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शिताके (जापानी) मशरूम की खेती कैसे करें

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

शिताके (जापानी) मशरूम की खेती कैसे करें

शिताके मशरुम को जापानी मशरुम भी कहा जाता है| शिताके (जापानी) मशरूम में भरपुर औषधीय गुण होते है| इसमें उपलब्ध बीटा ग्लुकेन केन्सर रोधी क्षमता से युक्त होते है| शिताके (जापानी) मशरूम में लेन्टिनान नामक तत्व पाया जाता है, जो शरीर की रोग रोधी क्षमता बढ़ाता है| यह मशरुम आज विश्व की सर्वाधिक उत्पादन की सूची में शामिल है|

चीन शिताके (जापानी) मशरूम मुख्य निर्यातक है और विश्व की कुल उत्पादित मशरुम में अब यह प्रथम है, और बटन मशरुम दूसरे स्थान पर है| वर्तमान समय में भारत में शिताके (जापानी) मशरूम को बहुत पसन्द किया जा रहा है व ताजा मशरुम 1500 से 1700 रुपये प्रति किलो बिक रही है| शिताके (जापानी) मशरूम का आकर्षक भूरा रंग और पोषक तत्व अधिक होने के कारण विकसित देशों में इसकी सर्वाधिक खपत है|

उत्पादन की सामग्री

शिताके (जापानी) मशरूम उत्पादन के लिए लकड़ी का बुरादा एक उपयुक्त माध्यम है| यदि गेहूँ के भूसे के साथ इसे 1 भाग गेहूँ और तीन भाग लकड़ी का बुरादा लें तो उत्पादन अच्छा होता है| सूत्र इस प्रकार है, जैसे-

सूत्र 1- सौ बैग लगाने के लिए 100 किलो लकड़ी का बुरादा + 1 किलो कैल्शियम कार्बोनेट + 2 किलो जिप्सम चूर्ण + 30 किलो गेहूँ का चापड़ आदि आवश्यक है|

सूत्र 2- सौ बैग लगाने के लिए 75 किलो लकड़ी का बुरादा + 25 गेहूँ का भूसा + 1 किलो कैल्शियम कार्बोनेट + 2 किलो जिप्सम चूर्ण + 30 किलो गेहूँ का चापड़ आदि आवश्यक है|

उपरोक्त दोनों सूत्र शिताके (जापानी) मशरूम उत्पादन के लिए सर्वोत्तम है, इसका उत्पादन मुख्यतया सर्दी के दिनों में किया जाता है|

यह भी पढ़ें- पुआल (चाइनीज) मशरूम की खेती कैसे करें

सामग्री तैयार करने की विधि

शिताके (जापानी) मशरूम की खेती के उपरोक्त दोनों सूत्रों में आवश्यक सामग्री की मात्रा लकड़ी का बुरादा व भूसा और गेहूँ के चापड़ को पानी में 24 घंटे तक भिगोकर रखें, अगले दिन इसे बाहर निकाल कर जाली पर या पॉलीथीन शीट पर डाल दें, ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाये| कुछ सामग्री मुट्ठी में लेकर दबायें उसमें से पानी टपकना नहीं चाहिए, यदि हाथ थोड़ा गीला हो तो यह उपयुक्त है|

इसके बाद उपरोक्त सूत्रों में दी गई कैल्शियम क्लोराईड और जिप्सम की मात्रा को अच्छी तरह मिला दें| अब यह बेग भरने के लिए उपयुक्त है, इस प्रकार तैयार बैग को ऑटोक्लेव में 2 घंटे तक 15 पाउण्ड दाब और 121 सेंटीग्रेट तापमान पर निर्जीवीकरण करें, ठण्डा होने पर ये बैग बीजाई के लिए तैयार हो जाते है|

बीजाई करना

शिताके (जापानी) मशरूम की खेती के लिए दो तरह के बैग काम में लिये जा सकते हैं, एक जिसकी साइज 12 इंच चौड़ी और 24 इंच लम्बी हो, दूसरी 8 इंच चौड़ी और 30 इंच लम्बी हो, दूसरी तरह के बैग को रेक में लेटाकर रख सकते हैं, जबकि पहले के बैग को ढिगरी की तरह रख सकते हैं| बीज की मात्रा गीली सामग्री का 3 से 4 प्रतिशत होता है| पूरे बीज को तीन से चार परतों में या एक साथ मिला कर भर सकते हैं| शिताके (जापानी) मशरूम के लिए परत बीजाई के परिणाम अच्छे मिलते है|

बीज बढ़वार

इसके लिए लगभग 20 दिन का समय लगता है और कमरे का तापमान 18 से 22 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होना चाहिए| पूरा बैग सफेद हो जाए तब इसे आगे मशरुम उत्पादन में काम में लिया जाता है| जब बैग रखें उससे पूर्व कमरे में कीटनाशी नुवान 0.2 प्रतिशत और फार्मलिन 6 प्रतिशत का छिड़काव दीवारों और फर्श पर कर दें, साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें| प्रमाणित व गुणवत्ता युक्त शिताके (जापानी) मशरूम बीज होना आवश्यक है और यह किसी प्रामाणिक प्रयोगशाला से ही खरीदा गया हो, यदि इसमें कोई अन्य फफूद की बढ़वार दिखाई दे तो उसे उपयोग में नहीं लेना चाहिए|

यह भी पढ़ें- ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की खेती कैसे करें

उत्पादन प्रक्रिया

शिताके (जापानी) मशरूम की खेती के लिए सर्दी के दिनों में अच्छी तरह उगाया जा सकता है| जब थैलियों में बढ़वार पूरी हो जाये और इसके उपर हल्के भूरे रंग की परत दिखाई दे, तब पॉलिथीन को हटा दें व पानी का छिड़काव निरन्तर दिन में 7 से 8 बार करें, 2 से 4 दिन बाद प्रत्येक बैग को बर्फ डाले हुए पानी में 2 से 3 घंटे डुबोकर रखें और बैग पर 7 से 8 छेद अन्दर 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई तक कर दें|

पॉलीथीन हटाने और शीत पानी के उपचार के 10 से 12 दिन बाद अंकुरण निकलना शुरु हो जाता है, यह 5 से 6 दिन में छतरी का आकार ले लेता है, और भूरे रंग के मशरुम अब तोड़ने लायक हो जाते हैं|

पानी देना और ठंडे पानी में डुबोना नियमित रूप से होगा तो अच्छा उत्पादन मिलेगा| इस समय उत्पादन कक्ष का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होना चाहिए, यदि दो किलोग्राम सूखा बुरादा + भूसा लेते है, तो उत्पादन लगभग 1500 ग्राम से 1800 ग्राम तक ताजा मशरुम प्राप्त की जा सकती है| तुड़ाई बटन मशरुम की तरह घुमाकर की जाती है|

यह भी पढ़ें- गैनोडर्मा मशरूम की खेती कैसे करें

मशरूम का रखरखाव

शिताके (जापानी) मशरूम उत्पादन के समय सफाई और कीट आदि का ध्यान रखना जरूरी है| यदि कोई हरी व काली फफूद बैग पर दिखाई दे, तो उसे तुरन्त हटा दें, और कैल्शियम कार्बोनेट 10 ग्राम + बाविस्टिन 10 ग्राम पाउडर का भुरकाव करें, और 7 से 8 घंटे उस पर पानी नही डालें| 15 दिन में एक बार नुवान 25 मिलीलीटर और फार्मलिन 100 मिलीलीटर 10 लीटर पानी में मिलाकर दीवारों, फर्श पर छिड़कें और बैग पर नहीं गिरायें| सम्पूर्ण उत्पादन के दौरान उत्पादन कक्ष में स्वच्छ हवा का संचार अच्छा रहे इसके लिए खिड़कियां और रोशन दान खुले रखें व दो एक्जास्ट पंखे जिसमें एक अन्दर की हवा को बाहर करने के लिए, दूसरा ताजा हवा को अन्दर लेने के लिए उपयोग में लें|

विपणन

शिताके (जापानी) मशरूम को ताजा 1500 से 1700 रु किलो में बेच सकते है, यदि बाजार दूर है तो मशरुम को थैली में बंद कर शीत वाहन से भेज सकते है, अन्यथा इसे उत्पादन कक्ष के तापमान पर सुखाकर भी बेच सकते हैं, शिताके (जापानी) मशरूम के चिप्स बनाकर भी सुखा सकते हैं| सूखे शिताके (जापानी) मशरूम का भाव 7000 से 7500 रूपये प्रति किलो है| यह मशरुम केन्सर रोगियों को दी जाने वाली कीमो और रेडियो थैरेपी के बाद देने पर अत्यन्त लाभकारी है|

यह भी पढ़ें- दूधिया मशरूम की खेती कैसे करें

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