सरसों की फसल तेल एवं प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण स्रोत होने की दृष्टि से दुनिया भर में सरसों की फसल का या उत्पादन बढ़ रहा है| इसका उत्पादन क्षेत्र 6.83 मिलियन हेक्टेयर से बढ़कर 29.83 मिलियन हेक्टेयर हो गया साथ ही साथ इसकी पैदावार 4.5 मिलियन टन से बढ़कर 49.82 मिलियन टन हो गयी है| उत्पादन की दृष्टि से भारत विश्व में दूसरा स्थान रखता है| सरसों की फसल के मुख्य राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, हरियाणा, आसाम, गुजरात, बिहार, पंजाब तथा उड़ीसा हैं|
दूसरे देशों की तुलना में भारत में सरसों की फसल से उत्पादन प्रति हेक्टेयर बहुत कम पाया जाता है| इसका मुख्य कारण सरसों की फसल की उचित सस्य तकनीक न अपनाना है, जिससे पौधों में जल उपयोग क्षमता और उष्मा उपयोग क्षमता घट जाती है, साथ ही साथ फसल में रोग और कीट का प्रकोप भी बढ़ जाता है| सरसों की फसल एक न्यून ताप पर विकसित होने वाली खेती है, इसकी पैदावार क्षमता मुख्य रूप से ताप और सौर विकिरण, पर्यावरणीय कारक पर निर्भर करती है|
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सरसों की फसल में शाखाओं की छंटाई
सरसों की फसल में पौधे के निचले भाग की शाखाओं की छंटाई करने के कई लाभ हैं, जैसे कि सूर्य की रोशनी फसल के अन्दर सभी पौधों को प्राप्त होती है, फसल में उचित तापमान बना रहता है, हवा का बहाव आसानी से होता है| साथ ही साथ फसल में उचित आर्द्रता बनी रहती है|
पौधों का निचला भाग जो कम उत्पादक होता है, इनकी छंटाई कर देने से इनके विकास में उपयोग होने वाले पोषक तत्व पौधों के उपरी भाग (जो कि अधिक उत्पादक होते हैं) को प्राप्त होने लगते हैं| इस विधि को अपनाने से रोग या बीमारियां जैसे- सफेद रतुआ का प्रकोप कम हो जाता है|
साथ ही साथ फसल की उत्पादन क्षमता 7 से 15 प्रतिशत बढ़ जाती है| शाखाओं की छंटाई बुआई के 50 दिन बाद करनी चाहिए और भूमि से 40 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक (एक हाथ की ऊंचाई तक) पौधों की सभी शाखाओं को तोड़कर अलग कर देना चाहिए| शाखाओं की छंटाई आमतौर पर दो समयांतराल पर की जाती है, जैसे-
1. 40 दिन बाद छंटाई (अगेती छंटाई)
2. 50 दिन बाद छंटाई (पछेती छंटाई)
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एक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अध्ययन में पाया गया कि 50 दिन बाद (पछेती छंटाई) शाखाओं की छंटाई करने से उत्पादन सबसे अधिक जबकि 40 दिन बाद शाखाओं की छंटाई (अगेती छंटाई) में कम और बिना छंटाई किये हुए पौधों में उत्पादन सबसे कम होता है|
सरसों के पौधों में 40 दिन बाद शाखाओं की छंटाई (अगेती छंटाई) एवं 50 दिन बाद शाखाओं की छंटाई कर देने से उसमें ऊष्मा उपयोग करने की क्षमता, सौर विकिरण उपयोग करने की क्षमता और जल उपयोग करने की क्षमता, बिना छंटाई किये हुए पौधों की तुलना में बढ़ जाती है, जिससे पौधों की वृद्धि और विकास सही तरीके से होता है तथा पौधा स्वस्थ और तना मजबूत पाया जाता है|
सरसों की फसल में शाखाओं की छंटाई कर देने से फसल में रोग जैसे सफेद रतुआ की समस्या कम हो जाती है| यहां हम एक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा सरसों की फसल में शाखाओं की छंटाई का कुछ विवरण और आंकड़े निचे रख रहे है, जो इस प्रकार है, जैसे-
सूचि 1- पूसा जय किसान किस्म की 15 अक्टूबर बुआई वाली सरसों की शाखाओं की छंटाई द्वारा पैदावार (क्विंटल प्रति हेक्टेयर)-
शाखाओं की छंटाई के प्रकार | पैदावार |
बिना छंटाई किया हुआ पौधा | 31.4 |
40 दिन बाद छंटाई किया हुआ पौधा (अगेती छंटाई) | 32.8 |
50 दिन बाद छंटाई किया हुआ पौधा (पछेती छंटाई) | 34.1 |
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सूचि 2- सरसों की फसल में उष्मा उपयोग करने की क्षमता ( किलोमीटर/दिन ), सौर विकिरण उपयोग करने की क्षमता (ग्राम/ मे. जल) और जल उपयोग करने की क्षमता (ग्राम/मीटर/मिलीमीटर जल)
किस्म- पूसा जय किसान, बुआई 15 अक्टूबर (पैदावार क्विंटल प्रति हेक्टेयर)-
शाखाओं की छंटाई के प्रकार | उष्मा उपयोग करने की क्षमता | सौरविकिरण उपयोग करने की क्षमता | जल उपयोग करने की क्षमता |
बिना छंटाई किया हुआ पौधा | 1.40 | 4.71 | 15.64 |
40 दिन बाद छंटाई किया हुआ पौधा (अगेती छंटाई) | 1.61 | 9.43 | 18.38 |
50 दिन बाद छंटाई किया हुआ पौधा (पछेती छंटाई) | 1.76 | 7.97 | 19.27 |
सूचि 3- सरसों के पौधों में सफेद रतुआ की संख्या (प्रतिशत)-
शाखाओं की छंटाई के प्रकार | सफेद रतुआ की संख्या |
बिना छंटाई किया हुआ पौधा | 17.8 |
40 दिन बाद छंटाई किया हुआ पौधा (अगेती छंटाई) | 14.6 |
50 दिन बाद छंटाई किया हुआ पौधा (पछेती छंटाई) | 14.8 |
सफेद रतुआ अधिक आक्रामक दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में 1.8 प्रतिशत और 1.2 प्रतिशत बिना छंटाई किये हुए पौधों में जनवरी में दिखाई दिया| सफेद रतुआ की संख्या 17.8 बिना छंटाई किये हुए पौधों में, 14.6 प्रतिशत, 40 दिन बाद छंटाई किये हुए पौधों में तथा 14.8 प्रतिशत, 50 दिन बाद छंटाई किये हुए पौधों में पाया गया|
पिछले दो सालों में पाया गया कि जिन पौधों की छंटाई कर दी गयी थी, उसमें पाले का प्रकोप कम था| जबकि जिनमें शाखाओं की छंटाई नहीं कि गई थी, उनमें पाले का प्रकोप अधिक था| सरसों के पौधों में पाला मुख्य रूप से जमीन के समीप वाले पत्तों में अधिक पाया जाता है| निचली शाखाओं और पत्तों की छंटाई करके सरसों में होने वाले पाले के प्रकोप से भी पौधों को बचाया जा सकता है|
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सरसों की फसल में शाखाओं की छंटाई और सुझाव
सरसों के फसल में शाखाओं की छंटाई कर देने से सूर्य की रोशनी फसल के अन्दर सभी पौधों को प्राप्त होती है, जिससे सरसों की फसल में उचित तापमान बना रहता है| हवा का संचार आसानी से होता है| विभाग द्वारा कराये गये शोध में उष्मा उपयोग करने की क्षमता, प्रकाश उपयोग करने की क्षमता तथा जल उपयोग करने की क्षमता सभी बिना छंटाई किये हुए पौधों से और अधिक हैं|
50 दिन बाद छंटाई कर देने से सरसों के पौधों में सफेद रतुओं की संख्या और पाले के प्रकोप में कमी आई और साथ ही साथ पैदावार 7 से 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है| इसलिए किसान बन्धुओं को सुझाव दिया जाता है, कि वे अपने सरसों की फसल में शाखाओं की छंटाई बुआई के 50 दिन बाद अवश्य कर दें|
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