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गांठ गोभी की उन्नत खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल, पैदावार

April 6, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

गांठ गोभी की उन्नत खेती

गांठ गोभी को देश में कई नामों से जाता है| इसकी खेती काश्मीर, बंगाल, महाराष्ट्र आसाम, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में की जाती है| गांठ गोभी का गोभी वर्गीय सब्जियों में महत्त्वपूर्ण सब्जी है, परन्तु काफी कम क्षेत्र में इसकी खेती हो रही है| देश के पहाड़ी क्षेत्रों की लोकप्रिय सब्जी है, क्योंकि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी इसका खेती सम्भव है|

किसान बन्धु वैज्ञानिक तकनीक से इसकी खेती कर के इसके अच्छी गुणवता के फल और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है| इस लेख में गांठ गोभी की उन्नत खेती कैसे करें एवं इसकी किस्मों, देखभाल और पैदावार की जानकारी का उल्लेख किया गया है| अन्य गोभी वर्गीय सब्जियों की वैज्ञानिक तकनीक से खेती की पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें- गोभी वर्गीय सब्जियों की खेती कैसे करें, जानिए उन्नत तकनीक

गांठ गोभी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

गांठ गोभी के लिए ठण्डी और गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है| पौध वृद्धि तथा गाठों के गठन के लिए औसत तापमान 15 से 20 डिग्री सेंटीग्रेट अच्छा माना गया है|

गांठ गोभी की उन्नत खेती के लिए भूमि का चयन

गांठ गोभी की लगभग सभी प्रकार की मिट्टियों में इसकी खेती सम्भव है, लेकिन जीवांश पदार्थों की मात्रा प्रचुर होनी चाहिए| अगेती फसल के लिए बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है| भूमि का पी एच मान 5.5 से 6.5 उचित माना गया है|

यह भी पढ़ें- गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती

गांठ गोभी की खेती के लिए खेत की तैयारी

गांठ गोभी की खेती के लिए 3 से 4 जुताई की आवश्यकता होती है| पहली जुताई मिट्टी पहटने वाले हल से शेष कलटीवेटर से करनी चाहिए| प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाना चाहिए| इससे मिट्टी भुरभुरी तथा खेत समतल बन जाता है| खेत तैयार होने के बाद सुविधानुसार क्यारियाँ बना लें, जिससे सिंचाई और निराई गुड़ाई में सुविधा हो|

गांठ गोभी की खेती के लिए उन्नत किस्में

गांठ गोभी की अभी तक अधिक किस्मों का विकास नहीं हुआ है, हवाईट वियना, परपल वियना लार्ज ग्रीन किंग नाम की प्रमुख किस्में हैं|

लार्ज ग्रीन- हरी व गोल, हरे गोल उभार वाली, अगेती, छोटे शिखर, बड़े आकार की, कोमल और सुगंधित, गूदा सफेद, करीब 75 दिन में तैयार, औसत पैदावार 225 से 250 किंवटल प्रति हैक्टेयर, मध्य और ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है|

किंग ऑफ नार्थ- छोटे पौधे की किस्म हैं, लगभग 20 से 30 सेंटीमीटर पौधे की ऊँचाई होती है| इसकी पत्तियाँ गाढ़ी हरी और इसकी गाठें चपटा गोल आकार की होती है| फसल 60 से 65 दिन में तैयार हो जाती है|

परपल वियना- यह भी छोटी किस्म है, गॉठे मध्यमा आकार की होती है| पौध रोपण के 55 से 65 दिन पर गाठें बनना प्रारम्भ होती है| इसकी काफी अच्छी पैदावार प्राप्त होती है|

व्हाईट विआना- सफेद, उभरे स्थानों और छोटे शिखर वाली, मध्य आकार, हल्का हरा या सफेद रंग, नरम, थोड़ी गंध, 50 से 60 दिन में गांठ बनना शुरू, औसतन पैदावार 150 से 200 किंवटल प्रति हैक्टेयर, मध्य एवं ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है|

पालम टैन्डरनोब- छोटे हरे पत्ते, गांठे गोल, समतल, पतली, रेशेरहित तथा गूदेदार, अगेती, व्हाईट विआना किस्म से एक सप्ताह पहले तैयार, औसत पैदावार 250 से 275 किंवटल प्रति हैक्टेयर, सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है|

यह भी पढ़ें- ब्रोकली की उन्नत खेती कैसे करें

गांठ गोभी की खेती के लिए बुवाई का समय

गांठ गोभी की पर्वतीय क्षेत्रों में बीज की बुवाई तथा रोपाई के समय का निर्धारण क्षेत्र विशेष के उपरोक्त सुझाए गए तापमान एवं वातावरणीय परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए, जैसे-

मैदानी क्षेत्रों में- अगस्त से अक्टूबर उपयुक्त है|

मध्य क्षेत्रों में- जुलाई से अक्टूबर उपयुक्त है|

ऊँचे क्षेत्रों में- मार्च से जुलाई उपयुक्त है|

बीज की मात्रा- गाँठगोभी के लिए 1 से 1.5 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है|

गांठ गोभी की खेती के लिए पौधशाला की तैयारी

जमीन से 15 सेंटीमीटर उठी हुयी नर्सरी की क्यारी में अच्छी सड़ी हुयी गोबर या कम्पोस्ट खाद तथा 50 से 60 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से सिंगल सुपर फास्फेट मिलाकर भूमि की तैयारी करनी चाहिए| पौधशाला में भूमिगत कीटों और व्याधियों से बचाव के लिए निम्न में से कोई एक उपाय अपनाया जा सकता है, जैसे-

1. फार्मेलिन नामक रसायन का 2 प्रतिशत अर्थात् 20 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर तैयार नर्सरी की क्यारियों में मिट्टी की दो से तीन परतों में छिड़काव करना चाहिए| इसके लिए क्यारी की मिट्टी को लगभग 6 इंच गहराई से बाहर निकालकर इसकी निचली सतह पर छिड़काव करना चाहिए, फिर मिट्टी की एक परत बिछाकर दोबारा घोल का छिड़काव करें तथा मिट्टी की दूसरी परत बिछाकर पुनः छिड़काव करें| तत्पश्चात् पॉलीथीन शीट से ढक कर इसे अच्छी प्रकार चारों ओर से दबा दें, ताकि अन्दर की गैस बाहर न निकलने पाए|

तीन दिन बाद पॉलीथीन को हटाकर क्यारियों की हल्की गुड़ाई कर खुला छोड़ दें, जिससे गैस उड़कर निकल जाये इसके एक-दो दिन बाद क्यारी को समतल करके बीज को 5 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर बनायी गयी कतारों में बुवाई कर बारीक मिट्टी या छनी हुई गोबर या कम्पोस्ट खाद से ढक कर हल्के हाथों से मिट्टी को थपथपाकर दबा दें तथा हल्की सिंचाई करें| अधिक वर्षा के समय क्यारीयों को छप्पर या पॉलीथीन से ढंकने का प्रबन्ध करना चाहिए|

2. क्यारी में 3 से 5 ग्राम डायथेन एम- 45 एवं थीमेट या क्लोपाइरीफास प्रति वर्गमीटर की दर से अच्छी प्रकार मिलाकर 5 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर 1.5 से 2.0 सेंटीमीटर गहरी कतारें निकालें, तत्पश्चात् कवकनाशी रसायन कार्बेन्डाजिम या थाइरम 2 से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से शोधित बीज की बुवाई करें तथा हल्की सिंचाई करें, अधिक वर्षा से बचाव के लिए नर्सरी की क्यारी को घासफूस की छप्पर या पॉलीथीन शीट से ढकने का प्रबन्ध रखना चाहिए, 25 से 30 दिन की पौध रोपाई हेतु उपयुक्त होती है|

यह भी पढ़ें- गोभी वर्गीय सब्जियों का बीजोत्पादन कैसे करें

गांठ गोभी की खेती के लिए खाद और उर्वरक

गांठ गोभी की फसल में उर्वरकों का प्रयोग मिटटी परीक्षण के आधार पर करना उपयुक्त रहता है| अच्छी पैदावार के लिए 20 से 25 टन गोबर या कम्पोस्ट की खाद, 100 से 120 किलोग्राम, नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है| आखरी जुताई के समय नाइट्रोजन की आधी मात्रा फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा की भूमि में अच्छी प्रकार से मिला दें|

गांठ गोभी की खेती के लिए रोपाई और दूरी

गांठ गोभी की रोपाई के लिए 25 से 30 दिन की पौध उपयुक्त होती है| तत्पश्चात् कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर तथा पौध से पौध की दूरी 20 सेंटीमीटर रखते हुए पौध रोपाई कर हल्की सिंचाई करें| यदि कुछ पौधे मर गये हों या बढ़वार अच्छी न हो, तो उनके स्थान पर नई पौध की पुनः रोपाई एक हफ्ते के अन्दर कर दें| रोपाई के एक माह बाद शेष आधी नत्रजन की मात्रा छिटककर पौधों के चारों तरफ मिट्टी चढ़ायें|

गांठ गोभी की फसल में खरपतवार नियंत्रण

गांठ गोभी की फसल में आवश्यकतानुसार हल्की निराई-गुड़ाई कर खरपतवार खेत से निकालते रहें| क्योंकि मुख्य फसल को दिये जाने वाले पोषक तत्वों को लेकर खरपतवार तेजी से बढ़ते हैं| जिससे मुख्य फसल का विकास रूक जाता है और बढवार ठीक ढंग से नहीं हो पाती है| इसलिए रोपाई के 25 से 30 दिन तक खेत से खरपतवार निकालते रहना चाहिए, जिससे पौधों की बढ़वार अच्छी हो और उत्तम गुणवत्ता वाली गांठे प्राप्त हों| रसायनिक नियंत्रण के लिए पेंडी मेथिलीन 1 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खरपतवारों के नियंत्रण के उपयोग करना चाहिए, लेकिन उपयोग से पूर्व वैज्ञानिक सलाह जरूर लेना चाहिए|

यह भी पढ़ें- गोभी वर्गीय फसलों के रोग एवं उनका प्रबंधन

गांठ गोभी की फसल में सिंचाई प्रबंधन

गांठ गोभी की आवश्यकतानुसार या लगभग10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए| गांठों के बनते समय सिंचाई के अंतराल में परिवर्तन हो सकता है|

गांठ गोभी की उन्नत खेती की देखभाल 

गांठ गोभी में कीट एवं रोगों का प्रकोप काफी कम होता है, कुछ प्रमुख कीट व रोग का नियंत्रण इस प्रकार कर सकते हैं, जैसे-

कीट एवं रोकथाम-

कैबेज सेमीलूपर- मादा कीट पत्तियों की निचली सतह पर अण्डे देती है, और इससे शिशु निकलकर गांठ गोभी की पत्तियों को काट कर खा जाता है| जिससे पौधा का विकास प्रभावित होता है|

रोकथाम- इसके नियंत्रण के लिए नीम सीड कर्नेल एक्सटॅक्ट 1 ग्राम पति लीटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव लाभदायक पाया गया है|

आरा मक्खी- व्यस्क कीट नारंगी रंग का होता है, मादा कीट पत्तियों के किनारे पर अण्डे देती है, जिससे 3 से 5 दिन में शिशु निकल आते हैं| ये बड़ी तेजी से पत्तियों को खाते हैं| जिससे पत्तियों में छेद बन जाते हैं, इसके प्रकोप से पत्तियों में बनने वाला क्लोरोफिल प्रभावित होता है, जिससे पौधों की वृद्धि रूक जाती है|

रोकथाम- नियंत्रण के लिए 5 प्रतिशत नीम तेल का छिड़काव करना चाहिए| संतुलित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करें, साथ ही प्रकोप की अवस्था पर सिंचाई करने पर प्रकोप कम हो जाता हैं|

यह भी पढ़ें- पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व, जानिए उनकी कमी के लक्षण

रोग एवं रोकथाम-

लीफस्पाट- इसमें पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे बनते हैं, धब्बे अधिक बनने और बढ़ने पर पत्तियाँ झुलस जाती है|

रोकथाम- नियंत्रण के लिए बीज क्षेत्र को ट्राईकोडरमा से उपचारित करें तथा बीज को मैंकोजेब- 75 प्रतिशत चूर्ण 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल तैयार कर खड़ी फसल में छिड़काव करना चाहिए|

डैपिंग ऑफ- इस रोग के कारण बीज का अंकुरण कम हो जाता है| बीज की जड़ और तना सड़ जाते हैं| पौधे के तने का भाग गलने से नवांकुरित पौधे गिर जाते हैं तथा धीरे-धीरे सूख जाते है|

रोकथाम- इसके नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत चूर्ण का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल तैयार कर बीज क्षेत्र को उपचारित करना चाहिए| खेत में जल निकास का उचित प्रबंध करें, साथ ही फसल चक्र अपनाना चाहिए| कीट एवं रोग रोकथाम की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गोभी वर्गीय सब्जी की फसलों में समेकित नाशीजीव प्रबंधन कैसे करें

गांठ गोभी की उन्नत खेती में फल कटाई

गांठ गोभी फल की कटाई लगभग 5 से 8 सेंटीमीटर परिधि की गांठ बन जाने पर कटाई करना लाभदायक रहता है|

गांठ गोभी की उन्नत खेती से पैदावार

उपरोक्त वैज्ञानिक तकनीक से खेती करने पर विभिन्न किस्मों से 12 से 30 टन गांठ गोभी का उत्पादन प्रति हेक्टेयर प्राप्त होना चाहिए|

यह भी पढ़ें- सब्जियों का पाले से बचाव कैसे करें, जानिए उपयोगी जानकारी

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