• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post
Home » धान में एकीकृत रोग प्रबंधन | धान में एकीकृत रोग नियंत्रण कैसे करें

धान में एकीकृत रोग प्रबंधन | धान में एकीकृत रोग नियंत्रण कैसे करें

January 3, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

धान में एकीकृत रोग प्रबंधन

धान में विभिन्न क्षतिकर रोग लगते है, जो इस प्रकार है, जैसे- धान का झोंका, भूरा धब्बा, शीथ ब्लाइट, आभासी कंड एवं अन्य की समस्या प्रमुख है| हालाँकि धान की विभिन्न उन्नतशील किस्में जो कि अधिक उपज देती हैं| उनका प्रचलन भारत में भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है| परन्तु मुख्य समस्या कीट और रोगों की है, यदि समय रहते इनकी रोकथाम कर ली जाये तो अधिकतम उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है|

यह भी पढ़ें- ट्राइकोडर्मा विरिडी एवं ट्राइकोडर्मा हारजिएनम से जैविक रोग व कीट नियंत्रण

धान की फसल में एकीकृत रोग नियंत्रण

धान में प्रमुख रोगों के प्रभावी प्रबन्ध के लिये निम्न उपाय अपनाये जा सकते हैं| जैसे-

1. गर्मी में गहरी जुताई, और मेड़ों एवं खेत के आसपास के क्षेत्र को खरपतवार से यथा सम्भव मुक्त रखना चाहिए| (सभी बीमारियों हेतु)

2. धान में समय पर रोग प्रतिरोधी या सहिष्णु प्रजातियों के मानक बीजों की बुवाई करनी चाहिए| (सभी बीमारियों हेतु)

3. नर्सरी डालने से पहले क्षेत्र विशेष की समयानुसार बीजशोधन अवश्य कर लेना चाहिए|

4. जीवाणु झुलसा की समस्या वाले क्षेत्रों में 25 किलोग्राम बीज के लिए 38 ग्राम एम ई एम सी और 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन को 45 लीटर पानी में रात भर भिगों दें, दूसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी डालें|

5. अन्य क्षेत्रों में बीज को 3 ग्राम थाइम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए|

6. तराई और पहाड़ी क्षेत्रों में थाइरम 1.5 ग्राम + कार्बेन्डाजिम 1.5 ग्राम मिश्रण से किलो बीज को उपचारित करना चाहिए|

यह भी पढ़ें- ट्राइकोडर्मा क्या जैविक खेती के लिए वरदान है?

7. नर्सरी, सीधी बुवाई या रोपाई के बाद खैरा धान में रोग के लिए एक सुरक्षात्मक छिड़काव 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट को 20 किलोग्राम यूरिया 1000 लीटर पानी के साथ मिलाकर प्रति हेक्टर की दर से दो हफ्ते बाद छिड़काव करना चाहिए|

8. धान में रोगों के लक्षण दिखते ही नत्रजन की शेष टापड्रेसिंग रोककर रोग सहायक परिस्थितियों के समाप्त होने पर करना चाहिए|

9. धान में उर्वरकों का संतुलित प्रयोग कई रोगों की वृद्धि को रोकता है|

10. धान में सफेद रोग की रोकथाम के लिए आवश्यकता पड़ने पर 5 किलोग्राम फेरस सल्फेट की 20 किलोग्राम यूरिया के साथ 800 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए|11. बड़े क्षेत्र में महामारी से बचने के लिए एकाधिक किस्मों को लगाना चाहिए|

12. धान में भूमि शोधन हेतु 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ट्राइकोडरमा + थ्ल्ड 4:6 से करें|

यह भी पढ़ें- जीवामृत बनाने की विधि, जानिए सामग्री, प्रयोग एवं प्रभाव

धान फसल के प्रमुख रोग

धान में प्रमुख रोग- सफेद रोग (नर्सरी में), जीवाणु झुलसा, शीथ झुलसा, भूरा धब्बा, जीवाणु धारी झोंका और खैरा आदि|

धान में असिंचित परिस्थितियों के प्रमुख रोग- भूरा धब्बा, शीथ झुलसा, झोंका, खैरा आदि|

धान में गहरे पानी वाली परिस्थितियों के प्रमुख रोग- जीवाणु झुलसा, जीवाणु धारी और शीथ झुलसा आदि|

सफेदा रोग

पहचान- धान में यह रोग लौह तत्व की अनुपलब्धता के द्वारा नर्सरी में अधिक लगता है| नई पत्ती सफेद रंग की निकलेगी जो कागज के समान पड़कर फट जाती है|

उपचार- धान में इसके उपचार के लिए प्रति हेक्टर 5 किलोग्राम फेरस सल्फेट को 20 किलोग्राम यूरिया या 2.50 किलोग्राम बुझे हुए चूने का 800 लीटर प्रति हेक्टर पानी के साथ मिलाकार 2 से 3 छिड़काव 5 दिन के अन्तर पर करना चाहिए|

पत्तियों का भूरा धब्बा

पहचान- धान में पत्तियों पर गहरे कत्थई रंग के गोल या अण्डाकार धब्बे पड़ जाते हैं, जिसका बीच का हिस्सा कुछ पीलापन लिए हुए कत्थई रंग का होता है| इन धब्बों के चारों तरफ पीला सा घेरा बन जाता है, जो इस रोग का विशेष लक्षण है|

उपचार-

1. बोने से पूर्व 3 ग्राम थीरम या 4 ग्राम ट्राइकोडरमा बिरिडी प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार कर लेना चाहिए|

2. धान की खड़ी फसल पर जिंक मैंगनीज कार्बामेट या जीरम 80 प्रतिशत का दो किलो या जीरम 27 ई सी 3 लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए|

3. खड़ी फसल पर थायोफेनेट मिथाइल 1.5 किलोग्राम प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए|

यह भी पढ़ें- जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन

जीवाणु झुलसा

पहचान- इसमें पत्तियाँ नोंक या किनारे से एकदम सूखने लगती हैं| सूखे हुए किनारे अनियमित और टेढ़े मेढ़े होते हैं|

उपचार-

1. धान में बोने से पूर्व बीजोपचार उपर्युक्त विधि से करें|

2. रोग के लक्षण दिखाई देते ही यथा सम्भव खेत का पानी निकालकर 15 ग्राम स्ट्रप्टोसाइक्लीन एवं कॉपर आक्सीक्लोराइड के 500 ग्राम प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए|

3. रोग लक्षण दिखाई देने पर नत्रजन की टापड्रेसिंग यदि बाकी है, तो उसे रोक देना चाहिए|

शीथ झुलसा

पहचान- इस रोग से धान में पत्र कंचुल पर अनियमित आकार के धब्बे बनते हैं, जिनका किनारा गहरा भूरा एवं बीच का भाग हल्के रंग का होता है| पत्तियों पर घेरेदार धब्बे बनते हैं|

उपचार- धान में खड़ी फसल पर 1.5 किलोग्राम थायोफिनेट मिथाइल या 1 किलोग्राम कार्बेन्डाजिम का प्रति हेक्टर की दर से 800 लीटर पानी में घोलकर आवश्यकतानुसार 10 दिन के अंतर पर छिड़काव करना चाहिए या 500 ग्राम कार्बेन्डाजिम + 250 ग्राम मैंकोजेब 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- सब्जियों की जैविक खेती, जानिए प्रमुख घटक, कीटनाशक एवं लाभ

जीवाणु धारी रोग

पहचान- धान की पत्तियों पर कत्थई रंग की लम्बी-लम्बी धारियां नसों के बीच में पड़ जाती हैं|

उपचार- इसके लिए धान में झुलसा रोग की तरह उपचार करें|

झोंका रोग

पहचान- पत्तियों पर आंख की आकृति के धब्बे बनते हैं, जो बीच में राख के रंग के एवं किनारों पर गहरे कत्थई रंग के होते हैं| इनके अतिरिक्त बालियों, डंठलों, पुष्प शाखाओं तथा गांठों पर काले भूरे धब्बे बनते हैं|

उपचार-

1. धान बोने के पूर्व बीजों को 3 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करें|

2. खड़ी फसल पर धान में निम्न में से किसी एक रसायन का छिड़काव करना चाहिए, जैसे- कार्बेन्डाजिम 1 किलोग्राम प्रति हेक्टर की दर से 2 से 3 छिड़काव 10 से 12 दिन के अंतराल पर करें या 500 ग्राम कार्बेन्डाजिम + 250 ग्राम मैंकोजेब 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- अगेती खेती के लिए सब्जियों की पौध तैयार कैसे करें

खैरा रोग

पहचान- यह रोग जस्ते की कमी के कारण होता है, इसमें पत्तियॉ पीली पड़ जाती हैं| जिस पर बाद में कत्थई रंग के धब्बे पड़ जाते हैं|

उपचार- फसल पर 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट को 20 किलोग्राम यूरिया या 2.5 किलोग्राम बुझे हुए चूने को 800 लीटर पानी के साथ मिलाकर प्रति हेक्टर छिड़काव करना चाहिए| एकीकृत नाशीजीव प्रबन्ध की अधिक जानकारी के लिए किसान बन्धु यहाँ पढ़ें- धान की खेती में जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन, जानिए पूरी प्रक्रिया

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

“दैनिक जाग्रति” से जुड़े

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

करियर से संबंधित पोस्ट

आईआईआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कट ऑफ, प्लेसमेंट

एनआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कटऑफ, प्लेसमेंट

एनआईडी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, फीस, कट ऑफ, प्लेसमेंट

निफ्ट: योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, कोर्स, अवधि, फीस और करियर

निफ्ट प्रवेश: पात्रता, आवेदन, सिलेबस, कट-ऑफ और परिणाम

खेती-बाड़ी से संबंधित पोस्ट

June Mahine के कृषि कार्य: जानिए देखभाल और बेहतर पैदावार

मई माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

अप्रैल माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

मार्च माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

फरवरी माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

स्वास्थ्य से संबंधित पोस्ट

हकलाना: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

एलर्जी अस्थमा: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान, इलाज

न्यूमुलर डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, डाइट, निदान और इलाज

पेरिओरल डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, निदान और इलाज

सरकारी योजनाओं से संबंधित पोस्ट

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार: प्रशिक्षण, लक्षित समूह, कार्यक्रम, विशेषताएं

राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: लाभार्थी, योजना घटक, युवा वाहिनी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार: उद्देश्य, प्रशिक्षण, विशेषताएं, परियोजनाएं

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना | प्रधानमंत्री सौभाग्य स्कीम

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, पेंशन, देय और ऋण

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap