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गन्ने में भरपूर पैदावार के लिए न होने दें लौह तत्व की कमी

December 1, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

गन्ने की बढ़वार के लिए 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिनमें लोहा भी एक तत्व है| लगातार सघन खेती और खादों के असंतुलित प्रयोग से भारत की भूमि में जैविक पदार्थ एवं आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे लोहे की कमी हो रही है| गन्ने की अधिक उपज प्राप्त करने के लिएआवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में उपलब्ध होने चाहिएं| यदि एक पोषक तत्व की कमी होती है, तो अन्य पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होने पर भी पौधे की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है|

बलुई भूमि एवं जिस भूमि में पी एच मान और कैल्शियम कार्बोनेट की मात्रा अधिक हो एवं जहां क्षारीय पानी से सिंचाई की जाती हो, वहां गर्मी के मौसम में जब तापमान अधिक होता है तथा पानी की कमी हो जाती है, तो गन्ने की फसल में लोहे की कमी हो सकती है| इसके अलावा जिन खेतों की ऊपरी मिट्टी हटा ली गयी हो या उसमें कार्बनिक अंश कम हो तो ऐसे खेतों में लोहा कम उपलब्ध होता है|

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गन्ने में लोहे की कमी के कारण

लोहा पौधों में हरापन बनाने में आवश्यक होता है और भोजन बनाने में सहायक होता है| लोहे की कमी के कारण कई पत्तियों में हरापन कम हो जाता है| पत्तियों की शिराओं के मध्य भाग का हरापन खत्म हो जाता है और शिराएं हरी रहती हैं| इस तरह मध्य शिरा के समानान्तर सफेद एवं हरी पट्टियां बन जाती हैं| अधिक कमी होने पर शिराएं भी सफेद हो जाती हैं|

पत्तियां सफेद होकर कागज के समान लगती हैं और नई पत्तियां बिल्कुल सफेद निकलती हैं| पौधों की वृद्धि रुक जाती है तथा पैदावार पर बुरा प्रभाव पड़ता है| लोहे की कमी से यद्यपि गन्ना तो बन जाता है, परन्तु रस में चीनी की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे गन्ना मिल में ऐसे गन्नों से चीनी नहीं बन पाती|

गन्ने में लोहे की कमी के प्रभाव 

गन्ने के गुणलोहे की कमी की स्थिति मेंलोहे की सामान्य स्थिति में
गन्ने की लंबाई (सेंटीमीटर)150 से 160200 से 210
गन्ने में पोरियों की संख्या20 से 2226 से 28
एक गन्ने का वजन (ग्राम)550 से 650850 से 900
रस में चीनी (प्रतिशत)4.50 से 5.0012 से 13

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नियंत्रण-

लोहे की कमी के उपचार हेतु एक प्रतिशत फेरस सल्फेट और दो प्रतिशत यूरिया का घोल बनाकर फसल पर 2 से 3 छिड़काव 10 से 12 के अंतर पर करने से कमी के लक्षण दूर हो जाते हैं एवं पौधे की वृद्धि अच्छी हो जाती है तथा पैदावार और रस की गुणवता पर अच्छा प्रभाव पड़ता है|

एक एकड़ में 200 से 250 लीटर घोल का छिड़काव करना चाहिए| फैरस रसायनों का मिट्टी में प्रयोग काफी महंगा पड़ता है एवं इसकी क्षमता भी कुछ समय के लिए ही रहती है, इसलिए पत्तियों पर छिड़काव ही लाभदायक है|

इसके अलावा गोबर की खाद और ढैंचे की हरी खाद का प्रयोग लोहे की कमी दूर करने के लिए विशेष लाभकारी है| इनका प्रयोग लोहे जैसे सूक्ष्म तत्वों की कमी को पूरा करने के साथ भूमि की भौतिक और जैविक दशा को भी सुधारता है|

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