस्म को शाक भांजी अनुसंधान केन्द्र, कल्याणपुर, कानपुर से विकसित किया गया है| यह किस्म उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त पायी गयी है| यह चढ़ने वाली किस्म है इसकी लताओं की लम्बाई 4 से 5 मीटर तथा पौधे का रंग हरा होता है| फूल और फलियाँ गुच्छों में आती है तथा प्रति गुच्छे में 8 से 12 फलियाँ लगती है| फलियाँ सफेद, चौड़ी, चपटी और रसदार होती हैं| इसकी हरी फलियों की पैदावार 160 से 170 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है|
रजनी
यह सेम उन्नतशील किस्म उत्तर प्रदेश के लिए काफी उपयुक्त है इसके पौधे लता के रूप में बढ़ते हैं| तने का रंग प्रारम्भि अवस्था में बैंगनी होता है और बाद में हरा हो जाता है| फलियाँ गहरे हरे रंग की, 12 सेंटीमीटर लम्बी तथा 1.2 से 1.5 सेंटीमीटर चौड़ी होती है| इसकी हरी फलियों की पैदावार 140 से 150 कुन्तल प्रति हेक्टेयर होती है|
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एचडी- 1
यह अगेती किस्म है, इसकी फलियाँ मध्यम आकार की और हरे रंग की होती है| इस किस्म से 120 से 130 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त की जा सकती है|
एचडी- 18
इस सेम की उन्नतशील किस्म की फलियाँ गुछो में लगती है, जो 7 से 15 तक हो सकती है| फलियाँ लम्बी और मोटी और हरे रंग की आकर्षक होती है|
पूसा अर्ली प्रोलिफिक
इसकी फलियाँ लम्बी पतली और मुलायम होती है| और गुच्छों में लगती है| इस किस्म को बसंत और वर्षा ऋतू दोनों में उगाया जा सकता है|
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