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Home » ब्लॉग » गन्ने के साथ अंतरवर्ती खेती से बढ़ाएं आमदनी

गन्ने के साथ अंतरवर्ती खेती से बढ़ाएं आमदनी

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

गन्ने के साथ अंतरवर्ती खेती

गन्ने के साथ अंतरवर्ती खेती का अपना महत्व है| गन्ने की बढवार शुरू के 4 से 5 महीने तक धीमी गति से होती है| इससे गन्ने की दो कतारों के बीच का स्थान काफी समय तक खाली रहता है| इस बात को ध्यान में रखकर गन्ने के साथ यदि कम अवधि की फसलों को अंतरवर्ती फसलों के रूप में उगाया जाए तो निश्चित रूप से गन्ने की फसल के साथ-साथ प्रति इकाई अतिरिक्त आमदनी किसानों को प्राप्त हो सकती है| इस के लिए गन्ने के साथ इस प्रकार अंतरवर्ती फसले उगाई जा सकती है| गन्ना की उन्नत खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गन्ना की खेती- किस्में, प्रबंधन व पैदावार

गन्ने के साथ अंतरवर्ती फसलें

1. शरदकाल में गन्ने की बिजाई अंतरवर्ती खेती के बिना फायदेमंद नहीं हैं|

2. शरदकाल में बिजाई किए गन्ने के लिए सरसों, गेंहू, आलू, फूलगोभी, बंदगोभी, मूली, गाजर, धनिया, मेथी, चना, प्याज तथा लहसुन अंतरवर्ती फसल के लिए उपयुक्त हैं|

3. बसंतकालीन में बिजाई किए गन्ने के साथ मूंग, उडद, भिण्डी, मक्का, सूरजमुखी, तरबूज, ककड़ी (चौड़ी क्योरियों पर) अंतरवर्ती फसल के लिए उपयुक्त हैं|

4. अंतरवर्ती के साथ गन्ने की बिजाई करने पर अधिक मुनाफा लिया जा सकता है|

5. अंतरवर्ती फसलें जैसे लहसुन, प्याज तथा धनिया लेने से गन्ने में हानिकारक कीड़ो व बिमारियों का प्रकोप भी कम पाया गया है|

यह भी पढ़ें- शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती

गन्ने के साथ कुछ अंतरवर्ती फसलों की तकनीक

गन्ना+आलू

बीज दर- गन्ना- 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, आलू- 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखते है|

बुआई विधि- 1:2 पंक्ति अनुपात, गन्ने की बुवाई 90 सेंटीमीटर की दूरी पर और बीज में आलू की दो पंक्तियाँ 30 से 30 सेंटीमीटर की दूरी रखते है|

खरपतवार- खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के तुरन्त बाद सिमाजीन 1 किलोग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर का प्रयोग, तत्पश्चात बुवाई के 30 दिनों बाद निराई गुड़ाई और बुवाई के 50 दिनों बाद मिट्टी चढ़ाना चाहिए|

पोषक तत्व- गन्ने के लिए नाइट्रोजनः फॉस्फोरसः पोटाश (150:60:60) और आलू के लिए (120:80:100) का प्रयोग करना चाहिए|

प्रणाली उत्पादन- आलू- 275 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और गन्ना- 90 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है|

यह भी पढ़ें- आलू की उन्नत खेती कैसे करें

गन्ना+राजमा

बीज दर- गन्ना- 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, राजमा- 80 किलोग्राम हेक्टेयर मात्रा उचित है|

बुआई विधि- 1:2 पंक्ति अनुपात, गन्ने की बुवाई 90 सेंटीमीटर की दूरी पर और बीच में राजमा की दो पंक्तियाँ 30 से 30 सेंटीमीटर की दूरी रखें|

पोषक तत्व- गन्ने के लिए नाइट्रोजनः फॉस्फोरसः पोटाश (150:60:60) और राजमा के लिए (150:60:60) का प्रयोग करें|

खरपतवार- खरपतवार नियंत्रण के लिए पेन्डीमीथेलिन का 2.0 किलोग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर का बुवाई के तुरन्त बाद छिड़काव करें|

प्रणाली उत्पादन- गन्ना- 87 टन प्रति हेक्टेयर और राजमा- 17 से 19 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होता है|

यह भी पढ़ें- राजमा की खेती की जानकारी

गन्ना+सरसों

बीज दर- गन्ना- 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, सरसों- 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उचित है|

बुआई विधि- 1:2 पंक्ति अनुपात, गन्ने की बुवाई 90 सेंटीमीटर की दूरी पर तथा बीच में सरसों की दो पंक्तियाँ 30 से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर रखें|

पोषक तत्व- गन्ने की फसल में नाइट्रोजनः फॉस्फोरसः पोटाश उर्वरकों का प्रयोग (150:60:60) की दर से तथा सरसों में (30:20:0) की दर से प्रयोग करें|

खरपतवार- खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के तुरन्त बाद पैन्डीमीथेलिन का 2.0 किलोग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग और सरसों की कटाई के 30 व 60 दिनों पश्चात् निराई गुड़ाई करें|

प्रणाली उत्पादन- गन्ना- 75 से 80 टन प्रति हेक्टेयर और सरसों- 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होता है|

यह भी पढ़ें- सरसों की खेती की जानकारी

गन्ना+गेहूं

बीज दर- गन्ना- 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, गेहूं- 75 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उचित है|

बुआई विधि- 1:3 पंक्ति अनुपात, गन्ने की बुवाई 90 सेंटीमीटर की दूरी पर और गेहूं की तीन पंक्तियाँ 20 से 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें|

पोषक तत्व- गन्ने की फसल में नाइट्रोजनः फॉस्फोरसः पोटाश उर्वरकों का प्रयोग (150:60:60) की दर से और गेहूं में (90:45:45) की दर से प्रयोग करें|

खरपतवार- खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के तुरन्त बाद पैन्डीमीथेलिन का 2.0 किलोग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग और गेहूं की बुआई के 30 व 60 दिनों पश्चात् दो निराई गुड़ाई करें|

प्रणाली उत्पादन- गन्ना- 75 से 80 टन प्रति हेक्टेयर और गेहूं- 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होता है|

यह भी पढ़ें- गेहूं की खेती की जानकारी

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