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Home » बीज उपचार क्या है? | बीज उपचार कैसे करें? | बीज उपचार के लाभ?

बीज उपचार क्या है? | बीज उपचार कैसे करें? | बीज उपचार के लाभ?

December 19, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

बीज उपचार क्या है?

अच्छी फसल के लिए अच्छे एवं स्वस्थ बीज आवश्यक है| बदलते हुए मौसम तथा जलवायु को देखते हुए बीजों का सही प्रबंधन जरूरी है, कि किसान अच्छी फसल एव पैदावार कर सके| वर्षा में देरी के कारण किसान भाई आमतौर पर अच्छी फसल पाने के लिए 2 से 3 बार बुवाई करते है|

फसलों में कई रोगी, बीज आते हैं, इन्हें हम बीज जनित रोग कहते हैं| ऐसे रोगों को हम आसान और कम खर्च वाले तरीकों का प्रयोग कर, नियंत्रण कर सकते हैं, जैसे-

गाय का गोबर- गाय के गोबर से बीजोपचार करके बीज जनित बैक्टीरियल रोगों का नियंत्रण कर सकते हैं|

गोमूत्र या गाय का मूत्र- गोमूत्र से बीजोपचार करने से कई तरह के बीज जनित रोगों एवं किटाणुओं का नियंत्रण कर सकते हैं|

नमक का घोल- 20 प्रतिशत नमक के घोल में बीजोपचार करने से कई तरह के फंगल या फफूंद रोगों पर नियंत्रण किया जा सकता हैं|

बीज प्रबंधन के तहत नमी कर के हम फफूंद पर नियंत्रण कर सकते है|ऐसा करने के लिए बीज को राख के साथ भण्डारण कर के रखें| ऐसे भण्डारण करने से बीजों में नमी कम हो जाती है एवं फफूद लगने की सम्भावना कम होती है|

यह भी पढ़ें- गोभी वर्गीय सब्जियों का बीजोत्पादन कैसे करें

बीज प्रबंधन के तरीके

सदियों से हमारे समाज में बहुत सारे जलवायु संबंधित बीज प्रबंधन एवं उपचार के तरीके उपलब्ध है| बीजों को बोने के पहले बीज का अंकुरण जाँच करने से लेकर बीजोपचार की बहुत सी तकनीकी हमारे पूर्वज उपयोग में लिया करते थे|

बीज प्रबंधन का मुख्य उदेश्य, बीज जनित रोग एवं कीटों पर नियंत्रण करना होता है| यही रोग एवं कीट फसल को नष्ट कर सकते हैं| इससे किसान की पैदावार कम होती है और बीमार बीज बदलते हुए मौषम के साथ और भी कमजोर हो जाते है|

बीज का चुनाव

बीज प्रबंधन का पहला चरण है, सही एवं स्वस्थ बीजों का चुनाव, जब हम बीमार बीजों का प्रयोग करते हैं, सिंचाई से बीजों के अदर छुपे हुए रोग और कीटाणु वापस पैदा हो जाते हैं| यह रोग फसल में तथा फिर अगली फसल के बीजों में भी आ सकते हैं|

यह भी पढ़ें- बीज उत्पादन की विधियां, जानिए अपने खेत में बीज कैसे तैयार करें

सही बीज का चुनाव

ऐसे बीजों का चुनाव करना चाहिए, जो हमारे क्षेत्र में अच्छी पैदावार देते हैं, जिनमें कम रोग एवं कीटों की शिकायत हो तथा जो आसानी से उपलब्ध हो, हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये कि हम फसल और बीजों का चुनाव मिटटी एवं मौसम के आधार पर करें|

अंकुरण की जाँच- अच्छे देशी या उन्नत किस्म के बीजों का चुनाव करें| बीजों को बोने के पहले अंकुरण जांच करके देख लेना चाहिये, की बीज अच्छे हैं या नहीं| अच्छे बीज को ही बीजोपचार करके बोना चाहिए| छोटे बीज जैसे- टमाटर धान, गेंहू आदि के बीजों को निकल कर अलग बर्तन में रखें| कुछ बीजों को उचित नमी बना कर छाया में 7 से 10 दिन तक भिगों कर रखें, 7 से 10 दिन के बाद दो पत्ती वाले बीजो की संख्या गिन लें|

जिससे बीजों के अंकुरण की क्षमता का पता चल जाता है| उदाहरण के लिए- अगर इमने 10 बीजों को अंकुरण जांच के लिए भिगों कर रखा है एवं 7 से 10 दिन बाद उनमें से 5 बीज दो पत्तों में अंकुरित हुए हों तो उन बीज किस्म की अंकुरण क्षमता 80 प्रतिशत है| अंकुरण जाँच करने का एक और तरीका है|

अख़बार के पन्ने की चार तह बनाकर पानी में भिगो लें, फिर इसमें 50 से 100 बीज के दाने लेकर भिगो लें, इन भीगे हुए बीजों को अख़बार पर रख कर लपेट ले, अब अख़बार के दोनों कोनो को धागे से हलके से बाध कर पानी में भिगो कर निकाल लें| फालतू पानी निकल जाने के बाद इस पुडिया को प्लास्टिक के लिफाफे में डाल कर घर के अन्दर लटका दें| 3 से 4 दिन के बाद अंकुरित बीजों की संख्या गिन लें|

मुख्य खेती में उसी समूह के बीजो की बुवाई करते हैं, जो की अंकुरण जाँच में संतोषजनक पाए जाते हैं| कुछ प्रमुख फसलों के न्यूनतम मानक अंकुरण प्रतिशत नीचे दिए गए हैं, जो इस प्रकार है, जैसे-

1. धान, जी, शीशी, सरगुजा, तिल, कुलथी, न्यूनतम अंकुरण मान 80 प्रतिशत होना चाहिए|

2. गेहूं, चना, सरसों और राई, न्यूनतम अंकुरण मान 85 प्रतिशत होना चाहिए|

3. मक्का का न्यूनतम अंकुरण मान 90 प्रतिशत होना चाहिए|

4. मोटे अनाज,उरद, मुंग, बोदी, सेम, खेसरी, मसूर, अरहर, मटर और फ्रेंचबीन का न्यूनतम अंकुरण मान 75 प्रतिशत होना चाहिए|

5. मूंगफली, बैगा, मुली, टमाटर, बंदगोभी और प्याज़ का न्यूनतम अंकुरण मान 65 प्रतिशत होना चाहिए|

6. पालक, गाजर, मिर्च और लतावाली सब्जियों का न्यूनतम अंकुरण मान 60 प्रतिशत होना चाहिए|

यह भी पढ़ें- जड़ वाली सब्जियों के बीज का उत्पादन कैसे करें

बीज उपचार के तरीके

ट्राईकोडरमा से उपचार- इस विधि से बीजोपचार करने के लिए, सबसे पहले 1 किलो बीज को साफ़ पानी मे भिगो कर बोरी या सूती कपड़े पर निकाल कर रखें, अब इन भीगे हुए बीजों पर 2 ग्राम ट्राईकोडरमा पाउडर का छिड़काव करें| ट्राईकोडरमा पाउडर का छिड़काव करने के लिए हाथो में दस्ताने पहन लें| ट्राईकोडरमा पाउडर एवं बीजों को अच्छे से मिलाएं तथा बोरी या सूती कपड़े में 2 से 3 घंटे सुखाने के बाद बुआई करें|

ट्राईकोडरमा से पौधे का उपचार- यह एक मित्र फफूद हैं, जो हानिकारक फफूद को नष्ट करता हैं तथा बीज बोने व पौधा रोपने से 15 से 20 दिन पहले ट्राईकोडरमा से बीजोपचार करें| 10 ग्राम ट्राईकोडरमा को 1 किलोग्राम गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद के साथ छावं में अच्छी तरह से मिलाएं|

इस मिश्रण को पुलाव या पत्तो से ढक दें। मिश्रण करने के 7 दिन बाद, कुदाली से दो बार मिलाएं एवं अच्छी तरह से ढक कर रख दे। जब पौधा लगाना हो तो उस समय प्रति पौधा 1 से 2 मुट्ठी ट्राईकोडरमा मिश्रित खाद को तने के पास डाल दिया जाता है|

इस मिश्रित खाद को प्रति एकड़ 50 किलोग्राम की दर से दलहन व सोलेनेशी फसलो (टमाटर, बैगन, मिर्च) में उपयोग से प्राथमिक अवस्था में पौधों की फफूद, जड़ सडन और मुरझा बीमारी से सुरक्षा की जा सकती है|

गोमूत्र नमक तथा हींग के साथ- गोमूत्र, नमक तथा हींग के साथ बीजोपचार करने से बीज जनित रोग एवं कीटों का नाश होता है| गोमूत्र में बहुत मात्रा में कीट एवं जनित रोगों का नाश करने वाले गुण उपलब्ध है| इसके साथ साथ नमक का प्रयोग करने से ये बीज की नमी को कम करता है| इस प्रक्रिया से बीजों के उपर फैलने वाले रोग नहीं बढ़ते हैं|

यह भी पढ़ें- मशरूम बीज (स्पॉन) कैसे तैयार करें

 दूध का उपयोग- बीजोपचार में दूध का उपयोग करने की पद्धति सदियों से चली आ रही है| वैज्ञानिकों ने भी इस प्रक्रिया को सही साबित किया है| दूध में बहुत मात्रा में वायरल बीमारियों को रोकने की क्षमता है|

बाजार में वायरल बिमारियों को रोकने वाले रसायन अभी भी उपलब्ध नही है| बीजोपचार के लिए एक किलोग्राम बीज को 500 मिलीलीटर दूध में 2 घंटे भिगो कर रख दें| इसके बाद बीजों को दूध से निकाल कर बोरी या सूती कपड़े पर छाँव में सुखाकर बुवाई के लिए इस्तेमाल करें|

राख के साथ उपचार- राख के साथ बीजोपचार का मुख्य उद्देश्य है बिज के अंदर की नमी को कम करना|विभिन्न फंगल रोगों के लिए 1 लीटर पानी में 5 चाय के चम्मच राख मिलाकर उस मिश्रण के 1 लीटर पानी में 5 किलोग्राम बीज मिलाएं| इन मूल को बोरी या सूती कपड़े पर रख कर छाँव में सुखायें, सूखे हुए मूल की खेत या नर्सरी में बुवाई करें| 

गोमूत्र, गोबर, मिट्टी द्वारा बीज उपचार- बाजार से खरीदे गए बीज को 5 से 10 बार साफ़ पानी में धोयें| क्योकि बाजार में मिलने वाला बिज जहरीले तत्वों से उपचारित होता है, बिज उपचार के लिए 10 किलोग्राम गाय का गोबर एवं 10 लीटर गोमूत्र तथा 2 किलोग्राम स्वच्छ मिटटी या पेड़ के नीचे की मिटटी जिसमें कीटनाशक का प्रयोग न किया गया हो|

इस मिश्रण को अच्छे से मिलाकर आटे की तरह गुथ कर इसमें 50 से 100 किलोग्राम बीज को मिलाएं जब तक की बीजों पर इस मिश्रण की परत न चढ़ जाए| मिश्रण तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखें कीं, मोटे बीजों के लिये ये मिश्रण थोड़ा गाढ़ा बनाये तथा छोटे पतले बीजों के लीये कुछ पतला, उपचारित बीजों को छाँव में सुखा कर रख लें|

यह भी पढ़ें- बीज उपचार क्या है, जानिए उपचार की आधुनिक विधियाँ

बीजम्रित से उपचार- इस विधी में 5 किलोग्राम गोबर को 5 लीटर गोमूत्र, 50 ग्राम चुना एवं 20 लीटर पानी में 24 घंटे के लिए भिगो कर रखें| फिर तैयार घोल में बीजों को 5 घंटे तक भिगो कर रखें| बीजों को इस घोल से निकाल कर छांव में सुखा लें| सूखे हुए बीजों को बुआई के लिए इस्तेमाल करें|

गोबर की परत से उपचारित बीजों के कई फायदे हैं, जैसे की इनको पक्षी नहीं खाते एवं गोबर का लेप होने के कारण बीजों में कई दिनों तक नमी बनी रहती हैं| यदि बुवाई के तुरन्त बाद सुखा पड़ जाए तो बीज में फुटाव नहीं होता तथा बिज सुरक्षित रहते है, तथा पानी मिलने पर अंकुरित हो जाते है|

भण्डारण के तरीके- हमारे पूर्वज फसल काटने के बाद बीजों को गोबर व गोमूत्र में मिलाकर सुखा लेते थे| इन बीजो को अगली फसल के लिए मिटटी की हंडी में रखते थे| ऐसा करने से अगले फसल तक बीज स्वस्थ रहते थे| लेकिन समय के साथ हम इन तरीको को भूल रहे हैं, तथा अधिकतर लोग बाज़ार में रसायन द्वारा उपचारित बिज का प्रयोग करने लगे हैं| हर साल बाज़ार से बिज खरीदने से खेती का खर्च भी बढ़ता है|

नीम तेल द्वारा पौधा उपचार- रोपाई करने वाली फसलों में, रोपाई के समय में पौधों का उपचार करना जरूरी है| इसके लिए 1 बर्तन में 10 लीटर पानी भरें| इसमें 300 मिलीलीटर नीम का तेल मिला कर, जिन पौधों की रोपाई करनी है| उन पौधों की जड़े इसमें डुबा कर रोपाई के लिए इस्तेमाल करें|

यह भी पढ़ें- वर्षा आधारित खेती में आय बढ़ाने वाली उपयोगी एवं आधुनिक तकनीकें

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

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