गन्ने के ऊतक संवर्धन तकनीक से तैयार किए गए पौधों को टिश्यू कल्चर पौध कहा जाता है| टिश्यू कल्चर शुद्ध बीज प्राप्त करने की आधुनिक एवं उत्तम तकनीक हैं| जिससे किसान समय से गन्ना फसल उगाकर उत्तम उत्पादन प्राप्त कर सकते है| गन्ने की उन्नत खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गन्ना की खेती- किस्में, प्रबंधन व पैदावार
टिश्यू कल्चर एवं पॉलीबैग द्वारा गन्ना खेती के लाभ
1. पौधे पैतृक गुणों के अनुरूप ही होते है, एक मेरिस्टेम ऊतक संवर्धन से लाखों पौधे तैयार किये जा सकते हैं| नई जातियों को जिनका बीज बहुत ही कम मात्रा में उपलब्ध होता है, फैलाने का यह सर्वोत्तम तरीका है|
2. पौधों की बढ़त एक सी होती है और अंकुरण की खामियों से मुक्त रहते हैं| रोग रहित होने से इनको बीज के रूप में प्रयोग करना चाहिये|
3. प्रति पौधा 25 से 30 कल्ले फूटते हैं| परन्तु 10 से 15 गन्नों से अधिक न रखें, जिससे मोटे व वजनदार गन्ने बन सकें| पौधों के सभी कल्ले एक साथ निकलते हैं, इस कारण उपज भी अच्छी मिलती
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टिश्यू कल्चर और पॉलीबैग द्वारा पौध तैयारी का तरीका
प्रयोगशाला से शिशु पौधे मंगवाकर ग्रीन हाउस या नेट शीड में पॉलीथीन की थैलियों में 30 से 45 दिन स्थिरीकरण किया जा सकता है| जिससे कि पौध खेत में रोपण उपरांत ठीक से स्थापित हो सके| ग्रीन या नेट हाऊस में सिंचाई, पौधे संरक्षण आदि का भरपूर ध्यान रखा जाता है|
टिश्यू कल्चर और पॉलीबैग विधि द्वारा गन्ने का रोपण
खेत को अच्छी तरह तैयार करें, शीतकालीन गन्ने के लिये 1 X 1 मीटर और बसंतकालीन गन्ने के लिये 0.75 x 0.75 मीटर दूरी पर टिश्यू कल्चर पौधों का रोपण करें| नालियों के अंदर 6 से 8 इंच के गडढे खोदें, इस तरह शरदकाल में 7000 और बसंतकाल में 10,000 प्रति हेक्टेयर पौधे लगेंगे|
गड्ढों में पहले 50 ग्राम सुपर फास्फेट और 10 ग्राम पोटाश मिलाकर सबसे नीचे डालें| उसके बाद कम्पोस्ट और मिट्टी की हल्की परत डालें तथा हल्की सिंचाई दें एवं बतर आते ही टिश्यू कल्चर पौधों की थैली निकालकर गड्ढों के बीच-बीच अच्छी तरह लगा दें और मिट्टी से गड्डे को पूरा भर दें| नालियों में स्थापना तक हल्की सिंचाई अवश्य करें|
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पॉलीबैग द्वारा गन्ना का पॉलीबैग प्लाटिंग
गन्ने की एक आँख का टुकड़ा पोलीथीन बेग में लगाकर तैयार किया गया पौधा पॉलीबैग पौधा कहलाता है|
1. पॉलीबैग में सामान्य बुआई की अपेक्षा बीज की मात्रा 1/3 से 1/4 ही लगती है| इसके लिए 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है|
2. इस पद्धति में डेढ़ से दो माह की अगेती बोनी का लाभ मिलता है|
3. पौधे की बुवाई से लगाकर डेढ़ माह अवधि तक अंकुरण व बढ़ने की अवस्था तक खेत में दी जाने वाली 3 से 4 सिंचाई और निंदाई आदि की बचत होती है और अंकुरण सुनिश्चित होता है|
पॉलीबैग द्वारा गन्ना खेती की तैयारी
पोलीथीन थैली लें उसमें नीचे की तरफ मोटी कील से 4 से 5 छेद करें दो भाग मिट्टी, एक भाग वर्मी कम्पोस्ट या गोबर की खाद और एक भाग रेत आपस में अच्छी तरह मिलाकर महीन कर थैली का 3/4 भाग इस मिश्रण से भर दें, शेष 1/4 भाग गन्ने का टुकड़ा लगाने के बाद भरें|
गन्ने की अनुशंसित जाति के स्वस्थ्य पौधे से एक ऑख के टुकड़े तैयार करें| गांठ के पास आंख के ऊपर एक इंच और नीचे दो से ढाई इंच छोड़कर तेज धारदार औजार से टुकड़े काटें, टुकड़ों को थैली के बीचों-बीच सीधे खड़े लगायें| इस टुकड़े के लम्बे भाग को नीचे रखें, जिससे आंख सीधे ऊपर की तरफ रहे इससे अंकुरण जल्दी होगा| अगर आंखें खड़ी लगाने में कठिनाई हो तो आंखों को 1 इंच ऊपर व नीचे से काटकर सामान्यतया आड़ा लगाएं|
पॉलीबैग में लगाने के पहले गन्ने के टुकड़ों का बीजोपचार अवश्य करें| पॉलीबैग से पौधा 30 दिन में रोपण हेतु तैयार हो जाता है| पॉलीबैग में प्रयोग किये जाने वाले गन्ने को नम व गर्म उपचारण संयंत्र में अवश्य उपचारित करें| इससे रोग रहित आधार बीज उत्पादित किया जा सकता है|
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टिश्यू कल्चर और पॉलीबैग द्वारा गन्ने का खेत में रोपण
खेत की तैयारी अच्छी तरह करें, 3 से 4 फीट दूरी पर नालियॉ निकालें और नालियों में हर पोलीबेग प्लान्टिंग हेतु 1.5 से 2 फीट पर 6 x 8′ का गड्ढा बनाकर 50 ग्राम सुपर फास्फेट, 10 ग्राम पोटाश डाले और गोबर की खाद डालकर पौध रोपण करें| एक हेक्टेयर में 15 से 18 हजार पौधे लगते हैं| पोलीथीन थैलियों को अलग कर पौधों को पिण्ड सहित गड्ढे में उतार दें और मिट्टी को हल्का दबायें तथा सिंचाई दें, खेत में पूर्णरूपेण स्थापना उपरांत अच्छी बढ़त और अधिक कल्लों हेतु अतिरिक्त खाद दें|
टिश्यू कल्चर एवं पॉलीबैग गन्ना खेती के लिए सावधानियाँ
1. ध्यान रहे टिश्यू कल्चर एवं पॉलीबैग दोनों की पौध 30 से 45 दिन की अवस्था तक खेत में लग जानी चाहिए नहीं तो कल्ले कम निकलेगें| इसलिए ऐसे खेतों में जहाँ इस विधि से बुवाई करना हो खेत खाली होने की तिथि से 30 से 45 दिन पहले पॉलीबेग पौधे तैयार करना प्रारंभ करें|
2. खेत में रोपण की पूर्ण स्थापना के उपरांत ही नत्रजन की थोडी-थोड़ी मात्रा पौधे से 2 से 3 इंच की दूरी पर चारों तरफ रिंग पद्धति से देते जाएं| पूरी तरह कल्ले फूटने के उपरांत ही मिट्टी चढ़ायें|
3. टिश्यू कल्चर पौधे जब खेत में स्थापित हो जाएँ और कल्ले निकलने वाले हों तब मातृ पौधे को नीचे से काट देने से कल्ले अधिक तथा एक से निकलते हैं| प्रति पौधा 10 से 15 कल्लों से अधिक प्रोत्साहित न करें, हल्की मिट्टी चढ़ाकर कल्लों का निकलने से रोक सकते है|
4. जिन स्थानों पर दीमक का प्रकोप होने की संभावना हो वहां 2.5 मिलीलीटर क्लोरोपाइरीफास प्रति लीटर पानी के हिसाब से बनाये गये घोल को पौधों के आसपास अच्छी तरह तर करें या लिण्डेन का भूमि मे छिड़काव 25 किलोग्राम लिण्डेन प्रति हेक्टर का प्रयोग करें|
उपरोक्त प्रक्रिया के तहत किसान भाई टिश्यू कल्चर एवं पॉलीबैग द्वारा गन्ना उत्पादन कर सकते है, बाकि सिंचाई, पौध संरक्षण और खरपतवार प्रबन्धन व अन्य देखभाल की प्रक्रिया सामान्य गन्ना उत्पादन की तरह करना ही उचित है|
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