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Home » ब्लॉग » असली एवं नकली उर्वरकों की पहचान: खाद की पहचान

असली एवं नकली उर्वरकों की पहचान: खाद की पहचान

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

असली एवं नकली उर्वरकों

खेती में प्रयोग में लाए जाने वाले कृषि निवेशों में सबसे मंहगी सामग्री रासायनिक उर्वरक है| उर्वरकों के शीर्ष उपयोग की अवधि हेतु खरीफ एवं रबी के पूर्व उर्वरक विर्निमाता फैक्ट्रियों तथा विक्रेताओं द्वारा असली को मिलावटी उर्वरक बनाने एवं बाजार में उतारने की कोशिश होती है| इसका सीधा प्रभाव किसानों पर पड़ता है|  नकली एवं मिलावटी उर्वरकों की समस्या से निपटने के लिए यद्यपि सरकार प्रतिबद्ध है फिर भी यह आवश्यक है, कि खरीददारी करते समय किसान भाई उर्वरकों की शुद्धता मोटे तौर पर उसी तरह से परख लें|

जैसे बीजों की शुद्धता बीज को दांतों से दबाने पर कट्ट और किच्च की आवाज से, कपड़े की गुणवत्ता उसे छूकर या मसलकर तथा दूध की शुद्धता की जांच उसे अंगुली से टपका कर कर लेते है| कृषकों के बीच प्रचलित उर्वरकों में से प्रायः डी ए पी, जिंक सल्फेट, यूरिया तथा एम ओ पी नकली या मिलावटी रूप से बाजार में उतारे जाते है|

उर्वरक की वैज्ञानिक तकनीक से पहचान के लिए शीघ्र किट का विकास केन्द्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं परीक्षण संस्थान फरीदाबाद द्वारा किया गया है जिसके द्वारा कृषक या व्यापारी और विद्यार्थी आसानी से परीक्षण कर सकते है| उर्वरको की सामान्य तरीके से असली नकली की जाँच कैसे करें की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- नकली एवं असली उर्वरक की पहचान सामान्य तकनीक से कैसे करें

रासायनिक घोल तैयार करना 

शीघ्र परीक्षण हेतु रासायनिक घोल तैयार करने की तकनीक, जैसे-

1. सान्द्र सोडियम हाइड्रोक्साइड (40 प्रतिशत)- 40 ग्राम को 100 मिलीलीटर आसुत जल में घोल कर रख लें|

2. तनु सोडियम हाइड्रोक्साइड (01 प्रतिशत )- 01 मिलीलीटर (40 प्रतिशत) सोडियम हाइड्रोक्साइड आसुत जल में 40 मिलीलीटर बना लें|

3. सिल्वर नाइट्रेट- 1 मिलीलीटर सिल्वर नाइट्रेट को 100 मिलीलीटर आसुत जल में घोलकर रंगीन शीशी में भर लें|

4. कोबाल्टी नाइट्रेट रीजेल्ट- 5 ग्राम कोबाल्टी नाइट्रेट को 50 मिलीलीटर आसुत जल में घोलें| इसमें 25 ग्राम सोडियम नाइट्राइट तथा 2.5 मिलीलीटर ग्लेशियल एसिटिक एसिड मिलाकर अच्छी तरह हिलाकर घोल में तथा आसुत जल से 100 मिलीलीटर कर लें|

5. फेरिक क्लोराइड- 7 ग्राम फेरिक क्लोराइड में 12 ग्राम अमोनियम एसिटेट मिलाकर 100 मिलीलीटर आसुत जल में घोलें|

6. फार्मलडिहाइड- 100 मिलीलीटर (37 से 40 प्रतिशत) फार्मलडिहाइड में 1 मिलीलीटर मेथाइल रेड घोल मिलाकर हिलाएं|

7. पोटेशियम फेरोसाइनाइड- 5 ग्राम को 100 मिलीलीटर आसुत जल में घोल लें|

उर्वरक में मिलावट- उर्वरक की मिलावट प्राय: दो प्रकार से होती है, जैसे-

1. सस्ते उर्वरक को महंगे उर्वरक में मिलाना या सस्ते उर्वरक को महंगे उर्वरक की बोरियों में भरना|

2. उर्वरक विहीन पदार्थो का असली उर्वरक में मिलावट करना या उन्हें उर्वरक की बोरियों में भरना|

यह भी पढ़ें- उर्वरकों एवं पोषक तत्वों का कृषि में महत्व

असली उर्वरक में मिलावट के स्रोत

मुख्य उर्वरकों में निम्न प्रकार की मिलावट की संभावनाएं होती है, जैसे-

1. युरिया- साधारण नमक

2. डी ए पी- सिंगल सुपर फास्फेट (दानेदार) या रॉक फास्फेट

3. सिंगल सुपर फास्फेट- बालू, राख, जिप्सम की गोलिया

4. कैल्शियम अमानियम नाईट्रेट- क्ले, जिप्सम

5. म्यूरेट ऑफ पोटाश- बालू, साधारण नमक

6. एन पी के- सिंगल सुपर फास्फेट (दानेदार), रॉक फास्फेट, जिप्सम, सस्ती एन पी के (गोली)

7. जिंक सल्फेट- मैगनीशियम सल्फेट

8. कॉपर सल्फेट- बालु, साधारण नमक

9. फेरस सप्फेट- बालु, साधारण नमक

यह भी पढ़ें- धान में पोषक तत्व (उर्वरक) प्रबंधन कैसे करें

असली एवं नकली की पहचान

असली एवं नकली उर्वरक की पहचान हेतु परीक्षण, जैसे-

यूरिया-

पहली तकनीक- परखनली में 1 ग्राम यूरिया लें, उसमें 5 मिलिलीटर आसुत जल मिलाकर घोलें| फिर 5 से 6 बूंद सिल्वर नाईट्रेट घोल डालें| यदि सफेद अवक्षेप आता है, तो उर्वकर में मिलावट समझें| यदि अवक्षेप नही बनता तो यूरिया असली शुद्ध है|

दुसरी तकनीक-1 ग्राम यूरिया सूखी परखनली में लेकर गरम करें| यदि दाने पिघल जाते हैं, तो यूरिया शुद्ध है| किन्तु यदि कुछ बिना पिघला हुआ पर्दाथ बचता है, तो उसमें मिलावट है|

डी ए पी-

पहली तकनीक- 1 ग्राम पिसे हुए उर्वरक को परखनली में लें और 5 मिलिलीटर आसुत जल मिलाएं| फिर उसमें 1 मिलिलीटर शोरे का तेजाब मिलाकर अच्छी तरह हिलाएं| यदि उर्वरक पूरी तरह घुल जाता है, तो डी ए पी होने सम्भावना है| किन्तु यदि बहुत या अघुलनशील पर्दाथ शेष रहे तो डी ए पी में मिलावट समझना चाहिए|

दुसरी तकनीक

1. एक ग्राम पीसे नमूने में चूना मिलाएं और सूंघे, अमोनिया की गन्ध आना नाइट्रोजन की उपस्थिति बताता है| किन्तु यदि गंधहीन हो तो उसमें नाइट्रोजन अनुपस्थित बताता है|

2. एक ग्राम पिसे नमूने का लेकर पानी में घोले फिर फिल्टर पेपर से छानकर उसमें 1 मिलिलीटर सिल्वर नाइट्रेट घोल मिलाएं| यदि पीला अवक्षेप आता है, तो वह फास्फेट की उपस्थिति बताता है|

यह भी पढ़ें- टमाटर में एकीकृत पोषक तत्व (खाद व उर्वरक) प्रबंधन कैसे करें

म्यूरेट ऑफ पोटाश-

पहली तकनीक- 1 ग्राम उर्वरक को परखनली में लेकर 10 मिलिलीटर पानी डालकर अच्छी तरह हिलाएं| अधिकांश उर्वकर घुल जाता है, कुछ अघुलनशील कण पानी में उपर तैरने लगते है यह असली शुद्ध उर्वरक की पहचान है| किन्तु यदि बहुत सा अघुलनशील पदार्थ तलहटी में जमा हो जाए तो उसे मिलावटी समझना चाहिए|

दुसरी विधि- उर्वरक को जलती हुई लौ में डालें यदि लौ का रंग पीला हो जाए तो मिलावट होने की संभावना है|

एन पी के- यौगिक-

पहली तकनीक- 1 ग्राम उर्वरक को परखनली में लें एवं 5 मिलीलीटर आसुत जल तथा 1 मिलीलीटर सान्द्र सोडियम हाइड्राक्साइड का मिलाकर गर्म करें फिर लाल लिटमस पेपर को गीला करके परखनली के मुंह पर ले जायें| यदि पेपर का रंग नीला हो जाए तो यह नाइट्रोजन की उपस्थिति को बताता है| किन्तु यदि लिटमस पेपर के रंग में कोई परिवर्तन नहीं हो तो यह नाइट्रोजन की अनुपस्थिति को बताता और खाद नकली समझें|

दूसरी तकनीक- 1 ग्राम उर्वरक को 5 मिलीलीटर आसुत जल में घोलकर छान लें| छनित में 0.5 मिलीलीटर फेरिक क्लोराइड का घोल मिलाएं| पीलापन लिए हुए अवक्षेप बनता है जो कि 1 मिलीलीटर सान्द्र शोरे के तेजाब में घुल जाता है वह उर्वरक में फास्फेट होना दर्शाता है|

तीसरी तकनीक- 1 ग्राम उर्वरक को 5 मिलीलीटर आसुत जल में घोलकर छान ले| छनित में 2.0 मिलीलीटर फार्मलडिहाइड मिलाएं| अब घोल का रंग लाल हो जाएगा| तनु सोडियम हाइड्राक्साइड के घोल को तब तक मिलाएं जब तक वह पीला न हो जाए, अब इसमें 1 मिलीलीटर कोबाल्टी नाइट्रेट रीजेन्ट मिलाएं| पीला अवक्षेप बनना पोटाश को दर्शाता है|

यह भी पढ़ें- गेहूं में एकीकृत उर्वरक प्रबंधन क्या है?

सिगल सुपर फास्फेट-

दानेदार या पाउडर 1 ग्राम उर्वरक को 5 मिलीलीटर आसुत जल में घोलकर छान लें| छनित में एक बूंद तनु 2 प्रतिशत अमोनियम हाइड्राक्साइड घोल तथा 1 मिलीलीटर सिल्वर नाइट्रेट घोल को मिलाएं| पीला अवक्षेप बनना फास्फेट की उपस्थिति दर्शाता हैं, किन्तु अवक्षेप न बनना फास्फेट की अनुपस्थिति को दर्शाता है और उर्वरक को नकली समझा जाए|

जिंक सल्फेट-

एक ग्राम उर्वरक को 5 मिलीलीटर आसुत जल में घोलकर छान लें| छनित को परखनली में लेकर उसमें 8 से 10 बूंदे तन सोडियम हाइड्रोक्साइड मिलाएं| सफेद जैली जैसा अवक्षेप बनता है| अब सान्द्र सोडियम हाइड्रोक्साइड की 10 से 12 बूंदे मिलाएं अवक्षेप का घुल जाना उर्वरक का असली शुद्ध होना दर्शाता है और न घुलना उर्वरक में मिलावट को दर्शाता है|

कॉपर सल्फेट-

एक ग्राम उर्वरक को 5 मिलीलीटर आसुत जल में घोल लें| नीला पारदर्शक घोल बनता है| उक्त घोल में 1.0 मिलीलीटर पोटाशियम फेरोसाइनाइड मिलाने से भूरे रंग का अवक्षेप बनना कॉपर सल्फेट होना दर्शाता है|

फेरस सल्फेट-

एक ग्राम उर्वरक को 5 मिलीलीटर पानी में घोल लें तथा उसमें 1.0 मिलीलीटर पोटाशियम फेरोसाइनाइड मिलाने पर नीला अवक्षेप बनना फेरस सल्फेट को दर्शाता है|

यह भी पढ़ें- बायो फ़र्टिलाइज़र (जैव उर्वरक) क्या है- प्रकार, प्रयोग व लाभ

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