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Home » शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती: जाने दोहरे लाभ की विधि

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती: जाने दोहरे लाभ की विधि

February 23, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की सहफसली (अंतः फसल) खेती किसान बन्धुओं के लिए आय वृद्धि का एक अच्छा विकल्प साबित हुई है| कम अवधि की अधिक आय देने वाली फसलों को गन्ने के साथ सहफसली (अंत:फसल) के रूप में उगाकर मिटटी की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, उत्पादन लागत कम करने तथा उत्पादन तकनीक को टिकाऊ बनाये रखने में सहायता मिलती है| इस प्रकार फसल विविधीकरण में उपलब्ध स्रोतों का समुचित उपयोग कर सीमांत और लघु किसानों के आर्थिक तथा सामाजिक स्तर को उठाया जा सकता है|

इसके साथ एकल और सतत कृषि के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है| गन्ने के कुल क्षेत्रफल का 10 प्रतिशत शरदकाल में, 60 से 65 प्रतिशत बसंतकाल में और 20 से 25 प्रतिशत ग्रीष्मकाल में बोया जाता है| उपर्युक्त ऋतुओं में (सामान्य) गन्ना क्रमशः 90, 75 और 60 सेंटीमीटर की दूरी पर बोया जाता है| उत्तर भारत में गन्ना मुख्यतः शरदकाल (अक्टूबर) तथा बसन्तकाल (फरवरी या मार्च) में लगाया जाता है| ग्रीष्मकाल को छोड़कर बाकी दोनों ऋतुओं में गन्ने के साथ सहफसल ली जा सकती है|

इसलिए गन्ने में सहफसल के रूप में विविधीकरण तकनीक से दलहनी और तिलहनी फसलों को गन्ने के साथ लगाकर इनकी उत्पादकता भी बढ़ायी जा सकती है| इस लेख में शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती से से दोहरा लाभ की तकनीक का विस्तृत उल्लेख किया गया है| गन्ना की उन्नत खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गन्ना की खेती- किस्में, प्रबंधन व पैदावार

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की सहफसली खेती करने से मात्र 100 से 120 दिनों में 60 से 70 कुन्तल आलू की पैदावार प्रति एकड़ प्राप्त हो सकती है| यदि किसान निम्न बातों को ध्यान में रखकर गन्ना और आलू की पैदावार बढ़ा सकते है| आलू की उन्नत खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- आलू की उन्नत खेती कैसे करें

शरदकालीन गन्ने के साथ सहफसली खेती क्यों करें?

1. शरदकालीन गन्ने की दिसम्बर से फरवरी तक कम तापक्रम के कारण शरदकालीन गन्ने की बढ़वार नहीं होती, इसी बीच सहफसल तैयार हो जाती है|

2. गन्ने की दो पंक्तियों के बीच खाली स्थान का भरपूर उपयोग होता है|

3. गन्ने के साथ सहफसली खेती करने से उत्पादन व्यय कम आता है|

4. गांव के श्रमिकों को सहफसली खेती में निराई गुड़ाई बुवाई आदि कार्यों में रोजगार मिलता है|

5. शरदकालीन सहफसली खेती से किसान को असमय में लाभ मिलता है|

यह भी पढ़ें- आलू में एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कैसे करें

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती के लिए खेत की तैयारी

खेत की अच्छी तैयारी के लिए 2 जुताई मिट्टी पलटने वाले हल या हैरो से और तीन जुताई कल्टीवेटर से करनी चाहिए| मिट्टी को भुरभूरी करने के लिए रोटावेटर से जुताई कर सकते है|

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती के लिए भूमि का चयन

आलू की अच्छी उपज के लिए बलूई दोमट या दोमट भूमि जिसमें जीवांश प्रचुर मात्रा में हो, अच्छी मानी जाती है|

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती के लिए बुवाई का समय

1. शरदकालीन गन्ना बोने का उचित समय 15 सितम्बर से अक्टूबर का पूरा महीना उचित है|

2. आलू बोने का उचित समय 15 अक्टूबर से नवम्बर का पूरा महिना उचित है|

3. कन्द बनने के लिए 18 से 20 डिग्री सेंटीग्रेट तापक्रम उपयुक्त होता है|

यह भी पढ़ें- टिश्यू कल्चर एवं पॉलीबैग द्वारा गन्ना उत्पादन, जानिए आधुनिक तकनीक

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती के लिए प्रमुख किस्में

शरदकालीन गन्ने हेतु कुछ प्रमुख किस्में इस प्रकार है, जैसे- को- 0238, 0118, 98014, कोशा- 8272 व 8279, कोसे- 8452, 01434 और 11453 आदि| गन्ने की किस्मों की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गन्ने की क्षेत्रवार उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती के लिए बीज का चुनाव

1. पौधशाला से स्वीकृत गन्ना किस्म का बीज का चयन करना चाहिए|

2. 9 से 10 माह का बीज गन्ना जमाव के लिए उपयुक्त है, जो कीट और रोग मुक्त होना चाहिए|

3. बहुत गिरा हुआ गन्ना बुवाई के लिए उपयुक्त नहीं होता है|

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी

1. ट्रेन्च विधि से गन्ना बुवाई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 120 सेंटीमीटर उचित होती है|

2. सामान्य विधि से 90 सेंटीमीटर उचित होती है|

3. आलू की प्रमुख किस्में, जैसे कुफरी लालिमा, कुफरी आनन्द, कुफरी बादशाह, कुफरी ज्योति, कुफरी बहार आदि है|

यह भी पढ़ें- गन्ना की उत्तर पश्चिम क्षेत्र की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की बुवाई

1. ट्रेन्च विधि में गन्ने की दो पंक्ति के बीच आलू की दो पंक्ति लगाएं|

2. सामान्य विधि में आलू की एक पंक्ति लगाएं|

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती के लिए बीज की मात्रा

1. आलू का साइज मध्यम आकार का होना अच्छा रहता है|

2. 7 से 8 क्विंटल आलू प्रति एकड़ उपयुक्त है|

3. इसके लिए औसतन 25 से 30 ग्राम वजन का आलु बोना चाहिए, लेकिन कटे हुए टुकड़े का वजन 20 से 25 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए|

आलू की खेती के साथ बीज गन्ना की मात्रा

1. ट्रेन्च विधि से 30 से 33 क्विंटल गन्ना प्रति एकड़ बोना चाहिए|

2. सामान्य (परम्परागत) विधि में 20 से 24 क्विंटल प्रति एकड़ बोना चाहिए|

यह भी पढ़ें- बीटी कॉटन (कपास) की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं एवं पैदावार

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती के लिए खाद और उर्वरक

शरदकालीन बुवाई से 20 से 25 दिन पहले 100 कुन्तल गोवर की सड़ी खाद एक एकड़ खेत में फैलाकर समान रूप से जुताई करके मिला देना चाहिए| आलू के लिए उर्वरक बुवाई के समय 100 किलोग्राम एन पी एस (20-20-13) और 30 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग एक एकड़ के लिए हल्की गुड़ाई करके मिट्टी में मिला देना चाहिए, उसके बाद आलू के कन्द की बुवाई 20 सेंटीमीटर की दूरी पर करना चाहिए| आलू बोने के 25 से 30 दिन पर निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को निकाल देना चाहिए और प्रति एकड़ 35 किलोग्राम यूरिया 3 किलोग्राम सल्फर 90 प्रतिशत एक साथ मिलाकर प्रयोग कर मिट्टी मिला देना चाहिए|

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती के लिए सिचाई प्रबंधन

आलू की बुवाई नमी की दशा में करनी चाहिए, आवश्यकतानुसार 12 से 15 दिनों के अन्तर पर हल्की सिंचाई करनी चाहिए| यह भूमि के ऊपर निर्भर करता है, ध्यान रहे कि आलू का मेड़ कभी न डुबने पाये|

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती के रोग

झुलसा- आलू की अगेती और पछेती दो झुलसा रोग लगते है| इस रोग से प्रभावित आलू की पत्तियों छोटे-छोटे लाल या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है| यह रोग सर्दी, आर्द्र बदली और हल्की वर्षा होने पर लगता है, यह तेजी से फैलता है| जिसके कारण पत्तिया सुखकर गिर जाती है| ऊपरी भाग मर जाता है, आलू का आकार छोटा हो जाता है| जिससे पैदावार घट जाती है|

नियंत्रण- रोग लगने से पहले मैंकोजेव मात्रा 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर 10 दिनों के अन्तर पर दो छिड़काव करने चाहिए|

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती से पैदावार

शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की सहफसली खेती करने पर गन्ने की औसत पैदावार निश्चित बढ़ जाती है, जो 350 से 450 क्विंटल एकड़ गन्ने की पैदावार, आलू की 60 से 70 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है|

यह भी पढ़ें- गन्ना के रोग एवं उनका प्रबंधन, जानिए आधुनिक तकनीक

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