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Home » ब्लॉग » परजीवी और परभक्षी द्वारा खेती में कीट नियंत्रण

परजीवी और परभक्षी द्वारा खेती में कीट नियंत्रण

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

परजीवी एवं परभक्षी

परजीवी एवं परभक्षी (जैविक एजेंट) सामन्यतय: किसान बन्धु जैसे ही फसल में कोई भी कीट देखता है, वो तुरंत उसे ख़त्म करने के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशकों का छिड़काव करना शुरू कर देते है| बिना ये जाने कि फसल में जो कीट हैं, वो शुत्रु कीट हैं या मित्र कीट (परजीवी एवं परभक्षी) इस लिए किसान बन्धुओं को ये जानकारी होना आवश्यक है, कि कौन कौन से कीट उनके मित्र और कौन कौन से उनके शत्रु है|

सबसे पहले किसान बन्धुओं को ये जानकारी होनी चाहिए, कि शत्रु कीट वे कीट होते हैं जो आपकी खेती को बर्बाद करते या नुकसान पहुचाते हैं एवं मित्र कीट (परजीवी एवं परभक्षी) वे होते हैं, जो आपकी खेती को न सिर्फ शत्रु कीटों से बचाते हैं, बल्कि फसलोत्पादन बढ़ाने में भी मदद करते हैं|

ऐसे बहुत से कीट होते हैं, जो किसान के मित्र होते हैं इस लेख द्वारा किसान बन्धुओं के लिए मित्र कीट यानि की परजीवी एवं परभक्षी (जैविक एजेंट) द्वारा खेती में कीट प्रबंधन की उपयोगी जानकारी का उल्लेख किया गया है|

यह भी पढ़ें- जैविक कीटनाशक कैसे बनाएं, जानिए आधुनिक तकनीक

परजीवी मित्र कीट

ट्राइकोग्रामा किलोनिस- परजीवी ट्राइकोग्रामा किलोनिस अण्ड परजीवी छोटी ततैया होती है| मादा ततैया अपने अण्डे को हानिकारक कीटों के अण्डों में डाल देती है| अण्डों के अन्दर ही पूरा जीवन चक्र पूरा होता है| प्रौढ़ ततैया अण्डे में छेद कर बाहर निकलता है| इसका जीवन चक इस प्रकार है, जैसे-

1. अण्डा अवधि 16 से 24 घण्टे

2. लार्वा अवधि 2 से 3 दिन

3. प्यूपा अवधि 2 से 3 दिन

4. पूर्ण जीवन चक 8 से 10 दिन (गर्मी) में एवं 9 से 12 दिन (सर्दी) में|

परजीवी ट्राइकोग्रामा की पूर्ति कार्ड के रूप में होती है| एक कार्ड की लम्बाई 6 इंच एवं चौड़ाई 1 इंच होती है, जिसमें लगभग 20000 अण्ड परजीवी होते है| ट्राइकोग्रामा विभिन्न प्रकार के फसलों, सब्जियों और फलों के हानिकारक कीटों, जो पौधे की पत्तियों, कलियों एवं टहनियों इत्यादि के बाहरी भाग पर अण्डे देते है, इनके अण्डों को जैविक विधि से नष्ट करने हेतु प्रयोग किया जाता है|

ट्राइकोग्रामा किलोनिस (ट्राइकोग्रामा कार्ड) के उपयोग की विधि- परजीवी ट्राइकोग्रामा कार्ड को विभिन्न फसलों में एक सप्ताह के अन्तराल पर 3 से 4 बार लगाया जाता है| खेतों में हानिकारक कीटों के अण्डे दिखाई देते ही ट्राइकोकार्ड को छोटे-छोटे 4 से 5 समान टुकड़ों में काट कर खेत के विभिन्न भागों में पत्तियों की निचली सतह पर धागे से बाँध दें| सामान्य फसलों में 5 कार्ड किन्तु बड़ी फसलों जैसे गन्ने में 10 कार्ड प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए|

परजीवी ट्राइकोग्रामा कार्ड को सायंकाल खेत में लगाया जाय, परन्तु इसके उपयोग से पहले, उपयोग के समय और बाद में खेत में रासायनिक कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना चाहिए| ट्राइकोग्रामा कार्ड को बर्फ के डिब्बे या रेफ्रिजरेटर में रखकर लगभग 15 दिन तक ओर बढ़ाया जा सकता है|

यह भी पढ़ें- न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस एवं बैसिलस थूरिनजियेन्सिस का खेती में उपयोग

परभक्षी मित्र कीट

क्राइसोपर्ला- क्राइसोपर्ला एक परभक्षी कीट है| इस कीट का लार्वा, सफेद मक्खी, माहू, फुदका, थ्रिप्स इत्यादि के अण्डों और शिशु को खा जाता है| क्राइसोपल के अण्डों को कोरसियेरा के अण्डों के साथ लकड़ी के बुरादायुक्त बाक्स में आपूर्ति किया जाता है| क्राइसोपल का लार्वा कोरसियेरा के अण्डों को खाकर प्रौढ़ बनता है| इसका जीवन चक इस प्रकार है, जैसे-

1. अण्डा अवधि 3 से 4 घण्टे

2. लार्वा अवधि 11 से 13 दिन

3. प्यूपा अवधि 5 से 7 दिन

4. पूर्ण जीवन चक्र 19 से 24 दिन|

क्राइसोपल के उपयोग की विधि-विभिन्न फसलों और सब्जियों में क्राइसोपल के 50000 से 100000 लार्वा या 500 से 1000 प्रौढ़ प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए| सामान्यतयः इन्हें दो बार छोड़ना चाहिए|

जाइगोग्रामा बाइकोलोराटा- जाइगोग्रामा बाइकोलोराटा पार्थीनियम (गाजर घास) का परभक्षी कीट है| इस कीट का प्रौढ़ तथा गिडार पार्थीनियम (गाजर घास) की पत्ती और फूल को खा जाते हैं| इस कीट को जुलाई से अगस्त के महीने में पार्थीनियम (गाजर घास) पर छोड़ने से उसको खाकर पूरी नष्ट कर देते हैं|

यह भी पढ़ें- स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस का उपयोग खेती में कैसे करें

अन्य परजीवी और परभक्षी

अन्य परभक्षी कीट- प्रेइंग मेन्टिस, इन्द्रगोप मूंग, ड्रैगन फ्लाई, किशोरी मक्खी, क्रिकेट (झींगुर), ग्राउण्ड वीटिल, रोल वीटिल, मिडो ग्रासहापर, वाटर बग, मिरिड बग इत्यादि फसलों, सब्जियों और बागों आदि के खेतों में पाये जाते हैं|

जो हानिकारक कीटों के लार्वा, शिशु तथा प्रौढ़ को प्राकृतिक रूप से खाकर नियंत्रण करते हैं| इन मित्र कीटों (परजीवी एवं परभक्षी) को संरक्षित करना चाहिए एवं खेतों में शत्रु और मित्र कीट का अनुपाल 2:1 हो तो कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए|

परभक्षी मकड़ी- भेड़िया मकड़ी, चार जबड़े वाली मकड़ी, बौनी मकड़ी, थैली वाली मकड़ी, गोल मकड़ी, हली बग मकड़ी, गोलाकार मकड़ी, कूदने वाली मकड़ी धान के खेतों में पायी जाती है|

जो विभिन्न प्रकार के फुदकों, मैगेट, पत्ती लपेटक इत्यादि कीटों के शिशु, लार्वा और प्रौढ़ को खाकर प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करती हैं| इन कीटों को संरक्षित करना चाहिए|

अन्य परजीवी कीट- ये परजीवी सिरफिड फ्लाई, कम्पोलेटिस क्लोरिडी, बैंकन, अपेन्टेलिस, इपीरीकेनिया मेलानोल्यूका इत्यादि परजीवी कीट विभिन्न प्रकार के फसलों, सब्जियों और गन्ना के खेतों में पाये जाने वाले कीटों के लार्वा, शिशु और प्रौढ़ को अन्दर ही अन्दर खाकर प्राकृतिक रूप से कीट का नियंत्रण करते है| इन मित्र परजीवी कीटों का संरक्षण करना चाहिए|

विशेष- उपरोक्त चित्र में किसान के कुछ मित्र कीटों को दर्शाया गया है, पहचान के लिए|

यह भी पढ़ें- मेटाराइजियम एनिसोप्ली का उपयोग खेती में कैसे करें

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

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