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पेड़ी गन्ना से अधिक उत्पादन की आधुनिक लाभकारी तकनीक

February 25, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

गन्ना उत्पादन में पेड़ी का विशेष महत्व है| गन्ने का 50 से 55 प्रतिशत क्षेत्र इसके अन्तर्गत आता है और शीघ्र परिपक्य होने के कारण पेड़ी फसल की कटाई तथा पेराई सत्र को प्रारभिक चरण में होती है| पेड़ी गन्ने की चीनी का परता अधिक होता है| परन्तु पेड़ी पैदावार कुल गन्ने का उत्पादन कम हो जाता है, जबकि पेड़ी के गन्ने में पौधे गन्ने की अपेक्षा लागत 30 से 40 प्रतिशत कम होती है|

यदि पेड़ी गन्ने पर किसान भाई ध्यान दे तो पेड़ी की उपज पौधे से अधिक की जा सकती है और समुचित रूप से प्रबन्धन करने से 3 से 4 पेड़ी की फसल भी की ली जा सकती है| गन्ना की उन्नत खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गन्ना की खेती- किस्में, प्रबंधन व पैदावार

यह भी पढ़ें- ट्रेंच विधि से गन्ना बुवाई कैसे करें

पेड़ी गन्ना के लिए किस्म का चयन

गन्ने की उस किस्म का चयन करना चाहिए, जिसकी पेड़ी की पैदावार बावग से अधिक हो, जैसे-

अगेती किस्में- को- 0238, 0239, 0118, 98014 , कोसे- 98231, सी ए एल के- 94184 आदि

सामान्य किस्में- कोसो- 1434, 97261, 8279, कोशा- 5011, कोजे- 88 आदि|

पेड़ी गन्ना से अधिक पैदावार लेने के प्रमुख बिंदु

गन्ने की कटाई-

कटाई फरवरी से अप्रैल माह तक जमीन की सतह से अवश्य कर लेनी चाहिए| क्योंकि फरवरी से पूर्व काटा गया गन्ना अधिक ठन्ड के कारण कलिकाओं का फुटाव अच्छा नही होता है|

खाली स्थानों की भराई-

पौधा गन्ने की कटाई के बाद पेड़ी गन्ने के खेत में उपस्थिति खाली स्थानों का निरीक्षण करना चाहिए और उसी प्रजाति के गन्ने की तैयार की गई नर्सरी से पौधे निकालकर खाली स्थान में लगा देना चाहिए| नर्सरी लगाने के लिए एक आँख के टुकड़ों का इस्तेमाल पोली बैग में करना चाहिए| जब पौधे 3 से 4 पत्तियों के हो जाए तब पॉलीथीन से बाहर निकाल कर ऊपर की पत्तियों को थोड़ा काटकर खाली स्थान पर रोपाई कर सिंचाई कर देनी चाहीए|

यह भी पढ़ें- गन्ने के साथ अंतरवर्ती खेती से बढ़ाएं आमदनी

पत्ती विछाना-

सूखी पत्तियों को एकान्तर पत्तियों के बीच की खाली जगह में 5 से 8 सेंटीमीटर मोटी परत के रूप में खेतों में बिछा देनी चाहिए, इससे खेत की नमी बनी रहती है, ध्यान रहे बिछी पत्तियों पर क्लोरपायरीफास छिड़काव का 5 लीटर मात्रा को 1500 से 1600 लीटर पानी घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए|

सन्तुलित उर्वरक का प्रयोग-

पौधे गन्ने की अपेक्षा 20 से 25 प्रतिशत अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता पड़ती है| अच्छी उपज पाने के लिए 200 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 60 किलोग्राम पोटास प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए| फास्फोरस, पोटास की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा पेड़ी रखने के समय प्रयोग करनी चाहिए| शेष नाइट्रोजन दो भाग में दो बार लगभग 30 दिन के अन्तराल पर उपयोग करनी चाहिए|

खरपतवार नियंत्रण-

वर्षा से पूर्व या प्रत्येक सिंचाई से पूर्व गुड़ाई करना चाहिए| 2, 4डी, 2 किलोग्राम सक्रिय तत्व की मात्रा को 600 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नष्ट हो जाते है|

यह भी पढ़ें- गन्ने की फसल में समन्वित कीट और रोग प्रबंधन

जल का प्रबन्धन-

वर्षा से पूर्व सिंचाई का उचित प्रबंधन होना चाहिए और 15 से 20 दिन के अन्तराल पर पानी लगाना चाहिए| वर्षा के उपरान्त 2 से 3 पानी देना लाभकारी है|

फसल सुरक्षा-

गन्ने को भूमिजनित कीड़ों से बचाने के लिए प्रारम्भ में 5 लीटर क्लोरपायरीफास रसायन को 1500 से 2000 लीटर पानी में घोलकर स्प्रेयर द्वारा छिड़काव करना चाहिए| चोटी बेघक हेतु फ्यूरानडान 3जी का उपयोग 12 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से जून माह के अन्तिम सप्ताह तक गन्ने की जड़ों के पास करना चाहिए| ध्यान रहे उस समय खेत में नमी आवश्यक है|

बंधाई और मिट्टी चढ़ाना-

बढ़ी हुई फसल को गिरने से बचाने के लिए जून के अन्तिम सप्ताह में गन्ने की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाए| गन्ने की पहली बंधाई अगस्त माह में अलग-अलग थान की करे| दूसरी बंघाई सितम्बर माह में दो आमने-सामने के थानों को आपस में मिलाकर करे|

उपरोक्त तकनीक से यह निश्चित है कि पेड़ी गन्ने के रख रखाव को ध्यान में रखा जाये, तो यह फसल पौघे गन्ने से 25 से 30 प्रतिशत अधिक होगी और इसमें लागत भी कम आयेगी| इसलिए किसानों को गन्ने की फसल से पूरा लाभ लेने के लिए पेडी गन्ने की उपज बढ़ाना अत्यन्त आवश्यक है|

यह भी पढ़ें- टिश्यू कल्चर एवं पॉलीबैग द्वारा गन्ना उत्पादन

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