• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post
Home » गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार

December 12, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती

गोभी वर्गीय सब्जियों की खेती शीतकालीन समय में की जाती है, इसमें फुल और पत्ता गोभी प्रमुख है, इसके लिए ठंडी और नम जलवायु सबसे अच्छी होती हैं| इसकी वानस्पतिक वृद्धि के लिए उपयुक्त तापमान 4 से 8 डिग्री सेल्सियस तक या इसे कम तापमान चाहिए| पहाड़ी क्षेत्रों में ही फुल और पत्ता गोभी की ज्यादातर खेती बीज उत्पादन के लिए की जाती है| इस लेख द्वारा गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती की उपयोगी एवं आधुनिक तकनीक का विस्तृत विवरण प्रस्तुत है|

यह भी पढ़ें- सब्जियों की जैविक खेती, जानिए प्रमुख घटक, कीटनाशक एवं लाभ

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए भूमि और खेत की तैयारी

गोभी वर्गीय सब्जियों में मुख्यत: बन्द गोभी एवं फूल गोभी की फसलें आती हैं| गोभी वर्गीय सब्जियों की खेती के लिए मिट्टी का पी एच मान 6 से 6.5 उपयुक्त है तथा जैविक कार्बन एक प्रतिशत से ज्यादा होना चाहिए| ऐसी मिट्टी गोभी वर्गीय सब्जियों की खेती के लिए उपयुक्त होती है, मिट्टी में पी एच स्तर, जैविक कार्बन, गौंण पोषक तत्व (एन पी के, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाष) खेत में सूक्ष्म जीवों के प्रभाव की मात्रा की जांच के लिए वर्ष में एक बार मिट्टी परीक्षण करना जरूरी है|

यदि मिट्टी में जैविक कार्बन एक प्रतिशत से कम पाई जाती है, तो खेत में 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर की दर से कार्बनिक खाद डाली जाए तथा खाद को अच्छी तरह खेत में मिलाने के लिए खेत की 2 से 3 बार जुताई की जानी चाहिए और उसको समतल कर लेना चाहिए| पानी निकासी की व्यवस्था अवश्य करें|

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए बुआई का समय

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए बुआई का उपयुक्त समय इस प्रकार है, जैसे-

मैदानी क्षेत्र- बंद गोभी के लिए अगस्त से सितम्बर एवं फुल गोभी के लिए जून से जुलाई उपयुक्त समय होता है|

मध्य पर्वतीय क्षेत्र- बंद गोभी के लिए सितम्बर से अक्तूबर एवं फुल गोभी के लिए अप्रैल से मई उपयुक्त समय होता है|

ऊचे पर्वतीय क्षेत्र- बंद गोभी के लिए अप्रैल से जून एवं फुल गोभी के लिए अप्रैल से मई उपयुक्त समय होता है|

यह भी पढ़ें- मक्का की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल एवं पैदावार

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए अनुमोदित किस्में

गोभी वर्गीय सब्जियों की अनुमोदित और उन्नतशील किस्में इस प्रकार है, जैसे-

बंदगोभी- प्राइड ऑफ इंडिया, गोल्डन एकड़, पूसा ड्रम हैड और पूसा मुक्ता आदि|

फूल गोभी- अर्ली कुनवारी, इम्पूवड जापानीज, पूसा स्नोबौल- 1, पूसा स्नोबॉल के-1 और पालम उपहार आदि|

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए बीज दर

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए बीज की मात्रा इस प्रकार है, जैसे-

बंद गोभी- लगभग 500 से 700 ग्राम प्रति हेक्टेयर एवं 40 से 45 ग्राम प्रति बीघा गोभी का बीज नर्सरी में बिजाई के लिए पर्याप्त होता है|

फूल गोभी अगेती किस्मों के लिए- 750 ग्राम प्रति हेक्टेयर एवं 60 ग्राम प्रति बीघा बीज नर्सरी में बिजाई के लिए पर्याप्त होता है|

फूल गोभी पछेती किस्मों के लिए- 500 से 650 ग्राम प्रति हेक्टेयर एवं 40 से 50 ग्राम प्रति बीघा बीज नर्सरी में बिजाई के लिए पर्याप्त होता है|

यह भी पढ़ें- अरहर की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए बीज उपचार

गोभी वर्गीय सब्जियों के बीज का 5 प्रतिशत ट्राईकोडर्मा घोल के साथ उपचार किया जाए एवं बुवाई से पहले छाया में सुखाया जावे|

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए पौध तैयार करना

गोभी वर्गीय सब्जियों के लिए नर्सरी क्यारी की मिट्टी अच्छी तरह तैयार की जाए, जिसमें खरपतवार एवं रोग या जीवाणु बिल्कुल भी नहीं होने चाहिए| सूत्रकृमि के प्रकोप को कम करने के लिए 100 किलोग्राम अपघटित कार्बनिक खाद में 100 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरडी मिलाकर इसका उपयोग किया जाए| कीट से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए 1 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से नीम की खली का उपयोग किया जाए|

नर्सरी क्यारियों की ऊपरी मिट्टी को नमी युक्त बनाए रखने के लिए क्यारी पर सूखी घास की पतली परत को फैलाकर बिछाया जाए, पौध उगाने के लिए 8.5 गुणा 10 मीटर आकार के साथ 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंचाई वाली उठी हुई बीज क्यारियां तैयार की जाएं| नर्सरी के प्रति वर्ग मीटर क्षेत्र में काइकोराइजा 40 ग्राम और एजोसपिरोलियम व फास्फोट घोल बैक्टीरिया प्रत्येक 200 ग्राम को कम्पोस्ट तथा फार्म-यार्ड खाद के साथ मिलाया जाए|

गोभी वर्गीय सब्जियों की 25 से 30 दिन में पौध तैयार हो जाती है| पौध निकालने से 4 से 5 दिन पहले पानी देना बंद कर दें तथा पौधे को ठोस बनाने के लिए इसे खुले स्थान पर धूप में रखें| जब पौध 4 से 5 सप्ताह में 10 से 12 सेंटीमीटर की उंचाई पर हो जाए तो तैयार किए गए खेत में शाम के समय रोपाई करें और रोपण के बाद तुरंत पानी दें|

यह भी पढ़ें- बाजरा की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल एवं पैदावार

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए बीज की दूरी

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती हेतु बीज की दूरी 1 से 2 सेंटीमीटर गहराई में 10 सेंटीमीटर अलग पंक्ति में 4 से 5 सेंटीमीटर बीज से बीज की दुरी पर डाला जाए|

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए पौध उपचार

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती हेतु प्रतिरोपण से एक दिन पहले पौध पर 1 मिलीलीटर मिश्रण की दर से बी टी (बैसिलस थूरीनजेनसिस) छिड़का जाए, प्रतिरोपण के समय पौध के जड़ वाले हिस्से को 1 प्रतिशत बोरडोक्स मिश्रण से उपचारित करें, या इससे गड्ढे को उपचारित करें|

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए मिट्टी प्रबंधन

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती हेतु या बंदगोभी और फूलगोभी रोपण से 2 माह पहले फलीदार हरी खाद वाली फसलें उगाई जाएं, जैसे- ढेचा, सनई, लोबिया और कुलथी आदि, खेत में 30 टन कार्बनिक खाद, 1.5 टन वर्मी कम्पोस्ट तथा 250 किलोग्राम नीम की खली के साथ 8 प्रतिशत तेल का प्रयोग किया जाए|

नाईट्राजन की आवश्यकता को फसल परिचक्रण, फली वाली फसलों, कम्पोस्ट, हरी खाद एवं पलवार के माध्यम से पूरा किया जाए| फास्फेट की अतिरिक्त आवश्यकता को जैविक उर्वरकों के इस्तेमाल से पूरा किया जाए, जैसे- खली, अस्थिचूर्ण, गोबर खाद, सॅफ फास्फेट आदि, पोटाशियम की अतिरिक्त जरूरत को लकड़ी के बुरादे, ग्रेनाईट डस्ट या पोटाशियम सल्फेट से पूरा किया जा सकता है|

यह भी पढ़ें- जैविक कृषि प्रबंधन के अंतर्गत फसल पैदावार के प्रमुख बिंदु एवं लाभ

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए प्रतिरोपण और दूरी

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती हेतु आम तौर पर 4 से 5 सप्ताह पुराने स्वस्थ पौध को मुख्य खेत में प्रतिरोपण के लिए चुना जाता है| इसके लिए मुख्य तौर पर मेड व नालियां बनाई जाती हैं, अगेती किस्मों के लिए 45 X 30 सेंटीमीटर और पछेती किस्मों के लिए 60 X 45 सेंटीमीट की दूरी रखी जाती है|

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक फसल में सिंचाई प्रबंधन

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती के लिए कुशलतम तरीके से जल उपयोग तथा संरक्षण की दृष्टि से टपका सिंचाई बेहतर है, यदि खुली सिंचाई का इस्तेमाल किया जाता है, तो जल मग्नता से बचने पर पूरा ध्यान दिया जाए| रोपण से पहले सिंचाई की जाए और रोपण के तीसरे या चोथे दिन भी सिंचाई आवश्यक है| इसके बाद प्रत्येक 10 से 15 दिन में सिंचाई की जाए, जब गोभी वर्गीय सब्जियों की फसल शीर्ष परिपक्व स्थिति में आ जाएं तो इनके टूटने को रोकने के लिए सिंचाई बंद कर दें|

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक फसल में खरपतवार प्रबंधन

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती हेतु नियमित रूप से हाथ से खरपतवार निकालने तथा मिट्टी चढ़ाने का काम किया जाना चाहिये, खरपतवार को नष्ट करने और नमी संरक्षण के लिए पंक्तियों के बीच शुष्क फसल के अवशेष या निकाले गए घास के अपषिष्ट से पलवार बिछाई जा सकती है| खरपतवार प्रबंधन की आवश्यकता फसल वृद्धि के 60 दिन तक होती है|

यह भी पढ़ें- मूंग एवं उड़द की जैविक खेती, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक फसल में कीट प्रबंधन

डायमंड ब्लैक मोथ केटरपिलर- गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती में इस कीट की रोकथाम इस प्रकार कर सकते है, जैसे-

1. फसल परिचक्रण से रोग सूत्रकृमि के प्रकोप से रोकथाम होती है, एवं खरपतवार समाप्त होते हैं|

2. रोपण से 10 दिन पहले खेत की मेड के साथ-साथ सरसों या गेंदे की बुवाई की जाए, इससे फसल पर आक्रमण करने वाले कुछ कीटों की ट्रैपिंग में मदद मिलेगी|

3. व्यस्क कीट की ट्रेप करने के लिए 12 प्रति हैक्टेयर की दर से फेरोमोन ट्रेप लगाए जाएं, इसमें कीटों के आक्रमण की निगरानी में मदद मिलेगी|

4. फसल पर जैव नियंत्रण एजेंट जैसे बैसिलस थूरीनजेनसिस वैर कुरस्टाकी का छिड़काव फसल के आरंभिक चरण में 2 मिलीलीटर प्रति लीटर की दर से किया जाए|

5. नीम बीज की गुठली के निष्कर्षक 5 प्रतिशत घोल का छिड़काव बाद के चरण से किया जावे|

यह भी पढ़ें- टमाटर की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

माहू (एफिड्स)- गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती में इस कीट की रोकथाम इस प्रकार कर सकते है, जैसे-

1. वकल्पिक चक्र के रूप में बेयूवरिया बेसिएना का छिड़काव किया जा सकता है|

2. रोपण के 60 दिन बाद एक जैव-कार्ड रखा जाए, जो परजीवी डायडीगेमा सेमीक्लोसम को 50,000 प्रति हेक्टेयर की दर से जारी कर सकता है|

3. लहसून- मर्च के सत्त को तीन बार छिड़का जाए अर्थात दूसरे, चौथे और छठे सप्ताह में|

4. अगेती बुआई से फसल को एफिडस के प्रकोप के हानिकारक रूप लेने से पहले अच्छी तरह स्थापित होने का समय मिल जाता है|

5. नीम के तेल का 3 प्रतिशत छिड़काव किया जाए|

6. डी बी एम को नियंत्रित करने के लिए बेसिलस थूरिंगजेनोसिस के छिड़काव से भी एफिड्स नियंत्रण में मदद मिलती है|

यह भी पढ़ें- हरी खाद क्या है- लाभ, उपयोग व फसलें

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक फसल में रोग प्रबंधन

गोभी वर्गीय सब्जियों में नमी वाली स्थिति अनेक तरह के रोग पनपने में सहायक होती है| कोई भी कार्य जिसमें पत्तियां सूखती हैं, इससे इस तरह के पत्ती रोगों को बढ़ने में रोक लगाई जा सकती है| पूर्व-पश्चिम दिशा में फसल के पौधों की पंक्तियां एवं अधिक सघनता से बचने से भी मिट्टी को सूखने में मदद मिलती है व पौधे की छत्रक में नमी तत्व में कमी आती है|

क्लब रूट (जड़)- गोभी वर्गीय सब्जियों में क्लब रूट (जड़) संक्रमण में उस समय काफी कमी आती है, जब टमाटर, खीरा या बीज को फसल परिचक्रण में शामिल किया जाता है|

रोकथाम- निम्नलिखित विवरण के अनुसार स्यूडोमोनस का उपयोग किया जाए, जैसे-

1. बीज उपचार के लिए 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से किया जाये|

2. पौध उपचार के लिए प्रति 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में भिगोयें|

3. मिट्टी प्रयोग के लिए 2.5 किलोग्राम को कम्पोस्ट के साथ मिलाएं|

4. यह सलाह दी जाती है, कि संक्रमित क्षेत्र में 3 वर्ष के लिए फसल चक्र अपनायें|

यह भी पढ़ें- आलू की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

कमर तोड़ रोग- गोभी वर्गीय सब्जियों में इस रोग के लक्षण, रोग चक्र, अनुकूल वातावरण और रोकथाम टमाटर की तरह है, इसके अतिरिक्त बीज का उपचार गर्म पानी-स्ट्रेप्टोसाइकलिन (1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के घोल में 30 मिनट तक) से अवश्य करवाएं|

तना विगलन- गोभी वर्गीय सब्जियों में यह रोग प्राय: दिसंबर माह में पौधों पर मिट्टी चढ़ाने के साथ ही शुरू हो जाता है| पौधों के तनों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे तथा सड़न शुरू हो जाती है और धब्बे कोयले की तरह लगते हैं, फूल सड़ने शुरू हो जाते हैं|

रोकथाम-

1. रोगग्रस्त क्षेत्रों में गोभी- धान का फसल चक्र अपनाएं|

2. रोगग्रस्त पत्तियों को हर सप्ताह निकालें और नष्ट करें|

3. खेत में दिसंबर मास के शुरू में सूखी पत्तियों का बिछौना बिछाएं|

यह भी पढ़ें- प्याज की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में देखभाल और पैदावार

डाऊनी मिल्ड्यू- गोभी वर्गीय सब्जियों की पत्तियों की निचली सतह और तनों पर छोटे-छोटे लोहित रंग के धब्बे दिखाई पड़ते हैं| इन धब्बों पर फफूदी की सफेद मृदुरोमिल वृद्धि का पाया जाना है| इसके लक्षण फूल पर भी दिखाई देते हैं| फूल सड़ने शुरू हो जाते हैं और गले-सड़े भाग का रंग भूरा एवं किनारे काले हो जाते हैं|

बन्द गोभी के संक्रमित बन्द परागमन के दौरान सड़ जाते हैं| इस रोग का प्रकोप तभी होता है, जब तापमान में एकदम गिरावट आ जाए| ठंडा और नमी वाला मौसम इस रोग की वृद्धि के लिए सहायक है|

रोकथाम-

1. रोगग्रस्त पौधों के अवशेषों एवं गोभीय वर्गीय खरपतवारों को नष्ट कर दें|

2. रोगमुक्त बीज का चयन करें और बीज का उपचार ट्राईकोडर्मा एवं बीजामृत से करें|

काला विगलन- गोभी वर्गीय सब्जियों में रोगग्रस्त पौधों के पत्तों के किनारों पर तिखुटे आकार के पीले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं| जो बढ़कर पत्ते के अधिकतर भाग को घेर देते हैं| इन धब्बों की मुख्य और अन्य शिराएं गहरे भूरे या काले रंग की हो जाती हैं| मार्च से अप्रैल के महीनों में जब तापमान में वृद्धि शुरू हो जाती है, तो रोग से प्रभावित फसल एकदम सूख जाती है|

इस रोग का जीवाणु प्रायः रोगी बीज में जीवित रहता है और बीज द्वारा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में फैलता है| गोभी वर्गीय खरपतवारों में भी यह जीवाणु जीवित रहता है, अधिक वर्षा इस जीवाणु और रोग को फैलाने में सहायक है|

रोकथाम-

1. रोगग्रस्त क्षेत्रों में कम से कम दो वर्ष का फसल चक्र अपनाएं|

2. गोभी वर्गीय सब्जियों का स्वस्थ बीज का चयन करें|

3. गोभी वर्गीय सब्जियों में जल निकासी का पूरा इंतजाम करें|

4. बीज का उपचार ट्राईकोडर्मा एवं बीजामृत से करें|

5. बीज का उपचार गर्म पानी (52 डिग्री सेंटीग्रेट) और स्ट्रेप्टोसाइकलिन (1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में 30 मिनट तक) से करें|

यह भी पढ़ें- जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक फसल की कटाई या तुडाई

गोभी वर्गीय सब्जियों के ठोस फूलों या कंदों को जमीन की सतह से चाकू या दराती से काटा जाता है| फसल कटाई या तुड़ाई के दौरान बाहरी परिपक्व बिना मुडे पत्तों को हटा दिया जाए| यदि यहां कोई लम्बा ठोस ठूठ है तो उसे भी हटा दें, इन शीर्षों को आकार तथा गुणवत्ता के अनुसार वर्गीकृत किया जाए एवं बोरी या प्लास्टिक क्रेट में पैक करके ट्रक में भरकर बाजार में लाया जाता है| उत्पाद की तुड़ाई शाम को या सुबह-सुबह की जाए तथा फलों को छाया वाले स्थान या कमरे में रखा जाए, जहां अच्छा वायु संचरण हो|

गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती से पैदावार

बंदगोभी-

अगेती प्रजातियां- 25 से 30 टन प्रति हैक्टेयर

पछेती प्रजातियां- 40 से 50 टन प्रति हैक्टेयर

फूलगोभी-

अगेती प्रजातियां- 19 से 25 टन प्रति हैक्टेयर

पछेती प्रजातियां- 17 से 20 टन प्रति हैक्टेयर

यह भी पढ़ें- ट्राइकोडर्मा क्या जैविक खेती के लिए वरदान है

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

“दैनिक जाग्रति” से जुड़े

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

करियर से संबंधित पोस्ट

आईआईआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कट ऑफ, प्लेसमेंट

एनआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कटऑफ, प्लेसमेंट

एनआईडी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, फीस, कट ऑफ, प्लेसमेंट

निफ्ट: योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, कोर्स, अवधि, फीस और करियर

निफ्ट प्रवेश: पात्रता, आवेदन, सिलेबस, कट-ऑफ और परिणाम

खेती-बाड़ी से संबंधित पोस्ट

June Mahine के कृषि कार्य: जानिए देखभाल और बेहतर पैदावार

मई माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

अप्रैल माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

मार्च माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

फरवरी माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

स्वास्थ्य से संबंधित पोस्ट

हकलाना: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

एलर्जी अस्थमा: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान, इलाज

न्यूमुलर डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, डाइट, निदान और इलाज

पेरिओरल डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, निदान और इलाज

सरकारी योजनाओं से संबंधित पोस्ट

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार: प्रशिक्षण, लक्षित समूह, कार्यक्रम, विशेषताएं

राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: लाभार्थी, योजना घटक, युवा वाहिनी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार: उद्देश्य, प्रशिक्षण, विशेषताएं, परियोजनाएं

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना | प्रधानमंत्री सौभाग्य स्कीम

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, पेंशन, देय और ऋण

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap