अच्छी तरह सड़े हुए पौधों और पशु अवशेषों को कम्पोस्ट खाद कहा जाता है| कम्पोस्ट (Compost) खाद का मतलब है, की खेतो में प्रयोग से पहले उसको अच्छी तरह सड़ा लेना चाहिए, कम्पोस्ट की अवश्यक आवश्यकताओं में हवा, नमी, अनुकूल तापमान और नाइट्रोजन की एक छोटी मात्रा है| यह सूक्ष्मजीवों का एक क्रिया कलाप है और वही सामग्री को कमजोर करने के लिए सूक्ष्म जीवों को पेश करने के लिए उपयुक्त तैयार इनोकुल्मो को जोड़ने की सिफारिस करते है|
कम्पोस्ट खाद फसक व पौधों के पोषक तत्वों में उच्च जैविक उर्वरता संचार करता है, जो मिट्टी की भौतिक विशेषताओं में सुधार करता है, खेत में जैव अपशिष्ट को कम करता है और रोगजनकियों को खत्म करता है| इस तरह कम्पोस्ट खाद जैविक खेती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है|
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कम्पोस्ट खाद कैसे काम करता है
1. कम्पोस्ट खाद प्रभावी तब होता है, जब आप एसी परिस्थिति बनाते है, जो सूक्ष्म जीवों के नाम पर मिट्टी में छोटे छोटे जीवों के विकास का समर्थन करते है| ये वैक्टैरिया और कवक है, इनको केवल एक सूक्ष्मदंशक का उपयोग कर के देखा जा सकता है|
2. इन सूक्ष्म जीवों को पौधे और पशु अपशिष्ट पदार्थो को तोड़ने के लिए आवश्यक है| वे पौधे और पशु के कचरे के टूटने के दोरान गर्मी का उत्पादन करते है|
3. कुछ दिनों के बाद, तैयार कम्पोस्ट ढेर गर्म हो जाएगा और जब उसको खोला जाएगा तो भाप भी दिखाई दे सकती है| कचरे की सामग्री के रूप में विघटित होने पर वे ऐसे पदार्थो में पोषक तत्वों को छोड़ते है, जिनका उपयोग फसल और पौधों में किया जा सकता है|
कम्पोस्ट खाद की प्रक्रिया
1. फसल के अवशेषों, पशु और घरेलू कार्बनिक अपशिष्ट को गड्ढे में डाल दिया जाता है| उसको उचित नमी के साथ 4 से 5 महीने तक विघटित होने के लिए छोड़ दिया जाता है| इसके बाद आप देखेंगे की फसल में उपयोग के लिए खाद तैयार है|
2. अपशिष्ट पदार्थो को छाया के निचे ढक कर छोड़ दिया जाता है और उपरोक्त तरीके से विघटित होने के लिए छोड़ दिया जाता है| दोनों तरीकों से खाद का उत्पादन होता है, लेकिन इस प्रक्रिया में आप देखेगे की खाद में पोषक तत्वों की गुणवत्ता कम है|
3. हालाँकि प्रयोजनपूर्ण तरीकों से उच्च गुणवत्ता वाले खाद का करने के लिए नियोजित किया जा सकता है| जो किसानों को महंगा अकार्बनिक उर्वरक का उपयोग किए बिना फसल की पैदावार में वृद्धि कर सकती है| इस प्रकार की खाद को समृद्ध खाद कहा जाता है|
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कम्पोस्ट खाद के लिए आवश्यक
1. कम्पोस्ट के लिए उस स्थान का चयन करे जहा हवा, धुप और पानी का प्रभाव ज्यादा नही होना चाहिए यानि की संतुलित मात्रा में हो, मिश्रण या कचरा न तो ज्यादा गिला होना चाहिए और ना ही सुखा होना चाहिए|
2. खाद बनाने के लिए जगह का चयन जमीन के उपर या गड्ढे के रूप दोनों तरह से किया जा सकता है, अगर जमीन के उपर कर रहें है तो उस जगह से खरपतवार को साफ करे और मिट्टी की एक कुछ सेंटीमीटर परत बनाए उसको पानी से गीलाकर के उसपर कचरा डाले इसी तरह यदि गड्ढे का उपयोग कर रहें है तो वहा भी मिट्टी की परत बनाए और पानी का छिडकाव करे|
3. कचरा डालने के बाद उसके उपर एक 15 सेंटीमीटर रेत की परत तैयार करनी चाहिए और उसको पूरी तरह से पानी से गिला कर देना चाहिए|
कम्पोस्ट खाद बनाने की प्रक्रिया
1. इसके लिए एक उचित आकर का गड्ढा बनाए 20 से 25 फुट लम्बा, 5 से 7 फुट चौड़ा और 3 से 10 फिट तक गहरा हो सकता है| यदि आप की पास ज्यादा मिश्रण है तो इसको बड़ा कर सकते है और कम है तो छोटा कर सकते है|
2. यदि हो सके तो अधिक नाइट्रोजन के लिए मिश्रण में पौधों या फसल के अवशेष ज्यादा डाले जिसे नाइट्रोजन की मात्रा ज्यादा मिल सकती है|
3. मिश्रण को डालते समय ध्यान दे की उसमे कोई खाली स्थान नही होना चाहिए अच्छी तरह दबा कर गड्डे को भरे और ऊपर गोबर का लेप करे इसके बाद उसपर 15 सेंटीमीटर मिट्टी की परत बना दे जिसको पानी से गिला कर देना चाहिए|
4. कचरे को नमी युक्त कर के गड्डे में डाले और 4 से 5 महीने के लिए छोड़ दे अब इतने समय के बाद आप देखेगे की कम्पोस्ट खाद फसल के आवश्यक पोषक तत्वों के साथ तैयार है|
5. कम्पोस्ट खाद को फसल बुआई से 3 से 4 सप्ताह पहले नमी युक्त खेत में डाले और उसकों किसी भी यंत्र से मिट्टी में अच्छे से मिला दे| ताकि पोषक तत्व भूमि में अच्छे तरीके से प्रगतिशील हो सके और एक बेहतर पैदावार किसान को मिल सके|
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कम्पोस्ट खाद के फायदे
1. यह सस्ता है, क्योंकी यह फसल के अवशेषों, गोबर, घास और अन्य घरेलू कचरे से बनती है|
2. पौधे इसके पोषक तत्वों को अधिक दुटने की बजाय सीधे ग्रहण कर लेते है|
3. इससे फसल की पैदावार में तुरंत प्रभाव पड़ता है|
4. मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है जिससे फसल को समर्थन मिलता है और पानी की बचत होती है|
5. भूमि की पोषण शक्ति प्रभावित नही होती है|
6. पर्यावरण पर दूषित प्रभाव नही पड़ता यानि की पर्यावरण प्रदुषण से छुटकारा मिलता है|
7. जैविक खादों से बने उत्पादों से स्वास्थ्य प्रभावित नही होता|
इस तरह किसान भाई समज सकते है की कम्पोस्ट खाद बनाना कितना सस्ता और आसान है और साथ ही फसल पैदावार, भूमि, मानव जाती के स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए भी कितना उपयोगी और गुणकारी हो सकता है|
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