• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post
Home » फरवरी महीने में लगाए जाने वाले फलों के पौधे और कृषि कार्य

फरवरी महीने में लगाए जाने वाले फलों के पौधे और कृषि कार्य

February 9, 2024 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

फरवरी महीने में लगाए जाने वाले फलों के पौधे और कृषि कार्य

फरवरी सर्दियों का अंतिम महीना है| इस महीने में बहुत सारे फल और फूल उगते हैं| फरवरी बागवानी को वसंत बागवानी के रूप में भी जाना जाता है| बाहर का वातावरण ठंडा है, लेकिन कुछ पौधों को बाहर और कुछ को ग्रीन हाउस के वातावरण में या घर के अंदर उगाया जा सकता है| इस बीच, आपको व्यस्त रखने के लिए यहां बागों के रखरखाव की भी सलाह दी गई है| निचे लेख में उन सभी फलों और फूलों की सूची दी गई है, जिन्हें फरवरी के महीने में बोया और उगाया जा सकता है|

फरवरी महीने में लगाए बागवानी फसलें और कृषि कार्य

1. आम में भुनगा कीट (मेंगो हॉपर) कीट कोमल प्ररोहों, पत्तियों तथा पुष्पक्रमों से रस चूसते हैं और फल गिरने लगते हैं| इसकी रोकथाम के लिए कार्बोरिल (2 मिली प्रति लीटर पानी) या क्लोरोपाइरीफॉस (5 मिली प्रति लीटर पानी) या मोनोक्रोटोफॉस नामक रसायन की 10 मिली मात्रा को 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें या फॉस्फेमिडान 0.6 मिली प्रति लीटर पानी की दर से 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें|

2. आम में पाउडरी मिल्ड्यू (चूर्णी आसिता) की रोकथाम के लिये 250 ग्राम कैराथेन का 500 लीटर पानी में या ट्राइडेमेफान 0.1 प्रतिशत (1 मिली प्रति लीटर) या डाइनोकैप 0.1 प्रतिशत (1 मिली प्रति लीटर) या गंधक (500 ग्राम प्रति पौधा) चूर्ण का प्रयोग करना चाहिए| डायानोकेप ( 1 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव फरवरी से मार्च महीने में 15 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए| अधिक पढ़ें- आम की खेती

3. अमरूद के बीजू पौधे तैयार करने के लिए बीजों की पौधशाला में बुआई करें| अधिक पढ़ें- अमरूद की खेती

4. पौधशाला में अंगूर की स्वस्थ कलम 75×75 सेंमी चौड़े तथा गहरे गड्ढों में 1:1 गोबर की खाद तथा मिट्टी के मिश्रण भरने के बाद जनवरी-फरवरी महीने में लगानी चाहिए| अधिक पढ़ें- बागवानी पौधशाला की स्थापना

5. अंगूर में श्यामव्रण रोग की रोकथाम के लिए ब्लाइटॉक्स- 50 दवा का छिड़काव करना चाहिए|

6. अंगूर के बाग में यदि जनवरी महीने में खाद एवं उर्वरक नहीं दिया गया है, तो फरवरी में प्रति पौधे की दर से प्रथम वर्ष 10 किग्रा कम्पोस्ट या गोबर खाद के अलावा 100 ग्राम नाइट्रोजन, 60 ग्राम फॉस्फोरस एवं 80 ग्राम पोटाश का प्रयोग करें| पांच वर्ष या इससे ऊपर यह मात्रा बढ़ाकर 500 ग्राम नाइट्रोजन, 300 ग्राम फॉस्फोरस एवं 400 ग्राम पोटाश का प्रयोग करें| अधिक पढ़ें- अंगूर की खेती

7. नीबू में मूलवृंत तैयार करने हेतु पौधशाला में बीजों की बुआई करें| फलदार बागों में नाइट्रोजन व पोटाश उर्वरकों का प्रयोग करके गुड़ाई कर दें| लेमन की कलमों की रोपाई पौधशाला में करें| नीबू के एक वर्ष के पौधे के लिए 10 किग्रा कम्पोस्ट या गोबर खाद, 25 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फॉस्फोरस एवं 25 ग्राम पोटाश का प्रयोग करें या उससे अधिक आयु के पौधे के लिए यह मात्रा बढ़कर क्रमश: 90-100 किग्रा कम्पोस्ट / गोबर की खाद, 250 ग्राम नाइट्रोजन, 500 ग्राम फॉस्फोरस व 250 ग्राम पोटाश का प्रयोग करें| अधिक पढ़ें- नींबू की खेती

8. पिछले मौसम में लगाये गये पपीते के पौधों में नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों का प्रयोग करके गुड़ाई करने के बाद एक सिंचाई कर दें| अधिक पढ़ें- पपीते की खेती

9. केले के बगीचों से सूखी पत्तियां निकालकर साफ-सफाई करें| फरवरी महीने के अंत तक नाइट्रोजन व पोटाश वाली उर्वरकों का प्रयोग करके गुड़ाई कर दें| माहू की रोकथाम के लिए क्विनालफॉस (25 ईसी) 1.0 लीटर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव कर दें| अधिक पढ़ें- केले की खेती

10. फलवृक्षों में उर्वरक देने के लिए अच्छा होगा कि वृक्ष के मुख्य तने से 1- 2 मीटर की दूरी पर लगभग 30 सेंमी चौड़ी एवं 15-20 सेंमी गहरी नाली बनाकर उसमें उर्वरकों का मिश्रण छिड़क दें तथा ऊपर से मिट्टी से ढक देने के बाद 10-15 सेंमी सिंचाई कर दें|

11. लीची के एक वर्ष के पौधे में 5 किग्रा कम्पोस्ट या गोबर खाद, 50 ग्राम नाइट्रोजन, 25 ग्राम फॉस्फोरस एवं 25 ग्राम पोटाश की मात्रा जिसे क्रमश: बढ़ाकर 10 वर्ष अथवा उससे अधिक आयु के पौधे में 50 किग्रा कम्पोस्ट या गोबर खाद, 250 ग्राम नाइट्रोजन और फॉस्फोरस एवं 500 ग्राम पोटाश का प्रयोग करे| अधिक पढ़ें- लीची की खेती

12. कटहल के फलदार बागों में नाइट्रोजनधारी व पोटाश उर्वरकों का प्रयोग करें| पत्ती के काले धब्बे की रोकथाम के लिए ब्लाइटॉक्स- 50 के घोल का छिड़काव करें| अधिक पढ़ें- कटहल की खेती

13. आडू की फसल में पर्ण-कुंचन माहूं की रोकथाम के लिए ऑक्सीडिमेटान मिथाइल 25 ईसी ( 0.2 प्रतिशत) का छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर करें| अधिक पढ़ें- आड़ू की खेती

14. लोकाट की फसल में फलछेदक और फल विगलन कीट की रोकथाम के लिए मैलाथियान 0.2 प्रतिशत व ब्लाइटॉक्स- 50 (0.25 प्रतिशत) के घोल का छिड़काव करें| अधिक पढ़ें- लोकाट फल की खेती

15. बेर के बाग को साफ रखें| फलछेदक कीट की रोकथाम के लिए मैलाथियॉन 0.5 प्रतिशत का छिड़काव करें| अधिक पढ़ें- बेर की खेती

16. फरवरी महीने में आंवला के नये व फलदार वृक्षों में नाइट्रोजनधारी व पोटाश उर्वरकों का प्रयोग करके गुड़ाई कर दें| अधिक पढ़ें- आंवला की खेती

17. फरवरी महीने में सिंचाई की सुविधा होने पर आम, अमरूद, आंवला, कटहल, लीची व पपीता के बाग का रोपण करें| फलों के नये व पुराने बागानों में अंतरासस्य के रूप में लोबिया, मिर्च, टमाटर व भिंडी आदि की बुआई/रोपाई अवश्य करें|

18. अमरूद के एक वर्ष के पौधे के लिए 10 किग्रा कम्पोस्ट या गोबर खाद, 30 ग्राम नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस एवं 60 ग्राम पोटाश व 6 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पौधे के लिए यह मात्रा बढ़कर क्रमश: 10 किग्रा कम्पोस्ट या गोबर की खाद, 180 ग्राम नाइट्रोजन और फॉस्फोरस तथा 360 ग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है| अमरूद की फसल में एंथ्रेक्नोज रोग की रोकथाम के लिए ब्लाइटॉक्स (2 ग्राम प्रति लीटर) का 20 दिनों के अंतराल पर 2-3 छिड़काव करना चाहिए|

फरवरी महीने में पुष्प व सुगंध वाले पौधे और कृषि कार्य

1. रजनीगन्धा के बल्बों के रोपण से 10-15 दिनों पूर्व क्यारियों में 45 सेंमी गहरी खुदाई करके प्रति वर्गमीटर की दर से 10 किग्रा गोबर या कम्पोस्ट खाद प्रति वर्ग मीटर तथा सिंगल सुपर फॉस्फेट व पोटाश प्रत्येक 80-100 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से बेसल ड्रेसिंग करें| अधिक पढ़ें- रजनीगंधा की उन्नत खेती

2. ग्लैडियोलस की मुरझाई हुई टहनियों को निकाल दें तथा स्पाइक के नीचे के फूल थोड़ा खिलने के बाद डंठल को काटकर विपणन हेतु भेजें| फरवरी महीने में ग्लैडियोलस में आवश्यकतानुसार सिंचाई व निराई-गुड़ाई करें| अधिक पढ़ें- ग्लेडियोलस की खेती

3. फरवरी महीने में गुलदाउदी के सकर्स को अलग करके गमलों में लगा दें| अधिक पढ़ें- गुलदाउदी की खेती

4. गुलाब के सूखे फूलों व आवश्यक अंकुरों को तोड़ दें| नये पौधे लगाने तथा बडिंग का कार्य करें| गुलाब की बसंतकालीन बहार लेने के लिए घुली हुई खाद देनी चाहिए तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई व निराई-गुड़ाई अवश्य करें| माहू की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफॉस 0.4 प्रतिशत (1 मिली प्रति लीटर) का घोल बनाकर छिड़काव करें| अधिक पढ़ें- गुलाब की खेती

5. फरवरी महीने में बसन्तकालीन बहार के लिए घुली हुई खाद देनी चाहिए तथा आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई व सिंचाई करते रहें|

6. फरवरी महीने में गर्मी के फूलों जैसे- जीनिया, सनफ्लावर, पोर्चुलाका व कोचिया के बीजों को नर्सरी में बोयें|

अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो कृपया वीडियो ट्यूटोरियल के लिए हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें| आप हमारे साथ Twitter और Facebook के द्वारा भी जुड़ सकते हैं|

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

“दैनिक जाग्रति” से जुड़े

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

करियर से संबंधित पोस्ट

आईआईआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कट ऑफ, प्लेसमेंट

एनआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कटऑफ, प्लेसमेंट

एनआईडी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, फीस, कट ऑफ, प्लेसमेंट

निफ्ट: योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, कोर्स, अवधि, फीस और करियर

निफ्ट प्रवेश: पात्रता, आवेदन, सिलेबस, कट-ऑफ और परिणाम

खेती-बाड़ी से संबंधित पोस्ट

June Mahine के कृषि कार्य: जानिए देखभाल और बेहतर पैदावार

मई माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

अप्रैल माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

मार्च माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

फरवरी माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

स्वास्थ्य से संबंधित पोस्ट

हकलाना: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

एलर्जी अस्थमा: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान, इलाज

न्यूमुलर डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, डाइट, निदान और इलाज

पेरिओरल डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, निदान और इलाज

सरकारी योजनाओं से संबंधित पोस्ट

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार: प्रशिक्षण, लक्षित समूह, कार्यक्रम, विशेषताएं

राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: लाभार्थी, योजना घटक, युवा वाहिनी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार: उद्देश्य, प्रशिक्षण, विशेषताएं, परियोजनाएं

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना | प्रधानमंत्री सौभाग्य स्कीम

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, पेंशन, देय और ऋण

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap