मई माह निश्चित रूप से आपके बगीचे में गर्म मौसम वाले वार्षिक पौधे लगाने का महीना है। रातें लगातार गर्म हो रही हैं, दिन लंबे और धूप वाले हैं और थर्मामीटर बढ़ रहा है। गर्म मौसम वाले वार्षिक पौधों की अभी सभी आकारों में प्रचुर आपूर्ति होनी चाहिए। इससे पहले कि बहुत गर्मी हो, अभी उन्हें रोपित कर लें। जुलाई या अगस्त की तुलना में अब वे थोड़ी आसानी से स्थापित हो जाएंगे और सिंचाई भी थोड़ी आसान हो जाएगी।
यदि आपको कुछ वास्तविक गर्म मौसम के सिज़लर की आवश्यकता है, तो डहलिया, ज़िनिया, गोम्फ्रेना, क्लियोम, पोर्टुलाका और लिशियनथस आज़माएँ। इन पौधों को गर्मी बिल्कुल पसंद है। उनकी त्वरित वृद्धि और भारी फूल क्षमता के कारण, वार्षिक पौधों को बगीचे के अधिकांश अन्य पौधों की तुलना में अधिक बार उर्वरक की आवश्यकता होती है। मई माह में किये जाने वाले प्रमुख बागवानी फसलों और पुष्प व सुगंध आदि कार्यों का विवरण इस प्रकार से है।
मई माह में बागवानी फसलें
1. नये बाग लगाने के लिए गड्ढे खोद दें, ताकि धूप से कीटों और रोगों का नियंत्रण हो सके। महीने के आखिर में इन गड्ढों में आधी ऊपर वाली मृदा और आधी कम्पोस्ट में क्लोरोपायरीफॉस दवाई मिलाकर पूरी तरह से ऊपर तक भर दें।
2. गर्मी के कारण उचित जल प्रबंधन आवश्यक होता है। अतः बागवानी फसलों में 10-12 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। जरूरत की दर से कटाई-छंटाई करनी चाहिए।
3. आम, अमरूद, पपीता, लीची, अंगूर, आंवला, बेर, नाशपाती, आलूबुखारा एवं नीबू में आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें।
4. आम में फुदका कीट नियंत्रण के लिए फलों के मटर के आकार की अवस्था पर मोनोक्रोटोफॉस 1.25 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। डैस्सी मक्खी के नियंत्रण के लिए कार्बोरिल 0.2 प्रतिशत के साथ 0.1 शर्करा और 0.1 प्रतिशत मैलाथियान मिलाकर ट्रैप बनाकर लटकाएं। खर्रा या पाउडरी रोग के लिए 0.2 प्रतिशत घुलनशील गंधक का प्रयोग करें।
कोइलिया फल विकार के लिए बोरेक्स 1 प्रतिशत का छिड़काव फल लगने पर सिंचाई के साथ करें। आम के फलों का ऊतकक्षय रोग से बचाव के लिए 8 ग्राम बोरेक्स को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। फलों के टपकने से रोकने के लिए वृद्धि हार्मोन एनएए 20 पीपीएम का छिड़काव करें।
5. मई में छंटाई के बाद उभरने वाली नई शाखाओं में सर्दियों की फसल के लिए अधिक फल देने की क्षमता होती है। तेज धूप से झुलसन को रोकने के लिए पेड़ों के बड़े अंगों और तनों पर कॉपर तथा चूने का लेप लगाएं।
6. अंगूर के बाग में गर्मी के मौसम में एक सप्ताह के अन्तराल पर सिंचाई करें। एंथ्रेक्नोज एवं सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोगों की रोकथाम के लिए फाइटालोन या ब्लाइटॉक्स का 0.3 प्रतिशत का छिड़काव अर्थात 750 ग्राम 250 लीटर पानी में प्रति एकड़ मई के प्रथम सप्ताह में छिड़काव करें और 15 दिनों के अन्तराल पर सितम्बर तक छिड़काव करते रहें।
7. रोपित केला हेतु 1.5 मीटर की दूरी पर 50X50 सेंमी के गड्ढे बना लें। प्रत्येक गड्ढे को 10 किग्रा सड़ी गोबर या कम्पोस्ट की खाद, 10 ग्राम कार्बोफ्यूरॉन, 50 ग्राम फॉस्फोरस तथा खेत के ऊपर की मृदा मिलाकर गड्ढों को भरें। रोपित केले में 25
ग्राम नाइट्रोजन पौधे से 50 सेंमी दूर गोलाई में डालकर मृदा में मिलाकर सिंचाई करें।
8. कागजी नीबू में फल फटने की समस्या के निराकरण हेतु पोटेशियम सल्फेट का 4 प्रतिशत घोल पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
9. अमरूद की सघन बागवानी भी किसानों में काफी प्रचलित है। इसमें अमरूद को 1X 2 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। इस बात का हमेशा ध्यान रखा जाना चाहिए कि बाग में पौधे लगाने की दूरी, जलवायु और मृदा की उर्वरता एवं प्रजाति विशेष पर निर्भर करती है। अमरूद की नई बढ़वार, जिस पर फूल लग रहे हों, की शाखा का 3/4 भाग काटकर निकाल दें। इससे बरसात की फसल तो कम हो जायेगी, परन्तु रबी की फसल में वृद्धि हो जायेगी।
10. अमरूद में 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहें। पुष्पण अवस्था पर 10 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव 10-15 दिनों के अंतर पर करने से जायद के मौसम में 3-8 गुना अधिक फसल प्राप्त होती है। अमरूद की फसल में मार्च से मई माह में फूल आते हैं, जिसकी फसल अगस्त से लेकर मध्य अक्टूबर तक मिलती रहती है।
11. अमरूद में बहार नियंत्रण के लिए 10 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव अप्रैल व मई माह में फूलों पर करें। मई माह की छंटाई के बाद उभरने वाली नई शाखाओं में सर्दियों की फसल के लिए अधिक फल देने की क्षमता होती है। तेज धूप से झुलसन को रोकने के लिए पेड़ों के बड़े अंगों और तनों पर कॉपर तथा चूने का लेप लगाएं।
मई माह में पुष्प व सुगंध वाले पौधे
1. रजनीगंधा में एक सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई व दो सप्ताह के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए, जिससे खेत में खरपतवार न बढ़ने पाये। यह फसल के लिए हानिकारक होता है। उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में कन्द लगाने का उचित समय फरवरी के अन्तिम सप्ताह से लेकर जुलाई तक है। देर से लगाने पर व्यवसाय के योग्य पुष्प डंडियां तो मिल जाती हैं, परन्तु नवजात कन्द कम बनते हैं। पहाड़ी इलाकों में कन्द रोपण का उचित समय मई से जून माह तक रहता है।
2. रजनीगंधा कन्द को पंक्तियों में लगाना ठीक रहता है। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30-40 सेंमी और पंक्तियों में कन्द से कन्द की दूरी 15-20 सेंमी रखनी चाहिए। एक एकड़ रजनीगंधा लगाने हेतु लगभग 50-60 हजार कन्दों की आवश्यकता होती है। अच्छी पुष्प डंडियां प्राप्त करने के लिए 3 से 5 सेंमी व्यास वाले कन्द लगाना अच्छा रहता है। कन्द लगाते समय खेत में नमी का रहना आवश्यक है।
3. मई माह में गुलाब की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई व निराई-गुड़ाई करते रहें।
4. चाइना एस्टर, गेंदे तथा कारनेशन में शीर्ष नोचन तथा लिलियम में फूलों की तुड़ाई शुरू करें।
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5. कन्द से कल्ले अंकुरित होकर दिखाई देने लगे, तब सिंचाई कर देनी चाहिए। समय-समय पर वातावरण के अनुसार सिंचाई करते रहें। अच्छी पैदावार के लिए खेत में नमी बनी रहनी चाहिए।
6. कीट या रोग का प्रकोप हो, तो 0.2 प्रतिशत फफूंदीनाशक कैप्टॉन या बाविस्टिन और 0.2 प्रतिशत कीटनाशक दवा – रोगोर, मेटासिस्टॉक्स आदि का घोल बनाकर 20-25 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करते रहें।
7. मई माह में ग्लेडियोलस फूल की खेती में सिंचाई लगभग 10 से 12 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए। ध्यान दें कि जब कंद जमीन से निकल रहे हों, तब उनमें 2 से 3 सप्ताह तक पानी रोक दें। इस तरह पौधों का विकास अच्छा होता है।
8. डेफोडिल नरगिस में कन्द से कल्ले अंकुरित होकर दिखाई दें, तो सिंचाई कर देनी चाहिए। अच्छी उपज लेने के लिए खेत में नमी बनी रहनी चाहिए। रोग या कीट का प्रकोप हो, तो 0.2 प्रतिशत बाविस्टिन और 0.2 प्रतिशत रोगोर या मेटासिस्टॉक्स आदि का घोल बनाकर 20-25 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करते रहें।
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