• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

दैनिक जाग्रति

ऑनलाइन हिंदी में जानकारी

  • ब्लॉग
  • करियर
  • स्वास्थ्य
  • खेती-बाड़ी
    • जैविक खेती
    • सब्जियों की खेती
    • बागवानी
    • पशुपालन
  • पैसा कैसे कमाए
  • सरकारी योजनाएं
  • अनमोल विचार
    • जीवनी
Home » ब्लॉग » खरबूजे की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार

खरबूजे की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

खरबूजे की उन्नत किस्में

खरबूजे की स्थानीय एवं उन्नत किस्में बहुत हैं जो अपने क्षेत्र विशेष में अधिक प्रचलित हैं| खरबूजा की स्थानीय किस्मों में उत्पादकता एवं गुणवत्ता स्थिर नहीं होने के उपरान्त भी इनका उपयोग जारी है| जबकि देश में क्षेत्रवार खरबूजे की उन्नत किस्में उपलब्ध हैं| उन्नत एवं संकर किस्मों में अधिक उत्पादन एवं सुनिश्चित गुणवत्ता युक्त उपज निश्चित है|

जिससे बाजार में एक समान रूप के विश्वसनीय फल उपलब्ध कराए जा सकते हैं| इस लेख में कुछ खरबूजे की उन्नत किस्में तथा उनकी विशेषताएं और पैदावार की जानकारी का उल्लेख किया गया है| खरबूजे की वैज्ञानिक तकनीक से खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- खरबूजे की खेती की जानकारी

खरबूजे की उन्नत किस्में

हरा मधु

इस खरबूजे की किस्म का विकास पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा किया गया है| फल गोलाकार और हरे, सफेद रंग के होते हैं, जिन पर हरी धारियां पाई जाती है| फल का गूदा भी हल्का हरा होता है, जिसमें 12 से 15 प्रतिशत तक मिठास होती है| यह एक पछेती किस्म है और इस किस्म के पौधों की औसतन लम्बाई 2.5 मीटर होती है तथा फलों का औसतन भार एक किलोग्राम होता है|

यह किस्म व्यापक क्षेत्र के लिए अनुकूल है| इस किस्म के फलों की भण्डारण एवं परिवहन क्षमता कम होती है| यह प्रजाति चूर्णीय आसीता एवं मृदुरोमिल आसिता रोग के प्रति काफी संवेदनशील है| इस प्रजाति की उपज प्रति एकड़ 60 से 65 क्विंटल से अधिक है|

यह भी पढ़ें- खीरे की उन्नत व संकर किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

पूसा शरबती

इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा एकुटामा नामक वंशक्रम को एक अमरीकी किस्म एकैन्टेलूप रेजिस्टैन्टर के साथ संकरित करा कर किया गया है| यह खरबूजे की अगेती किस्म है और नदी के किनारों पर खेती के लिए इस किस्म को उपयुक्त माना गया है|

इसके फल गोल, छिलकों पर एक जाल सा होता है, जिस पर हरी धारियां पाई जाती हैं| गूदा मोटा एवं फलों में बीच का खाली भाग कम होता है| गूदे का रंग नारंगी एवं मिठास 11 से 12 प्रतिशत तक होती है| फल का औसत भार 800 ग्राम और पौधों की औसत लम्बाई 1.5 मीटर होती है|

पूसा मधुरस

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली से विकसित इस खरबूजे की किस्म के फल गोल, चपटे, गहरे हरे रंग के धारी युक्त होते हैं| फल का गूदा नारंगी रंग का तथा रसीला होता है| जिसमें 12 से 14 प्रतिशत तक मिठास होती है| फलों का औसतन भार 1.0 किलोग्राम होता है| इस किस्म की बेलों में फैलाव अधिक होता है| फसल 90 से 95 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है|

पूसा रसराज

यह खरबूजे की एक संकर किस्म है और इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली से विकसित किया गया है| फल चिकने, लम्बोत्तर व धारी रहित होते हैं| गूदा हरा तथा बहुत मीठा होता है, जिसमें 12 से 13 प्रतिशत शर्करा होती है| फल का औसत वजन 1.0 किलोग्राम होता है| फल तुड़ाई 75 से 80 दिन बाद प्रारम्भ हो जाती है| इसकी पैदावार 90 से 100 क्विंटल प्रति एकड़ है|

यह भी पढ़ें- मटर की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

दुर्गापुरा मधु

कृषि अनुसंधान केन्द्र दुर्गापुरा, जयपुर द्वारा विकसित इस खरबूजे की किस्म के फल मध्यम आकार के लम्बोत्तर होते हैं| यह एक अगेती किस्म है तथा फलों का औसत वजन 500 से 700 ग्राम होता है| छिलका चिकना एवं हरा-पीलापन लिए होता है| फल का गूदा हल्का हरा, स्वादिष्ट एवं रसीला होता है| गूदे में 12 से 14 प्रतिशत तक मिठास होती है| फल का बीज वाला भाग बड़ा होता है| इसकी एक एकड़ में 65 से 70 क्विंटल तक उपज ली जा सकती है|

पंजाब सुनहरी

इस खरबूजे की किस्म को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना ने विकसित किया है| यह एक अगेती किस्म है| फल गोलाकार एवं औसतन एक किलोग्राम भार के होते हैं| छिलका हल्का हरा तथा मोटा होता है। गूदा मोटा एवं नारंगी रंग का रसीला होता है, जिसमें 11.0 प्रतिशत मिठास होती है| इस किस्म के फल भण्डारण एवं परिवहन के लिए काफी उपयुक्त हैं| इसमें चूर्णीय आसीता एवं मृदुरोमिल आसिता रोगों का प्रभाव नहीं होता है| इसकी उपज 65 से 75 क्विंटल प्रति एकड़ तक प्राप्त होती है|

एम एच- 10

इस किस्म को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना से मादा पितृ (डब्लू आई 998) और नर पितृ (पंजाब सुनहरी) के बीच संकरण से विकसित किया गया है| इस खरबूजे की किस्म के पौधे मध्यम बढ़वार लिए होते हैं| फल गोल जिनका औसत वजन 900 ग्राम होता है| गूदा मोटा एवं हल्का दूधिये रंग का एवं रसीला होता है|

यह भी पढ़ें- गाजर की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

पंजाब हाइब्रिड

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा नर बध्य लाइन (एम एस- 1) तथा हरा मधु के बीच संकरण द्वारा इस खरबूजे की किस्म को विकसित किया गया है| पौधों की बेलें बड़ी होती हैं| फल हल्के हरे पीले रंग के होते हैं| इन पर हल्के हरे रंग की धारियां होती हैं| छिलका जालीदार होता है| गूदा नारंगी रंग का एवं सुगंधित होता है| गूदे में 12 प्रतिशत तक मिठास होती है| यह किस्म फल मक्खी एवं चूर्णीय आसिता के प्रति सहिष्णु है| इसकी औसत पैदावार 60 से 65 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

अर्का राजहंस

इस खरबूजे की किस्म का विकास भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा किया गया है| यह एक मध्य अगेती किस्म है| फल अण्डाकार, छिलका सफेद रंग का जाली युक्त होता है| गूदा मोटा, सफेद व बहुत मीठा होता है, जिसमें 12 से 14 प्रतिशत तक मिठास होती है| फल का औसतन भार 1.0 से 1.5 किलोग्राम होता है| यह किस्म चूर्णीय आसिता रोग के प्रतिरोधिता पाई जाती है| इस खरबूजे की किस्म की 50 से 55 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज होती है|

अर्को जीत

यह खरबूजे की एक अगेती किस्म है, जिसका विकास भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा किया गया है| फल छोटे और गोल होते हैं तथा छिलका नारंगी रंग का होता है| फल बहुत अधिक मीठे होते हैं, जिनमें 15 से 17 प्रतिशत तक शर्करा होती है| फल का औसतन भार 400 ग्राम होता है|

यह भी पढ़ें- मिर्च की उन्नत व संकर किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

हिसार मधुर

इस खरबूजे की किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार से विकसित किया गया है| फल गहरे लाल रंग के होते हैं, जिस पर 10 धारियां होती है| गूदा नारंगी रंग का एवं सुगंधित होता है| इसमें मिठास 8.5 प्रतिशत तक होती है| यह एक अगेती किस्म है और 75 से 80 दिन में फल तोड़ने योग्य हो जाते हैं|

आर एम- 43

कृषि अनुसंधान केन्द्र दुर्गापुरा, जयपुर द्वारा विकसित इस खरबूजे की किस्म के फल हरी धारियों युक्त लम्बोत्तर होते हैं| फल आकार में छोटे और औसतन वजन 550 ग्राम होता है| इस किस्म के पौधे काफी बढ़ने वाले होते है| फलों की पहली तुड़ाई बुवाई के 80 से 85 दिनों बाद प्रारम्भ हो जाती है| फलों का गूदा हरा एवं सुगंधित होता है| जिसमें 12 से 14 प्रतिशत तक मिठास होती है| बीज वाला भाग छोटा होता है| फलों में लम्बे समय तक भण्डारण एवं परिवहन क्षमता होती है|

एम एच वाई- 3

यह खरबूजे की किस्म कृषि अनुसंधान केन्द्र दुर्गापुरा, जयपुर द्वारा विकसित की गई है| दुर्गापुरा मधु व पूसा मधुरस में संकरीकरण की चयन प्रक्रिया अपना कर इसको विकसित किया गया है| इसके पौधे अधिक बढ़ने वाले तथा 2.5 से 3 मीटर तक लम्बे होते हैं| बुवाई के दिन बाद फूल तथा 95 से 100 दिन बाद फलों की तुड़ाई प्रारम्भ हो जाती है|

फल चपटे, गोल, चिकने तथा हल्के हरे-पीले रंग के होते हैं| फल में बीज वाला भाग मध्यम होता है और गूदा हरा एवं मुलायम होता है| गूदे में मिठास 13 से 16 प्रतिशत तक होती है| फलों का औसत भार 700 से 800 ग्राम तथा एक हेक्टेयर क्षेत्र से 150 से 200 क्विंटल फलोत्पादन हो जाता है|

यह भी पढ़ें- शिमला मिर्च की उन्नत व संकर किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

एम एच वाई- 5

कृषि अनुसंधान केन्द्र दुर्गापुरा, जयपुर दुर्गापुरा मधु एवं हरा मधु किस्मों में संकरीकरण द्वारा इस खरबूजे की किस्म का विकास कर चयन किया गया है| पौधे 2.0 से 2.5 मीटर लम्बे तथा फैलने वाले होते हैं| बुवाई के 45 दिन बाद फूल तथा 95 दिन बाद पहली तुड़ाई प्रारम्भ हो जाती है|

फल चपटे, गोल, एवं नुकीले, चिकने तथा हल्के पीले रंग के होते हैं| गूदा हल्का हरा, मुलायम जिसमें मिठास 13 से 16 प्रतिशत तक होती है| फलों का औसतन भार 700 से 800 ग्राम होता है| बीज वाला भाग मध्यम आकार का होता है| एक हेक्टेयर क्षेत्र से 150 से 200 क्विंटल फल उत्पादन हो जाता है|

आर एन- 50

इस खरबूजे की किस्म की संस्तुति दुर्गापुरा मधु एवं सलेक्शन 1 में संकरीकरण कर चयन क्रिया के पश्चात कृषि अनुसंधान केन्द्र दुर्गापुरा द्वारा की गई है| इसके पौधे 2.5 मीटर लम्बे व अच्छे फैलने वाले होते हैं| फल लम्बोत्तर गोल, छिलका हरा पीला जिस पर 10 हरी धारियां होती हैं|

गूदा हरा एवं मिठास 14 से 16 प्रतिशत तक होती है| फलों का औसतन वजन 500 ग्राम होता है और बीज वाला भाग मध्यम आकार का होता है| बुवाई के 80 से 85 दिनों बाद पहली फलन तुड़ाई पर आ जाती है तथा प्रति हेक्टेयर 150 से 200 क्विंटल उत्पादन होता है|

यह भी पढ़ें- करेले की उन्नत व संकर किस्मों की विशेषताएं और पैदावार

यदि उपरोक्त जानकारी से हमारे प्रिय पाठक संतुष्ट है, तो लेख को अपने Social Media पर Like व Share जरुर करें और अन्य अच्छी जानकारियों के लिए आप हमारे साथ Social Media द्वारा Facebook Page को Like, Twitter व Google+ को Follow और YouTube Channel को Subscribe कर के जुड़ सकते है|

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

अपने विचार खोजें

दैनिक जाग्रति से जुड़ें

  • Facebook
  • Instagram
  • Twitter
  • YouTube

हाल के पोस्ट:-

सैम मानेकशॉ पर निबंध | Essay on Sam Manekshaw

सैम मानेकशॉ के अनमोल विचार | Quotes of Sam Manekshaw

सैम मानेकशॉ कौन थे? सैम मानेकशॉ का जीवन परिचय

सी राजगोपालाचारी पर निबंध | Essay on Rajagopalachari

सी राजगोपालाचारी के विचार | Quotes of C Rajagopalachari

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी कौन थे? राजगोपालाचारी की जीवनी

राममनोहर लोहिया पर निबंध | Essay on Ram Manohar Lohia

ब्लॉग टॉपिक

  • अनमोल विचार
  • करियर
  • खेती-बाड़ी
  • जीवनी
  • जैविक खेती
  • धर्म-पर्व
  • निबंध
  • पशुपालन
  • पैसा कैसे कमाए
  • बागवानी
  • सब्जियों की खेती
  • सरकारी योजनाएं
  • स्वास्थ्य

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us