जुलाई माह पतझड़ और सर्दियों में कटाई के लिए ठंडे मौसम की फसलों की बुआई और रोपण शुरू करने का महीना है| यदि आपके पास अक्टूबर की ठंड शुरू होने से पहले दूसरी या तीसरी गर्म मौसम वाली फसल लेने का समय नहीं है, तो अभी ठंडे मौसम वाली फसलें लगाना शुरू करें| लौकी, खीरा, भिंडी, फूलगोभी, मिर्च, बैंगन और टमाटर कुछ ऐसी सब्जियाँ हैं जिन्हें आप भारत में जुलाई में उगा सकते हैं| अगर आप सब्जियों के व्यवसाय से जुड़े हैं तो इस समय किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में जानना जरूरी है| आइये इस विषय के बारे में विस्तार से जानते हैं|
बैंगन की फसल के लिए
बैंगन की पिछली फसल के कच्चे फलों को तोड़कर बाज़ार बेचने के लिए भेज दें| फलों को तोड़ने के लिए किसी चाकू या तेज़ धार वाले औज़ार का प्रयोग करें जिससे कि तोड़ते समय पौधों को क्षति न हो| आवश्यकता होने पर सिंचाई करें| फल व तना छेदक कीड़े के लगने पर ग्रसित फलों को तोड़कर नष्ट कर दें व इसके बाद 75 ग्राम स्पाइनोसेड (ट्रेसर 45 एससी) को प्रति एकड़ 80 लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अंतर पर तीन छिड़काव करें| दवा प्रयोग करने के बाद फलों को 8-10 दिन तक खाने के काम में न लाएं|
जुलाई माह में वर्षा ऋतु की फसल के लिए खेत की तैयारी करें| इसकी उन्नत किस्मों, बीआर- 112, हिसार श्यामल व हिसार प्रगति को प्रयोग में लाएं| नर्सरी में पौध इस महीने तक तैयार हो जाएगी| खेत को तैयार कर क्यारियों में बांट लें|
एक एकड़ खेत में लगभग 10 टन गोबर की खाद बिखेर दें और जुताई कर दें| पौधरोपण से पहले 40 किग्रा नाइट्रोजन (87 किग्रा यूरिया), 20 किग्रा फास्फोरस (125 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) तथा 10 किग्रा पोटाश (17 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश) प्रति एकड़ दें| कतारों का फासला लंबी किस्मों में 60 सैंमी तथा गोल किस्मों में 75 सैंमी रखें| पौधे से पौधे की दूरी 60 सैंमी रखें| पौधरोपण के बाद सिंचाई अवश्य करें| विषाणु रोग से बचाव के लिए शुरू से ही कीटनाशक दवाएं प्रयोग में लें|
हरा तेला, सफेद मक्खी, गोभ व फल छेदक कीड़े आदि बैंगन की फसल में नुकसान पहुंचाते हैं| रस चूसने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए 300-400 मिली मैलाथियान 50 ईसी को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़कें| फल लगने शुरू होते ही बारी-बारी से सिन्थेटिक पाइरेथ्राएड (80 मिली फैनवेलरेट) 20 ईसी या 200 मिली डेल्टामैथ्रीन 2.8 ईसी को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें ताकि फल छेदक का नियंत्रण भी हो जाए| सिन्थेटिक पाइरेथ्राइड का छिड़काव 21 दिन तथा दूसरे कीटनाशकों का 15 दिन के अंतर पर दोहराएं| बैंगन फसल की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- बैंगन की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
फूलगोभी अगेती की फसल के लिए
इसके लिए एक एकड़ खेत में लगभग 20 टन गोबर की सड़ी खाद मिलाएं तथा पौधरोपण से पहले 50 किग्रा नाइट्रोजन (110 किग्रा यूरिया), 20 किग्रा फास्फोरस (125 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) तथा 20 किग्रा पोटाश (35 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश) की दर से मिलाकर खेत को समय पर तैयार करें|
अगेती फूलगोभी (पूसा कातकी) की पौध जुलाई माह में तैयार हो जाएगी| अच्छा होगा कि हल्की डोलियां बना लें जिससे कि अधिक वर्षा में पौधे खराब न हों| पौधरोपण कतारों में 45 सैंमी की दूरी पर करें और पौधे की दूरी 30 सैंमी रखें| पौधरोपण शाम के समय करें तो उचित रहेगा| वर्षा न होने पर सिंचाई करें| फूलगोभी फसल की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- फूलगोभी की उन्नत खेती: किस्में, देखभाल और उपज
मिर्च की फसल के लिए
मिर्च की गर्मी की फसल की तुड़ाई करके बाज़ार भेजें| आवश्यकता होने पर सिंचाई करें| हरा तेला, सफेद मक्खी, माईट तथा रस चूसने वाले कीड़ों की रोकथाम के लिए 400 मिली मैलाथियान 50 ईसी को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ शुरू से ही 15 दिन के अंतर पर छिड़कें| इस दवा से विषाणु रोग की रोकथाम हो सकती है क्योंकि सफेद मक्खी रोग फैलाती है| रोगग्रस्त पौधों को निकाल कर नष्ट कर दें|
मिर्च की पौध इस माह तैयार हो जाएगी| अत: रोपाई का प्रबंध करें| मिर्च के खेत की तैयारी के लिए 10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर से बिखेर दें| खेत को उचित नाप की क्यारियों में बांट लें| पौधरोपण से पहले 25 किग्रा नाइट्रोजन (55 किग्रा यूरिया), 12 किग्रा फास्फोरस (75 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) और 12 किग्रा पोटाश (20 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश) प्रति एकड़ की दर से खेत में मिला दें| तैयार खेत में शाम के समय पौधरोपण करें| पौधरोपण के बाद सिंचाई अवश्य करें| मिर्च फसल की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मिर्च की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
भिण्डी की फसल के लिए
भिण्डी की गर्मी की फसल को हरा तेला से बचाने के लिए एकटारा 25 डब्ल्यू जी (थायामिथोक्सम) नामक दानेदार कीटनाशक 40 ग्राम दवा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ में छिड़काव करें| 20 दिन के अंतराल पर यदि आवश्यकता हो तो छिड़काव दोहराएं| भिण्डी में फल लगने पर जो खाने के लिए उगाई गई हो उसमें 300-500 मिली मैलाथियान 50 ईसी 200-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें|
वर्षाकालीन फसल के लिए यदि बिजाई जून माह में न की हो तो जुलाई माह में करें| एक एकड़ खेत में 10 टन गोबर की खाद डालकर जुताई करें और बिजाई से पहले 40 किग्रा नाइट्रोजन ( 87 किग्रा यूरिया) तथा 24 किग्रा फास्फोरस (150 किग्रा सुपरफास्फेट) प्रति एकड़ की दर से दें| पोटाश खाद आवश्यकता पड़ने पर डालें| खेत को क्यारियों में बांट लें| वर्षा उपहार या हिसार उन्नत किस्मों को प्रयोग में लाएं|
एक एकड़ खेत की बिजाई के लिए 5-6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी| बिजाई करने से पहले बीजोपचार बाविस्टिन (2 ग्राम प्रति किग्रा बीज) नामक दवा से कर लें| बिजाई कतारों में लगभग 45-60 सैंमी की दूरी पर करें तथा पौधों की दूरी 30 सैंमी रखें| आवश्यकतानुसार सिंचाई करें तथा प्रारंभ से ही खरपतवारों पर नियंत्रण रखें| मिर्च फसल की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- भिंडी की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
कद्दू वर्गीय सब्जियां की फसल के लिए
तरबूज व खरबूजे की फसल की तुड़ाई कर ली होगी| अतः खेत को दूसरी फसलों के लिए तैयार करें| इस जाति की और सब्जियों, जैसे लौकी, करेला, टिण्डा, तोरी, ककड़ी आदि के कच्चे फलों को तोड़कर नियमित रूप से बाज़ार भेजें| आवश्यकता होने पर सिंचाई करें|
गर्मी की पुरानी फसल को फल छेदक मक्खी से बचाने के लिए 400 मिली मैलाथियान 50 ईसी और 1.25 किग्रा गुड़ को 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें| लालड़ी का आक्रमण हो तो 25 मिली साइपरमेथ्रिन 25 ईसी या 30 मिली फेनवेलरेट 20 ईसी को 100 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ की बेलों पर छिड़कें| सफेद चूर्णी रोग लगने पर 800 ग्राम घुलनशील गंधक अथवा 200 मिली कैराथेन का प्रति एकड़ की दर से खेत पर छिड़काव करें| गर्मी की फसल समाप्त होने पर जुताई करें और अन्य फसलें लगाने की तैयारी करें|
जुलाई माह में वर्षाकालीन कद्दू जाति की सब्जियां लगाने के लिए खेत की तैयारी करें| खेत तैयार करते समय 6 टन गोबर की खाद, 8 किग्रा नाइट्रोजन (15 किग्रा यूरिया), 10 किग्रा फास्फोरस (60 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) तथा 10 किग्रा पोटाश (16 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश) प्रति एकड़ की दर से दें| बिजाई नालियों के दोनों ओर करें| किस्म के चुनाव, बीज की मात्रा तथा बीजने की दूरी निम्नलिखित तालिका में दी गई है, जैसे-
फसल का नाम | किस्म | कतार से कतार की दुरी (सैंमी) | पौधे से पौधे की दुरी (सैंमी) |
घीया | पूसा / समर प्रौलिफिक लोंग, पूसा समर प्रौलिफिक राउण्ड एवं जी एच 22 | 200 | 60 |
करेला | कोयम्बटूर लांग व पूसा दो-मौसमी | 150 | 45 |
तोरी | पूसा चिकनी व गुच्छेदार (चिकनी) पूसा नसदार (धारीदार) | 200 | 60 |
खीरा | जैपनीज़ लांग ग्रीन या स्थानीय | 100-150 | 60 |
टिण्डा | हिसार सलैक्शन, बीकानेर ग्रीन व हिसार टिण्डा | 150 | 60 |
खीरा के लिए लगभग एक किग्रा बीज तथा अन्य फसलों के लिए लगभग 1.5-2 किग्रा बीज की प्रति एकड़ बिजाई के लिए ज़रूरत होगी| फसलों की सिंचाई आवश्यकतानुसार करें तथा खरपतवारों को निकालते रहें| कद्दू वर्गीय फसल की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- कद्दू वर्गीय सब्जियों की उन्नत खेती कैसे करें
अरबी की फसल के लिए
अरबी की फसल में आवश्यकता पड़ने पर सिंचाई करें, खरपतवार निकालें तथा मिट्टी चढ़ाएं| खड़ी फसल में नाइट्रोजन वाली खाद (यूरिया) बिजाई के लगभग 7-8 सप्ताह बाद डालकर मिट्टी चढ़ा दें| बरसात की फसल की बिजाई का समय जून – जुलाई माह है| एक एकड़ खेत में बिजाई करने के लिए लगभग 300-400 किग्रा कन्दों की आवश्यकता होती है| कन्दों की बिजाई करने की दूरी 45-60 सैंमी कतारों में तथा 30 सेंमी पौधों में रखते हैं| अरबी फसल की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अरबी की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
पालक की फसल के लिए
पालक की पहले लगाई गई फसल की आवश्यकता होने पर सिंचाई करें तथा खरपतवार निकालें| जब पालक काटने लायक हो जाए तो उसके पत्तों को काटकर बंडलों में बांधे तथा बाज़ार भेजें| नई फसल के लिए खेत की तैयारी करें तथा बिजाई करें| इसकी उन्नत किस्में, जौबनेर – ग्रीन, आलग्रीन या एच एस 23 का प्रयोग करें|
इसके लिए 8 किग्रा बीज एक एकड़ में बिजाई करने के लिए काफी होगा तथा खेत तैयार करते समय लगभग 20 टन गोबर की सड़ी खाद, 32 किग्रा नाइट्रोजन ( 70 किग्रा यूरिया) तथा 16 किग्रा फास्फोरस (100 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) प्रति एकड़ खेत में मिलाएं तथा उचित नाप की क्यारियों में खेत बांट लें| बिजाई कतारों में 15-20 सैंमी की दूरी पर करें| पालक फसल की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- पालक की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
शकरकन्दी की फसल के लिए
शकरकन्दी की उन्नत किस्में पूसा सफेद व पूसा लाल हैं| शकरकन्दी की फसल की काट को अप्रैल से जुलाई माह तक खेत में लगाते हैं| एक एकड़ खेत में लगभग 24000 से 28000 बेलों की काटों की आवश्यकता होती है| प्रत्येक काट लगभग 30-40 सैंमी लंबी होनी चाहिए|
लगाने की दूरी कतारों में 60 सैंमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 सैंमी रखें| खेत तैयार करते समय 10 टन गोबर की खाद, 32 किग्रा नाइट्रोजन ( 70 किग्रा यूरिया), 36 किग्रा फास्फोरस (225 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) तथा 32 किग्रा पोटाश (55 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश) प्रति एकड़ की दर से काटें लगाने से पहले दें तथा क्यारियां बना लें|
खड़ी फसल में 32 किग्रा नाइट्रोजन (70 किग्रा यूरिया) की आधी-आधी मात्रा दो बार देने की आवश्यकता होती है| यदि फसल पहले लगाई जा चुकी है तब आवश्यकता होने पर सिंचाई करें तथा खरपतवार निकालें| लवणीय या क्षारीय भूमि में शकरकन्दी की खेती नहीं की जा सकती| शकरकन्दी फसल की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- शकरकंद की खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
खरीफ प्याज़ की फसल के लिए
नर्सरी की देखभाल करें, खरपतवार निकालें, सिंचाई करें तथा अधिक वर्षा से बचाव करें| जुलाई माह में आर्द्रगलन की समस्या होने पर 0.2 प्रतिशत कैप्टान के घोल से नर्सरी की सिंचाई करें| खेत की तैयारी भी शुरू करें| प्याज फसल की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- प्याज की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
मूली की फसल के लिए
यदि आपने मूली की अगेती किस्म, पूसा चेतकी की बिजाई पहले कर रखी है तो आवश्यकता होने पर सिंचाई करें| यदि नहीं तो इसकी बिजाई जुलाई माह भी कर सकते हैं| खरपतवार निकालें व जड़ों पर मिट्टी चढ़ाएं| तैयार जड़ें उखाड़कर तथा धोकर बाज़ार भेजें| चेपा का प्रकोप होने पर 250-400 मिली डाईमेथोएट 30 ईसी को 250-400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें| पूसा चेतकी की फसल लगभग 40 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी बिजाई के लिए लगभग 4-5 किग्रा बीज की एक एकड़ खेत के लिए आवश्यकता होगी|
नई फसल लगाने के लिए खेत तैयार करते समय लगभग 20 टन गोबर की खाद, 24 किग्रा नाइट्रोजन (52 किग्रा यूरिया) तथा 12 किग्रा फास्फोरस (75 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) प्रति एकड़ डालें| बिजाई कतारों में 30-45 सैंमी की दूरी पर करें तथा पौधे से पौधे की दूरी 5-8 सैंमी रखें| उचित होगा कि बिजाई हल्की-हल्की डोलियों पर करें| आवश्यकता होने पर सिंचाई करें तथा खरपतवार निकालें| मूली फसल की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मूली की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
अन्य सब्जिया के लिए
अन्य सब्जियों, जैसे ग्वार, लोबिया आदि फसलों की आवश्यकता होने पर सिंचाई करें तथा नर्म फलियों को तोड़कर बाज़ार भेजें| ग्वार की उन्नत किस्म पूसा नवबहार प्रयोग करें तथा बिजाई की दूरी 30-45 सैंमी कतारों में तथा 15-20 सैंमी पौधों में रखें| एक एकड़ के लिए 6 किग्रा बीज की आवश्यकता होगी|
लोबिया की उन्नत किस्में पूसा बरसाती या पूसा दो-फसली प्रयोग करें तथा बिजाई की दूरी 30-45 सैंमी कतारों में तथा 15-20 सैंमी पौधों के बीच रखें| एक एकड़ के लिए लगभग 8-10 किग्रा बीज की आवश्यकता होगी| हानिकारक कीड़ों से रक्षा के लिए कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करें| दवा प्रयोग के बाद एक सप्ताह तक फसल को खाने के काम में न लें| अन्य फसल की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें-
ग्वार फली की खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
लोबिया की खेती: किस्में, बुआई, देखभाल, पैदावार
ध्यान दें:-
1. जुलाई माह में फूल गोभी एवं पत्ता गोभी की अगेती किस्मों की पौध का खेत में रोपण कर देवें|
2. खरीफ प्याज की उन्नत किस्में एग्रीफाउन्ड डार्करेड, एन- 53, भीमा राज व भीमा रेड का रोपण करें|
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