अनार का प्रवर्धन (संवर्धन) बीज से, टुकड़े और गुंटी कलम से और टिश्यू कल्चर विधि से होता है| यदि किसान और बागवान बन्धु अनार की बागवानी की पूर्ण जानकारी जानना चाहते है, तो यहां पढ़ें- अनार की खेती कैसे करें, जानिए उपयुक्त जलवायु, किस्में, रोग रोकथाम, पैदावार
अनार का प्रवर्धन बीज द्वारा
भारत में अधिकतर पुराने अनार के बाग बीजू पौधो से लगाए गए है| यही कारण है की पौधो और उनके फलो में काफी भिन्नता पाई जाती है|
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अनार का प्रवर्धन कलम द्वारा
इस विधि से तैयार किये हुए पौधे की उपज और फलों की गुणवत्ता में मातृ पौधे के जैसे ही होती है, जैसे-
कास्ठ कलम द्वारा-
अनार का प्रवर्धन, सख्त काष्ठ कलम अनार के वानस्पतिक प्रर्वधन की सबसे आसान और व्यवसायिक विधि है| कलमें तैयार करने के लिए एक वर्षीय पकी हुई टहनियों को चुनते है, टहनियां की जब वार्षिक काट-छाँट होती है, उस समय लगभग 15 से 20 सेंटीमीटर लम्बी स्वस्थ कलमें जिनमें 3 से 4 स्वस्थ कलियाँ मौजूद हो को काट कर बंडल बना लेते है| ऊपर का कटाव आँख के 5 सेंटीमीटर ऊपर और नीचे का कटाव आँख के ठीक नीचे करना चाहिए|
पहचान के लिए कलम का ऊपरी कटाव तिरछा और नीचे का कटाव सीधा बनाना चाहिए| तत्पश्चात कटी हुई कलमों को 0.5 प्रतिशत बेविस्टीन या कैप्टान या ब्लाइटॉक्स के घोल में भिगो लेना चाहिए और भीगे हुए भाग को छाया में सुखा लेना चाहिए| कलमों को लगाने से पहले आधार भाग का 5 सेंटीमीटर, सिरा 50 प्रतिशत इथेनोल में बने 2000 पीपीएम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी आईबीए के घोल में 55 सेकेण्ड के लिए उपचारित करें, इससे जड़े शीघ्र फूट जाती हैं| कलमों को उपयुक्त मिश्रण से भरी हुई थैलियों में थोड़ा तिरछा करके रोपण कर देते है|
कलम की लगभग आधी लम्बाई भूमि के भीतर और आधी बाहर रखते है, दो आँखे भूमि के बाहर एवं अन्य आँखें भूमि में गाड़ देनी चाहिए| कलम को गाड़ते समय यह ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है, कि कलम कहीं उल्टी न लग जाए| कलमें लगाने के पश्चात सिंचाई करें और उसके बाद भी नियमित सिंचाई करते रहना चाहिए| लगभग 2 महीने बाद अधिक बढ़ी हुई टहनियों की कटाई-छटाई कर देनी चाहिए और समय-समय पर कृषि क्रियाएँ तथा छिड़काव इत्यादि करते रहना चाहिए|
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गूटी कलम द्वारा-
अनार का प्रवर्धन की यह विधि कास्ठ कलम से महंगी है, लेकिन बड़े पौधे लेने के लिए यह विधि ज्यादा अच्छी है|
1. शाखा का चयन, रोग मुक्त शाखा का चयन करे, अच्छी किस्म के पौधे की एक वर्ष की पुरानी पेन्सिल जितनी मोटाई की डाली का पेड़ पर ही चयन करें|
2. डाली के नीचे से 5 सेंटीमीटर जितना हिस्सा छोड़ देने के बाद 2 सेंटीमीटर चौड़ाई का डाली के ऊपर का छिलका रींग आकार में निकाल दें|
3. इस हिस्से को 3 दिन तक काले प्लास्टिक में ढक कर रखे|
4. उसके बाद उस पर लिनोलिन या शंखजीरा में बना हुआ 10,000 पीपीएम. इन्डोल ब्युटरीक एसिड की पेस्ट छिले हुए छिलके पर लगा दें|
5. उसके ऊपर पानी में डुबाए हुए स्पेग्नममोस लगाकर प्लास्टिक से बांध दे, अगर स्पेग्नममोस में पानी सूख गया हो तो इंजेकशन से पानी दे|
6. जड़ निकलने के बाद डाली को मातृ पौधे से कलम के नीचे के हिस्से से अलग करे|
7. ऊपर का प्लास्टिक अलग करके कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के 0.2 प्रतिशत के घोल में डुबो के बैग में भरे, चार महीने बाद इसे गुंटी किए हुए पौधे को बुवाई के लिए उपयोग करें|
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अनार का प्रवर्धन टिश्यू कल्चर द्वारा
अनार का प्रवर्धन हेतु टिश्यू कल्चर से तैयार किए पौधे अच्छी गुणवत्ता वाले और एक जैसे कद के होते है| पौधों में टिशू कल्चर एक ऐसी तकनीक है, जिसमें किसी भी पादप ऊतक जैसे- जड़, तना, पुष्प आदि को निर्जर्मित परिस्तिथियों में पोषक माध्यम पर उगाया जाता है| यह पूर्ण शक्तता के सिद्धांत पर आधारित है, इस सिद्धांत के अनुसार पौधे की प्रत्येक कोशिका एक पूर्ण पौधे का निर्माण करने में सक्षम हैं|
इस प्रक्रिया में संवृद्धि मीडियम या संवर्धन घोल महत्वपूर्ण है, इसका उपयोग पौधों के ऊतकों को बढ़ाने के लिए किया जाता है| क्योंकि इसमें जेली (Jelly) के रूप में विभिन्न पौधों के पोषक तत्व शामिल होते हैं, जो कि पौधों के विकास के लिए आवश्यक है|
टिशू कल्चर की प्रक्रिया-
1. अनार का प्रवर्धन हेतु पौधे के ऊतकों का एक छोटा सा टुकड़ा उसके बढ़ते हुए उपरी भाग से लिया जाता है, एवं एक जेली में रखा जाता है, जिसमें पोषक तत्व व प्लांट हार्मोन होते हैं, ये हार्मोन पौधे के ऊतकों में कोशिकाओं को तेजी से विभाजित करते हैं, जो कई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं तथा एक जगह एकत्रित कर देते हैं, जिसे कैलस (Callus) कहां जाता है|
2. इस अनार का प्रवर्धन प्रक्रिया में, अब फिर इस कैलस को एक अन्य जेली में स्थानांतरित किया जाता है, जिसमें उपयुक्त प्लांट हार्मोन होते हैं, जो कि कैलस को जड़ों में विकसित करने के लिए उत्तेजित करते हैं|
3. विकसित जड़ों के साथ कैलस को एक और जेली में स्थानांतरित किया जाता है, जिसमें विभिन्न हार्मोन होते हैं, जो कि पौधें के तने के विकास को प्रोत्साहित करते हैं|
4. अब इस कैलस को जिसमें जड़ें व तना है, को एक छोटे प्लांटलेट के रूप में अलग कर दिया जाता है, इस तरह से, कई छोटे-छोटे पौधे केवल कुछ मूल पौधे कोशिकाओं या ऊतक से उत्पन्न हो सकते हैं|
5. इस प्रकार उत्पादित प्लांटलेट को बर्तन या मिट्टी में प्रत्यारोपित किया जाता है, जहां वे परिपक्व पौधों के निर्माण के लिए विकसित हो सकते हैं|
इस प्रकार उपरोक्त प्रक्रियाओं के तहत किसान बन्धु अपनी अनार की व्यावसायिकबागवानी के लिए अनार के पौधों का प्रवर्धन आधुनिक तकनीक से सफलतापुर्वक कर सकते है|
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