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Home » ब्लॉग » ग्वार फसल के कीट व रोग और नियंत्रण के उपाय

ग्वार फसल के कीट व रोग और नियंत्रण के उपाय

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

ग्वार फसल के कीट व रोग

ग्वार फसल पर विभिन्न प्रकार के रोग व कीटों का प्रकोप होता है| जिसके कारण इसकी पैदावार व उसकी गुणवत्ता में कमी आती है| इसलिए इनकी रोकथाम के लिए समय पर जरूरी फसल सुरक्षा उपाय अपनाना चाहिए| इस लेख में ग्वार फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण कैसे करें का उल्लेख किया गया है| ग्वार की उन्नत खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- ग्वार की खेती- किस्में, रोकथाम व पैदावार

ग्वार फसल में रोग नियंत्रण

एन्थक्नोज- यह बीमारी ग्वार फसल में  तने, पत्तियों और फलियों को प्रभावित करती है| प्रभावित भाग भूरे रंग के हो जाते हैं| जिनके किनारे लाल या पीले रंग के हो जाते हैं| प्रभावित तने फटकर सड़ जाते हैं| फलियों पर छोटे-छोटे काले रंग के बिन्दु जैसे आकार के धब्बे दिखाई देने लगते हैं| यह बीमारी रोग ग्रसित बीज से फैलती है|

नियंत्रण-

1. बुवाई से पूर्व बीजों को सेरेसान या कैप्टान या थीरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें|

2. रोग ग्रसित पत्तियों व फलियों पर डाईथेन एम- 45 या बाविस्टिन 0.1 प्रतिशत का घोल बनाकर 7 से 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- ग्वार की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

चूर्णी फफूंद- इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियाँ एवं हरे भागों पर सफेद चूर्णी युक्त धब्बे पड़ जाते हैं| इस रोग का असर पौधे के सभी भागों पर पड़ता है| सबसे पहले पत्तियों पर सफेद धब्बे पड़ जाते हैं, जो बाद में तने तथा हरी फलियों पर भी फैल जाते है| रोग का ज्यादा असर होने पर पत्तियाँ सड़ कर गिर जाती हैं| इस बीमारी से फसल पैदावार पर विपरीत प्रभाव पड़ता है|

नियंत्रण-

जैसे ही पौधों पर रोग के आसार दिखाई दें घुलनशील गंधक की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी के हिसाब से अच्छा छिड़काव करें या कैराथेन दवा की 2 ग्राम मात्रा का प्रति लीटर पानी में घोल भी छिड़काव किया जा सकता है|

जीवाणु अंगमारी- यह रोग जीवाणु द्वारा फैलता है| यह ग्वार फसल का एक भयंकर रोग है, जिसके कारण ग्वार की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ता है| जीवाणु अंगमारी बीमारी के कारण पत्तियों की निचली सतह पर गोल नसों के बीच में पानी व तेल जैसी सोखी हुई आकृतिनुमा धब्बे बन जाते हैं| ये धब्बे बढ़कर पूरी पत्ती को ढक लेते हैं| तनों में दरार भी पड़ जाती है|

नियंत्रण-

1. रोगरहित क्षेत्रों में उत्पादित बीज ही बोएं|

2. सही फसल चक्र अपनाएं|

3. इस बीमारी की रोकथाम के लिए बीजों को 50 डिग्री सेन्टीग्रेड गर्म पानी में 10 मिनट तक रखकर बुवाई करें|

4. बुवाई से पूर्व बीजों को 100 पी पी एम स्ट्रप्टोमाइसिन रसायन से भी उपचारित किया जा सकता है|

यह भी पढ़ें- बीटी कपास (कॉटन) की खेती कैसे करें

जड़ गलन- इस रोग से ग्वार फसल में पौधों की प्राथमिक जड़ों पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं| पौधों की जलापूर्ति में बाधा पड़ती है तथा आखिर पौधे मुरझा जाते हैं|

नियंत्रण-

1. बीजों को बुवाई से पहले वीटावैक्स 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें|

2. जड़ गलन की रोकथाम के लिए मई से जून में सिंचाई व जुताई कर खेत खुला छोड़ दें|

3. ग्वार फसल को खरपतवारों से मुक्त रखें|

मोजेक- यह विषाणु जनित बीमारी है। इस रोग से प्रभावित ग्वार फसल के पौधे की पत्तियों पर गहरे हरे रंग के धब्बे बन जाते हैं| पत्तियाँ अंदर की तरफ सिकुड़ जाती हैं एवं अंत में पूरा पौधा पीला पड़ जाता है|

नियंत्रण-

1. ग्वार फसल में रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर जला दें|

2. रोग अवरोधी किस्मों का चयन करें|

3. बीमारी फैलाने वाली सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए न्यूवाक्रान या मैटासिस्टाक्स एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का घोल बना कर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- संकर धान की खेती कैसे करें

ग्वार फसल में कीट नियंत्रण

ग्वार फसल पर बीमारियों के अतिरिक्त कुछ कीड़ों का भी प्रकोप होता है| कम प्रकोप होने की दशा में कीटनाशी दवा के प्रयोग से बचना चाहिए, कुछ प्रमुख कीटों एवं उनके नियंत्रण के बारे में यहाँ वर्णन किया गया है, जैसे-

माहू- यह एक छोटा, भूरे या काले रंग का कीट है, जो ग्वार फसल में पौधे के कोमल भागों, खासकर पत्तियों का रस चूसता है| जब ये कीट ज्यादा संख्या में होते हैं, तो ये विकसित कलियों पर आक्रमण करते हैं| जिससे पौधे की बढ़वार और पैदावार में कमी हो जाती है, ये कीट मोजेक रोग फैलाने में भी सहायता करते हैं|

नियंत्रण-

1. कीट रोकथाम के लिए मिथाइल डेमेटान या रोगोर 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें|

2. अधिक प्रकोप होने पर मेलाथियान 50 ई सी, 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें|

चेपा या जैसिड- यह कीट 2 मिलीमीटर लम्बा तथा हरे रंग का होता है| इस कीट के निम्फ बिना पंख वाले और पत्तियों की निचली सतह पर काफी संख्या में पाए जाते हैं| इसके निम्फ तथा प्रौढ़ दोनों ही ग्वार फसल में पत्तियों के ऊतकों में छेद करते हैं और कोशिकाओं का रस चूसते हैं, जिसकी वजह से पत्तियाँ मुड़ जाती हैं|

नियंत्रण-

1. प्रारंभ में मिथाइल डेमेटान या रोगोर 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें|

2. अधिक प्रकोप की अवस्था में मेलाथियान 50 ई सी 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें|

फली बेधक- यह कीट पहले ग्वार फसल फलियों की उपरी सतह को खाता है, फिर छेद करके फलियों में प्रवेश कर बीजों को खाता है, इस तरह पैदावार पर बुरा असर पड़ता है|

नियंत्रण-

ग्वार फसल में कीट के नियंत्रण के लिए मेलाथियान 50 ई सी 1.5 मिलीलीटर या एन्डोसल्फान 2 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- बाजरे की खेती कैसे करे

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