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Home » जैविक कीटनाशक क्या है? | जैविक कीटनाशक कैसे तैयार करते हैं?

जैविक कीटनाशक क्या है? | जैविक कीटनाशक कैसे तैयार करते हैं?

December 21, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

जैविक कीटनाशक क्या है?

घरेलू तौर पर जैविक कीटनाशक तैयार करने के लिए यहाँ उदाहरण के तौर पर लेख में ट्राइकोडर्मा फफूंद को बहुगुणित करने की सरल विधि का वर्णन किया गया है| इसी विधि से हम अन्य फफूंदों पर आधारित जैविक कीटनाशक जैसे- वर्टीसीलियम लेकेनाई, ब्यूवेरिया बेसियाना, मेटाराइजियम आदि को भी तैयार कर सकते हैं| इस तकनीक का विवरण इस प्रकार है, जैसे-

जैविक कीटनाशक के लिए फफूंदों का भोजन तैयार करना

1. जैविक कीटनाशक तैयार करने के लिए सबसे पहले ज्वार को लगभग 24 घन्टे पहले पानी में भिगोकर रखें, जिससे ज्वार अच्छी तरह से फूल जाये| अपशिष्ट या कूड़ा करकट पानी की उपरी सतह पर तैरने लगेगा उसको बाहर निकाल दें|

2. जैविक कीटनाशक तैयार करने के लिए, अब 24 धन्टे बाद देखें कि ज्वार अच्छी तरह से फूल गया है या नहीं| आमतौर पर सर्दी के दिनों में यह देखा गया है, कि 24 धन्टे के बाद भी ज्वार अच्छी तरह से नहीं फूल पाता है|

ऐसा हो तो इसको पतीले में लेकर ऊपर तक पानी भरके थोड़ी देर लगभग 20 से 30 मिनट तक उबाल देना चाहिए, यानि यह सुनिश्चत कर लें कि ज्वार के दाने अच्छी तरह से नरम हो गये हैं| इसको उबालना किसी भी ऋतु में उपयोगी रहता है| ज्वार के स्थान पर किसी अन्य अनाज जैसे- गेहूं, बाजरा, जौ, मक्का या आलू को भी प्रयोग में लाया जा सकता है|

3. जैविक कीटनाशक तैयारी हेतु प्लास्टिक की थैलियों (पालीथीन) में लगभग 250 ग्राम ज्वार लें एवं अच्छे वाले रबर बैंड से थैली के ऊपरी हिस्से को बन्द कर दें, इसके साथ-साथ यह ध्यान रहे कि थैली के उपरी हिस्से को मोड़ करके रबर बैन्ड न लगाएं, क्योंकि जब इस प्रकार से भरी थैली को प्रेसर कुकर में पकाएगें तो थैली में उच्च दाब के कारण यह कुकर के अन्दर ही फट सकती है|

यह भी पढ़ें- ट्राइकोडर्मा क्या जैविक खेती के लिए वरदान है

जैविक कीटनाशक के लिए थैलियों का निर्जीवीकरण

1. जैविक कीटनाशक हेतु इस तरह जब ज्वार की थैलियाँ तैयार हो जाये तो प्रेसर कुकर की क्षमता के अनुसार 3 से 4 थैलियाँ कुकर में रखें| कुकर में आधा से एक लीटर पानी लें एवं इसमें एक चौकोर जाली या लकड़ी का टुकड़ा या कप रखें तथा इसी के ऊपर ज्वार से भरी प्लास्टिक की थैलियाँ रखें यानि थेलियाँ कुकर की पेंदी में न रखें, तत्पश्चात कुकर को बन्द कर दें|

2. अब जैविक कीटनाशक तैयार करने के लिए कुकर को धीमी लौ पर रखें, तेज लौ पर ये थैलियाँ फट सकती हैं| अब कुकर में सीटियाँ आने दें एवं इसके बाद 15 मिनट तक कुकर में रखें| इसके पश्चात कुकर को लौ से हटा लें तथा ठन्डा होने दे| जब कुकर ठन्डा हो जाये यानि यह खोलने की स्थित में हो तो खोलें|

3. ज्वार भरी प्लास्टिक की थैलियों को कुकर से बाहर निकालें एवं ठन्डा होने दें| जब ये थैलियाँ छूने से गरम न लगें, तब यह समझो कि यह ट्राइकोडर्मा के बीज को डालने की स्थिति में आ गई है| थैलियों को पूरी तरह से बन्द रहने दें, इनको खोलने से इसमें अनावश्यक फफूंद या अन्य जीवाणु प्रवेश कर जायेंगे, जिससे ज्वार में अन्य फफूंद विकसित हो जायेंगे जिससे यह खराब हो जायेगा|

यह भी पढ़ें- जीवामृत बनाने की विधि, जानिए सामग्री, प्रयोग

जैविक कीटनाशक के लिए वृद्धि का अवलोकन

1. अब जैविक कीटनाशक तैयार करने के लिए सावधानी पूर्वक ट्राइकोडर्मा के बीजों (बाथ कल्चर) से भरी शीशी की सील खोलें और साथ ही साथ एक मोमबत्ती जलाकर रखें| एक 5 मिलीलीटर वाली सिरिन्ज लायें एवं इसके पैकिट को खोलें इसमें एक सुई (नीडिल) भी होती है| सिरिन्ज में सुई फिट करके इसको जलती हुई मोमबत्ती की लौ पर गरम करें|

सुई का अगला हिस्सा मोमबत्ती की ज्वाला के बीच में रहे और यहीं से सावधानी पूर्वक हवा को सिरिन्ज के अन्दर खीचें, इसका तात्पर्य यह है कि लौ के बीच से ली गयी हवा अन्य फफूंद व जीवणुओं से सुरक्षित होती है| इस हवा को सुई द्वारा सील खोली हुई शीशी में दबाकर डाल दें एवं पुनः शीशी में भरे द्रव को सिरिन्ज में खीचें, हवा को शीशी के अन्दर डालने से यह द्रव आसानी से सिरिन्ज में आ जायेगा|

इस द्रव पदार्थ को तैयार की गयी ज्वार की थैलियों में सावधानी पूर्वक ज्वार में चार से पाँच बूंदें डाल दें एवं सावधानी पूर्वक सिरिन्ज की सुई निकाल लें और दूसरा रबर बैंड सुई द्वारा बने छिद्र के निचे लगा दें यानिकी छिद्र रबर के ऊपर आ जायें|

यह भी पढ़ें- जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन, जानिए आधुनिक तकनीक

2. जैविक कीटनाशक तैयार करने के लिए इस प्रकार से सभी ज्वार भरी प्लास्टिक की थैलियों में ट्राइकोडर्मा का बीज डाल दें और अच्छी तरह मिलाकर किसी अँधेरे कमरे में रख दें, जहाँ सीधे तौर पर सूर्य की रोशनी न पड़ती हो| इसके साथ-साथ यह भी ध्यान रहे कि इसकी बार-बार छेड़-छाड़ न करें यानि की थैलियों को अनावश्यक तौर पर हिलाना-डुलाना नहीं चाहिए|

जब पूरी तरह से ज्वार गहरे हरे रंग का हो जाये, तो समझो कि पर्याप्त मात्रा में ट्राइकोडर्मा की वृद्धि हो चुकी है एवं अब जैविक कीटनाशक को प्रयोग में लाया जा सकता है| यदि इस जैविक कीटनाशक का छिड़काव करना हो तो इस पूर्ण वृद्धि वाली थैली के ज्वार को लगभग 10 से 20 लीटर पानी में मिलाकर छान लें व छिड़काव में प्रयोग कर लें|

जैविक कीटनाशक का छिड़काव प्रायः शाम के समय करना चाहिए| क्योंकि तेज धूप होने पर इसके बीजाणु मर सकते हैं और इसके साथ-साथ यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इसके धोल में 100 ग्राम गुड़ अच्छी तरह मिलाना आवश्यक है| जो इसको पौधों की पत्तियों पर चिपकाने का काम करेगा एवं इसके लिए भोजन के श्रोत का भी काम करेगा|

यह भी पढ़ें- सब्जियों की जैविक खेती, जानिए प्रमुख घटक, कीटनाशक एवं लाभ

3. ट्राइकोडर्मा को पुनः बहुगुणित करना हो तो लगभग 10 से 20 किलों गोबर की पकी हुई खाद में अच्छी तरह से मिला दें तथा इसको छायादार या अंधेरी जगह पर रखें और इसको जूट के बोरे या खरपतवार से अच्छी तरह से ढक दें एवं पानी का छिड़काव करते रहें|

लगभग एक से दो सप्ताह में पूरी सतह पर सफेद जाल सा फैल जायेगा| तब इसको किसी अन्य इसी तरह से तैयार किए गये गोबर की खाद में मिलाकर रखने से बड़ी मात्रा में इस जैविक कीटनाशक या फफूंद को तैयार करके खेतों में प्रयोग कर सकते हैं|

खड़ी फसल की मिट्टी को उपचारित करने हेतु फसल में पानी देने से पहले इस गोबर की खाद को खेत में बुरका दे एवं पीछे से पानी लगा देना चाहिए, इससे मिट्टी में लगने वाली बीमारियों का नियन्त्रण आसानी से हो सकेगा एवं मिटटी में फास्फोरस की मात्रा भी नियमित बनी रहेगी|

यह भी पढ़ें- ट्राइकोडर्मा विरिडी एवं ट्राइकोडर्मा हारजिएनम से रोग व कीट नियंत्रण

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

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