• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post
Home » मेडागास्कर विधि द्वारा धान की जैविक खेती: देखभाल और पैदावार

मेडागास्कर विधि द्वारा धान की जैविक खेती: देखभाल और पैदावार

January 6, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

मेडागास्कर

मेडागास्कर (एसआरआई) विधि धान उत्पादन की एक तकनीक है, जिसके द्वारा पानी के बहुत कम प्रयोग से भी धान का बहुत अच्छा उत्पादन सम्भव होता है| मेडागास्कर को सघन धान प्रनाली के नाम से भी जाना जाता है| धान एवं पानी का रिश्ता अटुट है, यह सभी किसान जानते हैं लेकिन जब से रासायनिक उर्वरकों जैसे यूरिया आदि का उपयोग बढा तब से धान को पानी की आवश्यकता बढी तथा कुछ हमारी सोच भी बदली कि ज्यादा पानी का अर्थ ज्यादा पैदावार किन्तु इसके परिणाम सामने आ रहे है और यही स्थिति और मानसिकता बनी रही तो कुछ समय बाद धान का उत्पादन में अधिक जल व अधिक उर्वरक के उपयोग से निम्न समस्यायें पैदा हो रही हैं, जैसे-

1. भूमि की लवणता बढ़ रही है या धीरे धीरे भूमि बंजर हो रही है|

2. कीट-रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है|

3. खेतों की लागत बढ़ रही है|

4. धान के बाद में लगने वाली फसल की समस्यायें बढ़ रही हैं|

5. भूमि को स्वंय को सुधारने का अवसर नहीं मिल रहा है|

6. कहीं तो ट्यूबवेल सूख रहें हैं कहीं भू-जल स्तर उपर आ रहा है|

7. भू-जल में नाइट्रेट का प्रदुषण बढ रहा है|

खाद्यान्नों में धान का महत्तवपूर्ण स्थान है और विश्व की जनसंख्या का अधिकांश भाग दैनिक भोजन में चावल का ही उपयोग करता है| आज हमारे सामने प्रमुख समस्या है, जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ इनके भरण पोषण के लिए समुचित मात्रा में खाद्यान्नों की व्यवस्था करना, कृषकों को अब उन्नत विधि से खेती करने की आवश्यकता है|

यह भी पढ़ें- धान की जैविक खेती कैसे करें, जानिए आधुनिक पद्धति

क्योंकि धीरे धीरे कृषि भूमि का रकबा घटते जा रहा है| अब हमारा मुख्य ध्येय होना चाहिए, कि कैसे सीमित रकबा में अधिक से अधिक उत्पादन लिया जा सके| इसी समस्या के निदान के लिए मेडागास्कर (एस आर आई) एक अहम् भूमिका निभा सकती है|

कुल मिलाकर धान में जल के ज्यादा उपयोग से पैदावार की वजाय समस्यायें बढ़ रही हैं और भविष्य में इससे पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर-प्रदेश में न केवल धान का उत्पादन कम होगा नही तो गेहूं तथा दलहन जो कि धान के साथ फसल चक में शामिल है, उनका भी उत्पादन घटता जायेगा| इससे खाद्य संकठ एवं किसानों की आजिविका का संकट दोनों ही बढता जायेगा|

पृथ्वी के जलवायु परिवर्तन के होते जल की उपलब्धता भी धीरे-धीरे अनिश्चित होती जायेगी| समय रहते इस धान पानी के रिश्ते को ठीक से समझकर खेती की जाये तो शायद भविष्य पुनः सुखदायक हो सकेगा| इसका एक सरल और वैज्ञानिक उपाय है, मेडागास्कर विधि से धान की जैविक खेती, इसके बारे में विस्तृत जानकारी से पहले धान व जल से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सुझाव इस प्रकार है, जैसे-

1. धान से पहले बैसाखी यानी जायद मूंग को फसल चक में शामिल करना, इससे न केवल अप्रेल-जून के दौरान जल की भारी बचत नही तो बरसाती धान के लिए भूमि में जीवांश खाद एवं 30 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन भी मिल सकेगी|

यह भी पढ़ें- धान की खेती में जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन

2. यदि भूमि लवणीय हो तो धान के पहले ढेंचा की हरी खाद अवश्य लेवें इससे लवणीयता में न केवल काफी कमी होती है बल्कि 50 से 60 किलो नाइट्रोजन भी मिलती है|

सरांश में ग्रीष्मकालीन धान को न उगाकर दलहन या हरी खाद से न केवल लम्बे समय तक धान की खेती संभव है बल्कि भूमि एवं किसान दोनों की खुशहाली बनी रह सकती है| इसके बाद शूरु होती है, धान की एस आर आई या मेडागास्कर विधि|

फादर हेनरी डी लौलेनी ने प्रति इकाई क्षेत्र से धान का अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने हेतु मेडागास्कर तकनीक विकसित की, जो एस आर आई तकनीक के नाम से लोकप्रिय हो रही है| भूमि तथा पानी के कम से कम उपयोग से धान उत्पादन में खासी वृद्धि की जा सकती है|

मेडागास्कर (एस आर आई) पद्धति से धान का विपुल उत्पादन लिया जा सकता है| इस तकनीक को अपनाने से हमारे देश में सिचिंत अवस्था में धान की औसत उत्पादकता 6 से 7 टन प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती है| इस तकनीक के प्रमुख बिन्दु निम्नानुसार है, जैसे-

मेडागास्कर विधि द्वारा धान की जैविक खेती के लिए पौध रोपण

मेडागास्कर (एस आर आई) हेतु रोपण के लिए चुने गये खेत की दो तीन बार जुताई कर मिट्टी भुरभुरी कर लें| एक मीटर चौड़ी और 10 मीटर लम्बी एवं 15 सेंटीमीटर ऊंची क्यारी बनायें, क्यारी मे मिट्टी, गोबर की खाद और धान का भूसा का अनुपात 70:20:10 के अनुपात में रखें| क्यारी के दोनों ओर सिंचाई नाली बनाना आवश्यक है|

अब उपचारित बीज को प्रति क्यारी 120 ग्राम बीज या 12 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से छिड़क कर दोबारा कंपोस्ट या गोबर खाद से ढक दें, जब पौधा 8 से 10 दिन का हो जाये तो उसमें 0.5 प्रतिशत यूरिया और 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का घोल बनाकर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- अलसी की जैविक खेती कैसे करें, जानिए आधुनिक एवं उपयोगी जानकारी

मेडागास्कर विधि द्वारा धान की जैविक खेती के लिए अगेती रोपाई 

धान की पौध 15 दिन से अधिक की होने पर पौधों की वृद्धि को कम कर देती है| सामान्य तौर पर 12 से 14 दिन के पौधे मेडागास्कर (एस आर आई) पद्धति से रोपाई करने के लिए उपयुक्त रहते है| दो पत्ती अवस्था या 12 से 14 दिन के धान के पौधे के कंसे तथा जड़ दोनों में आमतौर पर 30 से 40 दिन की रोपणी की तुलना में ज्यादा वृद्धि देखी गई है|

जिससे पौधे नमी और पोषक तत्वों को अच्छे से ग्रहण करते है, फलस्वरूप अधिक पैदावार प्राप्त होती है| पौध उखाड़ने के बाद शीघ्र रोपाई करना आवश्यक है, पौधे की रोपाई 2 सेंटीमीटर गहरी तथा पौधे की जड़ सीधी होना आवश्यक है और रोपाई वाले खेत में पानी भरा नहीं होना चाहिए|

मेडागास्कर विधि द्वारा धान की जैविक खेती के लिए एक पौध प्रति रोपण

मेडागास्कर (एस आर आई) विधि में एक स्थान पर केवल एक पौधे की ही रोपाई की जाती है| पौधों की दूरी अधिक रखने से जड़ों की वृद्धि ज्यादा होती है और कंसे भी अधिक बनते है, साथ ही वायु का आगमन एवं प्रकाश संश्लेषण भी अच्छा होगा जिससे पौधे स्वस्थ व मजबूत कंसे अधिक संख्या में निकलेंगे जिनमें दानों का भराव भी अधिक होगा, जबकि कम दूरी में ऐसा संभव नहीं हो पाता है| पौध रोपण करते समय पौधे की जड़ से मिट्टी को अलग नहीं करना चाहिए|

यह भी पढ़ें- मसूर की जैविक खेती कैसे करें

मेडागास्कर विधि द्वारा धान की जैविक खेती के लिए पौधों की अधिक दूरी

मेडागास्कर (एस आर आई) पद्धति में कतारों में रोपाई की तुलना में चौकोर विधि से धान की रोपाई करने से पौधे को पर्याप्त प्रकाश मिलता है और जड़ों की वृद्धि होता है| कतार एवं पौधे से पौधे की दूरी 25 X 25 सेंटीमीटर रखते है|

मेडागास्कर विधि द्वारा धान की जैविक खेती के लिए जल प्रबंधन

मेडागास्कर (एस आर आई) विधि में लगातार खेत में पानी नहीं रखा जाता, विशेषतया वानस्पतिक वृद्धि की अवस्था में जडों को आर्द्र रखने लायक पानी दिया जाता है, जिससे खेत में बहुत पतली दरारें उत्पन्न हो जाती है| ये दरारें पौधे की जड़ों को आक्सीजन उपलब्ध कराती है, जिससे जड़ों का फैलाव एवं वृद्धि अच्छी होती है और जड़े पोषक तत्वों को मिटटी से ग्रहण कर पौधे के विभिन्न भागों में पहुंचाने में अधिक सक्षम होती है| वानस्पतिक अवस्था के पश्चात फूल आने के समय खेत को 3 से 4 सेंटीमीटर पानी से भर दिया जाता है तथा कटाई से 15 से 20 दिन पूर्व पानी को खेत से निकाल देते है|

यह भी पढ़ें- चने की जैविक खेती कैसे करें

मेडागास्कर विधि द्वारा धान की जैविक फसल में खरपतवार नियंत्रण

मेडागास्कर (एस आर आई) विधि में पौधे की वानस्पतिक अवस्था निंदाई हेतु हस्तचलित खरपतवारनाशी यंत्र पैडी वीडर द्वारा 2 से 3 बार निंदाई करते है, जिससे न केवल नींदा खत्म होते है और जड़ों में वायु का प्रवाह भी बढ़ता है, जो जड़ों की वृद्धि एवं पौधों के पोषक तत्वों को ग्रहण करने की क्षमता में भी वृद्धि करता है|

मेडागास्कर विधि द्वारा धान की जैविक फसल में खाद का उपयोग

किसी भी स्त्रोत द्वारा तैयार जैविक खाद या हरी खाद का उपयोग करने से पोषक तत्वों की उपलब्धता में बढ़ोतरी के साथ-साथ भूमि में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा भी बढ़ती है, जो पौधे की अच्छी बढ़वार में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाती है| मिटटी परीक्षण कर पोषक तत्वों की मात्रा का निर्धारण करें और आवश्यक पोषक तत्व की आधी मात्रा कार्बनिक खाद एवं आधी मात्रा अकार्बनिक खाद से पूर्ण करें, इस में 20 से 25 क्विंटल गोबर खाद प्रति हेक्टेयर की दर से डाली जाती है|

यह भी पढ़ें- जीवामृत बनाने की विधि, जानिए सामग्री, प्रयोग एवं प्रभाव

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें| 

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

“दैनिक जाग्रति” से जुड़े

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

करियर से संबंधित पोस्ट

आईआईआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कट ऑफ, प्लेसमेंट

एनआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कटऑफ, प्लेसमेंट

एनआईडी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, फीस, कट ऑफ, प्लेसमेंट

निफ्ट: योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, कोर्स, अवधि, फीस और करियर

निफ्ट प्रवेश: पात्रता, आवेदन, सिलेबस, कट-ऑफ और परिणाम

खेती-बाड़ी से संबंधित पोस्ट

June Mahine के कृषि कार्य: जानिए देखभाल और बेहतर पैदावार

मई माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

अप्रैल माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

मार्च माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

फरवरी माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

स्वास्थ्य से संबंधित पोस्ट

हकलाना: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

एलर्जी अस्थमा: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान, इलाज

न्यूमुलर डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, डाइट, निदान और इलाज

पेरिओरल डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, निदान और इलाज

सरकारी योजनाओं से संबंधित पोस्ट

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार: प्रशिक्षण, लक्षित समूह, कार्यक्रम, विशेषताएं

राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: लाभार्थी, योजना घटक, युवा वाहिनी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार: उद्देश्य, प्रशिक्षण, विशेषताएं, परियोजनाएं

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना | प्रधानमंत्री सौभाग्य स्कीम

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, पेंशन, देय और ऋण

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap