• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

दैनिक जाग्रति

ऑनलाइन हिंदी में जानकारी

  • ब्लॉग
  • करियर
  • स्वास्थ्य
  • खेती-बाड़ी
    • जैविक खेती
    • सब्जियों की खेती
    • बागवानी
  • पैसा कैसे कमाए
  • सरकारी योजनाएं
  • अनमोल विचार
    • जीवनी
Home » तुलसी की खेती: किस्में, बुवाई, देखभाल और पैदावार

तुलसी की खेती: किस्में, बुवाई, देखभाल और पैदावार

May 1, 2023 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

तुलसी की खेती कैसे करें, जानिए उपयुक्त भूमि, किस्में, देखभाल एवं पैदावार

हमारे देश में तुलसी (Basil) का पौधा धार्मिक और औषधीय महत्त्व रखता है| इसे हिन्दी में तुलसी, संस्कृत में सुलभा, ग्राम्या, बहुभंजरी तथा अंग्रेजी में होली बेसिल के नाम से जाना जाता है| तुलसी की ओसिमम बेसीलीकम प्रजाति को तेल उत्पादन के लिए उगाया जाता है| तुलसी की इस प्रजाति की भारत में बड़े पैमाने पर खेती होती है|

इसका प्रयोग परयूम, तेल व सूखी पत्तियों की बाजार में माँग है| इस प्रजाति के तेल की अधिक कीमत होती है, किन्तु तेल की मात्रा कम मिलती है| यह अत्यधिक औषधीय उपयोग का पौधा है, जिसकी महत्ता पुरानी चिकित्सा पद्धति और आधुनिक चिकित्सा पद्धति दोनों में है|

वर्तमान में इससे अनेकों खांसी की दवाएं साबुन, हेयर शैम्पू आदि बनाये जाने लगे हैं, जिससे तुलसी के उत्पाद की माँग काफी बढ़ गई है| इसलिए इस माँग की पूर्ति बिना खेती के संभव नहीं है|

यह भी पढ़ें- स्टीविया की खेती कैसे करें

तुलसी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

इसके लिए उष्ण कटिबंध और कटिबंधीय दोनों तरह की जलवायु उपयुक्त होती है|

तुलसी की खेती के लिए उपयुक्त भूमि

इसकी खेती, कम उपजाऊ जमीन जिसमें पानी की निकासी का उचित प्रबन्ध हो, अच्छी होती है| बलुई दोमट जमीन इसके लिए बहुत उपयुक्त होती है|

तुलसी की खेती के लिए खेत की तैयारी

इसकी खेती के लिए एक गहरी और दो हल्की जुताई की आवश्यकता होती है| पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से, शेष कल्टीवेटर से करनी चाहिए| प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाना चाहिए, जिससे मिट्टी भुरभुरी और खेत समतल बन जाये| इसी समय खेत को क्यारियों में बाँट लिया जाता है, जिससे सिंचाई और निराई-गुड़ाई में सुविधा हो सके|

यह भी पढ़ें- बच की खेती कैसे करें

तुलसी की खेती के लिए उन्नत किस्में

लेमिएसी कुल के इस पौधो की विश्व में 150 से ज्यादा किस्में पाई जाती है| इसकी मूल प्रकृति व गुण एक समान है| प्रमुख किस्में में स्वीट फेंच बेसिल, कर्पूर तुलसी, काली तुलसी, वन तुलसी या राम तुलसी, जंगली तुलसी श्री तुलसी इसे श्यामा भी कहते है|

तुलसी की खेती के लिए बुवाई या रोपाई

इसकी खेती बीज द्वारा होती है, लेकिन खेती में बीज की बुवाई सीधे नहीं करनी चाहिए| पहले इसकी नर्सरी तैयार करनी चाहिए बाद में उसकी रोपाई करनी चाहिए|

तुलसी की खेती के लिए पौध तैयार करना

जमीन की 15 से 20 सेंटीमीटर गहरी खुदाई कर के खरपतवार आदि निकाल कर तैयार कर लेना चाहिए| अब 15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की सड़ी खाद अच्छी तरह मिला देना चाहिए| 1 X 1 मीटर आकार की जमीन सतह से उभरी हुई क्यारियां बना कर उचित मात्रा में कम्पोस्ट और उर्वरक मिला देना चाहिए| 750 ग्राम से 1 किलोग्राम बीज एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त होता है|

बीज की बुवाई 1:10 के अनुपात में रेत या बालू मिलाकर 8 से 10 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियाँ में करनी चाहिए| बीज की गहराई अधिक नहीं होनी चाहिए| जमाव के 15 से 20 दिन बाद 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से नत्रजन डालना उपयोगी होता है| पाँच-छह सप्ताह में पौधा रोपाई हेतु तैयार हो जाती है|

यह भी पढ़ें- अश्वगंधा की खेती, जानिए किस्में, देखभाल एवं पैदावार

तुलसी की खेती के लिए फसल की रोपाई

सूखे मौसम में रोपाई हमेशा दोपहर के बाद करनी चाहिए| रोपाई के बाद खेत की सिंचाई तुरन्त कर देनी चाहिए| बादल या हल्की वर्षा वाले दिन इसकी रोपाई के लिए बहुत उपयुक्त होते हैं| इसकी रोपाई लाइन में लाइन 60 सेंटीमीटर और पौंधो से पौधों 30 सेंटीमीटर की दूरी पर करनी चाहिए|

तुलसी की खेती में सिंचाई प्रबंधन

अगर वर्षा के दिनों में वर्षा होती रही तो सितम्बर तक इसके लिए सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती है, अन्य मौसम में लगाने पर सिंचाई की आवश्यकता हो सकती है|

तुलसी की खेती में खरपतवार नियंत्रण

इसकी पहली निराई-गुड़ाई रोपाई के एक माह बाद करनी चाहिए| दूसरी निराई-गुड़ाई पहली निराई के 3 से 4 सप्ताह बाद करनी चाहिए| बड़े क्षेत्रों में गुड़ाई ट्रैक्टर से की जा सकती है|

यह भी पढ़ें- पुदीना (मेंथा) की खेती, जानिए किस्में, देखभाल एवं पैदावार

तुलसी की खेती में खाद और उर्वरक

इसके लिए 15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद जमीन में डालना चाहिए| इसके अलावा 75 से 80 किलोग्राम नेत्रजन 40 से 40 किलोग्राम फास्फोरस एवं पोटाश की आवश्यकता होती है| रोपाई के पहले एक तिहाई नेत्रजन और फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा खेत में डालकर जमीन में मिला देना चाहिए| शेष नेत्रजन की मात्रा दो बार में खड़ी फसल में डालना चाहिए|

तुलसी की फसल कटाई

जब पौधों में पूरी तरह से फूल आ जाये और नीचे के पत्ते पीले पड़ने लगे तो इसकी कटाई कर लेनी चाहिए| रोपाई के 10 से 12 सप्ताह के बाद यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है|

तुलसी की फसल पैदावर

इसके फसल की औसत पैदावार 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर एवं तेल की पैदावार 80 से 100 किलोग्राम हेक्टेयर तक होता है|

यह भी पढ़ें- सतावर की खेती कैसे करें

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

अपने विचार खोजें

हाल के पोस्ट:-

आईटीआई इलेक्ट्रीशियन: योग्यता, सिलेबस और करियर

आईटीआई फिटर कोर्स: योग्यता, सिलेबस और करियर

आईटीआई डीजल मैकेनिक कोर्स: पात्रता और करियर

आईटीआई मशीनिस्ट कोर्स: योग्यता, सिलेबस, करियर

आईटीआई टर्नर कोर्स: योग्यता, सिलेबस और करियर

आईटीआई कोपा कोर्स: योग्यता, सिलेबस, करियर

आईटीआई स्टेनोग्राफर कोर्स: योग्यता, सिलेबस, करियर

[email protected] Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • संपर्क करें